बड़ी खबर :- भारत- पाक में जसवंतसिंह परिवार का जलवा , शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह के प्रयास लाये रंग , वतन आया रेशमा का पार्थिक शरीर
बाड़मेर। आख़िर एक सप्ताह की कड़ी मशक्कत के बाद पाकिस्तान से रेशमा का शव सड़क मार्ग से मुनाबाव के रास्ते भारत पहुंच गया। जहां पाकिस्तान रेंजर्स ने रेशमा का शव एवं उसके बेटे सायब को बीएसएफ को सौंपा। मुनाबाव से एम्बुलेंस के जरिये रेशमा के शव को लेकर बाड़मेर के गडरा रोड के गांव असागड़ी ले जाने के लिए रवाना हुए। जहां पर शाम को रेशमा के शव को सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।
पाकिस्तान बेटी और बहन से मिलने गई थी रेश्मा
रेशमा अपनी बेटी व बहन से मिलने के लिए 30 जून को पाकिस्तान के खीपरा (सांगड़) गई थी। गत 25 जुलाई को सामान्य बुखार के बाद रेशमा की मौत हो गई थी तो वही पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव थे। वहाँ कार्यालय बंद थे। ओर आवागमन के साधन भी उपलब्ध नहीं थे। एेसे में रेशमा के निधन के बाद उनको लगा कि अब कैसे भारत पहुंचेंगे। यहाँ उनके पुत्रो से रेशामा के शव को वतन की मिट्टी में सुपुर्द करने के लिए शव बाड़मेर लाने की गुहार जिला प्रशासन, और शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह से की।
भारत - पाक में जसवंतसिंह परिवार का जलवा
जसवंत सिंह परिवार का जलवा आज भी पाकिस्तान और हिंदुस्तान में बरकरार है। जिला कलेक्टर शिव प्रसाद नकाते ने एक जिला कलेक्टर के तौर पर पूर्व प्रयास किये की पहले रेशमा का शव भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से लाने का प्रयास किया गया। इसके लिए थार एक्सप्रेस को डेढ़ घंटे तक पाकिस्तान में रोक कर रखा गया, लेकिन वीज़ा समाप्ति एवं अन्य औपचारिक कार्यवाही पूर्ण ना होने की वजह से पार्थिव देह को भारत नहीं लाया जा सका।
बाड़मेर। आख़िर एक सप्ताह की कड़ी मशक्कत के बाद पाकिस्तान से रेशमा का शव सड़क मार्ग से मुनाबाव के रास्ते भारत पहुंच गया। जहां पाकिस्तान रेंजर्स ने रेशमा का शव एवं उसके बेटे सायब को बीएसएफ को सौंपा। मुनाबाव से एम्बुलेंस के जरिये रेशमा के शव को लेकर बाड़मेर के गडरा रोड के गांव असागड़ी ले जाने के लिए रवाना हुए। जहां पर शाम को रेशमा के शव को सुपुर्द ए खाक किया जाएगा।
पाकिस्तान बेटी और बहन से मिलने गई थी रेश्मा
रेशमा अपनी बेटी व बहन से मिलने के लिए 30 जून को पाकिस्तान के खीपरा (सांगड़) गई थी। गत 25 जुलाई को सामान्य बुखार के बाद रेशमा की मौत हो गई थी तो वही पाकिस्तान में 25 जुलाई को चुनाव थे। वहाँ कार्यालय बंद थे। ओर आवागमन के साधन भी उपलब्ध नहीं थे। एेसे में रेशमा के निधन के बाद उनको लगा कि अब कैसे भारत पहुंचेंगे। यहाँ उनके पुत्रो से रेशामा के शव को वतन की मिट्टी में सुपुर्द करने के लिए शव बाड़मेर लाने की गुहार जिला प्रशासन, और शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह से की।
भारत - पाक में जसवंतसिंह परिवार का जलवा
