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शुक्रवार, 8 अगस्त 2014

बाड़मेर सांसद कर्नल सोनाराम पहुंचे आर्मी अस्पताल ,जसवंत सिंह की कुशलक्षेम पुछि

बाड़मेर सांसद कर्नल सोनाराम पहुंचे आर्मी अस्पताल ,जसवंत सिंह की कुशलक्षेम पुछि

बाड़मेर क्षेत्रीय सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने दिल्ली स्थित आर्मी अस्पताल पहुँच आई सी यू में भर्ती जसवंत सिंह के स्वास्थ्य की जानकारी उनके परिजनों से मिलकर ली। कर्नल ने जसवंत सिंह के स्वास्थ्य की जानकारी उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह से ली। उलेखनीय हे की जसवंत सिंह के सामने भाजपा से कर्नल चुनाव लड़े और जीते थे ,कर्नल ने जसवंत सिंह के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की।

मंगलवार, 24 जून 2014

बाड़मेर भाजपा न घर के रहे न घाट के पार्टी के प्रति वफ़ादारी महँगी पड़ी


बाड़मेर भाजपा न घर के रहे न घाट के पार्टी के प्रति वफ़ादारी महँगी पड़ी

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में लोकसभा चुनावो में पूर्व वित्त विदेश मंत्री जसवंत सिंह के मैदान में उतरने के बाद आये चक्रवात में पार्टी के प्रति वफ़ादारी दिखने वाले भाजपा की जिला संघठन को चुनावो में जीत के बाद भी पूरी कार्यकारिणी को बर्खास्त कर पार्टी नेता की स्थति न घर के न घाट के वाली हो गयी हैं ,पार्टी के प्रति वफ़ादारी के बदले उन्हें पार्टी से पद गंवाने पड़े ,दबी जुबान में लोग कहते हैं  की पार्टी के लोगो ने जसवंत सिंह का साथ नहीं दिया इसीलिए उन्हें पद गंवाना पड़ा ,भाजपा जिला अध्यक्ष सहित पार्टी के कई अग्रिम संघठनो के नेता पार्टी प्रत्यासी कर्नल सोनाराम के पक्ष में काम कर रहे थे ,इन लोगो ने ईमानदारी से अपना काम पार्टी हिट में किया ,मगर कांग्रेस संस्कृति से भाजपा में आये कर्नल सोनाराम ने इनकी वफ़ादारी पर शक करते हुए इनकी शिकायत चुनाव परिणाम से पहले पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और दी की इन लोगो ने अप्रत्यक्ष रूप से जसवंत सिंह का साथ दिया ,नए नवेले उम्मीदवार कर्नल सोनाराम की बात मन प्रदेश इकाई ने आनन फानन में जिला कार्यकारिणी भांग कर बाड़मेर से अस्तित्व ही ख़त्म कर दिया क्यूंकि पूर्व में पार्टी के जिन लोगो ने बागी जसवंत सिंह का साथ खुले में दिया उन्हें पहले ही निष्कद्शित कर दिया ,जबकि जिला संघठन के परीति के साथ होते हुए भी उन्हें हटाने से कार्यकर्ता मायूस हैं ,कार्यकर्ताओ को अब लगने लगा हे की संघठन पर कांग्रेसनीत लोगो का कब्ज़ा होने जा रहा हैं।जीत के बाद भाजपा संसद ने भाजपाईयों से दूरी बने राखी हैं वाही कांग्रेस के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओ से नज़दीकियां बना राखी हैं। अब भांग जिला संघठन के पदाधिकारी पछता रहे हैं की उन्होंने जसवंत सिंह जैसे कद्दावर नेता का साथ छोड़ कर्नल का साथ देकर गलती की थी ,बहरहाल वफ़ादारी के बड़कले पद गंवाने की यह पहली अनूठी घटना राजनीती में हुई ,इस सदमे से संघठन उबार नहीं पा रहा हैं ,

मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

कर्नल सोनाराम द्वारा नामांकन हलफनामे में दिए गलत तथ्य मुख्य निर्वाचन आयुक से कि शिकायत

