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गुरुवार, 25 अक्टूबर 2018

अमीन खान के बयान से मचा बवाल* *अमीन खान ने वही कहा जो राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले कहा,2014 में जाट हरीश चौधरी के साथ नही थे* *मुस्लिम और दलित वोट से बची थी ज़मानत हरीश चौधरी की*



*अमीन खान के बयान से मचा बवाल*

*अमीन खान ने वही कहा जो राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले कहा,2014 में जाट हरीश चौधरी के साथ नही थे*

*मुस्लिम और दलित वोट से बची थी ज़मानत हरीश चौधरी की*


अपनी बेबाकी और दबंगता के लिए जाने जाने वाले पूर्व मंत्री अमीन खान सच्ची और कड़वी बात कहने का मादा रखते है इसीलिए लोग इनके दीवाने है।

आज कांग्रेस पर्यवेक्षक प्रताप सिंह खाचरियावास के सामने पूर्व सांसद हरीश चौधरी की राजनीतिक पकड़ की पोल खोल के रख दी।।बेबाकी सेबोल दिया जाटों का नेता कर्नल सोनाराम हर।हरीश चौधरी जाटों का लीडर नही है।।न ही जाट इससे जुड़े ह..

अमीन ने साफ कहा कि 2014 में कर्नल के साथ60 फीसदी जाट वोटर भाजपा में चले गए।हरीश को कितने वोट मिले।।मुस्लिम और।  मेघवालों के दम पर ज़मानत बचा पाए।।अमीन ने पूर्व में भी वक्तव्य दिया था कि कांग्रेस में नए समीकरणों की जरूरत है।।राजपूतो को कांग्रेस में आना चाहिए।।कचरे को बाहर कर दे।।अमीन के इस बयान पर बवाल मच गया।।प्रताप सिंह भी भौंचक रह गए।।अमीन की बेबाकी पर जाट नेताओं ने अमीन से माफी मांगने को बोला तो अमीन नही माने।उन्होंने कहा कि मैने कांग्रेस के हित मे सच्चाई बयान की है।।जिससे जाट नेता और अमीन समर्थक आमने सामने हो गए।।बहरहाल अमीन खान के बयान ने कांग्रेस के सामने वो सच रख दिया जो कोई नही रख पाता ।।

सोमवार, 15 अक्टूबर 2018

जाट खिसक जाएगा....जाट खिसक जाएगा....2014 में कहां था जाट...राहुल ने जब हरीश चौधरी से पूछा...मानवेन्द्र की कांग्रेस एंट्री

जाट खिसक जाएगा....जाट खिसक जाएगा....2014 में कहां था जाट...राहुल ने जब हरीश चौधरी से पूछा...मानवेन्द्र की कांग्रेस एंट्री



भाजपा से नाराज होकर पार्टी छोड़ने का एलान कर चुके मानवेंद्र सिंह की कांग्रेस में जाने की चर्चा जोरों पर है. लेकिन, अभी तक इस मामले में मानवेंद्र ने अपने स्तर पर कुछ कहा नहीं है....

मानवेंद्र सिंह।


नई दिल्ली . भाजपा से लंबे समय की नाराजगी के बाद पार्टी को छोड़ने का एलान कर चुके राजस्थान के बाड़मेर से शिव विधायक मानवेंद्र सिंह की कांग्रेस में एंट्री को हरी झण्डी मिल चुकी है. चर्चा है कि वे नवरात्र में अष्टमी (17 अक्टूबर को) कांग्रेस का दामन थाम लेंगे. मानवेंद्र की कांग्रेस में एंट्री पर मुहर लगने से पहले जाट समाज के खिसकने को लेकर बने डर के माहौल के बीच पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी के सवालों के आगे सब निरुत्तर हो गए.


दरअसल, पूर्व विदेशमंत्री जसवंत सिंह को पिछली लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिए जाने से नाराज मानवेंद्र ने पचपदरा में स्वाभिमान रैली करते हुए समर्थकों के साथ भाजपा को छोड़ने के एलान किया था. उनके इस एलान के तुरंत बाद मौके पर लगे कांग्रेस जिंदाबाद के नारों के बाद साफ हो गया कि उनकी अगली राजनीतिक जमीन कांग्रेस में होगी. मानवेंद्र की इस रैली से पहले दिल्ली में हुई कांग्रेस नेताओं से मुलाकात के बाद ये चर्चा पुख्ता होती चली गई. लेकिन, इसी बीच कांग्रेस में मानवेंद्र विरोधी नेताओं ने अपनी आपत्ती कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत के जरिए पार्टी हाईकमान के सामने रख दी. बताया जा रहा है कि मानवेंद्र की एंट्री को लेकर सबसे बड़ी आपत्ती कांग्रेस सचिव हरीश चौधरी ने जताई थी.

