आंनद हो मंगल हो और आत्मीयता हो वही सुख का आभास होता हैं-उपाध्याय मनोज्ञसागर
षुक्रवार को भगवान महावीर स्वामी का जन्म वांचन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ
पर्युषण महापर्व का पांचवें दिन ,रंग बिरंगी रोषनी व फूलो से सजा ब्रह्मसर तीर्थ
ब्रह्मसर-जैसलमेर राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ब्रह्मसर पंहुच किए गुरूदेव के दर्षन
ब्रह्मसर-जैसलमेर 30 अगस्त। स्वर्ण नगरी से 15 किलोमीटर दूर षान्त वातावरण कुशल धाम ब्रह्मसर दादावाड़ी में उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर जी म.सा. व नयज्ञसागर जी म.सा. व साध्वी हेमरत्ना श्रीजी म.सा. की पावन निश्रा में चल रहे 51 दिवसीय चातुर्मास के दौरान पर्युुषण पर्व के चैथे दिन प्रवचन माला में षुक्रवार को उपाध्याय प्रवर श्री मनोज्ञसागर जी म.सा. ने प्रवचन में आराधकों सम्बोधित करते हुए कहा कि आराधना साधना भक्ति भावना व आत्म कल्याण जिसके द्वारा सहज रूप में हो ऐसे पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पंचम दिवस में हमें हमारे परम् चरम उपकारी श्री भगवान श्री महावीर स्वामी के प्रसंगों से अपने जीवन को प्रासंगिक बनाना है।गुरुदेव ने आराधकों को कहा यह चार माह सबको जीवन भर याद रहेगा। क्योंकि यहाँ पर व्यतीत किये हर पल जिनाज्ञा के अनुशरण में बिता। आंनद हो मंगल हो और आत्मीयता हो वही सुख का आभास होता हैं।तीर्थ भूमि में आराधना साथ पर्युषण महापर्व की आराधना का लाभ हमे प्राप्त हो रहा हैं।जैनशासन व अध्यात्म जगत में खण्ड-2 होकर जीने का मार्गदर्शन नही दिया है, लौकिक जीवन मे शारिरिक व पौद्गलिक वस्तुओं को महत्व दिया जाता है लेकिन यह पर्व हमें अखंडता का सन सन्देश देते हुए एक को साधो सब साधे का मार्गदर्शन प्राप्त कराता हैं क्योंकि जड़ का महत्व तब है जब वह चेतना से जुड़ा हो।इसलिए हमारी आराधना साधना में खण्डित वस्तुओं का उपयोग नहीं होता। जैनशाशन के नियमों का पालन करना कठिन काम हैं जैन धर्म अहिंसा जयणा मर्यादा नियमों का धर्म हैं नियम मर्यादा में किसी प्रकार की ढील नहीं देखी जाती। अखण्ड होकर अपनी आराधना साधना को अखंड करना हैं तप क्रिया आराधना को खण्डित कर दिया तो अखण्डता प्राप्त नही होती। था।श्री उपाध्याय प्रवर मनोज्ञ सागर चातुर्मास कमेटी के संयोजक बाबूलाल छाजेड़ नवसारी व अषोक धारीवाल ने बताया कि ब्रह्मसर तीर्थ पर चल रहे वर्षावास के दौरान षुक्रवार को पर्युषण पर्व के पांचवें दिन राजस्थान सरकार में गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ब्रह्मसर तीर्थ पर पहुंच कर विमलनाथ भगवान व दादा गुरूदेव के दर्षन कर प्रदेष खुषहाली की कामना की।इसके बाद वहां विराजमान उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर जी म.