सब इंस्पेक्टर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
सब इंस्पेक्टर लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शुक्रवार, 15 मई 2020

जालोर सरिता विश्नोई अपराधी इनका नाम सुनते ही थर्राने लगते है

जालोर सरिता विश्नोई अपराधी इनका नाम सुनते ही थर्राने लगते है



आमतौर पर पुलिस विभाग में पुरुषों का ही दबदबा देखने को मिलता है। लेकिन इस बदलते दौर में अब हमें हमारी सोच को भी बदलते की जरुरत है। आज हम आपको एक ऐसी महिला पुलिस अधिकारी के बारे में बताने जा रहे है जिन्होंने कड़े संघर्ष और सच्ची लगन से पुलिस विभाग में एक सब इंस्पेक्टर का पद हासिल किया। यहाँ तक पहुंचने का उनका सफर काफी संघर्ष भरा रहा है। अपने बुलंद हौसले और कठोर परिश्रम के बलबूते इन्होंने महकमे में अपनी दबंग और निर्भिक छवि बना दी है। इनका रुतबा यहाँ ऐसा है कि अपराधी इनका नाम सुनते ही थर्राने लगते है। अक्सर लीक  से हटकर काम करने वालों के पीछे कोई न कोई कारण होता है। इस महिला पुलिस अधिकारी से बात की, और कुछ ऐसे पहलु सामने आये जिसे जानकार आप इनके जज्बे को सलाम करेंगे।


ग्रामीण परिवेश में पली बढ़ी
मूलतः बाड़मेर जिले के गुड़ा मालानी तहसील के एक छोटे से गाँव बांड की निवासी सरिता विश्नोई एक ऐसे ग्रामीण परिवेश से आती है जहाँ की रूढ़िवादी परम्पराओं के आगे महिलाओं को सर उठाने की हिम्मत तक नहीं होती। एक किसान परिवार में पली बढ़ी सरिता बिश्नोई का बचपन से ही पुलिस अधिकारी बनने का सपना था। जो इन्होने 2014 में एक सब इंस्पेक्टर बनकर पूरा किया। अभी जालोर जिले के रामसीन थाने में कार्यरत है। अपनी अनोखी कार्यशैली और बुलंद हौसले से इन्होंने यहाँ पर अपनी दबंग छवि बनाई है। स्थानीय लोग भी इनको अब दबंग सब इंस्पेक्टर विश्नोई मैडम कहकर बुलाने लगे है।


बाल विवाह हुआ तो ठाना पुलिस बनकर ऐसी प्रथा रोकेगी
फर्स्ट राजस्थान से हुई बातचीत में उन्होंने बताया कि बचपन में उनका बाल विवाह हो गया था। समाज की इस रूढ़िवादी प्रथा के आगे सरिता के पिता भी बेबस थे और इसी के चलते सरिता की बचपन में ही शादी करवा दी गयी थी। लेकिन पिता ने ससुराल वालों के आगे शर्त रखी थी कि सरिता को सरकारी नौकरी मिल जाये उसके बाद ही ससुराल आएगी। तभी सरिता ने ठान लिया कि वह एक पुलिस अधिकारी बनेगी और इन रूढ़िवादी परम्पराओ को ख़त्म करवाएगी।

माता पिता ने बेटे की तरह पाला
सरिता विश्नोई का जन्म भले ही एक गरीब किसान परिवार में हुआ हो लेकिन इनके माता पिता ने अपनी तीनो संतानों को एक सक्षम और आत्मनिर्भर इंसान बनाने के लिए अपना हर संभव प्रयास किया। सरिता ने बताया कि पिताजी खेती करते थे, माँ घर का काम संभालती थी। परिवार में वे दो बहने और एक भाई थे। माता पिता ने हमेशा बहनो को भी लड़के की तरह ही पाला, पढ़ाया और हमेशा आत्मनिर्भर बनने की प्रेरणा दी। मैंने जीवन में जितनी भी सफलता हासिल की है उसका श्रेय सिर्फ मेरे माता पिता को ही जाता है। उन्होंने हर पल मुझे हिम्मत दी और इस काबिल बनाया। चार साल पहले मेरे भाई की ह्रदय गति रुकने से अचानक मौत हो गई तो मेरे पिताजी ने मेरी भाभी को भी एक बहु के बदले बेटी की तरह रखा।