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गुरुवार, 11 जून 2020

जैसलमेर रामगढ़ बैंक में पौने छह करोड़ के गबन के मामले में जाँच में दोषी ,बैंक प्रशासन की मिली भगत से कार्यवाही नहीं


जैसलमेर रामगढ़ बैंक में पौने छह करोड़ के गबन के मामले में जाँच में दोषी ,बैंक प्रशासन की मिली भगत से कार्यवाही नहीं

जैसलमेर जैसलमेर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में गत वर्ष हुए पौने छह करोड़ के गबन के मामले में धारा 55 के तहत हुई जाँच रिपोर्ट में कार्मिको के दोषी पाए जाने के बावजूद बैंक प्रशासन की मिलीभगत के चलते कोई कार्यवाही नहीं हो पा रही है.

जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में वर्षों पुराने 5.52 करोड़ रुपए की वित्तीय अनियमितताओं से जुड़े मामले में रजिस्ट्रार , सहकारी समितियां जोधपुर द्वारा इस मामले की जाँच सचिव भूमि विकास बैंक जैसलमेर को दी गयी थी ,सचिव भूमि विकास द्वारा पुरे प्रकरण की जांच धरा 55 में कर रिपोर्ट रजिस्टर ,सहकर समितियां जोधपुर को सुपुर्द की ,अतिरिक्त रजिस्टर धन सिंह देवल द्वारा इसी साल आठ जनवरी को जारी जाँच रिपोर्ट में जबकि धारा 55 की में रामगढ़ बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक अमृतलाल , जगदीश देवड़ा ,अश्विनी छंगाणी ,के साथ साथ वर्तमान उप रजिस्टर सहकर समितियां जैसलमेर सुजानाराम भी दोषी पाए गए ,बैंक प्रशासन द्वारा जानबूझकर इन दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा रही ,मजेदार तथ्य हे की इस गबन प्रकरण के जांच में दोषी पाए गए उप रजिस्टर सहकर समितियां जैसलमेर सुजानाराम को जैसलमेर सेन्ट्रल कॉपरेटिव बैंक के मुख्य प्रबंधक का अतिरिक्त चार्ज दे रखा था। अतिरिक्त रजिस्टर ने तीन माह में दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के आदेश दिए थे ,मगर आरोपी सुजानाराम खुद मुख्य प्रबंधक थे इस उन्होंने अतिरिक्त रजिस्टर द्वारा जारी जांच रिपोर्ट को संस्थापन मारकर कर ठंडे बस्ते में डाल दी ,अन्य दोषी अश्विनी छंगाणी को जिला मुख्यालय मुख्य ब्रांच में प्रबंधक का पद दे रखा था ,पुरे प्रकरण में सात कार्मिक दोषी पाए गए थे ,मगर जांच के 14 महीने बीत जाने के बाद भी बैंक प्रशासन ने कोई कार्यवाही नहीं की ,

अप्रेल 2019 में रजिस्ट्रार और जनवरी 20 में अतिरिक्त रजिस्टर ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए 2 बैंक कार्मिकों को निलम्बित करने और 5अन्य के खिलाफ कठोरतम अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे । इस संबंध में सहकारिता रजिस्ट्रार ने गत 11 अप्रेल तारीख को आदेश जारी किया। यह मामला जैसलमेर सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की रामगढ़ शाखा में वर्ष 2009-10 से 2014-15 के दौरान हुई वित्तीय अनियमितताओं से जुड़ा है। अल्पकालीन ऋण वितरण सहित विभिन्न ऋण योजनाओं एवं सावधि जमा खातों में हेरफेर कर करोड़ों रुपयों का गबन कर दिया गया। बैंक की प्रारंभिक जांच में गबन घोटाले की पुष्टि होने के बाद एक के बाद एक, कई बार प्रकरण की जांच हुई,


गुरुवार, 26 सितंबर 2019

जैसलमेर अमरसागर पंचायत में विधायक कोष से पांच लाख का गबन*

जैसलमेर अमरसागर पंचायत में विधायक कोष से पांच लाख का गबन*
भ्रष्टाचार
*बाडमेर न्यूज़ ट्रैक*

