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शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2018

*राजस्थान का एक मात्र लोकसभा क्षेत्र जंहा के चार सांसद विधायक रहे,पांचवा तैयारी में*


*राजस्थान का एक मात्र लोकसभा क्षेत्र जंहा के चार सांसद विधायक रहे,पांचवा तैयारी में*



*बाड़मेर न्यूज ट्रैक*

*जातिगत समीकरणों में उलझे बाड़मेर जेसलमेर के विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी हलचल शुरू हो गई। यह राजस्थान का एक मात्र लोकसभा क्षेत्र है जंहा के चार सांसद विधायक भी रहे।।पांचवे सांसद रहे हरीश चौधरी भी इस बार विधायक बनने की आजमाइस करेंगे बायतु से।।

बाड़मेर। राज्य और केन्द्र दोनों की राजनीति करने वाले कम ही राजनेता है लेकिन बाड़मेर जिले के चार सांसदों ने विधायकी भी की है। राजनीतिक उलटफेर के मुताबिक खुद की राजनीति को बचाने या उसकी साख जमाने के लिए वे कभी सांसद का चुनाव लड़े तो बाद में विधानसभा में भी आ गए।

जिले में रामराज्य परिषद से तनसिंह बाड़मेर से 1952 एवं 1957 में वे विधायक रहे। 1962 में उन्होंने सांसद का चुनाव जीता और 1977 में एक बार फिर तनसिंह सांसद रहे। उनके सामने ही 1952 में कांग्रेस से चुनाव हारने वाले वृद्धिचंद जैन 1967 में पहली बार बाड़मेर से विधायक बने। लगातार तीन बार 1962,72 एवं 77 में विधायक रहे वृद्धिचंद 1980 और 1984 में सांसद बन गए। 1998 में फिर वे बाड़मेर के विधायक बने। इसी तरह बतौर सांसद अपनी पानी शुरू करते हुए कर्नल सोनाराम चौधरी 1996,1998 एवं 1999 में तीन बार कांग्रेस से सांसद बने। 2008 में वे राज्य की राजनीति में आ गए और बायतु से विधायक चुने गए। यहां उनकी पटरी नहीं बैठी और 2014 के लोकसभा चुनावों में उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली और फिर से सांसद हो गए। इसी तरह मानवेन्द्र ङ्क्षसह भी 2004 में बाड़मेर सांसद रहे लेकिन 2013 से वे शिव के विधायक हैं।

तनसिंह
सांसद : रामराज्य परिषद-1962
विधायक: रामराज्य परिषद -1952 एवं 1957

वृद्धिचंद जैन
सांसद : कांग्रेस- 1977 एवं 1980
विधायक: कांग्रेस 1967,1972,1977,1998

कर्नल सोनाराम चौधरी
सांसद : कांग्रेस 1996,1998,1999 एवं 2014 (भाजपा )
विधायक: कांग्रेस- 2008

मानवेन्द्र सिंह
सांसद : भाजपा- 2004
विधायक: भाजपा- 2013


*अब फिर तैयारी*

पूर्व सांसद हरीश चौधरी बायतु से टिकट के दावेदारों में है। मानवेन्द्र सिंह ने कमल का फूल मेरी भूल कहकर भाजपा छोड़ दी है। अब वे विधानसभा चुनाव नही लड़ रहे है। कर्नल सोनाराम चौधरी को भी बाड़मेर या बायतु विधानसभा से चुनाव लड़ाया जा सकता है।हरीश चौधरी बायतु से चुनाव लड़ सकटे है।।

गुरुवार, 25 अक्तूबर 2018

*थार की राजनीति और सामाजिक शख्सियत महाराज रघुनाथ सिंह जी ,जनता के सच्चे हमदर्द* *आम जन के साथ घुलमिल के रहते थे,उनके सुखदुख के साथी रहे*