जसवंत सिंह परिवार का जलवा आज भी पाकिस्तान और हिंदुस्तान में बरकरार है। जिला कलेक्टर शिव प्रसाद नकाते ने एक जिला कलेक्टर के तौर पर पूर्व प्रयास किये की पहले रेशमा का शव भारत-पाकिस्तान के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस से लाने का प्रयास किया गया। इसके लिए थार एक्सप्रेस को डेढ़ घंटे तक पाकिस्तान में रोक कर रखा गया, लेकिन वीज़ा समाप्ति एवं अन्य औपचारिक कार्यवाही पूर्ण ना होने की वजह से पार्थिव देह को भारत नहीं लाया जा सका।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी अपने सतत प्रयास कर रही थी।मगर सड़क मार्ग से बाघा बॉर्डर से शव भेजने की बात पाक सरकार के अधिकारियों ने कही। इधर शिव विधायक मानवेन्द्र सिंह अपने रसूखात के चलते पाक एम्बेसी के अधिकारियों से व्यक्तिगत संपर्क में थे। उन्होंने अपने व्यक्तिगत प्रभाव का इस्तेमाल कर पाक अधिकारियों को रेशामा का शव खोखरापार मुनाबाव सड़क मार्ग से भेजने के लिए राजी किया। जिसके बाद मुनाबाव - खोखरापार सड़क मार्ग से शव लाने की विशेष अनुमति प्रदान की गई। शिव विधायक की ओर से लगातार की जा रही कोशिशों का नतीजा है कि रेशमा का शव भारत आ गया है। सबके सामूहिक प्रयास थे मगर सड़क मार्ग दूसरी बार खुलवाने में मानवेन्द्र सिंह का प्रयास सफल रहा। रेशामा को अपने वतन की मिट्टी नसीब हुई। जसवंत सिंह परिवार के प्रति आज भी पाकिस्तान में सम्मान का भाव है।
पाक अधिकारियों की तारीफ की जानी चाहिए - सिंह
इस्लामाबाद में पाकिस्तान उच्चायोग के अजय बिसारिया, अजीज अहमद खान और जेपीसिंह सहित कई अधिकारियों से संपर्क किया और उनसे सहयोग मांगा। मानवेन्द्र बताते है कि एम्बुलेंस लाने औैर मानवता के इस कार्य में सहयोग करने के लिए पाकिस्तान के अधिकारियों की तारीफ होनी चाहिए।
दूसरी बार खोले गए सड़क मार्ग के द्वार
मुनाबाव सीमा पर सड़क मार्ग से आवागमन दूसरी बार मंगलवार को रेशमा के शव एवं उसके पुत्र की वतन वापसी के लिए किया गया, जबकि इससे पहले पूर्व वित्त विदेश मंत्री जसवंत सिंह अपने काफिले के साथ मुनाबाव खोखरापार इसी सड़क मार्ग से विशेष स्वीकृति लेकर पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन के लिए बड़े जत्थे के साथ इसी मार्ग से गए थे और इसी मार्ग से वापस आये। जसवंतसिंह परिवार के कारण मानवता के नाते खुलवाया जा सका।
प्रशासनिक अमला रहा मौजूद:
मंगलवार को रेशमा के पार्थिव देह को विशेष अनुमति के जरिये सड़क मार्ग से अपने वतन भारत लाने के लिए उपखण्ड अधिकारी चन्द्रभान सिंह भाटी, गडरा रोड तहसीलदार पुरखाराम, रामसर एसएचओ विक्रम सांदू, जीआरपी, आरपीएफ, मेडिकल टीम के साथ अन्य मौजूद रहे।
पाक अधिकारियों की तारीफ की जानी चाहिए - सिंह
इस्लामाबाद में पाकिस्तान उच्चायोग के अजय बिसारिया, अजीज अहमद खान और जेपीसिंह सहित कई अधिकारियों से संपर्क किया और उनसे सहयोग मांगा। मानवेन्द्र बताते है कि एम्बुलेंस लाने औैर मानवता के इस कार्य में सहयोग करने के लिए पाकिस्तान के अधिकारियों की तारीफ होनी चाहिए।
दूसरी बार खोले गए सड़क मार्ग के द्वार
मुनाबाव सीमा पर सड़क मार्ग से आवागमन दूसरी बार मंगलवार को रेशमा के शव एवं उसके पुत्र की वतन वापसी के लिए किया गया, जबकि इससे पहले पूर्व वित्त विदेश मंत्री जसवंत सिंह अपने काफिले के साथ मुनाबाव खोखरापार इसी सड़क मार्ग से विशेष स्वीकृति लेकर पाकिस्तान स्थित हिंगलाज माता मंदिर के दर्शन के लिए बड़े जत्थे के साथ इसी मार्ग से गए थे और इसी मार्ग से वापस आये। जसवंतसिंह परिवार के कारण मानवता के नाते खुलवाया जा सका।
प्रशासनिक अमला रहा मौजूद:
मंगलवार को रेशमा के पार्थिव देह को विशेष अनुमति के जरिये सड़क मार्ग से अपने वतन भारत लाने के लिए उपखण्ड अधिकारी चन्द्रभान सिंह भाटी, गडरा रोड तहसीलदार पुरखाराम, रामसर एसएचओ विक्रम सांदू, जीआरपी, आरपीएफ, मेडिकल टीम के साथ अन्य मौजूद रहे।