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रविवार, 27 सितंबर 2020

एक राजनीती युग का अंत ,जसवंत सिंह पंचतत्व में विलीन ,मानवेन्द्र ने दी मुखाग्नि

 एक राजनीती युग का अंत ,जसवंत सिंह पंचतत्व में विलीन ,मानवेन्द्र ने  दी मुखाग्नि 

जसवंत सिंह के निधन की खबर से पश्चिमी राजस्थान गमगीन ,जोधपुर फार्म हाउस पे हुआ  अंतिम संस्कार  








बाड़मेर पूर्व कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी  के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक जसवंत सिंह का निधन दिल्ली में होने के बाद उनके पार्थिव शरीर आपणी मिटटी के हवाले  विशेष  जोधपुर लाया गया।  रोड पर पाबूपुरा में स्थित जसवंत सिंह के हाउस पर विधिवत  संस्कार किया गया ,अंतिम संस्कार में जानी मानी शामिल हुई ,जसवंत सिंह के बड़े पुत्र मानवेन्द्र सिंह पूर्व सांसद ,छोटे पुत्र भूपेंद्र सिंह ,पौत्र हमीर सिंह  ने उन्हें मुखग्नि दी।  


जसवंत सिंह के निधन की खबर आने बाद उनके गृह जिले बाड़मेर सहित कर्मस्थली जैसलमेर ,जोधपुर ,जालोर ,पाली जिले गमगीन हो गए ,उनका  पैतृक गांव जसोल पूर्णत बंद रहा , जसवंत सिंह बाड़मेर जिले के जसोल राजपरिवार से थे। आदर्श राजनीतिज्ञ रूप में विश्व्यापी छवि के साथ  जसवंत सिंह को अपने मालाणी क्षेत्र और लोगो से विशेष जुड़ाव था ,लगभग क्षेत्र हर एक को नाम से जानते थे , उनके निधन से क्षेत्र के सिंधी मुस्लिम समुदाय जो उन्हें अपना रहनुमा मानते थे उनके निधन से बहुत दुखी हुए ,पुरे क्षेत्र में शोक की लहर हैं ,बड़ी संख्या में उनके समर्थक उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं,उनके पैतृक गांव जसोल में सन्नाटा पसरा हैं ,  जसवंत सिंह का पार्थिव शरीर विशेष विमान से जोधपुर लाया जा , करीब सवा बारह बजे जोधपुर एयरपोर्ट उनका पार्थिव शरीर पहुंचेगा ,एयरपोर्ट से उनका पार्थिव शरीर उनके फार्म हाउस पर लाया गया ,जसवंत सिंह को श्रद्धांजलि देने समर्थकों की भारी  भीड़ उमड़ी ,इस मौके पे केबिनेट मंत्री शाले मोहम्मद ,उम्मेद सिंह  राठोड ,मदन राठोड,विधायक मीना कंवर ,पब्बा राम विश्नोई ,मेवाराम जैन ,मदन प्रजापत , हेमाराम चौधरी ,महेंद्र विश्नोई सहित कई जन प्रतिनिधि और मोजिज लोग उपस्थित थे ,

जसवंत सिंह  82 साल के थे और पिछले छह साल से कोमा में थे। दिल्‍ली के आर्मी अस्‍पताल की ओर से जारी बयान के अनुसार, 'पूर्व कैबिनेट मंत्री मेजर जसवंत सिंह (रिटा) का आज सुबह 6.55 बजे निधन हो गया। उन्‍हें जून को भर्ती कराया गया था और सेप्सिस के साथ मल्‍टीऑर्गन डिसफंक्‍शन सिंड्रोम का इलाज चल रहा था। उन्‍हें आज सुबह कार्डियक अटैक  आया। उनका कोविड स्‍टेटस निगेटिव है।

रक्षा के अलावा वित्‍त और विदेश मंत्रालय भी संभाला

भारतीय सेना में मेजर रहे जसवंत सिंह ने बाद में राजनीति का दामन थाम लिया था। बीजेपी की स्‍थापना करने वाले नेताओं में शामिल जसवंत ने राज्‍यसभा और लोकसभा, दोनों सदनों में बीजेपी का प्रतिनिधित्‍व किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व वाली सरकार में उन्‍होंने 1996 से 2004 के बीच रक्षा, विदेश और वित्‍त जैसे मंत्रालयों का जिम्‍मा संभाला। बतौर वित्‍त मंत्री जसवंत सिंह ने स्‍टेट वैल्‍यू ऐडेड टैक्‍स (VAT) की शुरुआत की जिससे राज्‍यों को ज्‍यादा राजस्‍व मिलना शुरू हुआ। उन्‍होंने कस्‍टम ड्यूटी भी घटा दी थी। 2014 में बीजेपी ने सिंह को बाड़मेर से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था। नाराज जसवंत ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा मगर हार गए थे। उसी साल उन्‍हें सिर में गंभीर चोटें आई, तब से वह कोमा में थे।