*थार की चुनाव रणभेरी 2019 हमारे सांसद*

*थार की राजनीति और सामाजिक शख्सियत महाराज रघुनाथ सिंह जी ,जनता के सच्चे हमदर्द*

*आम जन के साथ घुलमिल के रहते थे,उनके सुखदुख के साथी रहे*

*चन्दन सिंह भाटी बाड़मेर न्यूज ट्रैक के लिए*

देश आजाद होने के बाद लोक तंत्र की स्थापना का महापर्व संसदीय चुनाव का दौर शुरू ही हुआ था।।उस वक़्त राजनीति के कोई मायने नही थे।।चुनाव में प्रभावशाली व्यक्ति को मैदान में उतारा जाता था ताकि वो जनता के सुख दुख में काम आ सके।बाड़मेर जेसलमेर जिलो को मिलाकर संसदीय क्षेत्र स्थापित था।।देश का पहला विशाल बहु भाग में फैला सनसदिय क्षेत्र।।देस दूसरे आम चुनाव की तैयारी 1957 को आरम्भ हुई।।उस वक़्त देसी रियासतों का एकीकरण भी हुआ था।।आम चुनाव में राजपरिवारों का दबदबा था।।1957 के चुनाव में कांग्रेस ने गोरधन दास बिनानी को मैदान में उतारा तो जेसलमेर के महाराज कैप्टेन (आर्मी की और से सम्मान) रघुनाथ सिंह जी निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे।।इन चुनाव में महाराज रघुनाथ सिंह ने गोवर्धन दास को करीब बीस हजार वोट से हराकर संसद में प्रवेश किया। महाराज रघुनाथ सिंह जी जेसलमेर की जनता की आंखों के नूर थे।।उनके और जनता के बीच दूरियां नही थी।।वो महाराज जवाहर सिंह जी की परंपरा को ही आगे बढ़ा रहे थे।।18 नवम्बर 1920 को जन्मे रघुनाथ सिंह जीने मेयो कॉलेज से शिक्षा अर्जित की।।उनका विवाह1950 में महारानी श्रीमती मुकुट राज्यलक्ष्मी नेपाल के संग हुआ।शादी के चार माह बाद ही उनका राजतिलक 27 अगस्त 1950 को हुआ।।घुड़ सवारी,तैराकी,शूटिंग,हाईकिंग,और पतंगबाजी के महाराज रघुनाथ सिंह बड़ा शौक रखते थे।।उनके चार पुत्रियां दो पुत्र युवराज बृजराज सिंह और पृथ्वीराज सिंह थे।।युवराज पृथ्वीराज सिंह का 1997 में निधन हो गया।। युवराज बृजराज सिंह जी का महारावल के रूप में राजतिलक हुआ।।।

*जेसलमेर में पर्यटन के भीष्म पितामह*

जेसलमेर को विश्व पटल पर उभारने और जेसलमेर को पर्यटन नगरी के रूप में विकसित करने का श्रेय भी महाराज रघुनाथ सिंह जी को जाता है।उनके कार्यकाल में विख्यात फ़िल्म निदेशक सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म सोनार किला के जरिये जेसलमेर की खूबसूरत पर्यटक स्थलों को विश्व पटल के सामने रखा।सत्यजीत रे को प्रेरित महाराज रघुनाथ सिंह ने किया उन्हें सुविधाएं उपलब्ध करवाई।।सोनार किला फ़िल्म के प्रदर्शन के साथ ही जेसलमेर पर्यटन क्षेत्र के रूप में चर्चित हुआ।।देस विदेश से लोग जेसलमेर देखने पहुंचने लगे।।इसी बीच जेसलमेर की लोकेशन सोनार किला में देख विख्यात फ़िल्म कलाकार सुनील दत्त ने अपनी फिल्म रेशमा और शेरा का फिल्मांकन जेसलमेर में करने की इच्छा लेकर महाराज रघुनाथ सिंह जी से मुलाकात की।।उस वक़्त महाराज ने फ़िल्म यूनिट की समस्त व्यवस्थाएं सुलभ करवाई।।जिसकी बदौलत सुनील दत्त रेशमा और शेरा जैसी बेजोड़ खूबसूरत फ़िल्म बना पाए।इस फ़िल्म में जेसलमेर के अंदरूनी भागो और रेगिस्तानी धोरों और लोक जीवन को बड़ी खूबसूरती के साथ उभारा। यही से जेसलमेर का पर्यटन दिन दूनी रात चौगुनी बढ़ता गया ।