कर्नल सोनाराम द्वारा नामांकन हलफनामे में दिए गलत तथ्य 

मुख्य निर्वाचन आयुक से कि शिकायत 


बाड़मेर बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्यासी कर्नल सोनाराम द्वारा नामांकन पत्र के साथ रिटर्निंग अधिकारी को पेश हलफनामे में गलत तथ्य पेश कर चुनाव आयोग को गुमराह किया हें। इस आशय कि शिकायत कैलाश मेहता ने जिला निर्वाचन अधिकारी बाड़मेर को पेश कि। मेहता ने बताया कि भाजपा प्रत्यासी कर्नल सोनाराम द्वारा जो हलफनामा पेश किया गया उसमे कर्नल सोनाराम ने चल सम्पति जो कि एक करोड़ पचपन लाख सौलह हज़ार आठ सौ इकतालीस हें उसे एक करोड़ बावन लाख सौलह हज़ार आठ सौ इकतालीस लिखा गया हें। इस तरह से उन्होंने अपनी चल सम्पति तीन लाख कम बता कर चुनाव आयोग के दिशा निर्देशो कि धजिया उड़ाई हें। उन्होंने बताया कि कि उन्होंने अपने हलपनामे में अपनी और पत्नी कि अचल सम्पति का जो कि सीरियल नंबर 8 (v 1 ) नहीं बताया गया। जनता उनकी और उनकी पत्नी कि समस्त सम्पतियो का योग जानने में असमर्थ रही हेह। 

मेहता के अनुसार हलपनामे के पार्ट b में अचल सम्पति को दो भागो में विभाजित करना था स्व अर्जित और दूसरी विरासत में मिली सम्पति ,मगर उन्होंने कालम के आगे नील लिखा हें। मेहता के अनुसार एक जगह उन्होंने अपनी और अपनी पत्नी कि अचल सम्पति बताई हें जिसमे खुद कि अचल सम्पति उन्तीस लाख नब्बे हज़ार बताई हें जबकि वास्तविक योग दो करोड़ निन्यानवे लाख होता हें। इसी तरह अपनी पत्नी कि अचल सम्पति बरानवे लाख दस हज़ार बताई हें जबकि वास्तविक योग नौ करोड़ इक्कीस लाख होता हें.उन्होंने बताया कि हलपनाने के आधार पर विभिन समाचार पत्रो ने उनकी हैल्पनामे के योग के आधार पर जानकारिया प्रकाशित कि हें। मेहता ने बताया कि भाजपा प्रत्यासी और उनकी पत्नी पर देहली के पुलिस थाना में भारतीय दंड संहिता कि धारा 420 /४६७/४६८/४७१/120b के अनतर्गत फाईल किया जाना बताया हें ,इन्होने अपनी और दिए कथन में बताया कि यह प्राथमिकी इनके चचेरे भाई ने सम्पति विवाद के कारन दायर कि गयी हें वास्तव में सम्पति विवाद का निपटारा सिविल कोर्ट करती हैंऔर उसमे धाराएं लागू नहीं होती हें ,उनके खिलाफ फ़ाइल प्राथमिकी के तथ्यो को छुपाया गया हें उन्होंने बताया कि इनके हलपनामे को चौहटन के ऑथ कमिसनर द्वारा प्रमाणित किया गया हें। जबकि हलपनामा बाड़मेर में दस्तखत किया बताया गया हें। चौहटन का ऑथ कमिश्नर उसी क्षेत्र में दस्तखत किये हैल्पनामे को प्रमाणित कर सकता हें।

 ंएह्ता ने बताया कि इसी तरह हलपनामे के हेड शीर्ष पे जिस सदन के लिए चुनाव लड़ रहे हें उस पर पार्लियामेंट भरा हें जबकि लोकसभा भरा जाना चाहिए था ,कैलाश मेहता ने यह भी आरोप लगाया कि जिला कलेक्टर जो कि निर्वाचन अधिकारी भी हें ने हलपनामे में दर्ज गलतियों को सुधर करने का कम करना चाहिए था जो कि छबीस मार्च को तीन बजे तक प्रत्यासी को अवसर देकर हैल्पनामा कि गलतियों को सुधारा जाना चाहिए था ,मगर राज्य सरकार के दबाव में निर्वाचन अधिकारी ने न तो हलपनामे कि जांच नहीं कि। इस तरह कि चूक और छिपाये तथ्यो का निस्तारण नहीं किया। मेहता ने हलपनामा में पेश किये गलत तथ्यो कि जानकारी देने वाले भाजपा प्रत्यासी के खिलाफ कार्यवाही कर नामांकन निरस्त किया जाए ,

कर्नल सोनाराम कि उम्मीदवारी खतरे में ?

