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शनिवार, 17 अगस्त 2013

मरणोपरांत सम्मानित होंगे रम्मत के लोक कलाकार खेत सिंह जंगा


बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक की पहल रंग लाई


मरणोपरांत सम्मानित होंगे रम्मत के लोक कलाकार खेत सिंह जंगा 

खेत सिंह के बिना अधूरी है रम्मत


जैसलमेर.जैसलमेर की प्रसिद्ध लोक नाट्य रम्मत के मंझे लोक कलाकार खेत सिंह जंगा को मरणोपरांत जैसलमेर स्थापना दिवस पर यु आई टी सम्मानित करेगी। पहली बार खेत सिंह जंगा को लेकर बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक ने उनकी जीवनी के साथ मुहीम। एक होनहार कलाकार को वो सम्मान नहीं मिला जिसके हकदार थे। बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक सहित देश की कई पत्र पत्रिकाओ में खेत सिंह जंगा की जीवनी प्रकाशित हुई थी। 

जैसलमेर स्थापना दिवस पर खेत सिंह जंगा को मरणोपरांत सम्मान दिया जा रहा हें। यह सम्मान उनके पुत्र रमण जंगा ग्रहण करेंगे 

जीवन परिचय खेत सिंह जंगा 

राजस्थान के सीमावर्ती जैसलमेर में होली के समय आयोजित नाट्यशैली का कार्यक्रम "रम्मत" लोकप्रिय कलाकार खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी लगने लगी है. ऐतिहासिक एवं पौराणिक अख्यानों पर रचित काव्य रचनाओं कामंचीय अभिनय "रम्मत" की शुरुआत बीकानेर क्षेत्र में करीब 100 साल पहले होली एवं सावन आदि के अवसर पर होने वाली लोक काव्य प्रतियोगिताओं से हुई थी. आरंभ में रम्मत को पाठशालाओं में खेला जाता था. बीकानेर में रम्मत होलाष्टक के प्रारंभ से चतुर्दशी या पूर्णिमा तक खेली जाती है. जैसलमेर के अलावा रम्मतें बीकानेर, पोकरण, फलौदी और आसपास के क्षेत्रों में खेली जाती है. लोक कवियों ने राजस्थान के विख्यात ऐतिहासिक एवं धार्मिक लोक नायकों एवं महापुरुषों पर काव्य रचनाएं की जिससे रम्मत और ख्यात के कलाकार सिर्फ मनोरंजनकर्ता ही नहीं थे अपितु समाज में हो रही क्रांति के प्रति पूरी तरह से जागरुक भी थे. रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा जैसलमेर के प्रसिद्व कलाकार थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई बार यादगार अभिनय किया. जैसलमेर में हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा के यहां जन्मे खेत सिंह जंगा को बचपन से ही रम्मत देखने का शौक था. रम्मत के बढ़ते आकर्षण ने उन्हें एक बेहतरीन कलाकार बना दिया. उनकी फाग गायकी को तो जैसलमेर के राजदरबार ने भी मान्यता दे रखी थी. इसके बावजूद उनको वह सम्मान नहीं मिला जिसके वह हकदार थे. -

मंगलवार, 21 अगस्त 2012

रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा


रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा


स्वर्णनगरी -- जैसलमेर की रम्मत कला,के ख्यातिनाम कलाकार खेत सिंह जंगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हें ,। जैसलमेर के इतिहास में अपना एक उल्लेखनीय स्थान रखते हैं। रम्मत कला के भी वह धुरंधर थे। जैसलमेर में समय समय पर आयोजित रम्मतो के आयोजन खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी मानी जाती थी ,उन्हें रम्मत से ख़ास लगाव रहा .अपने जीवनकाल पर्यंत रम्मत के आयोजन से लेकर पात्र निभाने तक सक्रीय रहे .बेहतरीन लोक कलाकार होने के बावजूद उन्हें वो मान सम्मान नहीं मिला जिनके वो हकदार थे ,जैसलमेर कृष्ण कंपनी द्वारा रम्मतों का आयोजन किया जाता रहा हें । जिसमे खेत सिंह जंगा द्वारा यादगार अभिनय किया गया .जैसलमेर का गोपा चौक उनके अभिनय क्षमता का गवाह बना कई बार .अभी भी जैसलमेर में जब भी रम्मत का आयोजन होता हें खेत सिंह जंगा की तस्वीर साक्षी होती हें ,रम्मत कलाकार के रो में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वो हर एक को नसीब नहीं होती ,किले उपर कोटड़ी पाड़ा निवासी खेत सिंह जंगा हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा के यहाँ जन्मे थे ,शिक्षा दीक्षा के अभाव में स्व रोजगारसे घर परिवार चलते थे.उन्हें बचपन से राम्माते देखने का शौक था ,उनके इसी शौक ने उन्हें राम्मतो में अभिनय के लिए आकर्षित किया .छोटे छोटे किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ी ,ब्वाद में तो उनके किरदार के बिना रम्मत के मंचन की कल्पना भी जैसलमेरवासी नहीं कर सकते ,खेत सिंह जैसलमेर में जोरशोर से माने जाने वाले होली पर्व की पहली जरुरत थे ,उनकी फाग गायकी का कोई सानी नहीं था ,जब वो फाग गाने में तल्लीन होते तब जैसलमेर के वासिंदो का हुजूम उमड़ पड़ता .उनकी फाग गायकी को जैसलमेर राज दरबार ने ख़ास मान्यता दे रखी थी.होली के दिन जंगा अपनी फाग टोली दरबार के यंहा जरुर ले जाते ,दरबार के यंहा उनकी खास आवभगत होती ,फाग गायिकी का दौर खेत सिंह जंगा के साथ ख़त्म हो गया .