*मिलनसार और मददगार थे रघुनाथ सिंह*

जेसलमेर के महाराज होने के नाते रघुनाथ सिंह पर काफी बंदिशें थी।।मगर उन्होंने इन बंदिशों को दरकिनार कर अपनी जनता के मददगार बने।।जरूरतमंद लोगों की मदद करना उनकी प्राथमिकता रही ।उन्होंने आमो अवाम को कष्ट में नही रहने दिया।।आर्थिक मोर्चो पर भी मदद के लिए हमेशा तत्पर रहते। जजेसलमेर में कोई तीज़ त्योहार हो वो जनता जे साथ ही मनाते। नजराना भी भेंट करते।जनता के सुख दुख में भी शरीक होते।।उन्हें होली की गैर खेलने जा बड़ा शौक था। घण्टो तक गैर खेलते। फाग गाते। तीज़ त्योहार रघुनाथ सिंह जी के बिना जनता कल्पना नही करते।।निर्धन और जरूरतमंद परिवारों की बालिकाओं के विवाह भी खुद के खर्चे से करवाते।  उनका दरबार चौबीस घण्टे आमजनता के लिए खुला रहता।कोई फरियादी खाली हाथ नही जाता।।

*अकाल में की मदद आज भी लोगो को याद है*

छपनिया अकाल में स्थितियां बेहद नाजुक हो गई थी इस रेगिस्तानी जनता की।अकाल के दुर्भिक्ष में जीना मुश्किल हो गया।सात सात अकाल लगातार।।राज्य सरकार ने  जेसलमेर के लोगो को गंगानगर बीकानेर में बसाने का फैसला लिया।जिसका महाराज रघुनाथ सिंह जी ने कड़ा विरोध करते हुए अपने स्तर पर राहत कार्य चलाने का फैसला किया।इस वक़्त महाराज रघुनाथ सिंह ने आमजन को अपना गांव छोड़ नही जाने को कहा।।उन्होंने उसी वक़्त बड़े पैमाने पर जिले भर में राहत कार्य शुरू करवा दिए।।रघुनाथ सिंह ने रियासत का खजाना आम जनता की मदद के लिए खोल दिया। बड़े पैमाने पर राहत कार्य शुरू होने के साथ ही जनता को भी राहत मिली।पशुधन के लिए भी बड़े पैमाने पर व्यवस्थाएं की।।अकाल में रघुनाथ सिंह की संवेदनषीलता और मानवीय गुणों के कारण लोग उन्हें देवता तुल्य मानने लगे।।रघुनाथ सिंह लोक संस्कृति ,परंपराओं का निर्वहन करने वाले,बड़े बुजुर्गों का आदर सम्मान करने के गुण थे। इन्ही गुणों के कारण जनता एक शासक के रूप में उन्हें बहुत मां सम्मान देती थी।।राजनीति में रहते हुए उन्होंने जेसलमेर के विकास के भरसक प्रयास किये।।

उन्हें राजनीति ज्यादा रास नही आई।।वो अपनी जनता की सेवा में ही खुश रहे।। जेसलमेर की जनता आज भी उन्हें याद करती है।।अट्ठाइस फरवरी उनीस सौ ब्यासी को आपका देवगमन हुआ।।लोगो की आंखों से आंसू रुकने का नाम नही ले रहे थे।।

शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

ऐसे थे हमारे सांसद बाड़मेर के वाटरमैन सच्चे और ईमानदार जननेता विरधी चंद जैन*

ऐसे थे हमारे सांसद
*थार की राजनीतिक शख्सियत  *

*ऐसे थे हमारे सांसद बाड़मेर के वाटरमैन सच्चे और ईमानदार जननेता विरधी चंद जैन*

*दो बार सांसद और तीन बार विधायक रहकर भी सादा जीवन जीते*

*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक*

बाड़मेर थार की राजनीति में कई नेता अमर हो गए। उनका कृतित्व आज भी बोल रहा। नेता बनना और नेता बन लोगो के दिलोदिमाग पे छा जाने बहुत कम नेताओ को नसीब होता है।।।
बाड़मेर जिले की राजनीति में विरधी चंद जैन का बड़ा नाम था।।ईमानदार और सच्चे व्यक्ति।।दो बार सांसद और तीन बार विधायक बनने के बावजूद साधारण जिंदगी जीते थे।।खागल मोहले में वही पुराना मकान जो लम्बे समय से मरम्मत मांग रहा था मगर वो भी नही हो पा रही थी।।जिला प्रमुख ,नगर पालिका अध्यक्ष भी रहे। लोगो से मेलमिलाप और सम्पर्क निरन्तर था। सबसे बड़ी विशेषता की गलत का कभी साथ नही देते।।जाति आधारित इस चुनावी क्षेत्र में विरधी चंद जैन जाट बाहुल्य बाड़मेर विधानसभा से तीन मर्तबा विधायक बने।।उस वक़्त बायतु क्षेत्र बाड़मेर विधानसभा का हिस्सा था।।दो बार सांसद पहुंचे।संसद में बाड़मेर की पेयजल समस्या को लेकर वो लगातार मुद्दे उठाते रहे। जब तक रहे बाड़मेर को पेयजल योजनाओं से जोड़ने की जोरदार पैरवी करते रहे।।बाड़मेर जिले में आज जो पेयजल योजनाए दिख रही है वो अधिकांस विरधी चंद जैन की देन है।।बाड़मेर के विकास कार्यो के लिए वो हमेशा अपनी पार्टी के बड़े नेताओ से झगड़ लेते थे।।इसी बात के बड़े नेता उनके मुरीद थे।।श्रीमती इंदिरा गांधी ,और राजीव गांधी उन्हें व्यक्तिगत जानते थे।।उनके आग्रह पर इंदिरा गांधी और राजीव गांधी बाड़मेर जैसलमेर के दौरे पे आये थे।।जैन होते हुए भी जाट मतदाता उनके भक्त थे।।

उन्होंने जागीरदारी प्रथा और सामन्तशाही का ताउम्र विरोध किया। उनके सामने उम्मीदवार भी क्षत्रिय होते थे ।उनकी राजनीति का यही सबसे बड़ा आधार था।वो सामन्तशाही को जमकर कोसते।।उनको दो बार हार का भी सामना करना पड़ा।।सिद्धांतो की लड़ाई में वो कभी पीछे नही सरकते।।कांग्रेस के सच्चेसिपाही थे।निडर और दबंग थे।।

*राजनीतिक कैरियर*

जैन 1980 से 1984 और 1984 से 1989 तक सांसद रहे।।तो 1972,1977 और 2003 में विधानसभा के सदस्य रहे।1950 से 53 तक नगर पालिक अध्यक्ष रहे।1959 से 1964 तक जिला प्रमुख रहे।अपने कार्यकाल में उन्होंने जनहित के बहुत से कार्य कारित किये।अब्दुल हादी उनके मित्र थे।।कानपुर के कॉलेज से एल एल बी की हुई थी वकालत की हुई थी।।उस वक़्त  एल एल बी करना बहुत मायने रखता था।।जैन विभिन से सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे।।भारत सेवक समाज, होम्योपैथिक हॉस्पिटल, नेहरू युवा केन्द्र से जुड़ आम जन  की सेवा में जुटे रहते।

*ईमानदार और सच्चे इंसान*

जैन अपने जीवन मे बहुत ईमानदार रहे।उन्होंने स्वच्छ राजनीति की बिना किसी लाग  लपेट के। अपने समर्थकों के लिए वो किसी से भी अड़ जाते।।उन्होंने जातिवाद की राजनीति नही की।।जातिवाद के खिलाफ थे।।निस्वार्थ राजनीति के चलते ही वो अपना उत्तराधिकारी नही चुन पाए।।अपने परिवार में किसी को राजनीति में नही आने दिया।।कांग्रेस के सच्चे सिपाही के रूप में बो हमेशा याद किये जाते रहेंगे।।उनके नाम से बाड़मेर जिला मुख्यालय पर विरधी चंद जैन केंद्रीय बस स्टेंड बना हुआ है।।

बुधवार, 26 सितंबर 2018

बाड़मेर राजनितिक शख्शियत तन सिंह बाड़मेर के पहले विधायक ,पालिका अध्यक्ष फिर दो बार सांसद मात्र 9 हज़ार रुपये में सांसद का चुनाव लड़े,जीते

