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शनिवार, 1 सितंबर 2012

पत्थर लग गया पानी अभी नहीं

पत्थर लग गया पानी अभी नहीं

बाड़मेर । बाड़मेर लिफ्ट केनाल का पानी फिलहाल 691 गांवों को नहीं मिलेगा। पूरे बाड़मेर शहर में भी वितरण व्यवस्था में दिसंबर तक का समय लग जाएगा। बाड़मेर लिफ्ट का पानी अभी बाड़मेर पहुंचा भर है।

कांगे्रस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी ने गुरूवार को बाड़मेर लिफ्ट केनाल का उद्घाटन किया तो शुक्रवार से ही लोगों को मीठा पानी मिलने की उम्मीद जग गई,लेकिन ऎसा है नहीं। दरअसल बाड़मेर लिफ्ट केनाल योजना बाड़मेर शहर, उत्तरलाई वायुसेना व जसाई, जालिपा में सेना के साथ 691 गांवोें की योजना है। इसमें से अब तक 688 करोड़ रूपए खर्च हुए है। जिससे बाड़मेर में पानी पहुंचा है।

बाड़मेर में पानी पहुंचने के बाद आरयूआईडीपी को शहर में वितरण की व्यवस्था यानि पाइप लाइनें, टैंक व अन्य इंतजाम करने है। यह कार्य दिसंबर तक पूरा होगा। तब सुव्यवस्थित वितरण व्यवस्था होगी। रही बात 691 गांवों की तो इन गांवों में से 172 गांवों के लिए कार्यादेश हुए है,यानि कार्य प्रारंभ होना है। कार्यादेश के बाद दो साल लगेंगे। इसके अलावा 67 गांवों के लिए निविदा प्रक्रिया में है। मतलब दो साल और देरी। शेष्ा गांवों के लिए कोई इंतजाम फिलहाल है ही नहीं। लिहाजा यह तय है कि कम से कम आने वाले दो साल तक बाड़मेर के गांवों में पानी की समस्या जस की तस रहेगी। उम्मीद थी कि शेष गांवों के लिए भी तत्काल कार्यवाही के लिए घोषणा हो जाएगी लेकिन ऎसा नहीं हुआ है।

जोड़-बाकी में उलझे लोग
कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी गुरूवार को दौरा करके लौट गई, लेकिन शुक्रवार को इस बात का किसी के पास जवाब नहीं है कि मिला क्या?

बारिश के मौसम में आई कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से खुशियों की बरसात की उम्मीद बांधे लोगों की दूसरे दिन भी प्रतिक्रिया बंद नहीं हुई। जिले के हर गली चौपाल,थड़ी दुकान पर यही चर्चा रही। आज तक की ऎतिहासिक सभा पर करोड़ों रूपए के खर्चे का आंकलन लोग लगा रहे हैं।

सरकारी मशीनरी, वाहन, टीए डीए, तामझाम और सबकुछ मिलाकर करोड़ों रूपए का खर्चा हो गया। कांगे्रेस कार्यकर्ता और सरकारी मशीनरी तो उत्सव के रूप में इस कार्यक्रम में जुट गए और उनकी मेहनत का रंग सामने था। लोगों को बड़ी उम्मीद रिफायनरी और इसके अलावा अन्य घोषणाओं की थी, लेकिन ऎसा कुछ भी नहीं हुआ। बसें भरकर आए ये लोग वापिस गांव पहुंचे तो इनके पास जवाब नहीं था कि मिलने वालों को क्या कहें कि उन्हें क्या मिला? यही स्थिति कांग्रेस के कार्यकर्ताओं की भी रही। इसके अलावा आम आदमी भी खुद को ठगा महसूस कर रहा था।

बुधवार, 29 अगस्त 2012

सोनिया ने दिए समय पूर्व चुनाव के संकेत



नई दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को अपने नेतृत्व की जबर्दस्त बानगी पेश करके जहां विपक्ष को हैरत में डाल दिया, वहीं पार्टी कार्यकर्ताओंं में नई जान फूंक दी।
जहां पार्टी की संसदीय दल की बैठक में सोनिया ने बीजेपी पर अपने आक्रामक तेवर दिखाए, वहीं लोकसभा में सहयोगी दल एसपी के नेता मुलायम सिंह की बेंच पर जाकर उनसे गुफ्तगू करके बीजेपी के खिलाफ नए समीकरण बनाने के संकेत दिए।
समय पूर्व चुनाव : सोनिया ने अगले लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी को तैयार रहने की ताकीद करते हुए संकेत दिए कि चुनाव समय पूर्व भी हो सकते हैं।
राहुल नहीं, सोनिया : यूपीए-2 की सरकार बनने के साथ ही कांग्रेस की मुसीबतें भी बढ़ने लगी थीं। कई मंत्रियों पर आरोप लगने के बाद जब बीजेपी ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी इस्तीफा मांगना शुरू कर दिया तो ऐसे में सोनिया ने ही मोर्चा संभाला। कांग्रेस में बहुत सारे लोगों को लगता था कि ऐसे मुश्किल वक्त में राहुल गांधी को अपनी नेतृत्व क्षमता दिखाने की जरूरत है, मगर उनके बदले सोनिया ने कमान संभाल कर दिखा दिया कि अभी पार्टी को उनकी बहुत जरूरत है।
मंगलवार को संसद में सोनिया के तीखे तेवरों के बाद उनकी पुरानी निकट सहयोगी रहीं अंबिका सोनी ने बीजेपी पर हमला बोला। इससे पहले सोनिया, आडवाणी को सदन में अपने शब्द वापस लेने पर मजबूर कर चुकी हैं।
मुलायम से गुफ्तगू : सुबह सदन शुरू होने से पहले सोनिया अचानक मुलायम सिंह की सीट पर जा पहुंचीं। 'नमस्ते' करके सोनिया ने उनसे कुछ देर बातें कीं। फिर 'शुक्रिया' कहके वापस अपने स्थान पर आ गईं। बाद में जब संवाददाताओं ने मुलायम से इस बारे में पूछा तो वह जवाब देने से बचते रहे। नया विवाद : लेकिन उनकी पार्टी के प्रवक्ता मोहन सिंह ने यह कहकर एक नया विवाद छेड़ दिया कि कांग्रेसी ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को हटाने की कोशिशें कर रहे हैं। कांग्रेसी मनमोहन सिंह के बचाव में आगे नहीं आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की तरफ से इस बयान को कल्पना की उपज बताया गया।