बीजेपी के संस्थापक सदस्य और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह का 82 साल की उम्र में निधन हो गया है. वो काफी लंबे समय से बीमार थे और कोमा में थे. राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव जसोल में जन्मे जसवंत सिंह को पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी का 'हनुमान' कहा जाता था. वो एनडीए सरकार में वित्त, विदेश और रक्षा मंत्री रहे हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक सफर में कई मील के पत्थर स्थापित किए हैं. चाहे पाकिस्तान के साथ से रिश्ते सुधार की बात रही हो या फिर परमाणु परिक्षण के बाद दुनिया के साथ बेहतर संबंध को मजबूत करने की, जसवंत सिंह ने अपना रोल बाखूबी निभाया. 


पाकिस्तान के साथ रिश्ता सुधारना

जसवंत सिंह ने अपने राजनीतिक सफर में पाकिस्तान और बंग्लादेश के साथ रिश्ते सुधराने की हरसंभव कोशिश की थी. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच शांति का उनका सपना भी अधूरा ही रह गया है. इसे लेकर कभी उन्होंने कहा था कि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश एक ही मां की सिजेरियन प्रसव से पैदा हुई संतानें हैं, जिनके बीच आपसी रिश्ते बेहतर होने चाहिए. इस दिशा में उन्होंने हरसंभव कोशिश की थी. 

2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद जब सारी राजनीतिक पार्टियां पाकिस्तान के खिलाफ जवाबी कार्रवाई के लिए एकमत थीं. इतना ही नहीं भारतीय सेना भी सीमा पर तैनात की जा चुकी थी, उस दौरान जसवंत सिंह पर आरोप लगे कि उन्होंने ऐसा न होने देने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. उन्हें पता था कि युद्ध से दोनों देशों के रिश्ते कभी सुधर नहीं सकते. मुनाबाव-खोखरापार के बीच थार एक्सप्रेस चलवाकर उन्होंने दोनों देशों के रिश्ते सुधारने की ओर एक कदम बढ़ाया था. यही नहीं पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ बस को लेकर पाकिस्तान के लाहौर गए थे. 

जुलाई 2001 की आगरा शिखर वार्ता के दौरान जसवंत सिंह एनडीए सरकार के विदेश मंत्री थे. आगरा में अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के चीफ मार्शल लॉ ऑफिसर परवेज मुशर्रफ के बीच वर्ता के दौरान जसवंत सिंह थे. दरअसल, वर्ता के पहले दिन भारत के विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने प्रस्ताव दिया था कि अटल और मुशर्रफ के साथ, दोनों देशों के विदेश मंत्री भी बैठेंगे. इसके बाद दोनों देशों के मुखिया के सहित चार लोगों के बीच बातचीत चली और कोशिश भी की गई, लेकिन सफल नहीं हो सकी. 

 परमाणु परिक्षण के बाद दुनिया के साथ संबंध बनाना

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में पोखरण में दो दिनों के अंतराल में 5 परमाणु परीक्षण कर सारी दुनिया को चौंका दिया था. इसके बाद दुनियाभर के तमाम देश भारत के विरोध में खड़े हो गए थे. अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और कई पश्चिमी देशों सहित कई देशों में आर्थिक पाबंदी लगा दी थी. देश में विपक्ष इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुटा था. प्रतिबंध के चलते देश की आर्थिक हालत बिगड़ गई थी. ऐसे में तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने दुनिया को जवाब देने के लिए जसवंत सिंह को आगे किया था. 

परमाणु परिक्षण किये जाने के बाद भारत-अमेरिका के रिश्तो में जो दरार आई, उसे जसवंत सिंह ने अपने कौशल से भरने की कोशिश की. जसवंत सिंह के तत्कालीन अमेरिकन प्रतिरूप स्ट्रोब टैलबोट के मुताबिक वे एक बेहतरीन वार्ताकार और कूटनीतिज्ञ रहे. जसवंत सिंह के कूटनीतिक कौशल का कमाल था कि 2001 के आते-आते ज्यादातर देशों ने सारी पाबंदियां हटा ली थीं.