कर्नल सोनाराम की उम्र 10 साल में 14  साल बढ़ी

कर्नल सोनाराम कि उम्मीदवारी खतरे  में ?

हलफनामे में गलत जानकारी से रद्द हो सकती हे उम्मीदवारी 


बाड़मेर बाड़मेर भाजपा प्रत्यासी कर्नल सोनाराम कि मुश्किलें बढ़ने का संकेत हें। कर्नल द्वारा नामांकन के समय दिए हलफनामो में गलत जानकारी देकर मुशीबत मोल ले ली हें।बताया जा रहा हें कि इस गलत जानकारी के आधार पर लोकसभा चुनाव उम्मीदवार के तौर पर उनका नामांकन पात्र तक खारिज हो सकता 
 और उनको अयोग्य घोषित किया जासकता हें। खुद मुख्य चुनाव आयुक ने इस बात कि पुष्टि कि हें  ंउख्य चुनाव अायुक्त कि माने तो यदि कोई व्यक्ति हलफनामे में दी गयी जानकारी को न्यायलय में चुनौती देता हे तो सम्बंधित उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जा सकता हें। 

क्या हें पूरा मामला  

कर्नल सोनाराम कि  लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कर्नल सोनाराम की उम्र पिछले १० साल में 14 साल बढ़ गई। 2004 में सोनाराम 59 वर्ष के थे, जो 2014 में 73 साल के हो गए हैं। वर्ष 2008 में सोनाराम 65 वर्ष के थे। वहीं, जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल ही बढ़ी है। लोकसभा चुनाव के लिए पेश किए गए हलफनामों की बी एन टी  ने पड़ताल की तो आयु संबंधी कई रोचक जानकारियां सामने आईं। कुछ नेताओं की उम्र समय से ज्यादा बढ़ी है तो कुछ की कम हुई है।
उम्र समय से ज्यादा बढ़ी
उदयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर मीणा पांच साल में ७ साल बड़े हुए हैं। 2009 के शपथ पत्र के अनुसार मीणा 48 वर्ष के थे, जो 2014 में 55 वर्ष के हो गए। श्रीगंगानगर से भाजपा उम्मीदवार निहालचंद मेघवाल की 2004 से 2009 के बीच उम्र पांच साल बढ़ी, लेकिन 2009 से 2014 के बीच वे छह साल बड़े हो गए।
इनकी उम्र ज्यादा बढ़ती है
नाम 2014 2013 2009 2008 2004
कर्नल सोनाराम 73 72 - 65 59
निहालचंद 43 -- 37 32
सुभाष महरिया 57 57 52 46
रघुवीर मीणा 55 - - 48
इनकी समय से कम रही
जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल बढ़ी है। 2009 में जोशी 59 वर्ष के थे, जो अब 63 के हुए हैं। इसी तरह जोधपुर से चुनाव लड़ रहीं चंद्रेश कुमारी 2009 में 65 वर्ष की थीं जो अब तक 69 वर्ष की ही हुई हैं।

लोकसभा चुनाव में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले कर्नल सोनाराम की उम्र पिछले १० साल में 14 साल बढ़ गई। 2004 में सोनाराम 59 वर्ष के थे, जो 2014 में 73 साल के हो गए हैं। वर्ष 2008 में सोनाराम 65 वर्ष के थे। वहीं, जयपुर ग्रामीण से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. सीपी जोशी की उम्र पांच साल में सिर्फ चार साल ही बढ़ी है। लोकसभा चुनाव के लिए पेश किए गए हलफनामों की भास्कर ने पड़ताल की तो आयु संबंधी कई रोचक जानकारियां सामने आईं। कुछ नेताओं की उम्र समय से ज्यादा बढ़ी है तो कुछ की कम हुई है।


