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बुधवार, 25 सितंबर 2019

कोटा कसेरा ने किया जिला कलेक्टर पद भार ग्रहण

कोटा कसेरा ने किया जिला कलेक्टर  पद भार ग्रहण 

कोटा आईएएस अधिकारी ओम प्रकाश कसेरा ने आज कोटा कलेक्टर पद का कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने कहा, ज्वॉइन करने के बाद पहली प्राथमिकता बाढ़ पीडि़तों का पुनर्वास करना है और उनकी कैसे आर्थिक मदद हो सकती है, इसकी योजना पर कार्य करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय दशहरा मेले का आयोजन सुनियोजित तरीके से करना है। इसके साथ ही कोटा में रह रहे लाखों विद्यार्थियों को तनावमुक्त माहौल देने का प्रयास करेंगे। आईएएस ओम प्रकाश कसेरा ने बताया कि वे हाड़ौती से परिचित हैंए पहले वे बारां उप जिला कलेक्टर के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री और नगरीय विकास मंत्री ने शहर के लिए जो विजन देखा है, उसे पूरा करने में हर संभव प्रयास करेंगे।

मंगलवार, 29 जनवरी 2019

बीकानेर कलेक्टर गौतम पाल को सलाम।।रात दिन जनहित कार्यो के लिए निकल पड़ते है सड़को पे।।*

बीकानेर कलेक्टर गौतम पाल को सलाम।।रात दिन जनहित कार्यो के लिए निकल पड़ते है सड़को पे।।*

*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक के लिए खास रिपोर्ट*

*प्रशासनिक अधिकारियों की अपनी काम करने की शैली होती है अपना अंदाज़ होता है।।हर अधिकारी अपने क्षेत्र में बेहतरीन करने काप्रयास करते है। इसी कड़ी में बीकानेर कलेक्टर कुमार गौतम पाल ने अपनी अलग पहचान बनाई है।।बीकानेर कलेक्टर लगने के बाद पहले दिन से अपने को सक्रिय रखाहे।।शहर  का निरीक्षण कड़ाके की ठंड के बावजूद प्रातः करने निकल जाते है।।ऐसा कई बार हो गया।।उन्होंने शहर की व्यवस्थाओं को पैदल ही नाप दिया।।एक कलेक्टर द्वारा शहर की व्यवस्थाओं का आकस्मिक निरीक्षण करने से नीचे की प्रशासनिक मशीनरी स्वतः सक्रिय हो जाती है।।कलेक्टर के निरीक्षण के ख़ौफ़ कार्मिकों में बरकरार रहना जरूरी है। कुमार गौतम पाल बखूबी यह कार्य कर रहे है।।गत रात कुमार पाल स्ट्रिंग पे निकले। राज्य सरकार ने हाल ही में शराब के ठेकों पर रात आठ बजे के बाद के बाद कड़ाई से पाबंदी लागू करने के निर्देश दिए।। ठेकों के बारे में सब जानते है कि आठ बजे के बाद ही ठेके ज्यादा सक्रिय होते है।।शटर के नीचे से या पीछे की तरफ छोटी खिड़की निकाल आर्म से शराब अबैध रूप से बेचते है।।आबकारी और पुलिस विभाग जान कर अनजान बनते है ऐसे में सवाल उठता है कि गलत को रोकेंगे कौन। कल रात कुमार पाल देर रात अचानक बीकानेर के ठेकों के स्ट्रिंग पे निकल पड़े।।यह बड़ा रिस्की भी था। कलेक्टर की जिन्दगि महत्वपूर्ण होती है।।बिना सुरक्षा बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं।हर कोई कलेक्टर को नही पहचानता।।अलबत्ता कुमार पाल स्ट्रिंग के तहत पहले ठेके पर गए तो उन्हें पहचान लिया।।मगर दूसरे ठेके पे उन्होंने सौ रुपये देकर शराब का पव्वा खरीद लिया।।इस खरीद ने आबकारी और पुलिस विभाग के दावों की पोल खुल गई।।आखिर जिन विभागों को जिम्मेदारी सरकार ने दे रखी है उसकी पालन आखिर क्यों नही होती।क्यों एक कलेक्टर को अपनी जिन्दगि खतरे में डाल के जनहित में कदम उठाने पड़ते है।।कुमार गौतम पाल के जज्बे और निष्ठा को दिल की गहराईयों से सलाम की वो जनहित के मुद्दों पर जनता के बीच जाकर राहत देने का प्रयास कर रहे है।उनका यह प्रयास अन्य जिला कलेक्टरों को भी प्रेरित करेगा।।सरकार बदलने का अहसास जनता को होना जरूरी है।।जनता की समस्याओं का समाधान मैराथन बैठकों से संभव नही है।।फील्ड में जाने पर ही वास्तविकता से हाकिम रूबरू होंगे।रात्रि को अचानक अस्पताल पहुंचे तो अस्पताल की पोल भी खुली।मीटिंगों में सब ठीक है के दावे करने वाले अधिकारियों की हकीकत सामने आने के बाद सुधार की संभावनाएं बढ़ती है।।*

