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शुक्रवार, 18 मार्च 2011

जिला कलेक्टर गौरव गोयल कीबाडमेर में अनूठा आगाज एक सौ बेटियों के जन्म का ढ्रंढ महोत्सव मनाया गया।


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बेटियों की की ढ्रंढ
बाडमेर में अनूठा आगाज


बताया बेटो से बेहतर
बाडमेर, 18 मार्च। कम लिंगानुपात तथा बेटियों के प्रति उपेक्षित व्यवहार वाले बाडमेर जिले में शुक्रवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब होली पर ढ्रंढ  के बेटो के एकाधिकार वाले उत्सव पर बेटियों के जन्म की खुशी मनाई गई तथा बेटियों की ढ्रंढ  कर सूचना प्रौद्योगिकी के युग में पुत्री रत्न की महता जताई गई।
जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य भवन में शुक्रवार प्रातः जिला कलेक्टर गौरव गोयल की मौजूदगी में करीब एक सौ बेटियों के जन्म का ढ्रंढ  महोत्सव मनाया गया। चंग की थाप तथा थाली की झन्कार के बीच बेटियों को बेटो के समान बताया गया तथा बेटे बेटी के बीच भेदभाव को मिटाने की प्रेरणा लेने का आव्हान किया गया। इस मौके पर बेटियों का ढ्रंढ  संस्कार विधिवत रूप से किया गया और उन्हें माला पहनाकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम के दौरान 2010 में जन्मी 100 बेटियों को खिलौने, कपडे व अन्य उपहार भेट किये गये। कार्यक्रम के दौरान चंगधमाल पर गीतों से माहौल रंगीन हुआ। वहीं स्वास्थ्य भवन के मुख्य द्वार पर रंगोली उकेरी गई।
महिला आईएएस से प्रेरणा
इस मौके पर जिला कलेक्टर गोयल ने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के बेहतर प्रदार्न के उदाहरण देते हुए कहा कि उनके आईएएस के बैच में पहली बार सबसे ज्यादा लडकियां आई थी, जो बेटियों के बेहतर होने का प्रमाण है। उन्होने बालिका शिक्षा पर बल देते हुए कहा कि यदि एक बेटी पती है तो दो परिवार पते है। इस अवसर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डां. गणपतसिंह राठौड ने कहा कि बेटियों के प्रति इस तरह के आयोजन नियमित रूप से करवाए जाएगे। महिला एवं बाल विकास विभाग की उप निदोक विनिता सिंह ने बेटियों के जन्म पर ढ्रंढ महोत्सव के आयोजन को अनोखा बताया। वहीं केयर्न इण्डिया की ओर से सीएसआर प्रमुख बी आर ग्वाला ने भी बेटियों को सम्मानित किया।
पिता के लिए बजी तालियां
मुख्यतः बेटियों के लिए आयोजित कन्या ढ्रंढ  महोत्सव में अधिकाश बेटियों को लेकर उनकी माताएं ही पहुंची थी। इस स्थिति को देखते हुए जिला कलेक्टर गोयल ने बेटियों के पिता के बारे मे पूछा तो वहां एक बेटी के पिता जयप्रका मौजूद थे। इस पर जिला कलेक्टर ने उनका स्वागत करते हुए ताली बजाई तो स्वास्थ्य भवन तालियों से गूंज उठा।
भविश्य मे भी होंगे आयोजन
इस कार्यक्रम का मुख्य उदृश्य जिले में गिरते लिंगानुपात को बराबर करना है। जिला कलेक्टर ने बताया कि बेटे बेटियों के बीच भेदभाव को मिटाने के लिए भविश्य मे भी इस तरह के आयोजन किए जाते रहेंगे।
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