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शुक्रवार, 29 मार्च 2013
ईसर-गवर की स्थापना, गणगौर पूजन शुरू
ईसर-गवर की स्थापना, गणगौर पूजन शुरू
जैसलमेर कुंवारियों और नवविवाहिताओं की 15 दिवसीय गणगौर का पूजन पारंपरिक रूप से प्रारंभ हुआ। होलिका दहन के अवसर पर महिलाओं द्वारा भाइयों के सिर पर घोली गई मालाओं को होलिका के साथ जलाया गया था और उस राख से धुलंडी की सुबह ईसर एवं गणगौर की मूर्तियों की स्थापना करते हुए विधि विधान के साथ गणगौर पूजन प्रारंभ किया गया।
बुधवार की सुबह गीत गाती सजी-धजी बालिकाओं और नवविवाहिताओं को बाग-बगीचों से पुष्प बीन कर लाते देखा गया। मंडलियों के रूप में पूजा का आयोजन करते हुए चयनित स्थान पर शुद्ध रेत में जवारे बोए गए। प्रतिदिन सुबह-शाम इनकी पूजा की जाएगी और गणगौर पूजन करने वाली बालिकाओं व महिलाओं द्वारा गणगौर के गीत गाए जाएंगे।
धुलंडी के दिन गणगौर पूजा के लिए तैयार हुई बालिकाओं तथा नवविवाहिताओं की भारी चहल-पहल देखी गई। परंपरा है कि इस प्रकार गणगौर पूजन के लिए तैयार हुई बालिकाओं को आदर की दृष्टि से देखा जाता है और इन पर रंग गुलाल इत्यादि नहीं छिड़का जाता है। 15 दिन तक यह आयोजन निरंतर चलता रहेगा। इस दौरान गणगौर पूजक मंडलियों द्वारा विविध पारंपरिक आयोजन किए जाएंगे और घुड़ला निकाल कर रात्रि जागरण किए जाएंगे। आखिर में गणगौर के दिन पवित्र तालाब व कुंड आदि में ईसर पार्वती और गवर के खोल का विसर्जन किया जाएगा।
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