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मंगलवार, 8 जुलाई 2014

श्रीकृष्ण के मंत्र मनुष्य सभी बाधाओं एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं.



||भगवान श्रीकृष्ण का मूलमंत्र ||

'कृं कृष्णाय नमः'

यह श्रीकृष्ण का मूलमंत्र है. इस मूलमंत्र का जाप अपना सुख चाहने वाले प्रत्येक मनुष्य को प्रातःकाल 

नित्यक्रिया व स्नानादि के पश्चात एक सौ आठ बार करना चाहिए. ऐसा करने वाले मनुष्य सभी बाधाओं 

एवं कष्टों से सदैव मुक्त रहते हैं.
||सप्तदशाक्षर श्रीकृष्णमहामन्त्र :||
'ऊ श्रीं नमः श्रीकृष्णाय परिपूर्णतमाय स्वाहा'
यह श्रीकृष्ण का सप्तदशाक्षर महामंत्र है. इस मंत्र का पांच लाख जाप करने से यह मंत्र सिद्ध हो जाता है.जप के समय हवन का दशांश अभिषेक का दशांश तर्पण तथा तर्पण का दशांश मार्जन करने का विधान शास्त्रों में वर्णित है. जिस व्यक्ति को यह मंत्र सिद्ध हो जाता है उसे सबकुछ प्राप्त हो जाता है.
||सात अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मंत्र ||
'गोवल्लभाय स्वाहा'
इस सात (7) अक्षरों वाले श्रीकृष्ण मंत्र का जाप जो भी साधक करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
||आठ अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'गोकुल नाथाय नमः'
इस आठ(8) अक्षरों वाले श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसकी सभी इच्छाएं व अभिलाषाएं पूर्ण होती हैं।.
||दशाक्षर श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'क्लीं ग्लौं क्लीं श्यामलांगाय नमः'
यह दशाक्षर (10) मन्त्र श्रीकृष्ण का है. इसका जो भी साधक जाप करता है उसे संपूर्ण सिद्धियों की प्राप्ति होती है.
||द्वादशाक्षर श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'ॐ नमो भगवते श्रीगोविन्दाय'
इस कृष्ण द्वादशाक्षर (12) मन्त्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सबकुछ प्राप्त हो जाता है.

||बाईस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्‌सों'
यह बाईस (22) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसे वागीशत्व की प्राप्ति होती है.
||तेईस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र ||

'ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री'

यह तेईस (23) अक्षरों वाला श्रीकृष्ण का मंत्र है. जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसकी सभी बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं.
||अट्ठाईस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'ॐ नमो भगवते नन्दपुत्राय आनन्दवपुषे गोपीजनवल्लभाय स्वाहा'

यह अट्ठाईस (28) अक्षरों वाला श्रीकृष्णमन्त्र है. जो भी साधक इस मंत्र का जाप करता है उसको समस्त अभिष्ट वस्तुएं प्राप्त होती हैं.
||उन्तीस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र ||
'लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा'

यह उन्तीस(29) अक्षरों वाला श्रीकृष्णमन्त्र है. इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक एक लाख जप और घी, शकर तथा शहद में तिल व अक्षत को मिलाकर होम करते हैं, उन्हें स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है.
बत्तीस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र :
गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।''नन्दपुत्राय श्यामलांगाय बालवपुषे कृष्णाय

यह बत्तीस (32) अक्षरों वाला श्रीकृष्णमन्त्र है. इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक एक लाख बार जाप करता है तथा पायस, दुग्ध व शकर से निर्मित खीर द्वारा दशांश हवन करता है उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
तैंतीस अक्षरों वाला श्रीकृष्ण मन्त्र :
'ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥'
यह तैंतीस (33) अक्षरों वाला श्रीकृष्णमन्त्र है. इस श्रीकृष्णमंत्र का जो भी साधक जाप करता है उसे समस्त प्रकार की विद्याएं निःसंदेह प्राप्त होती हैं.
विपत्ति-नाश के लिये

हे कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।

आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन" ||1||
विधिः- इस मन्त्र का कम-से-कम १०८ बार स्वयं जप करे. कुछ दिन जपने के बाद स्वप्न में आदेश सम्भव है. अनुष्ठान के लिये ५१००० जप और दशांश ५१०० जप या आहुतियां आवश्यक है.
हा कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।
आपद्भिः परिभूतां मां त्रायस्वाशु जनार्दन।।
हा कृष्ण द्वारकावासिन् क्वासि यादवनन्दन।

कौरवैः परिभूतां मां किं न त्रायसि केशवः" ||2।।
विधिः- उपर्युक्त दोनों मन्त्रों का ३२ हजार जप करने से बड़े-बड़े संकट दूर हो जाते हैं.
ॐ कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः पृच्छामि त्वां धर्मसम्मूढचेताः
यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्" ||3||
विधिः- प्रतिदिन विधिवत् भगवान् श्रीकृष्ण का या भगवान् विष्णु का पूजन करके उपर्युक्त मन्त्र का १२ दिनों में २५००० जप करने से स्वप्न के द्वारा कार्यसिद्धि का ज्ञान होता है.
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णायाकुण्ठमेधसे।

सर्वव्याधिविनाशाय प्रभो माममृतं कृधि” ||4||
विधिः- इस मन्त्र का प्रतिदिन प्रातःकाल जगते ही बिना किसी से कुछ बोले तीन बार जप करने से सब अनिष्ट का नाश होता है. इसका अनुष्ठान ५१००० मन्त्र जप तथा ५१०० दशांश हवन से सम्पन्न हो जाता है.
ॐ रां श्रीं ऐं नमो भगवते वासुदेवाय ममानिष्टं नाशय नाशय मां सर्वसुखभाजनं सम्पादय सम्पादय हूं हूं श्रीं ऐं फट् स्वाहा" ||5||
विधिः- इस मन्त्र का प्रतिदिन १०८ बार जप करना चाहिये.
कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।

प्रणतः क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः" ||6||
विधिः- संकटासन्न द्रोपदी की अवस्था का ध्यान करें तथा ७ बार उक्त मन्त्र का जाप करें. अथवा प्रतिदिन १०८ बार जप करना चाहिये.
सब प्रकार की मनोकामना की पूर्ति के लिये-
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं नमो भगवते राधाप्रियाय राधा-रमणाय गोपीजनवल्लभाय ममाभीष्टं पूरय पूरय हुं फट् स्वाहा।
विधिः- इस मन्त्र को कदम्बकाष्ट की छोटी पीठिका (चौकी) पर अष्टगन्ध अथवा कपूर और केशर से अनार की कलम से लिखकर षोडशोपचार से पूजन करे. प्रतिदिन का जप १८०० से कम नहीं होना चाहिये. कुल जप-संख्या सवा लाख है. तदुपरान्त साढ़े बारह हजार दशांश होम के लिये जप करना चाहिये.
"जय जय श्री राधे"