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शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013

थार की चुनावी धार। …. बाड़मेर की राजनीती में वंशवाद कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं

थार की चुनावी धार। …. बाड़मेर की राजनीती में वंशवाद


कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं 



बाड़मेर । थार में पिछली सदी में वंशवाद की राजनीति नहीं रही लेकिन अब बुजुर्ग हो रहे नेता अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में आगे करने लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यह स्थितियां बलवती हो रही हैं।


ये हैं दावेदार

गंगाराम की पोती : दल बदलकर जीतने, गठजोड़ की राजनीति के लिए जाने जाते रहे बाड़मेर से तीन, गुड़ामालानी से चार एवं चौहटन से एक बार चुने गए गंगाराम चौधरी आठ बार विधायक रहे। उनकी पोती प्रियंका चौधरी बाड़मेर से भाजपा की सीट से दावेदारी कर रही है।


हादी के बेटे-बहू : चौहटन से ही छह बार विधायक रहे अब्दुल हादी के बेटे गफूर खां और बहू शम्मा खान राजनीति में सक्रिय हैं। गफूर राज्यमंत्री और उप जिला प्रमुख रहे हंै और शम्मा चौहटन प्रधान हैं। इस बार शिव से दोनों ने कांग्रेस की टिकट की दावेदारी भी की है।


अमीन के बेटे भी लाइन में : शिव के विधायक एवं वक्फ मंत्री अमीन खां के बेटे शेर मोहम्मद ने भी इस बार दावेदारी की है। हालांकि शेर मोहम्मद कांगे्रस से सदस्य नहीं है।


कर्नल का बेटा : बायतु विधायक एवं तीन बार सांसद रह चुके कर्नल सोनाराम चौधरी के पुत्र रमन चौधरी भी सक्रिय हैं। बाड़मेर- जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से युवक कांग्रेस अध्यक्ष रहे रमन ने भी विधानसभा चुनावों में बायतु से दोवदारी की है।


जसवंतसिंह का परिवार : पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंतसिंह के पुत्र मानवेन्द्रसिंह पूर्व में सांसद रह चुके हैं। इस बार शिव से मानवेन्द्रसिंह के साथ उनकी पत्नी चित्रासिंह के नाम की भी चर्चा है, हालांकि दोनों ने दावेदारी नहीं की है। कार्यकत्ताüओं ने जरूर नाम प्रदेश स्तर तक भेजे हैं।


विधायक में एक ही उदाहरण

पिता-पुत्र दोनों के विधायक रहने का उदाहरण जिले मे रामदान चौधरी व गंगाराम चौधरी का है। रामदान चौधरी 1957 से1962 तक गुड़ामालानी से विधायक रहे। उनके पुत्र गंगाराम चौधरी गुड़ामालानी, बाड़मेर और चौहटन से आठ बार विधायक रहे।


पिता पुत्र दोनों सांसद

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंतसिंह और उनके पुत्र मानवेन्द्रसिंह दोनों सांसद रहे हैं। हालांकि जसवंतसिंह बाड़मेर से सांसद नहीं रहे है। 1989 में जनता दल से सांसद रहे कल्याण सिंह कालवी के पुत्र लोकेन्द्र सिंह कालवी ने 1998 में चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।


परिवार को रखा दूर

बाड़मेर विधानसभा से चार बार विधायक और एक बार सांसद रहकर लंबी राजनीति करने वाले वृद्धिचंद जैन के परिवार से कोई राजनीति में नहीं है। गुड़ामालानी से पांच बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी के परिवार से भी कोई राजनीति में नहीं है। पचपदरा से तीन व गुड़ामालानी से एक बार विधायक रह चुकी मदनकौर के परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं है। पचपदरा से ही लंबी राजनीति कर चार बार विधायक रहे अमरराराम चौधरी का परिवार भी राजनीति से दूर है
। 

