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रविवार, 2 मार्च 2014

जैसलमेर जलदाय विभाग भरष्टाचार मामले में कब कार्यवाही करेगी वसुंधरा सरकार

लोकसभा चुनाव 2014 में मुख्य मुद्दा भ्रष्टाचार का रहेगा 




जैसलमेर जलदाय विभाग भरष्टाचार मामले में कब कार्यवाही करेगी वसुंधरा सरकार 


भ्रष्टाचार के लंबित मामलों में गम्भीरता को लेते हुए सख्त हो सकती है सरकार 



जैसलमेर, 2मार्च / दिल्ली के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गैस की कीमत के मुद्दे पर रिलायंस के खिलाफ भले ही प्राथमिकी दर्ज की हो,  लेकिन यह एक सरकार या विभाग की औपचारिक कार्यवाही हो सकती है परन्तु इसके बाद न्याय की दहलीज पर क्या फल है इस पर अभी देश की जनता को विश्वास में लाना होगा तभी इसी प्राथमिकों के कुछ मायने निकल सकते हैं ।

एसीबी ने केजी बेसिन से निकलने वाली गैस के मामले में इस केस को दर्ज किया है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, आरआईएल प्रमुख मुकेश अंबानी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली देवड़ा और सेवानिवृत हाइड्रोकार्बन निदेशक वीके सिब्बल के नामों का दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) द्वारा रिलायंस गैस मुद्दे पर दर्ज प्राथमिकी में उल्लेख किया गया। मीडिया के माध्यम से यह कार्यवाही जनता को लुभा सकती है कि सरकार कार्यवाही कर रही है, लेकिन उन प्राथामिकों क्या जिन्हें दर्ज हुए सालों हो गए और नतीजा सिफर। अफसर/कर्मचारी सेवानिवृत होकर पेंशन तक पा लेते है और ये कार्यवाहियां धूल चाटती नजर आती है।

ऐसा ही एक मामला जैसलमेर भ्रष्टाचार निरोधक विभाग द्वारा प्राथमिकी दर्ज करने का है।  इस प्राथमिकी को दर्ज हुए दो साल होने को है लेकिन इस प्राथमिकी में दर्ज अफसर/कर्मचारियों पर रती भर फर्क नहीं पडा है। अलबता तो इसमें नामदर्ज रूपाराम धनदे तत्कालीन अधीक्षण अभियंता को तो सरकार ने पदौन्नति भी दे दी और बा-ईज्जत राज्य सेवा से सेवानिवृत होकर जैसलमेर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ लिया। यह अलग बात है कि वे अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के उम्मीदवार से महज 2700 वोटों से हार गए।

गौरतलब है कि एसीबी जैसलमेर ने प्राथमिकी जांच संख्या 10/07 विरुद्ध रूपाराम अधीक्षण अभियंता (तत्कालीन), पीएचईडी जैसलमेर व अन्य के खिलाफ की गहन जांच पड़ताल करने के उपरांत थाना सीपीएस जयपुर में प्रथम इत्तिला रिपोर्ट संख्या 271/  दिनांक 13.7.2012 से ऍफ़आईआर दर्ज करवाकर, अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान के आदेश मांगे गए। यह प्राथमिकी धारा 13 (1) डी, 13(2) पीसी एक्ट 1988 सपठित धारा 420, 467, 468, 471, एवं 120 बी भादंसं में प्रथम द्रष्टया प्रमाणित पाए जाने पर की गई।

ये है ज्ञात/अज्ञात संदिग्ध अभियुक्तों का ब्यौरा 

रूपाराम धनदे तत्कालीन अधीक्षण अभियन्ता जलदाय विभाग वृत जैसलमेर वक्त FIR मुख्य अभियंता, विशेष परियोजना जलदाय विभाग जयपुर (वर्त्तमान में सेवानिवृत), रविन्द्रपाल सिंह कार्यवाहक अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग वृत जैसलमेर एवं अधीशाषी अभियंता नगरखंड जैसलमेर वक्त FIR अधीशाषी अभियंता जलदाय विभाग नगरखंड हनुमानगढ़ , भंवरलाल जाटोल तत्कालीन अधीशाषी अभियंता जिलाखंड जलदाय  विभाग जैसलमेर, देवकृष्ण पंवार सहायक लेखाधिकारी PHED जैसलमेर, ओमप्रकाश तत्कालीन तकनीकी सहायक कार्यालय अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग जैसलमेर, श्रीवल्लभ ओझा तत्कालीन क्रय लिपिक कार्यालय अधीक्षण अभियंता जलदाय विभाग जैसलमेर, मनोज झामेरिया तत्कालीन क्रय लिपिक के साथ ही तीन फार्मों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज हो रखी है। 

हालांकि इसके बाद की स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है कि, इस प्रकरण में आगे क्या होगा ? क्या अभियोजन की स्वीकृति ली जा सकती है या फिर कोर्ट में चालान पेश किया जा सकता है। लेकिन इस प्रक्रिया में एक अधिकारी राजकीय लाभ लेकर सेवानिवृत हो चुका है और अन्य भी तैयारी में है।  फैसला आने में देर हो जाती है तो फ़ायदा दोषियों को मिलता है।

मजेदार बात यह है कि,  इस मामले में जनस्वास्थ्य अभियांत्रिक विभाग द्वारा भी किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं की गई है और न ही स्थानीय विभाग के अधिकारियों को तो इस प्राथमिकी के बारे में भी जानकारी नहीं है।  सचिवालय स्तर से भी इस प्रकरण में कोई कार्यवाही नहीं की गई है। उपशासन सचिव से इस प्रकरण में की गई कार्यवाही सूचना के अधिकार के तहत माँगी गई तो उलटे दोषी से ही पूछ लिया कि, "अमुक ने सूचना मानी है दी जाए या नहीं स्वीकृति दें।' दोषी की अस्वीकृती की सूचना मिली। 

मामला दर्ज हुआ उस समय कांग्रेस सरकार थी और अंत में इस प्रकरण का दोषी अधिकारी कांग्रेस की टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ गया है।  इसके यह मायने निकल सकते हैं कि कांग्रेस ने भ्रश अधिकारी को न केवल बचाया वरन उसे विद्यायाक के लिए टिकट देकर विधानसभा में भेजने के लिए भ्रष्ट आदमी को टिकट दिया।  अब चूँकि राजस्थान में भाजपा की सरकार है तो इस मामले में अनुसंधान हो दोषियों को सजा मिल सकती है।