सा. व साध्वी हेमरत्ना श्री का आषीर्वाद लिया और प्रवचन का श्रवण किया प्रवचन के दौरान सपनों की बोलियों में लक्ष्मी जी का चढावा राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया व भगवान महावीर स्वामी के पालने का चढावा भूरचन्द नगराज छाजेड़ रामसर ने लाभ लिया। इसके पश्चात चातुर्मास कमेटी की और से तिलक,माला,श्रीफल,मोमेन्टो से अभिनन्दन किया गया। भाटीपा क्षेत्र सहित,जिजनीयाली,राणीगांव,धोरीमना,बाडमेर,जैसलमेर आदि क्षेत्रो से पधारे हुए मेहमानो का चातुर्मास कमेटी की और से बहुमान किया गया। चातुर्मास आराधना में नवनिधान व पंच परमेष्ठी तप की तपस्या निरन्तर प्रगति पर है। तपस्या की कड़ी में सम्पतराज बोहरा के 47 वां उपवास है 3 सितम्बर को 51 उपवास की तपस्या की पूर्णआहुति होगी और पपूदेवी गौतमचन्द डंूगरवाल देवडा के तेरहवां उपवास है। 51 दिवसीय चातुमार्स के दौरान प्रतिदिन दादावाड़ी में समस्त आराधको के साथ चैत्यपरिपाटी व भक्ति भावना व दोपहर में दिलीप भाई एण्ड पार्टी द्वारा दादा गुरूदेव की बड़ी पूजा व रात्रि में भक्ति संध्या कार्यक्रम आयोजित हुआ,जिसमें आराधक भक्ति में झूम रहे है व रात्रि विमलनाथ भगवान व दादा गुरूदेव की भव्य आंगी रचाई गई।आज पर्युषण महापर्व के चैथेे दिन तपस्या की आराधना बड़ी ठाठ से चल रही है।षुक्रवार को भगवान महावीर स्वामी जन्म वांचन का कार्यक्रम हुआ व सपनो की बोलियां बोली गयी।इस दौरान षुक्रवार को बाबूलाल छाजेड़ नवसारी, ज्ञानीराम मालू ,बाबूलाल टी बोथरा,रमेष सर्राफ,राणामल बागचार,षेरसिंह राखेचा,नेमीचन्द बोथरा, मांगीलाल बोथरा नवसारी,प्रकाष बोथरा,षंकरलाल बोथरा,सुरेष सेठिया,मुल्तानमल सेठिया,बगतावरमल धारीवाल,जेठमल संखलेचा,बाबूलाल मालू,दीनदयाल तातेड़,प्रकाष बोथरा,बाबूलाल बालड़,हरिराम छाजेड़ आदि कई गुरूभक्त उपस्थित थे।
षुक्रवार को भगवान महावीर स्वामी का जन्म वांचन का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ
पर्युषण महापर्व का पांचवें दिन ,रंग बिरंगी रोषनी व फूलो से सजा ब्रह्मसर तीर्थ
ब्रह्मसर-जैसलमेर राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ब्रह्मसर पंहुच किए गुरूदेव के दर्षन
ब्रह्मसर-जैसलमेर 30 अगस्त। स्वर्ण नगरी से 15 किलोमीटर दूर षान्त वातावरण कुशल धाम ब्रह्मसर दादावाड़ी में उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर जी म.सा. व नयज्ञसागर जी म.सा. व साध्वी हेमरत्ना श्रीजी म.सा. की पावन निश्रा में चल रहे 51 दिवसीय चातुर्मास के दौरान पर्युुषण पर्व के चैथे दिन प्रवचन माला में षुक्रवार को उपाध्याय प्रवर श्री मनोज्ञसागर जी म.सा. ने प्रवचन में आराधकों सम्बोधित करते हुए कहा कि आराधना साधना भक्ति भावना व आत्म कल्याण जिसके द्वारा सहज रूप में हो ऐसे पर्वाधिराज पर्युषण पर्व के पंचम दिवस में हमें हमारे परम् चरम उपकारी श्री भगवान श्री महावीर स्वामी के प्रसंगों से अपने जीवन को प्रासंगिक बनाना है।गुरुदेव ने आराधकों को कहा यह चार माह सबको जीवन भर याद रहेगा। क्योंकि यहाँ पर व्यतीत किये हर पल जिनाज्ञा के अनुशरण में बिता। आंनद हो मंगल हो और आत्मीयता हो वही सुख का आभास होता हैं।तीर्थ भूमि में आराधना साथ पर्युषण महापर्व की आराधना का लाभ हमे प्राप्त हो रहा हैं।