*जैसलमेर जिले की अमर सागर ग्राम पंचायत में विधायक कोष से जारी पांच लाख रुपये के गबन का मामला सामने आया हैं।।सूत्रानुसार तत्कालीन विधायक छोटू सिंह भाटी द्वारा भाटिया समाज को निर्माण कार्य के लिए पांच लाख रुपये विधायक कोष से जारी किए थे।।जिसकी कार्यकारी एजेंसी ग्राम पंचायत अमरसागर थी।।भाटिया समाज ने उक्त राशि का उपयोग निर्माण कार्य मे करने से मना कर दिया था।।दो रोज पूर्व अमर सागर ग्राम पंचायत के प्रतिनिधि भाटिया बगीची पहुंचे ।तथा समाज के लोगो से आग्रह किया कि भवन पर विधायक कोष निर्माण का उद्घाटन पत्थर लगाकर फोटो खींचने दे।मगर समाज के लोगो ने ऐसा करने से मना कर दिया।।इधर इस फर्जीवाड़े की जानकारी समाज को मिली तो समाज के लोगो ने जिला परिषद में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन लगा सच्चाई जाननी चाही।।जिला परिषद द्वारा आर टी आई कि सूचना तैयार कर दी। सूत्रों के अनुसार पंचायत समिति जेसलमेर के तत्कालीन सहायक अभियंता और ग्राम पंचायत के कार्मिकों ने एम बी भर बिल बनाकर उक्त पांच लाख को राशि उठा ली। मामले में हुए भरष्टाचार से समाज भी सकते में हेकि आखिर समाज ने निर्माण कार्य करवाया नही तो 5 लाख की राशि कैसे उठ गई।इस मामले की जानकारी के लिए ग्राम सेवक अमर सागर को कई मर्तबा बाडमेर न्यूज़ ट्रैक द्वारा कॉल किया गया।मगर फोन बंद आया।*

शुक्रवार, 20 दिसंबर 2013

आयकर रिफंड वाउचर से उठा लिए 11 लाख रुपए मां, भाई और दोस्तों के खातों में जमा

आयकर रिफंड वाउचर से उठा लिए 11 लाख रुपए मां, भाई और दोस्तों के खातों में जमा 



जैसलमेर लोगों की आय पर निगरानी रखने वाले कार्यालय में ही फर्जी तरीके से 11 लाख रुपए उठाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है।

इसे अंजाम देने वाला और कोई नहीं कार्यालय में ही ठेके पर लगा कंप्यूटरकर्मी निकला। आयकर विभाग के अधिकारियों को जैसे ही इसका पता लगा उन्होंने मामले की पड़ताल कर संविदाकर्मी के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज करवा दिया और पुलिस ने संविदाकर्मी नटवर खत्री को हिरासत में भी ले लिया।




संविदाकर्मी नटवर खत्री आयकर विभाग में पिछले चार साल से काम कर रहा है। इस दौरान पूर्व में अग्रिम कर जमा करवाने वालों को वाउचर से भुगतान किया जाता था और पिछले एक डेढ़ साल से यह सिस्टम ऑनलाइन हो गया और वाउचर से भुगतान होना बंद हो गया। संविदाकर्मी को भी इसकी जानकारी थी। उसने आयकर अधिकारी की अलमारी में रखे वाउचर चुरा लिए और धीरे-धीरे एक- एक वाउचर बैंक में जमा करवाकर फर्जी तरीके से भुगतान उठाता गया। करीब 48 वाउचर उसने जमा करवाए और 11 लाख रुपए उठा लिए।

यह है मामला

संविदा पर लगे कर्मचारी ने फर्जी तरीके से किया गबन


दिसंबर माह में संविदाकर्मी ने जो वाउचर जमा करवाया उस पर उसने गलत पेन कार्ड नंबर लिख दिए। बैंककर्मी का ध्यान उस पर चला गया और उसने आयकर अधिकारी को फोन पर बताया कि पेन नंबर गलत आए हैं। आयकर अधिकारी को जैसे ही इसका पता चला उनके समझ में पूरा माजरा आ गया। उन्हें पता था कि वाउचर से रिफंड होना तो बंद हो गया है तो किसने वाउचर जमा करवाया है।



:संविदा कर्मी ने नवंबर 2011 में फर्जी तरीके से 24 हजार रुपए पहली बार उठाए थे। उसके बाद धीरे धीरे उसने 48 वाउचर जमा करवाकर 11 लाख रुपए उठा लिए। क्या इन दो सालों में आयकर अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।
: आयकर विभाग द्वारा वाउचर से रिफंड करना बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन रिफंड प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में क्या बैंक कर्मचारियों को इसकी जानकारी नहीं थी, यदि थी तो मामला उजागर क्यों नहीं हुआ।




जानकारी के अनुसार आयकर विभाग द्वारा एक डेढ़ साल पहले तक वाउचर से रिफंड किया जाता था। जिसे रिफंड किया जाना है उसके नाम का वाउचर तैयार किया जाकर बैंक में जमा करवा दिया जाता और वाउचर में अंकित राशि उस व्यक्ति के खाते में जमा हो जाती। संविदाकर्मी ने इस मामले में ऐसा ही किया। आयकर अधिकारी की अलमारी से चुराए गए वाउचर अपनी मां, भाई और दोस्तों के नाम हर महीने जमा करवा देता और बैंक से उनके खातों में राशि ट्रांसफर हो जाती।



