मितव्यता पर मुख्यमंत्री गहलोत का ढकोशला.....
सेवा केन्द्रों के शिलान्यास समारोह में प्रदेश भर में करोडो रुपयों का होगा अपव्यय
बाड़मेर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके विधान सभा के साथियो द्वारा गाहे बगाहे समारोहों में फालतू खर्च नहीं करने की नसीहत अक्सर डी जाती रही हें ,मुख्यमंत्री जब तब किसी शादी या अन्य समारोह में शिरकत करते हें मितव्यता की नसीहत जरूर देते हें ,मुख्यमंत्री अक्सर कहते हें फिजूलखर्ची रोक कर देश के उन लोगो की मदद कर सकते हें जिन्हें दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं होती .मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में अंतर साफ़ नज़र आता हें .रवीवार को राजस्थान भर के समस्त तैंतीस जिलो में भारत रत्न राजिव गाँधी सेवा केन्द्रों का एक साथ शिलान्यास किया जा रहा हें .आश्चर्यजनक हें की इन शिलान्यास कार्यकर्मो को भव्य बनाने में कोई कसर राज्य के मुख्यमंत्री नहीं छोड़ रहे .शिलान्यास समारोह को भव्यता प्रदान करने के लिए लाखो रुपये व्यय किये जा रहे हें ,मानो किसी राष्ट्रपति भवन का शिलान्यास हो रहा हो ,गहलोत द्वारा हमेश मितव्यता की बात कही जाती हें उनके इन गांधी वादी विचार धरा के कारण उन्हें राजस्थान का गांधी तक कहा जाता हें ,मगर लगता हें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कथनी और करनी में फर्क हें.गहलोत की मितव्यता के नारे पर उनका समर्थन करने वाले उनके विधायक भी इन भव्य समारोहों के भागिदार होंगे ,राजस्थान भर में इन भव्य समारोहों पर करोडो रुपयों का अपव्यय होगा .आखिर मुख्यमंत्रीजी अपनी ही नसीहत पर स्वयं अमल क्यों नहीं करते .
बाड़मेर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके विधान सभा के साथियो द्वारा गाहे बगाहे समारोहों में फालतू खर्च नहीं करने की नसीहत अक्सर डी जाती रही हें ,मुख्यमंत्री जब तब किसी शादी या अन्य समारोह में शिरकत करते हें मितव्यता की नसीहत जरूर देते हें ,मुख्यमंत्री अक्सर कहते हें फिजूलखर्ची रोक कर देश के उन लोगो की मदद कर सकते हें जिन्हें दो वक़्त की रोटी नसीब नहीं होती .मुख्यमंत्री की कथनी और करनी में अंतर साफ़ नज़र आता हें .रवीवार को राजस्थान भर के समस्त तैंतीस जिलो में भारत रत्न राजिव गाँधी सेवा केन्द्रों का एक साथ शिलान्यास किया जा रहा हें .आश्चर्यजनक हें की इन शिलान्यास कार्यकर्मो को भव्य बनाने में कोई कसर राज्य के मुख्यमंत्री नहीं छोड़ रहे .शिलान्यास समारोह को भव्यता प्रदान करने के लिए लाखो रुपये व्यय किये जा रहे हें ,मानो किसी राष्ट्रपति भवन का शिलान्यास हो रहा हो ,गहलोत द्वारा हमेश मितव्यता की बात कही जाती हें उनके इन गांधी वादी विचार धरा के कारण उन्हें राजस्थान का गांधी तक कहा जाता हें ,मगर लगता हें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की कथनी और करनी में फर्क हें.गहलोत की मितव्यता के नारे पर उनका समर्थन करने वाले उनके विधायक भी इन भव्य समारोहों के भागिदार होंगे ,राजस्थान भर में इन भव्य समारोहों पर करोडो रुपयों का अपव्यय होगा .आखिर मुख्यमंत्रीजी अपनी ही नसीहत पर स्वयं अमल क्यों नहीं करते .