उम्र समय से ज्यादा बढ़ी

उदयपुर से कांग्रेस उम्मीदवार रघुवीर मीणा पांच साल में ७ साल बड़े हुए हैं। 2009 के शपथ पत्र के अनुसार मीणा 48 वर्ष के थे, जो 2014 में 55 वर्ष के हो गए। श्रीगंगानगर से भाजपा उम्मीदवार निहालचंद मेघवाल की 2004 से 2009 के बीच उम्र पांच साल बढ़ी, लेकिन 2009 से 2014 के बीच वे छह साल बड़े हो गए। 
कोर्ट कर सकता है डिसक्वालीफाई : जैन

॥शपथ पत्र में गलत जानकारी देना अथवा तथ्य छिपाना गंभीर मामला है। कोई इसे यदि कोर्ट में चुनौती देता है तो गलत जानकारी देने वाले उम्मीदवार को चुनाव के लिए डिसक्वालीफाई किया जा सकता है। निर्वाचन आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता। वह शपथ पत्र के सारे कॉलम भरे गए कि नहीं, यही देखता है।

-अशोक जैन, मुख्य निर्वाचन अधिकारी
विधानसभा चुनाव में गड़बड़ उम्र थी
चार माह पहले हुए विधानसभा चुनाव में भी कई नेताओं ने अपनी उम्र गलत बताई थी। बानसूर से भाजपा के टिकट पर चुनाव लडऩे वाले रोहिताश्व कुमार की उम्र पांच साल में 23 साल बढ़ गई थी। पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में खेल राज्यमंत्री रहे मांगीलाल गरासिया ने पांच साल में अपनी उम्र तीन साल ही बढ़ाई। गहलोत सरकार के मुख्य सचेतक रहे रघु शर्मा ने पांच साल में अपनी उम्र आठ साल बढ़ा दी थी तो भाजपा विधायक अनीता गुर्जर और संजना आगरी की उम्र पांच साल में एक साल छोटी हो गई। सोजत विधायक संजना आगरी ने 2008 में अपनी उम्र 37 साल बताई थी, जो 2013 में 36 साल ही रह गई। इसी तरह अनीता गुर्जर 2008 में 43 वर्ष की थीं, जो 2013 में 42 वर्ष की रह गईं। पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया की उम्र पांच साल तक स्थिर रही। 2008 में सिनोदिया ने अपनी उम्र 67 वर्ष बताई थी, जो 2013 में भी वही रही।

मंगलवार, 26 नवंबर 2013

बायतु विधानसभा में वरिष्ठ कोंग्रेसियो कि कार सेवा से बेफिक्र कर्नल सोनाराम कड़े मुकाबले में फंसे


वरिष्ठ कोंग्रेसियो कि कार सेवा से बेफिक्र कर्नल सोनाराम कड़े मुकाबले में फंसे

गहरे पेठ पानी बायतु विधानसभा में



बाड़मेर जिले कि नवेली विधानसभा बायतु में दूसरी बार विधानसभा के लिए चुनाव हो रहे हें ,जाट बाहुल्य इस विधानसभा को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के विरोधी कर्नल सोनाराम चौधरी का गढ़ माना जाता हें ,कर्नल कि लोकप्रियता बायतु के लोगो के सर चढ़ कर बोलती थी मगर रिफायनरी के मुद्दे पर उनकी पकड़ कमज़ोर होती प्रतीत होती हें खास कर रिफायनरी के लीलाला से पचपदरा जाना उनके लिए सबसे बड़ा झटका हें वही लोग आज भी कर्नल से जानना चाहते हें कि पचपदरा में रिफायनरी का शिलान्यास करने आई श्रीमती सोनिआ गांधी का उन्होंने किये वाडे अनुसार विरोध क्यूँ नहीं किया। अलबता कर्नल को इस बार फिर गया हें उनके सामने गत चुनावो में उनसवे चौतीस हज़ार मतो से हारे कैलाश चौधरी भाजपा से प्रत्यासी हें। चुनावो के आरम्भ में कर्नल सोनाराम चौधरी बहुत मजबूत लग रहे थे मगर चुनावो कि तारिख आते आते वो कड़े मुकाबले में फंस गए हें


