*गांधीवादी युग का सरहद पर गोवर्धन कल्ला के निधन के साथ अंत,याद आएंगे बाउजी*
*चन्दन सिंह भाटी*
कुछ दिन पहले की बात है एक स्कूल कार्यक्रम में गांधीवादी विचारक पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला मंच पर साथ थे।अतिथियों के उद्बोधन में जब उनका नाम पुकारा तो बोले भाई अब आराम करने दो आप लोग आगे आवो।।यह एक विचार था। सोच थी दुसरो को आगे लाने की।।जो बहुत कम लोगो मे होती है।।पूर्व विधायज गोवर्धन कल्ला का अनायास इस तरह दुनिया छोड़ जाना जेसलमेर के लिए बड़ा आघात था।एक दिन पहले ही सूबे के मुखिया अशोक गहलोत उनकी कुशलक्षेम पूछने उनके पास घर पहुंचे।।दोनो के बीच लंबी बातचीत में खूब ठहाके भी लगे।किसी को भान नही था बाउजी 40 घण्टो में दुनिया से रुखसत हो जाएंगे।।गहलोत को उन्होंने अंतिम इच्छा भी जताई कि जयपुर में गोकुलभाई भट्ट की प्रतिमा के पास गांधी दर्शन संग्रहालय का निर्माण हो।।यह बाउजी के गांधी विचारक होने का सबसे बड़ा प्रमाण था।।राजनीति और सर्व समाज मे उनके निधन से जो रिक्तता आई वो अपूरणीय है। बाउजी की जगह लेने वाली कोई शख्शियत मौजूद दौर ने दूर दूर नही दिखती।एक बार विधायक रहे दो बार हारे ।आमजन में उनकी छवि सकारात्मक नेतृत्व वाली रही।आज के राजनीतिग्यो को उनके जीवन से सबक लेना चाहिए।।गोवर्धन कल्ला ने अपने जीवन मे जो अपार स्नेह और मानसम्मान पाया वह बिरले लोगो को ही नसीब होता है।।राजनीतिज्ञ विधायक सांसद बन सजते है मगर लोगो के दिलो में राज करना उनके बस में नही होता मगर कल्ला जी की यह खूबी थी कि वो लोगो के दिलों में राज करते थे।।सकारात्मक सोच ,जेसलमेर के विकास को समर्पित कल्ला जी ने अपनी पीजिशन का कभी फायदा नही उठाया जिसका उदाहरण है उनके परिवार से कोई राजनीति में नही है।।कहने को उनके पुत्र राधेश्याम कल्ला जरूर कांग्रेस के सदस्य है।।अलबत्ता छतीस कौम के बीच सर्व लोकप्रिय रहे कल्ला जी के ओएस गांव ढाणी से लोग अपनी समस्याएं लेकर दो दिन पहले तक आते रहे।।मिलनसार,मृदुभाषी,सहज,सरल,व्यक्तित्व के धनी बाउजी को जेसलमेर हमेशा याद रखेगा।।उनके निधन से जो शून्य आया वो अब भरने वाला नहीं।जो प्रतिभा और नेतृत्व क्षणता का गुण उनमें था वो आज के दौर के नेताओ के पास नही है।गहलोत ने उनसे अपने छात्र काल जीवन से राजनीतिक बारीकियां सीखी है।प्रहड़ सम्बन्ध थे।।राजनीति समर में उनका आशीर्वाद लिए बिना कोई मैदान में आने की सोच नहीं सकता था।।बाउजी का जीवन सादगी भरा था।।गांधी विचारों को लोगो के बीच लाने का कार्य जीवनपर्यंत करते रहे।।उनके जाने से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में जो खालीपन आया वो लम्बे समय तक भरना नहि।कांग्रेस के लिए उनका निधन बहुत बड़ी क्षति है ।अश्रुपूर्ण सादर श्रद्धांजलि।शत शत नमन युगपुरुष को।।
*चन्दन सिंह भाटी*
कुछ दिन पहले की बात है एक स्कूल कार्यक्रम में गांधीवादी विचारक पूर्व विधायक गोवर्धन कल्ला मंच पर साथ थे।अतिथियों के उद्बोधन में जब उनका नाम पुकारा तो बोले भाई अब आराम करने दो आप लोग आगे आवो।।यह एक विचार था। सोच थी दुसरो को आगे लाने की।।जो बहुत कम लोगो मे होती है।।पूर्व विधायज गोवर्धन कल्ला का अनायास इस तरह दुनिया छोड़ जाना जेसलमेर के लिए बड़ा आघात था।एक दिन पहले ही सूबे के मुखिया अशोक गहलोत उनकी कुशलक्षेम पूछने उनके पास घर पहुंचे।।दोनो के बीच लंबी बातचीत में खूब ठहाके भी लगे।किसी को भान नही था बाउजी 40 घण्टो में दुनिया से रुखसत हो जाएंगे।।गहलोत को उन्होंने अंतिम इच्छा भी जताई कि जयपुर में गोकुलभाई भट्ट की प्रतिमा के पास गांधी दर्शन संग्रहालय का निर्माण हो।।यह बाउजी के गांधी विचारक होने का सबसे बड़ा प्रमाण था।।राजनीति और सर्व समाज मे उनके निधन से जो रिक्तता आई वो अपूरणीय है। बाउजी की जगह लेने वाली कोई शख्शियत मौजूद दौर ने दूर दूर नही दिखती।एक बार विधायक रहे दो बार हारे ।आमजन में उनकी छवि सकारात्मक नेतृत्व वाली रही।आज के राजनीतिग्यो को उनके जीवन से सबक लेना चाहिए।।गोवर्धन कल्ला ने अपने जीवन मे जो अपार स्नेह और मानसम्मान पाया वह बिरले लोगो को ही नसीब होता है।।राजनीतिज्ञ विधायक सांसद बन सजते है मगर लोगो के दिलो में राज करना उनके बस में नही होता मगर कल्ला जी की यह खूबी थी कि वो लोगो के दिलों में राज करते थे।।सकारात्मक सोच ,जेसलमेर के विकास को समर्पित कल्ला जी ने अपनी पीजिशन का कभी फायदा नही उठाया जिसका उदाहरण है उनके परिवार से कोई राजनीति में नही है।।कहने को उनके पुत्र राधेश्याम कल्ला जरूर कांग्रेस के सदस्य है।।अलबत्ता छतीस कौम के बीच सर्व लोकप्रिय रहे कल्ला जी के ओएस गांव ढाणी से लोग अपनी समस्याएं लेकर दो दिन पहले तक आते रहे।।मिलनसार,मृदुभाषी,सहज,सरल,व्यक्तित्व के धनी बाउजी को जेसलमेर हमेशा याद रखेगा।।उनके निधन से जो शून्य आया वो अब भरने वाला नहीं।जो प्रतिभा और नेतृत्व क्षणता का गुण उनमें था वो आज के दौर के नेताओ के पास नही है।गहलोत ने उनसे अपने छात्र काल जीवन से राजनीतिक बारीकियां सीखी है।प्रहड़ सम्बन्ध थे।।राजनीति समर में उनका आशीर्वाद लिए बिना कोई मैदान में आने की सोच नहीं सकता था।।बाउजी का जीवन सादगी भरा था।।गांधी विचारों को लोगो के बीच लाने का कार्य जीवनपर्यंत करते रहे।।उनके जाने से सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में जो खालीपन आया वो लम्बे समय तक भरना नहि।कांग्रेस के लिए उनका निधन बहुत बड़ी क्षति है ।अश्रुपूर्ण सादर श्रद्धांजलि।शत शत नमन युगपुरुष को।।