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बुधवार, 8 जून 2016

बाड़मेर सरहद की सीमा चौकिया बनी परिंदो के आसियाने ,चौकियों में बने बर्ड हाउस

बाड़मेर सरहद की सीमा चौकिया बनी परिंदो के आसियाने ,चौकियों में बने बर्ड हाउस

​​चंदन सिंह भाटी
बाड़मेर भारत पाकिस्तान की पश्चिमी सीमा पर देश की सुरक्षा के लिए तैनात सीमस सुरक्षा बल की सीमा चौकिया मूक परिंदो के आसियाने बन गए ,हज़ारो की तादाद में बल की चौकियों में लगे पेड़ों पर इनके बसेरे हैं ,परिंदो के रुख को देख कर जवानों ने भी पक्षियो के लिए दाना पानी और छाँव की व्यवस्था करते हैं ,इन पक्षियों में सरहद पार कर पाकिस्तान से आने वाले पक्षी भी शामिल हैं ,सरहद की सबसे दुर्गम अग्रिम चौकी रोहिडी में इन पक्षियों के लिए बकायदा पक्षी घर बनाए गए हैं ताकि इन्हे धुप से बचाया जा सके , प्रजनन भी सुरक्षित हो सके ,


बाड़मेर जिले के दुर्गम सरहदी गांव रोहिडी से दस किलोमीटर दूर रोहिडी फॉरवर्ड चौकी हैं ,पक्षियों की चह चहाहट इस चौकी के आबाद होने का संकेत करती हैं ,हज़ारो चिड़िया इस केम्पस में हैं ,इनकी देखभाल जवां करते हैं ,पक्षियों की सेवा को अपनी दिन चर्या में शामिल कर दिया ,इस चौकी में परिंदो के छोटे छोटे आवास बांस की खप्पचियो से बनाए गए हैं ताकि परिंदे इसमें सुरक्षित रह सके ,


रोहिडी सीमा चौकी के अतिरिक्त कमांडेंट गुलशन कुमार के अनुसार मेरे आने से पूर्व मेरे वरिष्ठ अधिकारी ने मुझे बताया था की इस चौकी पर हज़ारो पक्षी आते हैं उनकी देखभाल जरूर करना ,उनके वाक्य थे की इंसान अपनी जरूरतों के लिए खुद कर सकता हैं मगर इन मूक परिंदो के लिए कोई नहीं करता ,तब से सभी जवां अपनी ड्यूटी टाइम के बाद केम्पस में परिंदो की देखभाल करते हैं ,इन पक्षियों के रहने के लिए आवास बनाए गए हैं ,जिसमे पक्षी अपना समय गुजरते हैं तो बड़ा शकुन मिलता हैं ,

जिले की अंतर्राष्ट्रीय सीमा 218 किमी पर आने वाली सभी पोस्ट पर इस बार ग्रुप फॉर पीपुल्स नामक संसथान ने पक्षियों के लिए परिण्डे लगाकर पक्षियों को सौगात दी हैं ,इससे पहले सीमा सुरक्षा बल के जवां हेलमेट ,बोतलों को काट कर परिण्डे के रूप में काम ले रहे थे ,कई सीमा चौकियों पर स्टील की कटोरियाँ में पानी भर के रखा जाता था ,मगर इस बार सभी पोस्टों पर परिंडे बांधे जा चुके हैं ,




उन्होंने बताया की परिंदे पर्यावरण के सच्चे प्रहरी कहे जाते है। उन्हें पर्यावरण दूत का भी दर्जा दिया गया है। लेकिन अंधाधुंध शहरीकरण के बीच हमने उनका बसेरा छीन लिया है। अब आसमान में परिंदों के पर फड़फड़ाते है। फिजाओं में उनकी कूक,चींची सुनाई देती है। लेकिन उनके आशियाने को हमने उजाड़ दिया है। या यूं कहे कि हमें फिक्र ही नहीं रही कि हमारी तरह इन परिंदों का भी कोई बसेरा हो। सबसे ज्यादा उन नुकसान घर के आंगन में बरबस फुदकने वाली उस चिड़िया के साथ हुआ जिसे आज भी हाउस स्पैरो यानी घर की चिड़िया कहा जाता है। परिंदों के लिए बसेरा उनके लिए सवेरा होने जैसा ही है।इसी से प्रेरित होकर परिंदो के लिए बसेरे बनाए गए हैं ,'जो घोसला हम बनाकर एक प्रतीक के रूप में इन गौरैयों को देते है। उसे घर के रूप में बदलने की कवायद की सबसे पहली पहल नर गौरैया करता है। वह घोसले में तिनका-घास-फूस सात से आठ दिनों तक लगातार लाता है। इसके बाद उन लाए हुए तिनके-घास-फूस को करीने से संवारने के लिए मादा गौरैया का घोसले में प्रवेश होता है। मादा गौरैया इन बिखरे हुए तिनके को करीने से सजाती-संवारती है और उसे दोनों (नर और मादा गौरैया) के रहने के लिए घर का रूप देती है। अब इस घोसले में दोनों रहने लगते है। जब अंडे देने के बाद मादा गौरेये उसे सेती है और जबतक उसमें से चूजे नहीं निकल जाते , इस दौरान पूरा ख्याल नर गौरैया रखता है। मादा गौरैया घोसले से बाहर नहीं निकलती और उसके खाने-पीने का पूरा बंदोबस्त नर गौरैया ही करता है।' हर घोसला दो गौरैया से गुलजार होता है जिसमें नर और मादा रहते है। अंडे देने उसके सेने का चक्र चलता रहता है इस तरह से गौरैया के परिवार में नए सदस्यों के आगमन का यह सिलसिला चलता रहता है। लेकिन यह सबकुछ आशियाने पर निर्भर करता है। क्योंकि घोसला इनके जीवन में ठीक वही भूमिका निभाता है जो इंसान के जीवन में एक घर का महत्व होता है।परिंदों से जुड़े कुछ अलफाजों को अगर आप ध्यान से सुने तो बड़ा सुकून मिलता है। इन शब्दों में गजब की ताजगी है जो आपको ऊर्जा से भर देती है। जरा गौर कीजिए। फुर्र-फुर्र, फुदकना, चुगना,चीं-चीं,चहचहाहट,चूं-चूं,चुग्गा,कलरव,फड़फडाना,चोंच आदि। एक नन्ही गौरैया आपके घर के दरवाजे के बाहर बैठी है। वो इस आस में बैठी है कि घर का दरवाजा कभी तो खुलेगा। क्या आप घर का दरवाजा खोलेंगे?




तामलोर सीमा चौकी के अतिरिक्त कमांडेंट भूपेंद्र सिंह भाटी कहते हैं 'काम कोई भी मुश्किल नहीं बस आपकी नीयत साफ और हौसले में ताकत होनी चाहिए। आपके हौसले की उड़ान ही इन परिंदों के उड़ान यानी उनके जीवन को जीवंत बनाने और संवारने के काम आएगी।'