*एक बार पुनः बीकानेर जिलाकलेक्टर कुमार गौतम पाल को  साधुवाद और सलाम*

शुक्रवार, 17 जनवरी 2014

खुला ख़त सिरोही कलेक्टर के नाम कलेक्टर के स्थानीय भाषा मुद्दे पर बयान कि निंदा


सिरोही कलेक्टर के स्थानीय भाषा मुद्दे पर बयान कि निंदा खुला ख़त सिरोही कलेक्टर के नाम


सिरोही जिला कलेक्टर खुद स्थानीय भाषा सीखने कि बजाय पुरे जिले को हिंदी भाषा बोलने को मजबूर करने वाले हें। उनके द्वारा सर्व शिक्षा अभियान के तहत सम्बलन कार्यक्रम के तहत कुछ विद्यालयो का निरिक्षण किया गया। निरिक्षण के से अपनी भाषा में प्रश्न पूछे तो छात्र समझ नहीं पाये मगर जब छात्रो को स्थानीय भाषा राजस्थानी में उन प्रशनो का अनुवाद करके बताया तो उन्होंने तुरंत प्रश्न हल कर दिए ,जिला कलेक्टर रघुवीर सिंह मीना ने छात्रो द्वारा स्थानीय भाषा में उत्तर देने और हिंदी भाषा समझ में नहीं आने पर खीज उठे। उन्होंने यह बयान दे दिया कि स्थानीय भाषा के कारण छात्रो को पढाई में दिक्कत होगी इसीलिए हिंदी भाषा पर जोर देने के लिए कार्य योजना बनाई जायेगी। तो कलेक्टर साब एक मछली तलब को गन्दा करती हें तो तालाब के पानी को खाली नहीं कराया जता गन्दी मछली को फेंका जाता हें। आपको स्थानीय भाषा राजस्थानी को सीखना चाहिए फिर छात्रो से बात करनी थी आपको राजस्थानी नहीं आती इसका मतलब आप सभी को हिंदी सिखाएंगे यह तो हमारी मायड़ भाषा का अपमान हें। आप खुद पहले राजस्थानी सीखिए क्यूंकि बात सिर्फ छात्रो कि नहीं आपके पास आने वाले स्थानीय फरियादी भी अपनी फ़रियाद स्थानीय भाषा में सुनाएंगे ,किन किन को हिंदी सिखाओगे ,आपको चाहिए था कि आप स्थानीय भाषा राजस्थानी को प्राथमिक शिक्षा से लागू करने कि बात पर जोर देते। स्थानीय भाषा के सम्बलन पर जोर देते ,आपका पड़ौसी गुजरात राज्य में तक स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करते हें ,आपको भी करनी चाहिए ,


राज्य सरकार से आग्रह हें भाषा के नाम पर पार्टी कि छवि धूमिल करने वाले ऐसे अधिकारियो को तुरंत प्रभाव से हटाया जाए ,राजस्थानी भाषा के मुद्दे पर अधिकारियो कि सोच सकारात्मक होना जरुरी हें ,अधिकारी किसी भी नागरिक पर भाषा को थोप नहीं सकते