बाड़मेर राजनितिक शख्शियत तन सिंह

बाड़मेर के पहले विधायक ,पालिका अध्यक्ष फिर दो बार सांसद

मात्र 9 हज़ार रुपये में सांसद का चुनाव लडे ,जीते


जन्म

वि.सं.१९८० में बाड़मेर जिले के गांव रामदेरिया के ठाकुर बलवंत सिंह जी महेचा की धर्म पत्नी मोतिकंवरजी के गर्भ से तनसिंह जी का जन्म अपने मामा के घर बैरसियाला गांव में हुआ था वे अभी शैशवावस्था में अपने घर के आँगन में चलना ही सीख रहे थे कि उनके पिता मालाणी के ठाकुर बलवंत सिंघजी का निधन हो गया और चार वर्ष से भी कम आयु का बालक तनैराज अपने सिर पर सफ़ेद पाग बाँध कर ठाकुर तनैराज हो गया | मात्र ९०रु वार्षिक आय का ठाकुर | भाग्य ने उनको पैदा करके पालन-पोषण के लिए कठिनाईयों के हाथों सौप दिया |

शिक्षा

घर की माली हालत ठीक न होने के बावजूद भी श्री तनसिंह जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बाड़मेर से पुरी कर सन १९४२ में चौपासनी स्कूल जोधपुर से अच्छे अंकों के साथ मेट्रिक परीक्षा पास कर सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी होने का गौरव प्राप्त किया,और उच्च शिक्षा के लिए पिलानी चले आए जहाँ उच्च शिक्षा ग्रहण करने बाद नागपुर से उन्होंने वकालत की परीक्षा पास कर सन १९४९ में बाड़मेर आकर वकालत का पेशा अपनाया,पर यह पेशा उन्हें रास नही आया |

राजनैतिक जीवन

25 वर्ष की आयु में बाड़मेर नगर वासियों ने उन्हें बाड़मेर नगर पालिका का अध्यक्ष चुन लिया और 1952 के विधानसभा चुनावों में वे पहली बार बाड़मेर से विधायक चुन कर राजस्थान विधानसभा पहुंचे और 1957 में दुबारा बाड़मेर से विधायक चुने गए | 1962 व 1977 में आप बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए | 1962 में तन सिंघजी ने दुनिया के सबसे बड़े और विशाल बाड़मेर जैसलमेर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव मात्र एक जीप,कुछ साथी,सहयोगी स्वयम सेवक,कार्यकर्त्ता,किंतु अपार जन समूह के प्यार और समर्थन से मात्र 9000 रु. खर्च कर सांसद बने |

श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना

पिलानी के राजपूत छात्रावास में रहते हुए ही श्री तनसिंह जी ने अपने भविष्य के ताने-बाने बुने | यहीं उनका अजीबो-गरीब अनुभूतियों से साक्षात्कार हुआ और समाज की बिखरी हुयी ईंटों से एक भव्य-भवन बनाने का सपना देखा | केवल 22 वर्ष की आयु में ही उनके हृदय में समायी समाज के प्रति व्यथा पिघली जो " श्री क्षत्रिय युवक संघ" के रूप में निश्चित आकार धारण कर एक धारा के रूप में बह निकली | लेकिन अन्य संस्थाओं की तरह फॉर्म भरना,सदस्यता लेना,फीस जमा करना,प्रस्ताव पारित करना,भाषण,चुनाव,नारेबाजी,सभाएं आदि करना श्री तन सिंह जी को निरर्थक लगी और 22 दिसम्बर 1946 को जयपुर के मलसीसर हाउस में नवीन कार्य प्रणाली के साथ "श्री क्षत्रिय युवक संघ " की विधिवत स्थापना की और उसी दिन से संघ में वर्तमान संस्कारमयी मनोवैज्ञानिक कार्य प्रणाली का सूत्रपात हुवा | इस प्रकार क्षत्रिय समाज को श्री तनसिंह जी की अमूल्य देन "श्री क्षत्रिय युवक संघ " अपनी नई प्रणाली लेकर अस्तित्व में आया | राजनीती में रहकर भी उन्होंने राजनीती को कभी अपने ऊपर हावी नही होने दिया | क्षत्रिय युवक संघ के कार्यों में राजनीती भी उनकी सहायक ही बनी रही | सन 1955-56 में विवश होकर राजपूत समाज को राजस्थान में दो बड़े आन्दोलन करने पड़े जो भू-स्वामी आन्दोलन के नाम से विख्यात हुए,दोनों ही आन्दोलनों की पृष्ठभूमि में क्षत्रिय युवक संघ की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी | स्व.श्री तनसिंह जी की ख्याति एक समाज-संघठक,कर्मठ कार्यकर्त्ता,सुलझे हुए राजनीतीज्ञ,आद्यात्म प्रेमी,गंभीर विचारक और दृढ निश्चयी व्यक्ति के रूप में अधिक रही है किंतु इस प्रशिधि के अतिरिक्त उनके जीवन का एक पक्ष और भी है जिसे विस्मृत नही किया जा सकता | यह एक तथ्य है कि एक कुशल प्रशासक,पटु विधिविज्ञ,सजग पत्रकार और राजस्थानी तथा हिन्दी भाषा के उच्चकोटि के लेखक भी थे | पत्र लेखन में तो उनका कोई जबाब ही नही था अपने मित्रों,सहयोगियों,और सहकर्मियों को उन्होंने हजारों पत्र लिखे जिनमे देश,प्रान्त,समाज और राजपूत जाति के अतीत,वर्तमान और भविष्य का चित्र प्रस्तुत किया गया है | अनेक सामाजिक,राजनैतिक और व्यापारिक कार्यों की व्यस्तता के बावजूद उन्होंने साहित्य,संस्कृति और धार्मिक विषयों पर लिखने के समय निकला | श्री क्षत्रिय युवक संघ के पथ पर चलने वालों पथिकों और आने वाली देश की नई पीढियों की प्रेरणा स्वरूप स्व.श्री तनसिंह जी एक प्रेरणादायक सबल साहित्य का सर्जन कर गए |

