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रविवार, 16 जून 2019

बाडमेर मुनाबाव कस्टम ने 23.27 लाख रुपए का 700 ग्राम विदेशी सोना पकड़ा*

*बाडमेर मुनाबाव कस्टम ने 23.27 लाख रुपए का 700 ग्राम विदेशी सोना पकड़ा*

सीमा शुल्क विभाग ने भारत पाक सीमा पर स्थित मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर शनिवार रात थार लिंक एक्सप्रेस  से पाकिस्तान से भारत आ रहे तीन पाक-नागरिकों से कुल 700.167 ग्राम सोना बरामद किया हैं जिसका बाजार मूल्य 23,27,119/- रुपए  आंका गया। कस्टम कमिश्नर श्री सुभाष चंद्र अग्रवाल के निर्देशानुसार कस्टम विभाग के असिस्टेंट कमिश्नर श्री एम एल शेरा के नेतृत्व में यह कार्यवाही की गई। यह सोना 10-10 तोले के 5 विदेशी मार्का वाले बिस्कुट  तथा, एक कड़ा वजन-81.6 ग्राम और 3 अंगूठियां वजन-35.1 ग्राम के रूप में था  जो कि क्रमशः  किशोर कुमार माहेश्वरी पुत्र नवल रॉय, निवासी-छाछरो, जिला-थारपारकर, सिंध प्रांत, श्री रमेश पत्र चीना जी भील, निवासी-रहीमयार खान, पाकिस्तान और कैलाश माली, निवासी- पाकिस्तान से बरामद किया गया हैं। ये तीनो ही पाक नागरिक हैं तथा तस्करी कर सोना भारत मे लाए थे मगर विभाग की मुस्तैदी से इनके इरादों पर पानी फिर गया। इससे पूर्व सुबह के वक़्त भारत से पाकिस्तान जाने वाली ट्रेन के यात्रियों की तलाशी में भी कस्टम अधिकारियों ने एक पाक नागरिक श्री रामचंद्र, निवासी-हैदराबाद  के सामान की तलाशी में कुल 1 लाख 50 हजार रुपए मूल्य के करीब 300 लेडीज कुर्ते और 200 लेडीज दुपट्टे बरामद किए  जिनको व्यापारिक मात्रा में होने के कारण सीमा शुल्क अधिनियम के प्रावधानों के तहत जब्त किया गया और रूपए 52500/- का  जुर्माना  व पेनल्टी  वसूल करने के बाद छोड़ दिया गया ।

   मुनाबाव रेल्वे स्टेशन पर तैनात सहायक कस्टम कमिश्नर श्री एम.एल.शेरा के अनुसार थार एक्सप्रेस का कोई भी यात्री अपने साथ व्यापारिक मात्रा में माल ना तो ले जा सकता हैं  और ना ही ला सकता हैं।
कस्टम विभाग इन दिनों यात्रियों की जांच में काफी सख्ती बरत रहा हैं। विभाग ने पिछले दिनों 2 हजार रुपए मूल्य वाले हाई क्वालिटी के 47 नकली नोट भी पकड़े थे जो भारत सरकार की नोटबन्दी के बाद इस तरह का प्रथम केस था, जिसमे पाक नागरिक रण सिंह को गिरफ्तार किया गया था जिसकी जांच अब नई दिल्ली स्थित एन आई ए (राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी) कर रही हैं और अभियुक्त अभी तक सेंट्रल जेल, जोधपुर में बंद हैं।

मंगलवार, 1 जनवरी 2013

मुनाबाव की सुरक्षा सी सु बल की महिला बटालियन को


गुजरात बीएसएफ को मिली महिला बटालियन की मंज़ूरी

मुनाबाव की सुरक्षा सी सु बल की महिला बटालियन को


बाड़मेर रक्षा मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की गुजरात फ्रंटियर को राजस्थान की भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित मुनाबाव रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए महिलाकर्मियों की बटालियन तैनात करने की मंज़ूरी दे दी है.वाघा बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल के तैनातगी पूर्व में हो चुकी हें ,बाड़मेर जिले से गुजरात के कच्छ रण तक फेली अंतर्राष्ट्रीय सरहद की हिफाज़त के लिए एक सौ महिला सैनिको की एक टुकड़ी फिलहाल मुनाबाव में स्थापित की जायेगी जो मुनाबाव सरहद की हिफाज़त में अपना योगदान देगी .सूत्रों ने बताया की मुनाबाव रेलवे स्टेशन सहित सीमा सुरक्षा बल की अग्रीम चौकिय की हिफाज़त की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी जायेगी .