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2013

थार की चुनावी धार। बाड़मेर की राजनीती में युवाओं का योगदान


थार की चुनावी धार। बाड़मेर की राजनीती में युवाओं का योगदान 
बाड़मेर की राजनीती में बेदम। ।युवाओ को बहुत कम मिले अवसर
बाड़मेर। रेगिस्तान की राजनीति में युवाओ को चुनाव लड़ने का अवसर मिला और उन्होंने इतनी लंबी पारी खेली कि नईपीढ़ी के लिए अवसर ही नहीं मिला।अब एक बार फिर उनके उम्रदराज होने से युवाओं को मौके का वक्त आ गया है। 

युवाओं का राजनीति में आने की पैरवी हर ओर से हो रही है। जिले में इस वर्ष 29 हजार युवा मतदाता जुड़े है और 21 से 35 की उम्र के करीब चार लाख से अधिक मतदाता है। उम्रदराज मतदाताओं का सपना भी यही है कि उनके घर की रीढ़ की हड्डी यानि युवा का भविष्य सुधरे।

दशकों तक युवा इंतजार करते रहे

गंगाराम चौधरी, हेमाराम चौधरी, अब्दुल हादी, वृद्धिचंद जैन, मदनकौर, अमीनखां, अमराराम चौधरी ऎसे नाम है जो बाड़मेर की राजनीति में ऎसे आकर जमे कि फिर इनको उखाड़ने के कम ही अवसर आए। युवा उम्र में आए इन विधायकों ने अपनी पूरी उम्र राजनीतिक पारी में गुजार दी।

एक ही युवती

महिलाओं में विधायक के तौर पर श्रीमती मदनकौर 1962 में 37 साल की उम्र में विधायक बनी और इसके बाद चार बार विधायक रही है। अन्य कोई महिला विधायक बनी ही नहीं। हालांकि इसी उम्र में पिछले चुनाव में मृदुरेखा चौधरी ने किस्मत आजमाई, लेकिन वे असफल रही।

इस बार दौड़ में सशक्त युवा

शम्मा खान- शिव से दावेदारी करने वाली कांगे्रस की शम्माखां की उम्र 30 वर्ष है।
बाड़मेर से भाजपा की दावेदार प्रियंका चौधरी की उम्र 40 वर्ष है।
बाड़मेर से भाजपा की दावेदार मृदुरेखा चौधरी 42 वर्ष की है।
बायतु से भाजपा के दावेदार कैलाश चौधरी 38 वर्ष के है।
पचपदरा से मदन प्रजापत 37 वर्ष के है।
सिवाना से कांग्रेस से दावेदार महेन्द्र टाईगर 46 वर्ष के है।
कॉलेज की राजनीति से कौन-कौन
जिले में महाविद्यालय की राजनीति से विधायक बनने वालों में जोधपुर विश्वविद्यालय में अध्यक्ष रहे डा. जालमसिंह रावलोत रहे।
सांसद हरीश चौधरी भी जोधपुर विश्वविद्यालय से अध्यक्ष रह चुके है।
दलीय व्यवस्था में युवा संगठन
भाजपा का युवाओं के लिए भारतीय जनता युवा मोर्चासंगठन है, जिसका मौजूदा समय में कोई अध्यक्ष नहीं है।
कांग्रेस का युवाओं के लिए युवक कांगे्रस संगठन है,जिसमें अब चुनाव करवाए जा रहे है। ठाकराराम माली बाड़मेर जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र के युवा अध्यक्ष है।

प्रमुख विधायक

नाम पहली जीत उम्र
श्रीमती मदनकौर 1962 37
हेमाराम चौधरी 1980 32
अमीनखां 1980 41
गंगाराम चौधरी 1962 40
अमराराम चौधरी 1980 37
मदन प्रजापत 2008 33
गोपाराम मेघवाल 1998 36
जालमसिंह रावलोत 2003 38

