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सोमवार, 23 जून 2014

बाड़मेर नरेंद्र मोदी से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता की मांग ,भेजा ज्ञापन

बाड़मेर नरेंद्र मोदी से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता की मांग ,भेजा ज्ञापन





बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघरश समिति बाड़मेर द्वारा राजस्थानी भाषा को संविधान की आठंवी अनुसूची में शामिल कर मान्यता देने की मांग को लेकर  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ज्ञापन जिला कलेक्टर को जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता द्वारा प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी के नेतृत्व में सौंपा। मोटियार ओरिषद के प्रदेश मंत्री रमेश सिंह इन्दा ,मोटियार परिषद के जिला पाटवी हिन्दू सिंह तामलोर ,संघठन मंत्री बाबू भाई शेख ,किशोर सिंह ,अब्दुल रहमान जायडू ,चुतर सिंह ,मुराद खान सहित कई कार्यकर्ता पदाधिकारी उपस्थित थे ,प्रदेश उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ने बताया की 25 अगस्त को राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु राजस्थान विधानसभा में लिए गए सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव को 11वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। 25 अगस्त 2003 के संकल्प के तुरंत बाद राज्य सरकार ने केन्द्र को पत्र लिखा था। 17 दिसंबर 2006 को लोकसभा में तत्कालीन गृहराज्य मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने घोषणा की थी कि ‘राजस्थानी एवं भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने हेतु केन्द्र सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है और बजट सत्र 2007 में इस हेतु विधेयक आ जाएगा। इसके लिए सरकार कृत संकल्प है।’ श्री जायसवाल ने उन दिनों यह बयान 5-7 बार अलग-अलग जगहों पर दोहराया भी था।

उन्होंने बताया की आपत्तियां एवं उनका निराकरण: तत्पश्चात गृह मंत्रालय ने कहा कि रिजर्व बैंक के गर्वनर का पत्र आया है कि नोट पर लिखने के लिए जगह नहीं है। UPSC के अध्यक्ष ने अपने पत्र में कहा कि आयोग की परीक्षाओं में इससे कार्यभार बढ़ जाएगा। मान्यवर, नौकरशाही द्वारा पैदा की गई यह तकनीकी समस्या मान्यता में बाधा व देरी का कारण बनी। जबकि सर्वविदित है कि नोट पर 15 भाषाएं लिखी हैं एवं 8 वीं अनुसूची में 22 भाषाएं हैं। इसलिए रिजर्व बैंक की आपत्ति अर्थहीन साबित हो गई है। वर्तमान में 2013 के शुरू में केन्द्र सरकार में एक कमेटी बनी जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा कनि आठवीं अनुसूची में जोड़ने हेतु UPSC का अनापत्ति प्रमाण पत्र आवश्यक नहीं है। इससे पूर्व डॉ. मनमोहन सिंह सरकार के प्रथम कार्यकाल में 8 वीं अनुसूची में भाषा में भाषाओं को जोड़ने हेतु श्री सीताकान्त महापात्र समिति बनी जिसने राजस्थानी को समृद्ध व सशक्त भाषा माना परन्तु 2035 तक किसी भी भाषा को 8 वीं अनुसूची में नहीं जोड़ने की सिफारिश की। सरकार ने इस समिति की सिफारिश को अस्वीकार कर दिया। रिजर्व बैंक व UPSC की दोनों तकनीकी समस्याओं से भी निजात मिल गई है। अब राजस्थानी भाषा को 8 वीं अनुसूची में जोड़ने में कोई सरकारी तकनीकी समस्या नहीं रह गई है।

जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता के अनुसार मान्यता से होने वाले प्रमुख लाभ: मान्यवर, आप जानते ही हैं कि डोगरी, मैथिली, संथाली सहित देश की 22 भाषाओं के माध्यम से IAS बनने की सुविधा है, जब कि देश की अत्यंत समृद्ध और बड़े समुदाय की भाषा राजस्थानी में यह सुविधा नहीं प्रदान की जाती। संवैधानिक मान्यता होने से IAS की मुख्य परीक्षा में 2000 में से 600 अंक का राजस्थानी भाषा-साहित्य का प्रश्न पत्र एवं राजस्थानी माध्यम की सुविधा देश के अन्य प्रांतों के युवाओं के समान राजस्थानी युवा को भी मिल सकेगी। केन्द्र की अन्य समस्त नौकरियों की भर्ती परीक्षाओं में अन्य राज्यों के युवाओं के समान राजस्थानी युवाओं को अपनी भाषा की सुविधा मिल सकेगी। RAS सहित प्रदेश की अन्य नौकरियों में राजस्थानी को तवज्जो मिलने से राजस्थान में राजस्थान मूल के प्रतिभागी ही अधिक सफल हो सकेंगे। उर्दू, सिंधी, गुजराती, पंजाबी की भांति राजस्थान के बालक तृतीय भाषा राजस्थानी भी पढ़ सकेंगे। मातृभाषा के माध्यम से शिक्षण का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने बताया की हमारा निवेदन: राजस्थानी भाषा को 8 वीं अनुसूची में जोड़ने की मांग अब सम्पूर्ण राजस्थानियों द्वारा प्रदेश व प्रवास से जोर-शोर से उठाई जा रही है। इस मांग के सर्थन में राजस्थाने सभी 25 सांसद भी एकमत हैं । जनगणना 2011 में भी राजस्थान के 4 करोड़ 83 लाख लोगों ने अपनी मातृभाषा राजस्थानी दर्ज करवाई है। प्रवासी राजस्थानियों की संख्या भी कम नहीं है। वहीं ‘घूमर’ लोकनृत्य को दुनिया के टोप टैन नृत्यों में चौथा स्थान मिलना, कालबेलिया नृत्य को UNO द्वारा विश्व विरासत घोषित किया जाना, अमेरिका की लायब्रेरी ऑफ कांग्रेस द्वारा राजस्थानी को दुनिया की तेरह समृद्धतम भाषाओं में शुमार किया जाना, अमेरिका की शिकागो, रूस की मास्को, लंदन की कैंब्रिज सहित दुनिया की श्रेष्ठ यूनिवर्सिटियों में राजस्थानी का अध्ययन-अध्यापन, अमेरिका सरकार की नौकरियों के लिए राजस्थानी को मान्यता दिए जाने सहित कई ऐसे प्रमाण हैं जो राजस्थानी को समृद्ध और बड़े समुदाय की भाषा ठहराते हैं। चूंकि राज्य सरकार राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के लिए प्रतिबद्ध है। अतः निवेदन है कि राजस्थानी भाषा की मान्यता हेतु आप एवं गृहमंत्री श्री राजनाथसिंह जी निर्णय ले कर राजस्थानी भाषा को शीघ्र ही मान्यता दिलवाएं। ऐसा होने से राजस्थान ही नहीं पूरे देश के प्रांतों से राजस्थानी समाज में हर्ष होगा एवं इस काम में अग्रणी नेताओं के साथ-साथ आपकी लोकप्रियता बढ़ेगी। अन्य दलों से ताल्लुक रखने वाले राजस्थानी भाषा प्रेमियों का स्वाभाविक झुकाव आपकी ओर होगा। इस काम का यश आपको पूरे देश से मिलेगा। अतः संसद के आगामी सत्र में राजस्थानी भाषा को संविधान की 8 वीं अनुसूची में जुड़वाने का पुनीत एवं ऐतिहासिक काम आप करवाएं और आप ही ऐसा करने में सक्षम भी हैं । आपसे ऐसी ही अपेक्षा भी है। इतिहास में इस काम के लिए आप सदा याद किए जा राजस्थानी समाज द्वारा चिरकाल तक सराहना के भागीदार होंगे।