मृत्यु

1979 में मध्यावधि चुनावों का फॉर्म भरने से पूर्व अपनी माताश्री से आशीर्वाद लेते समय 7 दिसम्बर 1979 को श्री तनसिंह जी ने अपनी माता की गोद में ही अन्तिम साँस ली

पुस्तकें

उन्होंने अनेक पुस्तके लिखी जो जो पथ-प्रेरक के रूप में आज भी हमारा मार्ग दर्शन करने के लिए पर्याप्त है |
1-राजस्थान रा पिछोला
2-समाज चरित्र
3- बदलते द्रश्य
4- होनहार के खेल
5- साधक की समस्याएं
6- शिक्षक की समस्याएं
7- जेल जीवन के संस्मरण
8- लापरवाह के संस्मरण
9-पंछी की राम कहानी
10- एक भिखारी की आत्मकथा
11- गीता और समाज सेवा
12- साधना पथ
13- झनकार( तनसिंहजी द्वारा रचित 166 गीतों का संग्रह)--
chandan bhati

शनिवार, 12 जुलाई 2014

राजस्थान राज्यसभा सांसदों के कोष खाली हो रहे दलालों के जरिए ?

राजस्थान राज्यसभा सांसदों के कोष खाली हो रहे दलालों के जरिए ?


 बाड़मेर राजस्थान के राज्य सभासंसदो की चांदी हो राखी हेराजस्थान के दो राज्य सभा सांसद ऐसे हे जिनके कोष की राशी दलालों के माध्यम से तीस फीसदी कमीशन लेके खुले आम् बांटी जा रही हे। बाड़मेर जिले में कांग्रेस के दो राज्य सभा सांसदों के करीब ढाई करोड़ रुपयों के प्रस्ताव आयेहें। जिनमे अधिकांस की वितीय और तकनिकी स्वीकृतिया निकल चुकी हें। यह पैसा शिव विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिका रहा हें। पुख्तासुत्रो ने बताया की जयपुर में इन सांसदों के कोष से राशी लेने केलिए दलालों से संपर्क कराना पड़ता हें। तीस फीसदी राशी नकद जमा करने के बाद अनुसंशा पात्र जारी कियाजाता हे। बाड़मेर जिले में राज्य सभा कोष से आये प्रस्तावों का भौतिक सत्यापन या उच्च तरिय कमेटी से जाँच कराई जायव तो सारी पोल पट्टी सामने आ जाये। क्यूंकि इस राशि का प्रयोग किसी भी विकास कार्य के लिये नहि हुआ।