मौजूदा विधायकों की उम्र

बाड़मेर मेवाराम जैन 60
शिव अमीन खां 74
बायतु कर्नल सोनाराम 68
पचपदरा मदन प्रजापत 37
गुड़ामालानी हेमाराम चौधरी 65
सिवाना कानसिंह कोटड़ी 72
चौहटन पदमाराम 50

इस बार जुड़े युवा मतदाता
शिव 1706
बाड़मेर 5430
बायतु 1903
पचपदरा 4501
सिवाना 3569
गुड़ामालानी 3006
चौहटन 4717
कुल 24832

युवाओं को कमान मिले

देश में 50 प्रतिशत युवा है। यह हमारे देश की सबसे बड़ी शक्ति है। युवा ही युवाओं की समस्याओं को समझ सकता है। आज का युवा पढ़ा लिखा है। शिक्षा और विज्ञान की क्रांति की समझ रखता है। राजनीति में आने वालों का पहला उद्देश्य ही क्षेत्र के साथ देश का विकास है। जमाने के साथ दौड़ने और विकसित राष्ट्र की कल्पना के लिए युवाओं को अवसर दिए जाने चाहिए। - डॉ. हुकमाराम सुथार, प्रवक्ता, राजनीति विज्ञान

बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी


थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी 

धाकड़ उम्मीदवार देख रहे हें गहलोत। .भाजपा का अमराराम पर भरोसा 


भाटी चन्दन सिंह 

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में चौदहवी विधानसभा के लिए वाले विधानसभा चुनावो में दोनों प्रमुख दलों में टिकट वितरण में हो रही देरी से नेताओ की नींद उडी हुई हें खासकर वर्तमान विधायको की। कांग्रेस जन्हा एंटी इन्कम्बसी का असर ख़त्म करने के लिए वर्तमान विधायको की टिकट काटने की रही हें बाड़मेर जिले के तीन विधायको पर आशंका के बादल मंडरा रहे हें। सबसे प्रमुख नाम पचपदरा विधानसभा का हें मदन प्रजापत विधायक हें।इसी स्थान पर अशोक गहलोत ने रिफायनरी का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गांधी से कराया जिसके कारन यह सीट कांग्रेस और अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन ,गयी वर्तमान विधायक का असंतुष्ट कार्यकाल अशोक गहलोत की नज़रो में हें। विधायक ने जनहित और विकास कार्यो की बजाय प्रोपर्टी डीलिंग कार्यो तथा अधिकारियो कर्मचारियों के ट्रांसफर में दिलचस्पी दिखाई। विधायक ने बालोतरा और आसपास में कई अवेध आवासीय कालोनिय काटी। भूमाफियो के साथ सरकारी जमीनों पर कब्जे के आरोप भी लगे। इसी के चलते उनकी टिकट कटना तय हें। वर्तमान में भंवर सिंह राजपुरोहित ,निर्मलदास ,अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ,क्षेत्रीय सांसद के नाम दावेदारों में प्रमुख तौर पर लिए रहे हें। पचपदरा से संजीवनी क्रेडिट कोपरेटिव के मालिक विक्रम सिंह इन्द्रोई ने भी अपनी दावेदारी की मगर इस क्षेत्र के कांग्रेस्सियो ने उनके खिलाफ लामबंद होकर उनकी दावेदारी को कमज़ोर कर दिया। पचपदरा से भाजपा की और से सशक्त दावेदार वरिष्ठ नेता अमराराम चौधरी हें ,भाजपा को ही तवज्जो दे रही हें ,हालाँकि यहाँ भाजपा के एक दर्जन नेताओं ने दावेदारी पेश की हें। नगर पालिका अध्यक्ष महेश बी कतार में हें ,मगर वर्तमान परिस्ताथियो में एक मात्र अमराराम पर ही पार्टी भरोसा कर रही हें। बसापा बे अपना राजपूत उम्मीदवार उतार कर इरादे साफ़ कर दिए हें। कांग्रेस यहाँ गुटबाजी और भीतरघात से कैसे बचेगी यह देखने की बात हें। इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाती के तीस हज़ार ,कलबी बीस हज़ार ,राजपूत रवाना राजपूत बीस हज़ार ,जाट पांच हज़ार ,पुरोहित जैन बीस से पचीस हज़ार मुसलमान आठ से दस हज़ार ,माली दस हज़ार हज़ार मोटे तौर पर हें। पचपदरा से पटौदी आर आई सर्कल परिसीमन के बाद अलग हो गया। वर्तमान में मदन प्रजापत के खिलाफ असंतोष भाजपा के पक्ष में हें। कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल रहा। कांग्रेस और गहलोत के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हें ,जिसे हर हाल में कांग्रेस जीतना चाहती हें। 

