तनोट माता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
तनोट माता लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

मंगलवार, 31 दिसंबर 2019

जैसलमेर, राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने मंगलवार सुबह से शाम तक बितायी जांबाज सैनिकों के साथ,

जैसलमेर, राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने मंगलवार सुबह से शाम तक बितायी जांबाज सैनिकों के साथ,

सीमा पर तनोट माता के दर्शन किए, पूजा-अर्चना कर देश व प्रदेश की खुशहाली की कामना की

जैसलमेर, 31 दिसम्बर/राज्यपाल श्री कलराज मिश्र ने मंगलवार का पूरा दिन जांबाज सैनिकों के साथ बिताया और ठेठ सरहद पर पहंुच कर उनका उत्साहवर्धन किया। राज्यपाल ने सुबह से लेकर शाम तक का पूरा समय सैनिकों के संग बिताया।

राज्यपाल ने मंगलवार को प्रातः जैसलमेर-जोधपुर मार्ग स्थित वार म्यूजियम का अवलोकन किया, शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित किया तथा सैनिकों को नव वर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए मिठाई खिलाकर मुँह मीठा कराया। दिन में तनोट माता के दर्शन किए और अपराह्न में सीमा पर अवस्थित बबलियानवाला सीमा चौकी पहुँचकर काफी समय सैनिकों के साथ बिताया और उनसे संवाद करते हुए मिठाई वितरित  कर नव वर्ष की बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए हौंसला अफजाही की। राज्यपाल को अपने बीच पाकर सैनिक भावविभोर हो उठे।

तनोट मैया के दर्शन, पूजा-अर्चना कर देश-प्रदेश की खुशहाली की कामना की

राज्यपाल ने भारत-पाक युद्ध में भारतीय सैनिकों की रक्षा करने वाली तनोट माता के उस चमत्कारिक मन्दिर में दर्शन किए जहाँ पाक बम भी नाकारा साबित हुए। राज्यपाल ने सपत्नीक मन्दिर के गर्भगृह में तनोट मैया की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और राजस्थान तथा देश की सर्वांगीण खुशहाली की कामना की। उन्होंने तनोट माता मन्दिर परिसर के रूमालों वाली देवी के नाम से प्रसिद्ध अन्य प्राचीन देवी मन्दिर  और शिवालय में भी दर्शन किए तथा तनोट माता मन्दिर परिसर में प्रदर्शित सैन्य महत्व की ऎतिहासिक सामग्री को देखा।

इस दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने राज्यपाल का अभिवादन किया। श्री मिश्र ने दोनों हाथ जोड़कर अभिवादन स्वीकारा। इससे पूर्व राज्यपाल के तनोट पहुंचने पर बीएसएफ के डीआईजी मुकेश कुमार सिंह व कमाण्डेण्ट दलवीरसिंह अहलावत आदि अधिकारियों ने उनका स्वागत किया।

राज्यपाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। श्री मिश्र ने तनोट मन्दिर परिसर में विजय स्तम्भ पर पुष्पचक्र अर्पित किया। इस दौरान देश के विभिन्न हिस्सों से आए बड़ी संख्या में उपस्थित दर्शनार्थियों ने भारत माता की जय व बीएसएफ जिन्दाबाद के नारे लगा कर हर्ष व्यक्त किया। राज्यपाल ने बाद में बीएसएफ के विश्राम गृह ‘नारायणी’ में  नीम का पौधा भी लगाया।

---000---


रविवार, 29 सितंबर 2019

जैसलमेर रूमालों वाला तनोट माता मन्दिर,लाखो रूमालों में झलकती आस्था

जैसलमेर रूमालों वाला तनोट माता मन्दिर,लाखो रूमालों में झलकती आस्था


जैसलमेर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर  दर्शन  करने आते हैं ।इस निज  मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें  का रूमालों का शानदार  मंदिर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।

तनोट माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवश्य  बांधता हैं।प्रति दिन आने वाले सैकडो श्रद्धालुओं  द्घारा इस परिसर में इतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रद्धालु  मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं,एक लाख से अधिक रूमाल बंधे  हैा