जैनशासन व अध्यात्म जगत में खण्ड-2 होकर जीने का मार्गदर्शन नही दिया है, लौकिक जीवन मे शारिरिक व पौद्गलिक वस्तुओं को महत्व दिया जाता है लेकिन यह पर्व हमें अखंडता का सन सन्देश देते हुए एक को साधो सब साधे का मार्गदर्शन प्राप्त कराता हैं क्योंकि जड़ का महत्व तब है जब वह चेतना से जुड़ा हो।इसलिए हमारी आराधना साधना में खण्डित वस्तुओं का उपयोग नहीं होता। जैनशाशन के नियमों का पालन करना कठिन काम हैं जैन धर्म अहिंसा जयणा मर्यादा नियमों का धर्म हैं नियम मर्यादा में किसी प्रकार की ढील नहीं देखी जाती। अखण्ड होकर अपनी आराधना साधना को अखंड करना हैं तप क्रिया आराधना को खण्डित कर दिया तो अखण्डता प्राप्त नही होती। था।श्री उपाध्याय प्रवर मनोज्ञ सागर चातुर्मास कमेटी के संयोजक बाबूलाल छाजेड़ नवसारी व अषोक धारीवाल ने बताया कि ब्रह्मसर तीर्थ पर चल रहे वर्षावास के दौरान षुक्रवार को पर्युषण पर्व के पांचवें दिन राजस्थान सरकार में गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने ब्रह्मसर तीर्थ पर पहुंच कर विमलनाथ भगवान व दादा गुरूदेव के दर्षन कर प्रदेष खुषहाली की कामना की।इसके बाद वहां विराजमान उपाध्याय प्रवर मनोज्ञसागर जी म.सा. व साध्वी हेमरत्ना श्री का आषीर्वाद लिया और प्रवचन का श्रवण किया प्रवचन के दौरान सपनों की बोलियों में लक्ष्मी जी का चढावा राजस्थान सरकार के केबिनेट मंत्री प्रमोद जैन भाया व भगवान महावीर स्वामी के पालने का चढावा भूरचन्द नगराज छाजेड़ रामसर ने लाभ लिया। इसके पश्चात चातुर्मास कमेटी की और से तिलक,माला,श्रीफल,मोमेन्टो से अभिनन्दन किया गया। भाटीपा क्षेत्र सहित,जिजनीयाली,राणीगांव,धोरीमना,बाडमेर,जैसलमेर आदि क्षेत्रो से पधारे हुए मेहमानो का चातुर्मास कमेटी की और से बहुमान किया गया। चातुर्मास आराधना में नवनिधान व पंच परमेष्ठी तप की तपस्या निरन्तर प्रगति पर है। तपस्या की कड़ी में सम्पतराज बोहरा के 47 वां उपवास है 3 सितम्बर को 51 उपवास की तपस्या की पूर्णआहुति होगी और पपूदेवी गौतमचन्द डंूगरवाल देवडा के तेरहवां उपवास है। 51 दिवसीय चातुमार्स के दौरान प्रतिदिन दादावाड़ी में समस्त आराधको के साथ चैत्यपरिपाटी व भक्ति भावना व दोपहर में दिलीप भाई एण्ड पार्टी द्वारा दादा गुरूदेव की बड़ी पूजा व रात्रि में भक्ति संध्या कार्यक्रम आयोजित हुआ,जिसमें आराधक भक्ति में झूम रहे है व रात्रि विमलनाथ भगवान व दादा गुरूदेव की भव्य आंगी रचाई गई।आज पर्युषण महापर्व के चैथेे दिन तपस्या की आराधना बड़ी ठाठ से चल रही है।षुक्रवार को भगवान महावीर स्वामी जन्म वांचन का कार्यक्रम हुआ व सपनो की बोलियां बोली गयी।इस दौरान षुक्रवार को बाबूलाल छाजेड़ नवसारी, ज्ञानीराम मालू ,बाबूलाल टी बोथरा,रमेष सर्राफ,राणामल बागचार,षेरसिंह राखेचा,नेमीचन्द बोथरा, मांगीलाल बोथरा नवसारी,प्रकाष बोथरा,षंकरलाल बोथरा,सुरेष सेठिया,मुल्तानमल सेठिया,बगतावरमल धारीवाल,जेठमल संखलेचा,बाबूलाल मालू,दीनदयाल तातेड़,प्रकाष बोथरा,बाबूलाल बालड़,हरिराम छाजेड़ आदि कई गुरूभक्त उपस्थित थे।