गत चुनावो में दोनों दलों में भितरघात था मगर कांग्रेस ने समय रहते दिया ,भाजपा के भंडारी ने भाजपा के समीकरण तहस नहस कर लिए ,अमराराम चौधरी इसी कारन हार गए। भाजपा की गुटबाजी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के दौरे पर साफ़ दिखी। गुटबाजी के कारन और कार्यकर्ताओ के आक्रोश को चतुर्वेदी झेल नहीं पाए भाग खड़े हुए। पचपदरा में अमराराम का खासा प्रभाव हें ,आम आदमी की जिंदगी जीने वाले अमराराम आम लोगो के बीच हमेशा उपलब्ध रहे हें यही उनकी खाशियत हें। अमराराम पर गुडा विधायक के साथ कलबी जाति के मतदाताओ के क्रोस पेक्ट का आरोप भी हें जिसके चलते भाजपा बार बार गुडा से हार रही हें। पचपदरा से कांग्रेस की श्रीमती मदन कौर कई बार विधायक रही उनका भी खासा प्रभाव था। बाईजी के नाम से मशहूर मदन कौर ने पचपदरा में लगातार हार के बाद क्षेत्र छोड़ दिया था ,अब दस सालो से जिला प्रमुख हें। --

मंगलवार, 8 अक्टूबर 2013

थार की चुनावी धार बाड़मेर की राजनीती में महिलाओं की भागीदारी

थार की चुनावी धार बाड़मेर की राजनीती में महिलाओं की भागीदारी


एक मात्र महिला विधायक रही श्रीमती मदन कौर 

बाड़मेर।महिला सशक्तिकरण के तमाम दावों के बावजूद सीमांत जिले में आधी आबादी को चुनावी भीड़ का हिस्सा ही बनाया जा रहा है। कांग्रेस भाजपा दोनों मुख्य दलों में महिला नेतृत्व का इतिहास कमजोर रहा हैऔर वर्तमान के भी यही हाल है।


जिले में करीब चौदह लाख मतदाताओं में से साढ़े छह लाख महिलाओं के वोट है। पंचायती राज में पचास प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित होने से जिले में करीब साढ़े तीन सौ महिलाएं सरपंच, जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्य है। वार्ड पंच मिलाए जाए तो यह संख्या ढाई हजार के करीब होगी। इस सबके बावजूद विधानसभा में महिलाओं के नेतृत्व के रूप में एकमात्र श्रीमती मदनकौर सफल रही है।


भाजपा ने पिछली बार मृदुरेखा चौधरी को अवसर दिया लेकिन वे जीतने में असफल रही। इस बार बाड़मेर और शिव विधानसभा क्षेत्र के अलावा महिलाओं की दावेदारी किसी भी जगह सशक्त रूप से सामने नहीं आई है।बाड़मेर से डॉ प्रियंका चौधरी ,मृदुरेखा चौधरी , चौधरी तो शिव में शम्मा खान ने सशक्त दावेदारी पेश की हें।

