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शनिवार, 4 अगस्त 2012

foto...गोड़ावण आश्रय स्थली सुदासरी पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होगा


गोड़ावण आश्रय स्थली सुदासरी पर्यटन स्थल के रुप में विकसित होगा

बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जैसलमेर जिले में स्थित राष्ट्रिय मरु उद्यान में राज्य पक्षी दी ग्रेट इण्डियन बर्स्टड गोडावण की आश्रय स्थली सुदासरी गांव को वन विभाग और पर्यटन विभाग पर्यटन स्थल के रुप में विकसित करेगा,इसके लिए दोनो विभागों का साझा प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया हैं।जिसके इसी साल मंजुर होने की सम्भावना हैं।राज्य पक्षी गोडावण के सरक्षण के साथ साथ सुदासरी में हस्त कला को बावा देने की योजना हैं।


वन विभाग के सूत्रों ने बताया कि राश्टृीय मरु उद्यान का सुदासरी गॉव गोडावण की प्रमुख आश्रय स्थली हैं,वहीं बरना गॉव में भी गोडावणों की उपस्थिती दर्ज की जाती रही हैं।विभाग ने पर्यटन विभाग के साथ मिलकर गोडावण के सरक्षण के साथ साथ इन गॉवों को पर्यटन से जोड़ने के उदेश्य से बीस करोड़ की योजना का प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया गया हैं,जिसके शीघ्र मंजुर होने की उम्मीद है। सूत्रों ने बताया कि सुदासरी और बरना गॉवों में गत साल 24 गोडावणों की उपस्थिती दर्ज की गई थी,इस साल सुदासरी में 32 गोडावण देखें गए हैं।


सूत्रों ने बताया कि अगले दो चार दिनों में मरु उद्यान में वन्य जीवों की गणना आरम्भ हो रही हैं,गणना के बाद गोडावणों की वास्तविक संख्या सामने आएगी। इस योजना के तहत सुदासरी में दो सामुदायिक भवनों का निर्माण कराया जाएगा,जिसमे स्थानीय लोगो को रोजगार उपल्बध कराते हुए हस्त कला केन्द्र खोला जा कर हस्त कला के आयटम तैयार कराए जाऐंगें जिसमें कॉच कशीदाकारी ,आरी तारी,हस्तकला युक्त जूतियॉ, आदि तेयार करवा कर बिक्री के लिए रखे जाएंगे।खत्री के अनुसार बरना में पर्यटन विभाग के साथ मिलकर रिसोट्र खोलने की योजना इस प्रस्ताव में ामिल हैं।थार के बाड़मेर जैसलमेर जिलों के 3162 वर्ग किलो मीटर क्षैत्र में फेले राष्ट्रिय मरु उद्यान में लुप्त हो रहे गोडावणों के सरक्षंण के लिये वन विभाग ने गम्भीरता से कवायद शुरू कर दी हैं।विश्व भर में एक मात्र गोडावण की आश्रय स्थली सुदासरीबरना में तेल दोहन के साथ साथ मानवीय गतिविधियों के बने के कारण गोडावणों की संख्या में निरन्तर कमी दर्ज की जाती रही हैं।विभागीय सुत्रों के अनुसार गत 15 सालों में मरु उद्यान क्षैत्र में वर्ष 2005 में सर्वाधिक 110 गोडावणों की उपस्थिती दर्ज की गई थी वहीं सबसे कम 1995 में 39 गोडावण थे।अब अकेले सुदासरी गॉव में 32 गोडावण हैं।क्षैत्र में मानवीय गतिविधियॉ ब जाने से गोडावणों के भोजन का प्रमुख आधार लगभग समाप्त हो जाना गोडावण की घटती संख्या का प्रमुख कारण रहा हैं।विभाग द्वारा गोडावण के आश्रय स्थली के आस पास के 9 गांवों के 389 परिवारों को अन्यत्र बसाने की योजना को अंतिम रुप दिया गया हैं।मरु उद्यान के आसपास के सम,सुदासरी,फुलियां,म्याजलार,खुहड़ी,व सत्तों आदि क्षैत्रों में चार दशक पूर्व तक गोडावणों की स।ख्या हजारों में थी जो सिमट कर दो अंकों में रह गई हैं।गोडावणों की घटती संख्या के चलते पिभाग हरकत में आया हैं।वन विभाग को गोडावणों के सर।क्षण की इस महत्वकांक्षी योजना को जल्द मंजुरी मिलने की उम्मीद हैं।

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