 विमान हाईजैक के दौरान खुद आगे आए

आतंकियों ने 24 दिसंबर, 1999 को इंडियन एयरलाइंस की फ्लाइट आईसी-814 को हाईजैक कर लिया था. इसमें 176 यात्री और 15 क्रू मेंबर्स सवार थे. कंधार विमान अपहरण कांड के वक्त जसवंत सिंह विदेश मंत्री थे. आतंकियों ने शुरू में भारतीय जेलों में बंद 35 उग्रवादियों की रिहाई और 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की मांग की. सरकार इस पर राजी नहीं हुई और बाद में तीन आतंकियों को छोड़ने पर सहमति बनी. तीन आंतकियों को कंधार छोड़ने भी जसवंत सिंह गए थे. 

जसवंत सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि इस फैसले का आडवाणी और अरूण शौरी ने विरोध किया था. लेकिन मौके पर कोई गड़बड़ न हो इसलिए उनका साथ जाना जरूरी था. वे लिखते हैं कि उन्हें मालूम था कि इस फैसले के लिए उन्हें कई आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा. शुरूआत में जसवंत सिंह भी आतंकियों से किसी भी तरह का समझौता करने के खिलाफ थे. लेकिन बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय के आगे बिलखते अपह्रत यात्रियों के परिजनों को देखकर उनका मन बदल गया.

 राजनीतिक जीवन भ्रष्टाचार से पाक रहा

जसवंत सिंह 1960 में सेना में मेजर के पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक के मैदान में उतरे थे. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में वह अपने कैरियर के शीर्ष पर थे. वो पांच बार राज्यसभा और चार बार लोकसभा सदस्य रहे. इतना ही नहीं जसवंत ने एनडीए सरकार में वित्त, रक्षा और विदेश जैसे अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन उनके दामन पर एक भी भ्रष्टाचार का दाग नहीं लगा. हालांकि, रक्षा मंत्रालय के बारे में कहा जाता है कि यह ऐसा विभाग है, जिसने भी संभाला उसके दामन पर कालिख जरूर लगी है. वहीं, खुद को लिबरल डेमोक्रेट कहने वाले जसवंत सिंह हमेशा विवादों से घिरे रहे लेकिन उनपर कोई भ्रष्टाचार का आरोप कभी नहीं लगा.

बीजेपी का उदारवादी चेहरा माने जाते थे

जसवंत सिंह भले ही बीजेपी की बुनियाद रखने वाले नेताओं में शामिल रहे हों, लेकिन पार्टी के हिंदुत्व की राजनीति से उन्होंने खुद को दूर रखा था. जयवंत सिंह बीजेपी के उदारवादी चेहरे के तौर पर पूरे जीवन रहे हैं. उन्होंने बीजेपी में रहते हुए अपनी राजनीति अपनी शर्तों पर की. बीजेपी में होते हुए भी वो कभी बाबरी प्रकरण या हिंदुत्व के राजनीतिकरण के पक्षधर नहीं रहे. अपने क्षेत्र और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लोगों का उनको जबर्दस्त आत्मीय समर्थन हासिल था. इसी का नतीजा था कि उनके क्षेत्र के मुसलमान उनके पक्षधर रहे. यहां तक कि कांग्रेस के नेता भी जसवंत सिंह के नाम पर पार्टी से अलग हो जाते थे. एक बीजेपी नेता के लिए इस तरह का समर्थन विरले ही देखने को मिलता है.

जसवंत सिंह जिन्ना पर लिखी अपनी किताब को लेकर बीजेपी से निष्कासित किए गये थे. वे अपनी किताब 'जिन्ना: इंडिया-पार्टीशन, इंडिपेंडेंस' में लालकृष्ण आडवाणी तर्ज पर एक तरीके से जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष होने का सर्टिफिकेट देते नजर आए थे. अपनी किताब में उन्होंने सरदार पटेल और पंडित नेहरू को देश के विभाजन के लिए जिम्मेदार ठहराया था. लेकिन ये बातें बीजेपी और आरएसएस की सोच से मेल नहीं खाती थीं, जिसके चलते 2009 में उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. 


