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शनिवार, 18 अगस्त 2018

संयम के बिना जीवन में मुक्ति नही: साध्वी सुरंजनाश्री

संयम के बिना जीवन में मुक्ति नही: साध्वी सुरंजनाश्री

रिपोर्ट :- चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ / बाड़मेर

बाड़मेर। व्यक्ति अगर विलासिता में डूब जाये तो व्यक्ति वैभव कहां से आया है, कैसे आया है वो सब भूल जाता है। जैन कुल में जन्म लेने वाली प्रत्येक आत्मा का अंतिम समय संयममय होना चाहिए अन्यथा यह जीवन ही अधुरा है। 

साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने स्थानीय जैन न्याति नोहरा में चातुर्मासिक प्रवचनमाला के अन्तर्गत शनिवार को उपस्थित जनसमुदाय को सम्बोधित करते हुए कहा कि मदालसा विश्वावसु गन्धर्वराज की पुत्री तथा ऋतुध्वज की पटरानी थी। इनका ब्रह्मज्ञान जगद्विख्यात है। पुत्रों को पालने में झुलाते-झुलाते इन्होंने ब्रह्मज्ञान का उपदेश दिया था।वे अनासक्त होकर अपने कर्तव्य का पालन करती जिसके फल स्वरुप उनके पुत्र बचपन से ही ब्रह्मज्ञानी हुए। आज भी वे एक आदर्श माँ हैं क्योंकि शास्त्रों में वर्णन आता हैं की पुत्र जनना उसीका सफल हुआ जिसने अपने पुत्र की मुक्ति के लिय उसे भक्ति और ज्ञान दिया।

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‘क्या करोगे तब, जब प्राण तन से निकले’ भव्य कार्यक्रम की प्रस्तुति रविवार को
खरतरगच्छ संघ चातुर्मास समिति के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश बी. छाजेड़ ने बताया कि कुन्दनमल संखलेचा ने बताया कि गुरूमैया सुरंजनाश्रीजी म.सा. की निश्रा में 19 अगस्त को चैन्नई से पधार रहे बंधु-बेलड़ी मोहन-मनोज गोलछा द्वारा स्थानीय जैन न्याति नोहरा में प्रातः 8.30 बजे ‘क्या करोगे तब, जब प्राण तन से निकले’ भव्य संवेदना के कार्यक्रम की संगीतमय प्रस्तुति दी जायेगी। भगवान पाश्र्वनाथ के मोक्ष कल्याणक निमित आज से अट्ठम तप प्रारम्भ हुआ जिसके आराधको ने भाग लिया। जिसमें अधिक संख्या में जुड़ने का आह्वान किया गया। संघपूजन का लाभ मुकेशकुमार बाबूलाल धारीवाल चैहटन वालों ने लिया। गुरूवर्या श्रीजी द्वारा आज खाना खिलाकर खाना खाने का नियम दिया गया जिस पर सभा में उपस्थिति सभी ने गुरूवर्या श्रीजी से नियम ग्रहण किया।

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