गुरुवार, 27 फ़रवरी 2014

कांग्रेस में खलबली ,जसवंत सिंह के सामने किसे लड़ाएगी कांग्रेस ?ज्योति मिर्घा या हरीश चौधरी


कांग्रेस में खलबली ,जसवंत सिंह के सामने किसे लड़ाएगी कांग्रेस ?ज्योति मिर्घा या हरीश चौधरी




बाड़मेर कभी ऐसिअ के सबसे बड़े संसदीय क्षेत्र रहे बाड़मेर जैसलमेर लोक सभा सीट पर इस बार पुरे देश कि नज़ारे रहने वाली हें। एक बार फिर बाड़मेर संसदीय सीट चर्चाओ में हें। भारतीय जनता पार्टी कि राष्ट्रिय राजनीती में चार दशको कि सेवा के बाद राष्ट्रिय नेता और पूर्व वित् विदेश और रक्षा   मंत्री जसवंत सिंह अपने गृह जिले बाड़मेर से लोक सभा का चुनाव लड़ने कि ठान चुके हें कहने को दो तीन दावेदार के हें जसवंत सिंह का हें। भाजपा से जसवंत सिंह का नाम ,तय मना जा रहा हें ,जसवंत सिंह के नाम के आने के बाद विधानसभा चुनावो में बुरी तरह हारी कांग्रेस को और चिंता में दाल दिया हें। कांग्रेस कि और से वर्त्तमान हरीश चौधरी को प्रबल दावेदार माना जाता हें मगर क्षेत्र में उनकी स्थति बेहद नाज़ुक हें यह कांग्रेस के सर्वे में हें ऐसे में कांग्रेस हरीश चौधरी को बदल दे तो कोई आश्चर्य नहीं ,हरीश चौधरी के स्थान पर नागौर संसद ज्योति मिर्धा और पूर्व सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी दावेदारी में शुमार हें ,राहुल गांधी इस बार कोई रिस्क लेना नहीं चाहते। जसवंत सिंह को कांग्रेस से गैर जात ही टक्कर दे सकता हें ,जात उम्मीदवार के उतरने से जसवंत सिंह स्वतः मजबूत होंगे। विधानसभा चुनावो में जाट मतदाताओ ने खुलकर भाजपा का साथ दिया ,जिसके कारन अल्पसंख्यक समुदाय के शिव विधानसभा से कांग्रेस प्रत्यासी अमिन खान बुरु तरह से चुनाव हार गए। मुस्लिम नेता अपनी हार का कारण जाट नेताओ को मानते हें ,मुस्लिम नेताओ का कहना हें कि जाट नेताओ ने मुस्लिम प्रत्यासी कि मदद नहीं कि जाटो के वोट मुस्लिमो को नहीं मिलने से पश्चिमी राजस्थान में एक भी मुस्लिम विधायक नहीं जीत पाया। मुस्लिम नेताओ ने तय कर दिया हें कांग्रेस यदि किसी भी जाट को उम्मीदवार बनाती हें मुस्लिम समाज उन्हें सहयोग नहीं करेंगे। कांग्रेस के परम्परागत जाट ,मुस्लिम मेघवाल गठबंधन विधासभा चुनावो में तार तार हो गया। जिसका विपरीत असर लोक सभा चुनावो में पड़ना तय हें। कहने को कांग्रेस एक मात्र बाड़मेर विधानसभा सीट पर जीती हें। बाड़मेर सीट कांग्रेस प्रत्यासी द्वारा जितने का एक मात्र कारन कांग्रेस प्रत्यासी का गैर जाट होना था। जसवन सिंह के पास सबसे विश्वशनीय चुनावी हथ्यार क्षेत्र के चार लाख अल्पसंख्यक मतदाता हें जो जसवंत सिंह जी के मुरीद हें। मुस्लिम समाज कि जसवंत सिंह पहली पसंद बने हुए हें। जसवंत सिंह को राजपूत ,दलित वर्ग ,मुस्लिम और अन्य जातियो का प्यूरा समर्थन हासिल हें। क्षेत्र के लोग चाहते हें कि जसवंत सिंह बाड़मेर से चुनाव लड़े। जसवन सिंह का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस में खलबली मची हुई हें।

सोमवार, 11 मार्च 2013

बाड़मेर राजनितिक ध्रुवीकरण ...जाटों का कांग्रेस से मोहभंग ...प्रभावी जाट नेता का अभाव

बाड़मेर राजनितिक ध्रुवीकरण ...जाटों का कांग्रेस से मोहभंग ...प्रभावी जाट नेता का अभाव