॥आयकर विभाग के ज्वॉइंट कमिश्नर ने रिपोर्ट दर्ज करवाई है कि उनके जैसलमेर कार्यालय में संविदाकर्मी ने करीब 11 लाख रुपए फर्जी तरीके से उठा लिए। इस संबंध में संविदाकर्मी को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ की जा रही है। मामले का अनुसंधान चल रहा है।
धन्ना राम, जांच अधिकारी, पुलिस कोतवाली जैसलमेर

बुधवार, 20 जुलाई 2011

बाडमेर सहकारी भण्डार में 1करोड 27 लाख का गबन,मामला रफा दफा के प्रयास ,आदेशो के बावजूद ऍफ़ आई आर नहीं

बाडमेर सहकारी भण्डार में 1करोड 27 लाख का गबन,मामला रफा दफा के प्रयास ,आदेशो के बावजूद ऍफ़ आई आर नहीं
बाडमेर बाडमेर जिले के सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार में एक करोड 27 लाख के गबन का मामला सामनें आया था ।विभाग द्घारा इस मामले की पुश्टि के साथ ही विभाग नें राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम की धारा 57 के तहत दर्ज कर लिया हैं।इस मामलें में विभाग द्घारा तत्कालीन व्यवस्थापक और लेखापाल को गबन का दोशी ठहराया गया हैं।
सयुक्त रजिस्ट्रार सहकारी समितियॉ जसेधपुर उमराव सिंह चारण नें बताया कि स्क्रीनिंग कमेटी नें सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार बाडमेर की ऑडिट रिपोर्ट में वशर २००८-09 के पैरा 19:2;7 (6) के अनुसार कस्टमर चारा लेनदारी के लिए  लेखापाल पुखराज दवे तथा तत्कालीन व्यवस्थापक प्रेमसिंह चौधरी के विरूद्ध एक करोड सताइस लाख रूप्ये के गबन करने का मामला दर्ज किया गया था तथा विभाग ने दोनों को निलंबित कर व्यवस्थापक को उनके खिलाफ पुलिस में ऍफ़ आई आर दर्ज करने के निर्देश दिए थे ,मगर चार माह बीत जाने के बावजूद गबन के आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी ,नहीं ऍफ़ आई आर दर्ज कराइ गई ।
उनहोने बताया कि इन दोनों नें संस्था के उपनियमों तथा जिला कलेक्टर के निर्दों के विरूद्ध जाकर स्वयं सेवी संस्थाओं को अपने अधिकार क्षैत्र से बाइर जाकर चारा वितरण किया।जिसकी वसूली के प्रयास तक नही किए गयें।चारण के अनुसार कमटी ने निर्णय लिया कि आडिट रिपोर्ट कें अनुसार वशर 200809 के पैरा 19,2,7(6) में आऐं तथ्यों के अनुसार भण्डार के इन दोनों कर्मचारियों नें 1,27,14,269 रूप्यें की राी का गबन होना सपश्ट होता हैं।गौरतलब हैं कि भण्डार द्घारा अकाल राहत के तहत जिला प्रासन द्घारा पाुओं की सहायतार्थ चलाऐं पु िविरों में स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से चारा बडी मात्रा में आपूर्ति किया गया था।सवयं सेवी संस्थाओं द्घारा भूंगतान कर दिया गयाएमगर उक्त भुगतान भण्डार में जमा नही कराया।करोडो रूप्यों की उधारी वसूली कें जब भण्इार नें संस्थाओं के विरूद्ध नोटिस निकाले तब संस्थाओं द्घारा अवगत कराया गया कि वें अपना भुगतान कर चुके हैं।भण्उार के इन कर्मचारियों सक्रीनिंग कमेटी के समक्ष बयान तथा अपना पक्ष रखनें का पूर्ण अवयर दिया गयाएजिसमें तत्कालीन व्यवस्थापक नें अपना पक्ष रखा मगर लेखापाल नें अपना कोई पक्ष कमेटी के सामने नहीं रखा।जिससे अपरोक्त राी का गबन और अनियमितताऐं स्पश्ट सामने आई।इनके खिलाफ विभाग नें मामला दर्ज कर बयाज सहित वसूली की कार्यवाही आरम्भ कर दी हैं।
सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार व्यवस्थापक अर्जुन सिंह ने बताया कि भण्डार के पास चारा आपूर्ति का समस्त रिकार्ड अपलब्ध ही नही हैं।सवयं सेवी संस्थाओं नें स्पश्ट कहा कि इनके द्घारा भुगतान किया जा चुका हैं।विभाग ने तत्कालीन व्यवस्थापक और लेखापाल को गबन का दोशी ठहराया हैं।उनके खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया हैं।लेखाकार पुखराज दावे निलंबन के खिलाफ हाई कोर्ट से स्थगन आदेश ले आया है इश्के बावजूद व्यवस्थापक दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करने से बच रहे है .अर्जुन सिंह ने बताया की विभाग के आदेशो की पलना की जा कर इनके खिलाफ ऍफ़ आई आर दर्ज कराइ जाये इससे पहले कोर्ट से स्थगन आदेश ले आये.