जसवंत सिंह: पूर्व केंद्रीय मंत्री का निधन, बीते 6 साल से थे बीमार,पीएम मोदी ने जताया दुख

 जसवंत सिंह: पूर्व केंद्रीय मंत्री का निधन, बीते 6 साल से थे बीमार,पीएम मोदी ने जताया दुख



पूर्व कैबिनेट मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्‍थापक सदस्‍यों में से एक जसवंत सिंह का निधन हो गया है। वह 82 साल के थे और पिछले छह साल से कोमा में थे। दिल्‍ली के आर्मी अस्‍पताल की ओर से जारी बयान के अनुसार, 'पूर्व कैबिनेट मंत्री मेजर जसवंत सिंह (रिटा) का आज सुबह 6.55 बजे निधन हो गया। उन्‍हें जून को भर्ती कराया गया था और सेप्सिस के साथ मल्‍टीऑर्गन डिसफंक्‍शन सिंड्रोम का इलाज चल रहा था। उन्‍हें आज सुबह कार्डियक अटैक  आया। उनका कोविड स्‍टेटस निगेटिव है।'


रक्षा के अलावा वित्‍त और विदेश मंत्रालय भी संभाला

भारतीय सेना में मेजर रहे जसवंत सिंह ने बाद में राजनीति का दामन थाम लिया था। बीजेपी की स्‍थापना करने वाले नेताओं में शामिल जसवंत ने राज्‍यसभा और लोकसभा, दोनों सदनों में बीजेपी का प्रतिनिधित्‍व किया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्‍व वाली सरकार में उन्‍होंने 1996 से 2004 के बीच रक्षा, विदेश और वित्‍त जैसे मंत्रालयों का जिम्‍मा संभाला। बतौर वित्‍त मंत्री जसवंत सिंह ने स्‍टेट वैल्‍यू ऐडेड टैक्‍स (VAT) की शुरुआत की जिससे राज्‍यों को ज्‍यादा राजस्‍व मिलना शुरू हुआ। उन्‍होंने कस्‍टम ड्यूटी भी घटा दी थी। 2014 में बीजेपी ने सिंह को बाड़मेर से लोकसभा चुनाव का टिकट नहीं दिया था। नाराज जसवंत ने पार्टी छोड़कर निर्दलीय चुनाव लड़ा मगर हार गए थे। उसी साल उन्‍हें सिर में गंभीर चोटें आई, तब से वह कोमा में थे।


 देश के पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह (Jaswant Singh) का आज (रविवार) सुबह निधन हो गया. वह काफी समय से बीमार चल रहे थे. जसवंत सिंह 82 साल के थे. वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे थे. उनके निधन पर पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi), रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) समेत राजनीति जगत की कई हस्तियों ने दुख जताया है. पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'जसवंत सिंह जी को राजनीति और समाज के मामलों पर उनके अनूठे दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने भाजपा को मजबूत बनाने में भी योगदान दिया. मैं हमेशा हमारी बातचीत को याद रखूंगा. उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना.'


पीएम मोदी ने ट्वीट किया, 'श्री मानवेंद्र सिंह से बात की और जसवंत सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त किया. जसवंत जी पिछले 6 साल से पूरी बहादुरी से बीमारी से लड़ रहे थे.' मानवेंद्र सिंह जसवंत सिंह के बेटे हैं.


राजनाथ सिंह ने जसवंत सिंह के निधन पर दुख जताते हुए ट्वीट किया, 'अनुभवी भाजपा नेता और पूर्व मंत्री श्री जसवंत सिंह जी के निधन से गहरा दुख हुआ. उन्होंने रक्षा मंत्रालय के प्रभारी सहित कई क्षमताओं में देश की सेवा की. उन्होंने खुद को एक प्रभावी मंत्री और सांसद के रूप में प्रतिष्ठित किया. श्री जसवंत सिंह जी को उनकी बौद्धिक क्षमताओं और देश की सेवा में के लिए याद किया जाएगा. उन्होंने राजस्थान में भाजपा को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस दुख की घड़ी में उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदना.

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए ट्वीट किया, 'पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री जसवंत सिंह जी के निधन पर शोक व्यक्त करता हूँ. सैन्य अधिकारी व एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उन्होंने देश की उत्कृष्ट सेवा की. दोनों ही भूमिकाओं में उनकी सूझबूझ ने देश को अनेक बार विषम परिस्थितियों से बाहर निकाला. शोक संतप्त परिजनों के प्रति मेरी संवेदनाएं.'