महिला मतदाता


शिव- 101998
बाड़मेर- 90092
बायतु- 84679
पचपदरा- 85550
सिवाना- 92395
गुड़ामालानी- 87103
चौहटन- 100897
योग- 642714
इस बार दावेदारी
कांग्रेस-
- शम्माखान शिव से
-पचपदरा से शारदा चौधरी
- सिवाना से विजयलक्ष्मी राजपुरोहित
- चौहटन से गीता मेघवाल ( जैसा कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष फतेहखां ने बताया)
भाजपा
- बाड़मेर से प्रियंका चौधरी, मृदुरेखा चौधरी और अमिता चौधरी एवं अन्यत्र से कोई नहीं(जैसा कि भाजपा जिलाध्यक्ष मेजर पर्बतसिंह ने बताया)
पहली बार ऎसा-
-यह पहला अवसर है जब बाड़मेर में भाजपा में तीन महिलाएं दावेदारी में संघर्षरत है। ऎसा पहले कभी नहीं हुआ।
- कांग्रेस में मौजूदा विधायक और वक्फ मंत्री अमीनखां के सामने भी सशक्त दावेदारी में शम्माखान सामने आई है।
विधान सभा में अब तक
-1957 में बाड़मेर विधानसभा सीट से कांग्रेस की तरफ से श्रीमती रूकमणीदेवी पहली महिला ने राम राज्य परिषद के तनसिंह के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन वे 4359 मतों से हार गई।
-1962 में पचपदरा विधानसभा की सीट पर कांग्रेस की श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय अमरसिंह के सामने चुनाव लड़ा और 2494 मतों से हारी।
-1967 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने कांग्रेस से चुनाव लड़ा और जनसंघ के चम्पालाल बांठिया को 17157 मतों से पराजित किया। जिले में पहली बार महिला को प्रतिनिधित्व मिला।
- 1972 में पचपदरा विधानसभा से कांग्रेस से श्रीमती मदनकौर ने निर्दलीय तेजसिंह को 2983 मतों से हराया।
-1977 में श्रीमती मदनकौर लगातार तीसरी बार पचपदरा से जीती, उन्होंने जनता पार्टी के चम्पालाल बांठिया को 2465 मतों से पराजित किया।
-1980 के मध्यावधि चुनाव में मदनकौर पचपदरा से कांगेस अर्स की प्रत्याशी बनी, इस बार कांग्रेस से अमराराम चौधरी ने चुनाव लड़ा और वे जीत गए।
-1990 में गुड़ामालानी से श्रीमती मदनकौर ने जनता दल से चुनाव लड़ा,उन्होंने कांग्रेस इ के चैनाराम को 23527 मतों से पराजित किया।
-मदनकौर को 30 मई से 24 नवंबर 1990 तक भैरोसिंह शेखावत सरकार में वन मंत्री बनाया गया।
-1993 में मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा और वे हार गई।
-1998 में श्रीमती मदनकौर ने पचपदरा से चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में पचपदरा से श्रीमती मदनकौर ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई।
-2003 में निर्दलीय के रूप में बाड़मेर विधानसभा से पप्पूदेवी ने चुनाव लड़ा लेकिन वे हार गई
-2008 में श्रीमती मृदुरेखा चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ा लेकिन वे कांग्रेस के मेवाराम जैन से हार गई।
भीड़ के लिए महिलाएं
राजनीतिक दलों के लिए महिलाओं को तवज्जां देना भी जरूरी है।जब भी राजनीतिक सभाएं होती है महिलाओं के लिए जगह आरक्षित रहती है। इसे भरने के लिए पूरी कोशिश होती है। जैसे ही सभा खत्म महिलाओं को तमाम राजनीतिक दल भूल जाते है।
महिलाओं से जुड़े मुद्दे-
- महिला सुरक्षा,चिकित्सा एवं शिशु अस्पताल
- महिला महाविद्यालयों की स्थापना
- महिलाओं के लिए रोजगार का प्रबंध
-डेयरी और कृषि में महिलाओं को रोजगार
- महिला सुरक्षा एवं सशक्तिकरण
जिले में क्या स्थिति-
- जिले में बाड़मेर बालोतरा के अलावा कहीं महिला रोग विशेषज्ञ नहीं
- सड़क किनारे के विद्यालयों के अलावा महिला शिक्षिकाएं नहीं
-महिला अधिकारी जिले मे बहुत कम
- महिलाओं की पुलिस में नफरी भी कम
-महिला साक्षरता व शिक्षा में पिछड़ापन
- गांवों में आठवीं और दसवीं उत्तीर्ण महिलाएं मिलना मुश्किल
जिले की स्थिति
जिला परिषद सदस्य
37 में से 18 महिलाएं
पंचायत समिति सदस्य
पं स सदस्य महिलाएं
सिवाना 25 11
धोरीमन्ना 25 16
बाड़मेर 23 14
चौहटन 23 12
सिणधरी 23 11
बालोतरा 27 16
शिव 17 09
बायतु 21 12
योग 184 101
पंस सरपंच महिला
बालोतरा 54 30
बायतु 47 23
बाड़मेर 50 29
चौहटन 51 30
सिवाना 40 21
शिव 45 26
सिणधरी 46 27
धोरीमन्ना 47 26
योग 380 212
नगरपरिषद बाड़मेर
40 में से 21
नगर परिष्ाद बालोतरा
35 महिला 10

