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घुड़लो घूमे ला जी, घुमेला बाडमेर माट में माटोळी घूमे, कोठी में ज्वारा रे.... गणणौर के ये गीत अब बाडमेर जैसलमेर की गलियों में सुनाई दे रहे हैं। लड़कियों और महिलाओं का इस त्योहार के प्रति आकर्षण देखते ही बन रहा है। घुड़ले के तहत शाम के समय लड़कियां एकत्रित होकर सिर पर छिद्र किया हुआ घड़ा लेकर, जिसमें दीपक जला सिर पर धारण कर समूह में घूमती है और गवर के गीत गाती है। इस त्योहार के प्रति बालिकाओं में ज्यादा उत्साह रहता है। बालिकाएं १५-२० की संख्या में झुंड में गली-गली में घुड़ले के गीत गाती है। गली गली घुम रहा है घुड़ला शहर के कई गली मोहल्लें में घुड़ला लिए बालिकाएं एवं महिलाएं देखी जा सकती है। घुड़ले को मोहल्लें में घुमाने के बाद बालिकाएं एवं महिलाएं अपने परिचितों एवं रिश्तेदारों के यहां घुड़ला लेकर जाती है। घुड़ला लिए बालिकाएं मंगलगीत गाती हुई सुख व समृद्धि की कामना करती है। रखा जाता है उपवास इन दिनों कई लड़कियों द्वारा गणगौर माता का उपवास भी रखा जाता है। जो महिलाएं और लड़कियां परंपरागत ढंग से उपवास रखती आ रही हैं। उन्होंने तो इस बाद उपवास रखा ही साथ ही कई नई लड़कियों ने भी इस पूजा में अपना सहयोग दिया। हाल ही में जिनकी शादी हुई उन महिलाओं ने अपनी पहली गणगौर अपने मायके में मनाई। साथ ही गली-गली में गूंजने वाले लोक गीतों में अपनी सहभागिता निभाई। शहर के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी गणगौर की धूम देखी जा सकती है |
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गुरुवार, 31 मार्च 2011
घुड़लो घूमे ला जी, घुमेला
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