मंगलवार, 10 सितंबर 2019

*गांधीवादी युग का सरहद पर गोवर्धन कल्ला के निधन के साथ अंत,याद आएंगे बाउजी*

*गांधीवादी युग का सरहद पर गोवर्धन कल्ला के निधन के साथ अंत,याद आएंगे बाउजी*

*चन्दन सिंह भाटी*

कुछ दिन पहले की बात है एक स्कूल कार्यक्रम में गांधीवादी विचारक पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला मंच पर साथ थे।अतिथियों के उद्बोधन में जब उनका नाम पुकारा तो बोले भाई अब आराम करने दो आप लोग आगे आवो।।यह एक विचार था। सोच थी दुसरो को आगे लाने की।।जो बहुत कम लोगो मे होती है।।पूर्व विधायज गोवर्धन कल्ला का अनायास इस तरह दुनिया छोड़ जाना जेसलमेर के लिए बड़ा आघात था।एक दिन पहले ही सूबे के मुखिया अशोक गहलोत उनकी कुशलक्षेम पूछने उनके पास घर पहुंचे।।दोनो के बीच लंबी बातचीत में खूब ठहाके भी लगे।किसी को भान नही था बाउजी 40 घण्टो में दुनिया से रुखसत हो जाएंगे।।गहलोत को उन्होंने अंतिम इच्छा भी जताई कि जयपुर में गोकुलभाई भट्ट की प्रतिमा के पास गांधी दर्शन संग्रहालय का निर्माण हो।।यह बाउजी के गांधी विचारक होने का सबसे बड़ा प्रमाण था।।राजनीति और सर्व समाज मे उनके निधन से जो रिक्तता आई वो अपूरणीय है। बाउजी की जगह लेने वाली कोई शख्शियत मौजूद दौर ने दूर दूर नही दिखती।एक बार विधायक रहे दो बार हारे ।आमजन में उनकी छवि सकारात्मक नेतृत्व वाली रही।आज के राजनीतिग्यो को उनके जीवन से सबक लेना चाहिए।।गोवर्धन कल्ला ने अपने जीवन मे जो अपार स्नेह और मानसम्मान पाया वह बिरले लोगो को ही नसीब होता है।।राजनीतिज्ञ विधायक सांसद बन सजते है मगर लोगो के दिलो में राज करना उनके बस में नही होता मगर कल्ला जी की यह खूबी थी कि वो लोगो के दिलों में राज करते थे।।सकारात्मक सोच ,जेसलमेर के विकास को समर्पित कल्ला जी ने अपनी पीजिशन का कभी फायदा  नही उठाया जिसका उदाहरण है उनके परिवार से कोई राजनीति में नही है।।कहने को उनके पुत्र राधेश्याम कल्ला जरूर कांग्रेस के सदस्य है।।अलबत्ता छतीस कौम के बीच सर्व लोकप्रिय रहे कल्ला जी के ओएस गांव ढाणी से लोग अपनी समस्याएं लेकर दो दिन पहले तक आते रहे।।मिलनसार,मृदुभाषी,सहज,सरल,व्यक्तित्व के धनी बाउजी को जेसलमेर हमेशा याद रखेगा।।उनके निधन से जो शून्य आया वो अब भरने वाला नहीं।जो प्रतिभा और नेतृत्व क्षणता का गुण उनमें था वो आज के दौर के नेताओ के पास नही है।गहलोत ने उनसे अपने छात्र काल जीवन से राजनीतिक बारीकियां सीखी है।प्रहड़ सम्बन्ध थे।।राजनीति समर में उनका आशीर्वाद लिए बिना कोई मैदान में आने की सोच नहीं सकता था।।बाउजी का जीवन सादगी भरा था।।गांधी विचारों को लोगो के बीच लाने का कार्य जीवनपर्यंत करते रहे।।उनके जाने से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में जो खालीपन आया वो लम्बे समय तक भरना नहि।कांग्रेस के लिए उनका निधन बहुत बड़ी क्षति है ।अश्रुपूर्ण सादर श्रद्धांजलि।शत शत नमन युगपुरुष को।।

गुरुवार, 16 अगस्त 2018

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का निधन


नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार दोपहर बाद एम्स में इलाज के दौरान निधन हो गया। वह 93 साल के थे। एम्स ने शाम को बयान जारी कर बताया, 'पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 अगस्त को शाम 05.05 बजे अंतिम सांस ली। पिछले 36 घंटों में उनकी तबीयत काफी खराब हो गई थी। काफी प्रयासों के बावजूद हम आज उन्हें बचा नहीं सके।' वाजपेयी को यूरिन इन्फेक्शन और किडनी संबंधी परेशानी के चलते 11 जून को एम्स में भर्ती कराया गया था। मधुमेह के शिकार वाजपेयी का एक ही गुर्दा काम कर रहा था।


अटल बिहारी वाजपेयी के लिए इमेज परिणाम
अटल के स्वास्थ्य में बुधवार से तेजी से गिरावट आई थी। एम्स ने मेडिकल बुलेटिन जारी कर बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री की तबीयत काफी खराब हो गई है। इसके बाद गुरुवार सुबह दूसरे मेडिकल बुलेटिन में उनके स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद से अटल को देखने के लिए एम्स में नेताओं का तांता लग गया था।