*कोटा क्यों बाडमेर में शिशुओं की मौत के आंकड़ों पर भी जरा गौर फरमा ले,बाडमेर की शिशु मृत्यु दर 6 फीसदी,कोटा से एक फीसदी ज्यादा*
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*
*बाडमेर इनदिनों कोटा में जे के लोन अस्पताल में 34 दिनों में 106 शिशुओं की मौत पर बवाल मचा है।।सियासी पारा गर्म है।।बाडमेर न्यूज़ ट्रैक ने इसी मंच पर राष्ट्रीय पोषण योजना में बाडमेर जिले में करीब 84 शिशुओं की मौत का खुलासा किया था ।धोरीमन्ना ब्लॉक में चार बच्चो की पूरी डिटेल भी लिखी थी।।कलेक्टर ने जांच बिठाई।।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को नोटिस भी जारी हुआ था।।इस पर पुनः अगले अंक में बात करेंगे।।आज बात करते है राजकीय अस्पताल बाडमेर में शिशु मृत्य दर की।।बाडमेर अस्पताल में शिशु मृत्यु दर कोटा से कही ज्यादा है।।अधिकृत आंकड़े पर गौर करे तो यह 6 फीसदी है जबकि कोटा में 5 फीसदी है।।बाडमेर अस्पताल में 2019 में 200 से अधिक शिशुओं की मौत के आंकड़े सामने आए है।।
जानकर सूत्रों के अनुसार बाडमेर राजकीय अस्पताल में लम्बे समय से शिशुओं की मौत का मामला चल रहा था।बाडमेर छोटा शहर है किसी ने गौर नहीं किया।।अस्पताल में डिलीवरी के दौरान और डिलीवरी के बाद नवजात शिशुओं की मौत के आंकड़े और अधिक भयावह है।।इसकी पुख्ता जांच कराने पर सारा मामला खुल सकता है।।बाडमेर में शिशुओं की मौत कोटा की तरह संक्रमण से नही हुई ।यहां शिशुओं की मौत चिकित्सको और चिकित्सा कार्मिकों की लापरवाही से होती आई है।।जब जब मामले उठाये गए ।मामले दबा दिए गए।।गत जुलाई 31 को धोरीमन्ना में राष्ट्रीय कुपोषण योजना में सर्वे रत 84 बच्चो में से 4 की मौत की खबर चलाई एक बरगी विभाग में हड़कम्प मच गया।।अब राजकीय अस्पताल में शिशु मृत्य दर को लेकर आंकड़े छिपाने का खेल LAMA के जरिये चल रहा ताकि बच्चो की मौत की जिम्मेदारी से अस्पताल के अधिकारी बच जाए।अमूम्मं जिस शिशु की मृत्यु होती है उसका रिकार्ड दर्ज नही करते उसके रिकार्ड में लामा दर्ज करते।इसका मतलब उपचार के दौरान परिजन बच्चे को लेकर घर चले गए।ऐसी स्थति में अधिकारी बच जाते है।चूंकि अब मामला सियासी हो चुका है।बाडमेर के अधिकृत शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों की जांच कमिटी के माध्यम से जांच होनी चाहिए।।प्रति माह कितने शिशु मौत की भेंट चढ़े इसका आंकड़ा सामने आना चाहिए।अभी कुछ रोज पूर्व की दो शिशु जिसमे एक लड़का और एक लड़की अस्पताल में दम तोड़ चुके है।।बाडमेर अस्पताल का शिशु मृत्यु दर कस आंकड़ा छह प्रतिशत से ज्यादा है।2019 में बाडमेर अस्पताल में 200 से अधिक शिशुओं की मौत हो गई।कोटा में बवाल मचा है जिसकी आंच बाडमेर तक पहुंच सकती है आखिर मामला शिशुओं की मौत का है।।जिम्मेदार एक बारगी बाडमेर अस्पताल के आंकड़ों को खंगाल ले।।
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*
*बाडमेर इनदिनों कोटा में जे के लोन अस्पताल में 34 दिनों में 106 शिशुओं की मौत पर बवाल मचा है।।सियासी पारा गर्म है।।बाडमेर न्यूज़ ट्रैक ने इसी मंच पर राष्ट्रीय पोषण योजना में बाडमेर जिले में करीब 84 शिशुओं की मौत का खुलासा किया था ।धोरीमन्ना ब्लॉक में चार बच्चो की पूरी डिटेल भी लिखी थी।।कलेक्टर ने जांच बिठाई।।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को नोटिस भी जारी हुआ था।।इस पर पुनः अगले अंक में बात करेंगे।।आज बात करते है राजकीय अस्पताल बाडमेर में शिशु मृत्य दर की।।बाडमेर अस्पताल में शिशु मृत्यु दर कोटा से कही ज्यादा है।।अधिकृत आंकड़े पर गौर करे तो यह 6 फीसदी है जबकि कोटा में 5 फीसदी है।।बाडमेर अस्पताल में 2019 में 200 से अधिक शिशुओं की मौत के आंकड़े सामने आए है।।
जानकर सूत्रों के अनुसार बाडमेर राजकीय अस्पताल में लम्बे समय से शिशुओं की मौत का मामला चल रहा था।बाडमेर छोटा शहर है किसी ने गौर नहीं किया।।अस्पताल में डिलीवरी के दौरान और डिलीवरी के बाद नवजात शिशुओं की मौत के आंकड़े और अधिक भयावह है।।इसकी पुख्ता जांच कराने पर सारा मामला खुल सकता है।।बाडमेर में शिशुओं की मौत कोटा की तरह संक्रमण से नही हुई ।यहां शिशुओं की मौत चिकित्सको और चिकित्सा कार्मिकों की लापरवाही से होती आई है।।जब जब मामले उठाये गए ।मामले दबा दिए गए।।गत जुलाई 31 को धोरीमन्ना में राष्ट्रीय कुपोषण योजना में सर्वे रत 84 बच्चो में से 4 की मौत की खबर चलाई एक बरगी विभाग में हड़कम्प मच गया।।अब राजकीय अस्पताल में शिशु मृत्य दर को लेकर आंकड़े छिपाने का खेल LAMA के जरिये चल रहा ताकि बच्चो की मौत की जिम्मेदारी से अस्पताल के अधिकारी बच जाए।अमूम्मं जिस शिशु की मृत्यु होती है उसका रिकार्ड दर्ज नही करते उसके रिकार्ड में लामा दर्ज करते।इसका मतलब उपचार के दौरान परिजन बच्चे को लेकर घर चले गए।ऐसी स्थति में अधिकारी बच जाते है।चूंकि अब मामला सियासी हो चुका है।बाडमेर के अधिकृत शिशु मृत्यु दर के आंकड़ों की जांच कमिटी के माध्यम से जांच होनी चाहिए।।प्रति माह कितने शिशु मौत की भेंट चढ़े इसका आंकड़ा सामने आना चाहिए।अभी कुछ रोज पूर्व की दो शिशु जिसमे एक लड़का और एक लड़की अस्पताल में दम तोड़ चुके है।।बाडमेर अस्पताल का शिशु मृत्यु दर कस आंकड़ा छह प्रतिशत से ज्यादा है।2019 में बाडमेर अस्पताल में 200 से अधिक शिशुओं की मौत हो गई।कोटा में बवाल मचा है जिसकी आंच बाडमेर तक पहुंच सकती है आखिर मामला शिशुओं की मौत का है।।जिम्मेदार एक बारगी बाडमेर अस्पताल के आंकड़ों को खंगाल ले।।