व्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बढ़ी  हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई  ।

भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दर्शनीय और आकर्षक हैं ,नवरात्री में इन मंदिरो को विशेष रूप से सजाया जाएगा ,लाखो श्रद्धालु देश के कोने कोने से आएंगे ,जैसलमेर शहर से  निशुल्क बसों की व्यवस्था भी होती हैं 

रविवार, 6 अक्तूबर 2013

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता


रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था


जैसलमेर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर दार्न करने आते हैं ।इस मूल मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें श्रमालों का भानदार मनिदर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।तनोअ माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवय बांधता हैं।पगतिदिन आने वाले सैकडो रदालुओं द्घारा इस परिसर में अतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रआलु मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल के एस चौहान नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं40 हजार से अधिक रूमाल बनधे हैाव्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बी हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई।ं। भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दशर्नीय व आकशर्क हैं।

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था


रू

रूमालों वाली मातारानी तनोट माता
रूमालों वाला मन्दिर,हजारों रूमालों में झलकती आस्था
जैसलमेर भारत पाकिस्तान सीमा पर स्थित माता तनोटराय के मन्दिर से भला कौन परिचित नही हैं।भारत पाकिस्तान के मध्य 1965 तथा 1971 के युद्ध के दौरान सरहदी क्षैत्र की रक्षा करने वाली तनोट माता का मन्दिर विख्यात हैं।तनोट माता के प्रति आम लोगों के साथ साथ सेनिकों में जबरदस्त आस्था हैं,श्रदालु अपनी मनोकामना लेकर दार्न करने आते हैं ।इस मूल मन्दिर के पास में ही श्रदालुओं नें श्रमालों का भानदार मनिदर बना रखा हैं जो देखतें बनता हैं।तनोअ माता के मन्दिर की देखरेख ,सेवा तथा पूजा पाठ सीमा सुरक्षा बल के जवान ही करते हैं।इस मन्दिर में आने वाला हर श्रदालु मन्दिर परिसर के पास अपनी मनोकामना लेकर एक रूमाल अवय बांधता हैं।पगतिदिन आने वाले सैकडो रदालुओं द्घारा इस परिसर में अतने रूमाल बान्ध दिऐ कि रूमालों का एक भव्य मन्दिर ही बन गया।श्रआलु मनोकामना पूर्ण होने पर अपना रूमाल खोलने जरूर आतें हैं।मन्दिर की व्यवस्था सम्भालने वाले सीमा सुरक्षा बल के एस चौहान नें बताया कि माता के दरबार में आने वाला हर श्रदालु अपनी मनोकामना के साथ एक रूमाल जरूर बांधता हैं40 हजार से अधिक रूमाल बनधे हैाव्यवस्थित रूप से रूमाल बान्धने के कारण एक मन्दिर का स्वरूप बन गया हे।तनोट माता मन्दिर की ख्याति पिछले पॉच सालों में जबरदस्त बी हैं।तनोट माता के बारे में जग विख्यात हैं कि भारत पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के इौरान सैकडों बम मन्रि परियर में पाक सेना द्घारा गिराऐं गयें ।मगर एक भी बम फूटा नही।जिसके कारण गा्रमीणों के साथ साथ सेना और अर्ध सैनिक बलों के जवान पूर्ण रूप से सुरक्षित रह गये।मन्दिर को भी खरोंच तक नही आई।ं। भारत पाक युद्ध 1965 के बाद तो भारतीय सेना व सीमा सुरक्षा बल की भी यह आराध्य देवी हो गई व उनके द्वारा नवीन मंदिर बनाकर मंदिर का संचालन भी सीमा सुरक्षा बल के आधीन है। देवी को शक्ति रूप में इस क्षेत्र में प्राचीन समय से पूजते आये हैं।बहरहाल आस्था के प्रतिक तोट माता के मन्दिर परिसर में रूमालों का परिसर वाकई दशर्नीय व आकशर्क हैं।