महिलाएं आज भले ही हर क्षेत्र में उंची तनख्वाह और उंचे ओहदे पर काम कर रही हैं। लेकिन अभी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां महिलाओं को ये कह कर मना किया जाता है कि उनके प्रजनन से संसाधन का अपव्यय होगा। जी हां हम आज बात कर रहे हैं, सुखोइ विमान उड़ाने पर वायु सेना के उपाध्यक्ष एयर पी. के. बारबोरा के बयान पर। उन्होंने कहा कि महिलाओं के परिवार बढ़ाने की क्षमता के कारण फाइटर पायलट के प्रि’ाक्षण पर किए जाने वाले समय और खचZ का अपव्यय होगा। आज पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभी देवी सिंह पाटिल ने भी सुखोई में उड़ान भर कर ये साबित करने की कोशिश की है की महिलाये किसी से कम नही हैं..

महिलाओं को बराबर का हक दिलाने की बात करने से कुछ नहीं होगा। महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी सेवा को जिम्मेदारी के साथ निभा रही हैं। वायुसेना में भी महिलाएं काम कर रही हैं लेकिन सिफZ प्रजनन के कारण अगर उसे फाइटर पायलट के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, अगर किसी लड़की में एक फाइटर पायलट बनने के सभी गुण मौजूद हैं तो उसे रूका नहीं जाना चाहिए।
माना कि एक फाइटर पायलट के प्रि’ाक्षण पर लगभग 11 करोड़ रुपये का खचZ आता है। ये आधार बिल्कुल ठीक नहीं है कि बच्चे को जन्म देने के लिए महिलाएं एक साल तक सुखोइZ नहीं उड़ा पाती जिससे समय का अपव्यय होता है। अगर ऐसा है तो महिलाओं को कोइZ काम नहीं करना चाहिए। अंतरिक्ष यात्री, पुलिस सेवा और सेना, ये कुछ ऐसी सेवाएं हैं जहां महिलाओं को काफी ‘ाारीरिक श्रम करना पड़ता है। लेकिन वे अपनी भूमिका का बेहतर तरीके से निभा रही हैं।
भारत में अभी तक सेना में महिलाओं की संख्या और दे’ाों की तुलना में काफी कम है।

महिलाएं हर क्षेत्र में सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं, लेकिन सेना जैसे क्षेत्र में उनकी उपस्थिति बहुत कम है। अभी तक सेना में महिलाओं को केवल प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया गया है। उन्हें युद्ध से अलग रखा गया है। हाल ही में सीमा सुरक्षा बल ने महिला बटालियन को भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया, तो इस बहस ने जोर पकड़ लिया कि क्या महिलाओं को युद्ध क्षेत्र जाने दिया जाना चाहिए?
महिलाओं की युद्ध क्षेत्र से दूरी को उचित बताने वाले लोगों का तर्क है कि प्रकृति के अनुसार महिलाएं युद्ध के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। उनमें पुरुषों जैसी शारीरिक शक्ति का अभाव है। सबसे पहले महिलाओं को डॉक्टर के पदों पर 1943 और नर्सों के रूप में 1927 में शामिल किया गया। 1992 के बाद शोर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से उन्हें युद्ध से अलग अधिकारी पदों पर नियुक्ति दी गई । इसके बाद महिलाओं के लिए सेना के शिक्षा, कानून, सिगनल, इंजीनियरिंग, तकनीकी और खुफिया विभागों का दरवाजा खुला। भारतीय सेना में अभी 2.44 प्रतिशत, नेवी में 3 प्रतिशत और वायुसेना में 6.7 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं। वर्तमान में इंडियन नेवी में 258 महिला अधिकारी हैं। ओम्र्ड फ़ोर्स मेडिकल सर्विस में 752 महिला चिकित्सा अधिकारी हैं। जिसमें 86 महिला दंत चिकित्सा और 2,834 महिला नर्सिंग सेवा में कार्यरत हैं।
अगर विदेशों की बात की जाए तो वहां की सेनाओं में महिलाओं की संख्या काफी अधिक है। अमेरिका में लगभग 2 लाख महिलाएं अमेरिकी सेना में हैं, जो अमेरिकी सेना का 20 प्रतिशत के बराबर है। इनमें से कई महिलाएं इराक में तैनात हैं। इस्राइली सेना में भी महिलाओं की संख्या कम नहीं है। लेकिन उन्हें युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाता। बि्रटेन में महिलाओं को 1990 में शामिल किया गया। यहां की सेना की तीनों कमानों में लगभग 2 लाख महिलाएं कार्यरत हैं। कनाडा की सेना में महिलाओं की संख्या 13 प्रतिशत है। इसमें सेना के द्वारा लिए जाने वाले फैसलें में भी महिलाएं अपनी भूमिका निभाती हैं। रूस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी महिलाओं को युद्ध भूमि से दूर रखा गया है। कई इस्लामिक देशों में भी महिलाओं का सेना में प्रवेश वर्जित किया गया है।