.जाटों का भाजपा में रूख का मानस


बाड़मेर राजस्थान की सियासत में आने वाले दिन राजनितिक उथल पुथल के होंगे .विधानसभा चुनावो का समय नजदीक आते आते परंपरागत जाट वोट बैंक कांग्रेस को अलविदा कहने के मूड में हें .प्रभावी जाट नेता के आभाव में कांग्रेस के वोट बैंक का बिखराव शुरू हो गया हें ,जाट राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना दुश्मन नुम्बर वन समझते हें ,.जाटों का मानना हें की गहलोत ने राजस्थान से प्रभावशाली जात नेताओ चाहे मदेरण परिवार हो या मिर्धा परिवार या राजेंद्र चौधरी हो या हरी सिंह चौधरी सभी की सियासत को जमीनोदाज़ कर उनकी राजनितिक जड़ से ख़तम कर जातो को निष्प्रभावी बना दिया .जिसका परिणाम हें की जाट समाज के पास आज राज्य स्तर का एक भी दमदार नेता कांग्रेस में नहीं बचा जात हेमा राम चौधरी और हरीश चौधरी को अपना सर्मान्य नेता मानाने को तयार नहीं क्योंकि इनके छावे अशोक गहलोत के नजदीक होने की हें ,ऐसे में जातो की नज़र कर्नल सोनाराम चौधरी पर हें ,

कर्नल फिल वक़्त में जातो के सर्वमान्य ना सही मगर प्रभावी नेता हें जिनकी बात जाट समाज के लोग मानते हें .कांग्रेस ने जाटों को रिझाने के लिए ही बाड़मेर जैसलमेर सांसद हरीश चौधरी को पार्टी ने ऊँची हैसियत देकर राष्ट्री सचिव बनानाय .राष्ट्रीय सचिव बनाने के बाद पहली बार बाड़मेर पहुंचे हरीश चौधरी के सामान समारोह में अपेक्षा से कही कम भीड़ जुटाना संकेत देता हें की कांग्रेस का यह दाव ज्यादा प्रभावी नहीं होगा .इससे पूर्व 


गत दिनों राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को राष्ट्रीय जल संसाधन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था मगर हेमाराम चौधरी के इस सम्मान का बाड़मेर कांग्रेस ने को मान सम्मान नहीं दिया .हेमाराम चौधरी की इस वास्तविक उपलब्धि को कांग्रेस ने नज़र अंदाज किया .हरीश चौधरी के सम्मान समारोह में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान और बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी का ना आना भी चर्चा का विषय रहा .जाटों की गहलोत के प्रति खुन्नस आज भी बरकरार हें ,भाजपा के कार्यक्रमों में जात नेताओं की उपस्थिति आश्चर्यजनक रूप से बड़ी हें ,पश्चिमी राजस्थान में जाटों की पैरवी करने वाले नेताओ में कर्नल सोनाराम का नाम आता हें ,जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घुर विरोधी माने जाते हें ,बाड़मेर में सात विधानसभा सीटो में से पांच पर जाट मतदाता अपना प्रभाव रखते हें तथा इन सीटो पर हारजीत प्रभावित करते हें ,भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कद्दावर जाट नेता गंगा राम चौधरी से हाथ मिला कांग्रेस की मुसीबते और बढ़ा दी , हें भाजपा के गंगाराम चौधरी का जाटो में प्रभाव आज भी बरकरार हें ,

आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा गंगाराम चौधरी के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ेगी वाही कांग्रेस हरीश चौधरी ,हेमाराम चौधरी के नेतृत्व में कर्नल सोनाराम पर कांग्रेस दाव खेलेगी इसमे संसय हें अशोक गहलोत सोनाराम को नेतृत्व किसी भी कीमत पर नहीं देंगे यह तय हें ,गत दिनों सोनाराम चौधरी की भाजपा नेताओं के साथ आने की चर्चे जोरो पर थी ,सोनाराम चौधरी इसका खंडन करते रहें हें ,कर्नल बार बार यही दोहराते रहे की उनकी आस्था सोनिया गाँधी और राहुल गांधी में हे ये मेरे नेता हे न की अशोक गहलोत .बहरहाल कांग्रेस के लिए बुरी खबर हें की जाटों का कांग्रेस से पलायन शुरू हो गया .हरीश चौधरी को राष्ट्रिय स्तर पर आगे लाना स्थानीय जाट नेताओं को राश नहीं आ रहा .हालांकि हरीश चौधरी युवा हें .पार्टी ने उन पर विशवास जताया हें .राहुल गांधी और अशोक गहलोत के विशवास पात्रो में शामिल हें जिसका फायदा उन्हें मिला .मगर जनता ने वो उत्साह नहीं दिखाया जिसके हक़दार हरीश चौधरी थे .


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