कर्नल सोनाराम चौधरी। । बाड़मेर जैसलमेर संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे सोनाराम चौधरी ने गत बार बायतु से पहला चुनाव विधानसभा के लिए लड़ा जिसमे उन्होंने कैलाश चौधरी को करीब चौंतीस हज़ार से अधिक मतों से हरा कर बायतु के प्रथम विधायक होने का गौरव हासिल किया था।


जातिगत आंकड़े। । परिसीमन के बाद प्रथम बार अस्तित्व में आए बायतु विधानसभा क्षेत्र में पिचहत्तर हज़ार जाट ,पचीस हज़ार अनुसूचित जाती पांच हज़ार जनजाति ,राजपूत रावण राजपूत बीस हज़ार ,आठ हज़ार प्रजापत ,मुस्लिम सत्रह हज़ार मुख्य मतदाता हें।


इस विधानसभा क्षेत्र में चार राजस्व मंडल के टायल्स पतवार मंडल। आठवां ग्राम पंचायते ,और तीन सौ चौरासी गाँव में फेला हें।


कर्नल सोनाराम चौधरी। । कर्नल कि दबंग नेता कि छवि राष्ट्रीय स्तर पर हें ,बाड़मेर जिले के युवा सोनाराम कि दबंगता के कायल हें। अशोक गहलोत से लेकर सांसद हरीश चौधरी के घूर विरोध और बयानो के कारण हमेशा चर्चा में रहे ,अपने पांच साल के कार्यकाल में कोई ख़ास काम नहीं करवा पाये ,मगर जनता के सुख दुःख में हमेशा साथ खड़े रहे ,रिफायनरी ,का मुद्दा हो या रॉयल्टी का उन्होंने राज्य में अपनी सरकार पर दबाव बनाया। रिफयानी को लेकर चले आंदोलन में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी ,जिसके कारन उन्हें चुनाव समिति का सदस्य बना मुख्यमंत्री ने दांव खेला ,रिफायरी के मुद्दे पर वो नायक के रूप में से मगर बायतु से रिफायनरी के पचपदरा शिलान्यास होते ही कर्नल के खिलाफ सुगबुगाहट हो गयी ,उन्होंने जिस पर रिफायनरी के लिए पैरवी ना करने पर हेमाराम चौधरी ,सांसद हरीश चौधरी को निशाना बनाया उसी से आहात होकर हेमाराम ने इस्तीफा दे दिया ,हेमाराम ने बाद में चुनाव लड़ने से मन भी किया। कर्नल का विरोध गाँवो में बढता जा रहा हें वाही उनके विरोधी उनके खिलाफ लामबंद होकर उन्हें हारने में जूट हें ,कहने को कर्नल बायतु में भारी हें मगर उनके विरोधी कितना रुख बदल पाते हें परिणाम उसी से प्रभावित होगा

कैलाश चौधरी गत चुनाव हारने के बाद कैलाश चौधरी द्वारा क्षेत्र में सक्रीय नहीं रहने का ऑट्रोप कार्यकर्ता लगा रहे हें ,टिकट से पहले बालाराम मूंढ कि संभावनाए व्यक्त कि जा रही थी उन्होंने अपना कम भी शुरू कर दिया था ,मगर एन वक्त पर टिकट कैलाश को मिली ,कैलाश बायतु कि बजाय बालोतरा पट्टी में ज्यादा सक्रीय रहे उनका पटौदी और गिडा बेल्ट में अच्छा प्रभाव हें मगर बायतु क्षेत्र में वे कमजोर हें। कोंग्रेस कि भीतरघात जितना अधिक होगा कैलाश कि सम्भावना उतनी अधिक बढ़ेगी। कैलाश चौधरी को नरेंद्र मोदी और वसुंधरा राजे कि लोकप्रियता और उनके नाम के जादू का आसरा हें। हालांकि उनकी सभाओ में भीड़ उमड़ रही हें जिसे वोटो में तब्दील करना उनके लिए चुनौती पूर्ण हें। उनका कर्नल को कमज़ोर समझना भी भरी भूल होगी।


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