इसके पीछे कई कारण गिनाए जाते हैं। महिलाओं को सेना में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारण प्रमुख हैं। हालांकि विषम परिस्थितियों में अपने परिवार से दूर रहने वाले पुरूश भी कई बार इन समस्याओं से दो-चार होते हैं लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। हर बार औरतों को यह एहसास कराया जाता है कि वह स्त्री है इसीलिए वह कोई काम नहीं कर सकती। यही वजह है कि आज महिलाओ ने अपनी काबलियत और अपनी बुद्धमिता साबित कर दी है। जहां तक शारीरिक ताकत की बात है तो बंदूक से गोली चलाने के लिए शारीरिक ताकत से ज्यादा दिल और दिमाग से मजबूत होना ज्यादा जरूरी है। महिलाओं को युद्ध क्षेत्र से दूर रखने को कई लोग तर्क रूप बताते हैं, इनमें ज्यादातर वैसे लोग होते है, जो महिलाओं को आज भी घर की चारदीवारी में रखना चाहते हैं। महिलाओं की शादी को भी सेना की नौकरी के लिए एक रूकावट माना जाता है। लेकिन वैसे तो किसी भी नौकरी में शादी को रूकावट के रूप में ही देखा जाता है।
प्राचीन काल से ही सेना पर पुरुषों का प्रभाव रहा है। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी रियासत के लिए अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठा ली थी। हाल ही में भारतीय सेना में भी महिलाओं को सबसे संवेदनशील भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है। इसे भारतीय सेना में एक अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है। यह साबित करता है कि धीरे धीरे ही सही अब सेना में भी उनकी भागीदारी को अहम माना जा रहा है। अगर यह दौर इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारतीय सेनाओं में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी।

गुरुवार, 16 अगस्त 2012

सरहद की सीमा चौकी के पास हैण्ड ग्रेड बरामद ,हेंड ग्रेड २००३ का हें


सरहद की सीमा चौकी के पास हैण्ड ग्रेड बरामद ,हेंड ग्रेड २००३ का हें
बाड़मेर भारत पकिस्तान की मुनाबाव सरहद की अंतिम सीमा चौकी मुनाबाव फॉरवर्ड के पास बुधवार शाम को एक हेंड ग्रेड मिला .जिसकी सूचना बम निरोधक दस्ते को दी जाकर हेंड ग्रेड को सुरक्षित रखा गया हें .गडरा पुलिस थाना अधिकारी हुकमाराम ने बताया की मुनाबाव फॉरवर्ड चौकी के पास रेत में दबे हुए हेंड ग्रेड को ग्रामीण द्वारा देखने पर थाने में सूचना डी गई जिस पर पुलिस जाब्ते ने मौके पर जाकर हेंड ग्रेड को सुरक्षित रखा उसके चारो और रेत के भरे कट्टे रखवा दिए .सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो को भी सूचित किया गया सेना के बम निरोधक दस्ते को हेंड ग्रेड निष्क्रिय करने के लिए बुलाया गया हें उच्च अधिकारियो को भी सूचित किया गया हें .उन्होंने बताया की हेंड ग्रेड सरहद पर संसद पर हमले के दौरान आई सेना का हें .हेंड ग्रेड पर वर्ष २००३ अंकित हें .उन्होंने बताया की आसपास आबादी नहीं होने के कारण कोई खतरे जैसी बात नहीं हें ,