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बुधवार, 22 अप्रैल 2020

जैसलमेर , पदश्री नामित अनवर खान बहिया लोक गीतों के माध्यम से कोरोना वायरस,संक्रमण के प्रति कर रहे जागरूक*

जैसलमेर ,  पदश्री नामित अनवर खान बहिया  लोक गीतों के माध्यम से कोरोना वायरस,संक्रमण के प्रति कर रहे जागरूक*

*जैसलमेर अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और पद्मश्री से नमित लोक गायक
अनवर खान बहिया ने आम जन को कोरोना संक्रमण के प्रति जागरूक करने के लिए
उद्देश्य से लोक गीत तैयार किये जिनकी थीम कोरोना से सुरक्षा है।।लोक गीत
संगीत के बेताज बादशाह अनवर खान ने अपने कलाकार कॉलोनी स्थित आवास में
लॉक डाउन के दौरान कोरोना संक्रमण जागरूकता के तीन लोक गीत लिखे फिर उसे
अपनी सुरीली आवाज में आमजन के लिए घर पर ही रिकॉर्ड कर तैयार किये।।अनवर
खान के गाये कोरोना जागरूकता लोक गीत वायरल हो गए।गांव गांव में लोक
गीतों के शौकीन बड़े चाव से सुन रहे है।।अनवर खान ने बताया कि देश वैश्विक
महामारी  कोरोना वायरस से बचाव के लिए जंग लड़ रहा है।।हर व्यक्ति अपना
योगदान दे रहा है।।हमारे पास लोक कला और संस्कृति की विरासत धरोहर के रूप
में है।।कोरोना के प्रति  आमजन को जागरूक करने के उद्देश्य से तीन लोक
गीत तैयार किये ताकि लोग इसे सुने और जागरूक हो दुसरो को भी जागरूक
करे।।उन्होंने अपने तीनो जागरूकता लोक गीत देश को समर्पित किये।।अनवर खान
लोक गायिकी के जादूगर माने जाते है।भारत सरकार द्वारा इस साल उन्हें
पद्मश्री अवार्ड के लिए नॉमित किया है।।*

रविवार, 26 जनवरी 2020

जैसलमेर*पद्मश्री से नवाजे जाएंगे थार थळी के लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया*

जैसलमेर*पद्मश्री से नवाजे जाएंगे थार थळी के लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया*

जैसलमेर थार के लोक गीत संगीत को देश विदेशों में नए आयाम देने वाले उस्ताद अनवर खान बहिया को भारत सरकार का प्रतिष्टित पद्मश्री अवार्ड देने की घोषणा से थारी जिलो में खुशी की लहर छा गई।।*

*कौन है उस्ताद अनवर खान बहिया*

जब अनवर खान लोक गीत गाते हेैं,तो प्रकृति में शहद घुल जाता हैं।अनवर की गायकी में जादु हैं।थार के लोक गीत संगीत को अन्तराश्टृीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान बहिया की गायकी का अहम योगदान हैं।जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खान के घर जन्में अनवर के दादा भी लोक गायक थे।लोक गीत संगीत अनवर खान को परम्परा में मिला।ंअनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना दिया।अनवर लोक गीत संगीत के साधक हैं।चान्दण मुल्तान,सदीक खान जैसे उस्ताद लोक गायकों के शार्गिद अनवर खान ने इनसे लोक गीत सेगीत की बारीकियॉ सीखी।सम्पूर्ण भारत के साथ साथ लगभग 55 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं,साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं।लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सुफी गायक हैं।जब अनवर सुफी ौली में लोक गीत गाते हैं,तो श्रोता मदमस्त हो कर झूम उठते हैंअनवर का अपना दल हैं जिसके माध्यम से देशविदेशों में लोक गीतसेगीत के कार्यक्रम करते हैं।अनवर खान का भाईबाबु खान और भतीज रईस खान भी बेहद अच्छे गायक हैं।बाबु खान लोक वाद्य कमायचा तथा रईस खान सारंगी बजाते हैं।शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती हैं यह अनवर का मानना हैं।अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते।अनवर का मानना हैं किराग गीतो में होता हैं।लोक गीत प्रकृति की देन हैं,हम प्रकृति अका भरपूर आनन्द उठाते हैं।फिल्मी दुनिया में जाने के अनवर खिलाफ हैंअनवर का कहना हैं कि हम फिल्मों में चले गए तो लोक गीत संगीत की इस परम्परा को जिन्दा कौन रखेगा।अनवर को लोक गायक होने का गर्व हैं।मारवाड़ी,राजस्थानी,हिन्दी,उर्दु,पंजाबी,सिन्धी भाशाओं में गाने वाले अनवर खान लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयों पर पहुॅचाना चाहते हैं।अनवर खान की गायिकी का लौहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं।जगजीत सिेंह की  एलबम पधारों महारे देश में मुख्य गीत का मुखडा अनवर खान बहिया ने गाया हैं।अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल हैं।रेगिस्तान कें इस लाल को पद्मश्री मिलने पर बधाई।। सलाम।।थार की लोक संस्कृति को परवान चढ़ाने पर गर्व हैं।।