मुश्किल है राजनीति।।मदन कौर
आप राजनीति में कैसे आई-
डॉक्टर बनना चाहती थी। मेरे पिताजी के साथ सामाजिक कार्यो से जुड़ी थी। कॉलेज के जमाने में 1954 में कांग्रेस से जुड़ गई । सामाजिक कार्य के चलते ही 1956 में बालेसर मे पंचायती राज में सदस्य बनी। इसके बाद विधानसभा और अब 78 वर्ष की हो गई हूं, इस राजनीति में।
राजनीति में महिलाएं क्यों अभी तक पीछे है- शिक्षा कमी है। मुश्किल क्षेत्र है। अनिश्चितता और संघर्ष है।पढ़ी लिखी महिलाएं भी इसमें नहीं आना चाहती।यह रूचि का क्षेत्र है।
अब महिलाओं के लिए माहौल कैसा है- अब राजनीति साफ सुथरी नहीं रही। बहुत पैसा खर्चहोता है। कई संघर्ष है।यह रूचि पर निर्भर है। मैं भी सोचती हूं अब राजनीति करना मुश्किल हो गया है।




महिलाओं का नेतृत्व करती है चित्रा सिंह
भाजपा ने वर्ष 2004 में एक नवाचार हुआ।भाजपा के सांसद प्रत्याशी मानवेन्द्रसिंह की धर्मपत्नी श्रीमती चित्रासिंह महिलाओं के वोट जुटाने के लिए प्रचार प्रसार को पहुंची।उन्होंने गांव गांव सभाएं की।मानवेन्द्र को इस चुनाव में बड़ी जीत मिली।तब से चित्रासिंह भाजपा में किसी पद पर तो नहीं हैलेकिन सक्रिय रहते हुए भाजपा में महिलाओं की अनौपचारिक कमान संभाले हुए है।
महिलाओं को नहीं जोड़ा जाता-
महिलाओं की आमतौर पर शिकायत रहती है कि उनको जोड़ने में कमी रहती है।महिला को नेतृत्व मिलना चाहिए।आधी आबादी है। उनकी अपनी समस्याएं और शिकायतें।बाड़मेर क्षेत्र में महिलाएं महिला को ही सहज रूप से अपनी बात कह पाती है।मैं तो हमेशा ठोस पैरवी करती हूं कि महिला को टिकट दिया जाए। - चित्रासिंह --



डॉ प्रियंका चौधरी पेशे से चिकित्सक डॉ प्रियंका से तालुक रखती हें। जाट नेता गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका समाज सेवा और बाड़मेर के विकास का जज्बा राजनीती में उतारी हें।