*जैसलमेर के शक्ति पीठ श्री भादरिया राय मन्दिर,जैसलमेर*
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*
भारत पाक सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर अपने दर्शनीय स्थलों के लिए विश्व भर में अपना मुकाम रखता है।खासकर जैसलमेर की नो देवियों के शक्ति पीठो के प्रति स्थानीय ही नही बल्कि देश विदेशों में भी जबरदस्त आस्था है। साल के बड़े महीनों खासकर नवरात्रि में इन शक्ति पीठो पे आस्था का ज्वार उमड़ता है।।
श्री भादरिया राय मन्दिर स्थान जैसलमेर से करीब ८० की. मी. जोधपुर रोड धोलिया ग्राम से १० की. मी. उतर की तरफ़ हें ! उक्त स्थान के पास एक भादरिया नामक राजपूत रहता था उसका पुरा परिवार आवड़ा माता का भक्त था ! जिसमे उक्त महाशय की पुत्री जिसका नाम बुली बाई था वह मैया की अनन्य भक्त थी ! उसकी भक्ति की चर्चाए सुनकर माड़ प्रदेश के महाराजा साहब पुरे रनिवास सहित उक्त जगह पधारे , बुली बाई से महारानी जी ने साक्षात रूप मे मैया के दर्शन कराने का निवेदन किया ! उक्त तपस्वनी ने मैया का ध्यान लगाया , भक्तो के वस भगवान होते हें ! मैया उसी समय सातो बहने व भाई के साथ सहित पधार गई ! सभी मे गद गद स्वर मे मैया का अभिवादन किया तब रजा ने मैया से निवेदन किया मैया आप सभी परिवार सहित किस जगह विराजमान हें तब मैया ने फ़रमाया मे काले उचे पर्वत पर रहती हू ! इस प्रकार मैया वहा से रावण हो गई , मैया के दर्शन पाने से सभी का जीवन धन्य हुवा ! उसी स्थान पर भक्त भादरिये के नाम से भादरिया राय मन्दिर स्थान महाराजा की प्रेरणा से बनाया गया ! भादरिया स्थित एशिया की सबसे बड़ी गोशाला और इसका विशाल पुस्तकालय देखने योग्य है।।यहां का पुस्तकालय भारत मे अपना प्रमुख स्थान रखता है।
*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*
भारत पाक सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर अपने दर्शनीय स्थलों के लिए विश्व भर में अपना मुकाम रखता है।खासकर जैसलमेर की नो देवियों के शक्ति पीठो के प्रति स्थानीय ही नही बल्कि देश विदेशों में भी जबरदस्त आस्था है। साल के बड़े महीनों खासकर नवरात्रि में इन शक्ति पीठो पे आस्था का ज्वार उमड़ता है।।
श्री भादरिया राय मन्दिर स्थान जैसलमेर से करीब ८० की. मी. जोधपुर रोड धोलिया ग्राम से १० की. मी. उतर की तरफ़ हें ! उक्त स्थान के पास एक भादरिया नामक राजपूत रहता था उसका पुरा परिवार आवड़ा माता का भक्त था ! जिसमे उक्त महाशय की पुत्री जिसका नाम बुली बाई था वह मैया की अनन्य भक्त थी ! उसकी भक्ति की चर्चाए सुनकर माड़ प्रदेश के महाराजा साहब पुरे रनिवास सहित उक्त जगह पधारे , बुली बाई से महारानी जी ने साक्षात रूप मे मैया के दर्शन कराने का निवेदन किया ! उक्त तपस्वनी ने मैया का ध्यान लगाया , भक्तो के वस भगवान होते हें ! मैया उसी समय सातो बहने व भाई के साथ सहित पधार गई ! सभी मे गद गद स्वर मे मैया का अभिवादन किया तब रजा ने मैया से निवेदन किया मैया आप सभी परिवार सहित किस जगह विराजमान हें तब मैया ने फ़रमाया मे काले उचे पर्वत पर रहती हू ! इस प्रकार मैया वहा से रावण हो गई , मैया के दर्शन पाने से सभी का जीवन धन्य हुवा ! उसी स्थान पर भक्त भादरिये के नाम से भादरिया राय मन्दिर स्थान महाराजा की प्रेरणा से बनाया गया ! भादरिया स्थित एशिया की सबसे बड़ी गोशाला और इसका विशाल पुस्तकालय देखने योग्य है।।यहां का पुस्तकालय भारत मे अपना प्रमुख स्थान रखता है।