शनिवार, 30 अप्रैल 2011

लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया







लोक संगीत का बादशाह अनवर खान बहिया


जब अनवर खान लोक गीत गाते हेैं,तो प्रकृति में शहद घुल जाता हैं।अनवर की गायकी में जादु हैं।थार के लोक गीत संगीत को अन्तराश्टृीय स्तर पर ले जाने में अनवर खान बहिया की गायकी का अहम योगदान हैं।जैसलमेर जिले के छोटे से गांव बहिया में लोक गायक रोजड़ खान के घर जन्में अनवर के दादा भी लोक गायक थे।लोक गीत संगीत अनवर खान को परम्परा में मिला।ंअनवर खान ने बाड़मेर को अपना ठिकाना बना दिया।अनवर लोक गीत संगीत के साधक हैं।चान्दण मुल्तान,सदीक खान जैसे उस्ताद लोक गायकों के शार्गिद अनवर खान ने इनसे लोक गीत सेगीत की बारीकियॉ सीखी।सम्पूर्ण भारत के साथ साथ लगभग 45 देशों में अपनी गायकी का परचम लहरा चुके अनवर खान ने विख्यात संगीतकार ए.आर.रहमान की फिल्मों में भी गा चुके हैं,साथ ही कई हिन्दी फिल्मों में अपनी लोक गायकी का जलवा बिखेर चुके हैं।लोक गायकी के अलावा अनवर खान बेहतरीन सुफी गायक हैं।जब अनवर सुफी ौली में लोक गीत गाते हैं,तो श्रोता मदमस्त हो कर झूम उठते हैंअनवर का अपना दल हैं जिसके माध्यम से देशविदेशों में लोक गीतसेगीत के कार्यक्रम करते हैं।अनवर खान का भाईबाबु खान और भतीज रईस खान भी बेहद अच्छे गायक हैं।बाबु खान लोक वाद्य कमायचा तथा रईस खान सारंगी बजाते हैं।शास्त्रीय संगीत की आत्मा लोक गीतों में बसती हैं यह अनवर का मानना हैं।अनवर रागों में विश्वास नहीं रखते।अनवर का मानना हैं किराग गीतो में होता हैं।लोक गीत प्रकृति की देन हैं,हम प्रकृति अका भरपूर आनन्द उठाते हैं।फिल्मी दुनिया में जाने के अनवर खिलाफ हैंअनवर का कहना हैं कि हम फिल्मों में चले गए तो लोक गीत संगीत की इस परम्परा को जिन्दा कौन रखेगा।अनवर को लोक गायक होने का गर्व हैं।मारवाड़ी,राजस्थानी,हिन्दी,उर्दु,पंजाबी,सिन्धी भाशाओं में गाने वाले अनवर खान लोक गीत संगीत को नई उॅचाईयों पर पहुॅचाना चाहते हैं।अनवर खान की गायिकी का लौहा गजल गायक जगजीत सिंह भी मानते हैं।जगजीत सिेंह की नई एलबम पधारों महारे देश में मुख्य गीत का मुखउा अनवर खान बहिया ने गाया हैं।अनवर राजस्थानी तथा सूफी गायिकी की मिसाल हैं।रेगिस्तान कें इस लाल को सलाम।