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गुरुवार, 19 नवंबर 2015

राजस्थान ने गुजरात में गोडावण का बीडिंग सेंटर खोलने का कड़ा विरोध किया


राजस्थान ने गुजरात में गोडावण का बीडिंग सेंटर खोलने का कड़ा विरोध किया

धरती पर तेज से लुप्त हो रहे सेडयूल फस्र्ट के वन्यजीव प्राणी दी ग्रेट इण्डियन बस्ब्र्ड के बीडिंग फस्र्ट के वन्य जीव प्राणी ‘दी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के बीडिंग सेंटर गुजरात में खोले जाने के संबंध में राजस्थान द्वारा किये जा रहे विरोध के बाद अब केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के सभी तथ्यों से अवगत होने के बाद गोडावण को बीडिंग सेंटर गुजरात के बजाय राजस्थान में ही स्थापित करने का मानस बना चुका हैं। इसकी विधिवता घोषणा आगामी चार पांच दिनो में होने की संभावना हैं। गौरतलब हैं कि गत 28 सितंबर को नई दिल्ली में इस संबंध में राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र के वन्य जीव अधिकारियों की बैठक हुई थी, जिसमें राजस्थान ने गुजरात में गोडावण का बीडिंग सेंटर खोलने का कड़ा विरोध किया था, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने भी इस संबंध में केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से बातचीत की थी।

जयपवुर स्थित वन्य विभाग के उच्चाधिकारिक सूत्रों ने बताया कि गुजरात से बदलकर राजस्थान में गोडावण का ब्रीडिंग सेन्टर खोलने का अन्तिम निर्णय शीघ्र होने की संभावना हैं। हमारे पास सारी सुविधाएं हैं गोडावण के प्रजनन का अनुकूल माहौल हैं ऐसे में प्रजनन सेन्टर राजस्थान से बाहर जाने का कोई सवाल ही नहीं हैं।

सूत्रों ने बताया कि राजस्थान के जैसलमेर के डेजर्ट नेशनल पार्क क्षेत्र के अलावा अन्य कई सेटेलाईट क्षेत्रों पिछले दो सालों से गोडावण की सुरक्षित नेचुरल ब्रीडिंग हो रही हैं इस साल भी गोडावण के 4 अण्डे देखे गये जिनमें बच्चे बाहर निकल कर आ रहे हैं इसके अलावा कई नन्हें छोटे गोडावण के बच्चे पहली बार देखे गये जिसमें साफ जाहिर हो रहा हैं कि गोडावण की ब्रीडिंग लगातार जैसलमेर में हो रही हैं।

सूत्रो ने बताया कि पूरी दुनिया में जितनी भी गोडावण की आबादी बची हैं उसमें 70 प्रतिषत जैसलमेर के अलग अलग क्षेत्रों में हैं गोडावण के सुरक्षित ब्रीडिंग हो रही हैं।

सूत्रो ने बताया कि गुजरात में गोडावण का ब्रीडिंग सेन्टर खोलने के पीछे जो तर्क दिया गया था उनमे प्रजनन के लिये अधिक हय्मीडिटी व नमी का होना आवष्यक तथा वन्य प्राणियों के सुरक्षित विचरण करना आदि कुछ अन्य कारण गिनाये गए थे जबकि ये सब सारी स्थितियां जैसलमेर मे ंपहले से ही मौजूद हैं इसके अलावा गोडावण के अंडो को सुरक्षित गुजरात पहुंचाना भी काफी चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।

सूत्रो ने बताया कि इस साल भी गोडावण की ब्रीडिंग सीजन गोडावण के कुनबे में बड़ी संख्या में नये छोटे मेहमान गोडावण के देखे गये हैं रामदेवरा में दो व सुदासरी में तीन गोडावण के अण्डों में से सुरक्षित गोडावण के ब्रीडिंग हुवे। इसको देखते हुवे राजस्थान हर तरह गोडावण के नये ब्रीडिंग सेन्टर के लिये पूरी तैयार व सक्षम है।

सूत्रो ने बताया कि गत 28 सितंबर को नई दिल्ली में वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय में हुई बैठक में राजस्थान के वन्य जीव अधिकारियों द्वारा पूरे तथ्यों के साथ राजस्थान में गोडावण का बीडिंग सेंटर खोलने का पक्ष रखने के बाद इस संबंध में गठित विषेष कमेटी द्वारा गुजरात से बदलकर राजस्थान में गोडावण का बीडिंग सेंटर स्थापित करना लगभग तय कर दिया हैं। इस संबंध में अन्तिम निर्णय की घोषणा आगामी कुछ दिनो में होने की संभावना हैं।

इस महत्वपूर्ण बैठक में इंस्पेक्टर जनरल वाईल्ड बोर्ड खंडूरी साहब डिप्टी इंस्पेक्टर जनरज वाईल्ड बोर्ड एस.पी.वषिष्ट, चीफ वाईल्ड लाईफ वार्डन गुजरात व महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान से सी.सी.एफ गोविन्द सागर भारद्वाज, डेजर्ट नेषनल पार्क के डिप्टी कन्जरवेटर आॅफ वाईल्ड लाईफ अनुप.के.आर सहित अन्य कई अधिकारी मौजूद थे।

सोमवार, 23 जून 2014

राजस्थान में गोडावण खत्म होने के कगार पर

राजस्थान में गोडावण के संरक्षण संबंधी तमाम प्रयासों के बावजूद गत अधिकृत गणना में इनकी संख्या बस 85 ही पाई गई थी।
हाल ही में एक गैर सरकारी संगठन ने चालू साल में इनकी संख्या में खासी गिरावट का दावा किया है। ऎसे में आशंका है कि अगले कुछ वर्षो में सरकार को राज्य पक्षी के दर्जे के लिए गोडावण के बजाए किसी अन्य पक्षी का चयन करना पड़े। वैसे, राज्य सरकार के वन विभाग की वेबसाइट पर जून 2013 में इनकी संख्या न्यूनतम 125 होना दर्शाया गया है।
Do not change the state bird


शिकार पर सात वर्ष की सजा
राष्ट्रीय पशु बाघ व पक्षी मोर के साथ वन्यजीव संरक्षण कानून की प्रथम अनुसूची में शामिल गोडावण के शिकार पर सात वर्ष तक की सजा और पांच लाख रूपए तक के जुर्माने का प्रावधान है।

गोडावणों का गणित
4800 के करीब 1950 में
72 के करीब थे 2009 में
85 हो गए 2013 में
2014 के परिणाम आने अभी बाकी


गोडावण के घर
जैसलमेर, जोधपुर, अजमेर, कोटा और बाड़मेर गोडावण का घर माने जाते हैं।
पाकिस्तान, गुजरात व मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में भी पाए जाते रहे हैं।


विलुप्त होने के कारण
ग्रासलैंड्स पर सिमटने से इनके रहने की जगह खत्म हो गई।
खनन और शिकार भी गोडावणों की संख्या के कम होने का मुख्य कारण है।

साल 2013 में मई की अधिकृत गणना में 80 से 90 के बीच गोडावण थे। 2014 की गणना का परिणाम अभी जारी होना है। ऎसे में इनकी संख्या के बारे में कुछ कह पाना मुश्किल है। अरिन्दम तोमर, मुख्य वन संरक्षक-वन विभाग

राजस्थान में गोडावण की संख्या तीस से अधिक नहीं रह गई है। किसी पक्षी प्रजाति का 100 से कम रह जाना इसके खत्म होने के कगार पर खड़े होने का संकेत है। बाबू लाल जाजू, प्रदेशाध्यक्ष, पीपुल्स फॉर एनिमल्स -