थार में आई खुम्भी की बहार.....बाड़मेर में खुम्भी का खुमार
बाड़मेर इस वर्ष आए अच्छे मानसून के कारण थार में रौनक छाई हुई है। हरियाली के साथ आम लोगों की पसंदीदा सब्जी खुंभी की भी बहार आई हुई है। प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस स्थानीय मशरूम को जंगल में हर जगह से इकट्टा किया जा रहा है। खुंभी अब गांवों से इकट्ठा होकर शहर बिकने भी जा रही है। स्थानीय मशरूम स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी माने जाते हैं। मशरूम को कैल्शियम के साथ विटामिन भी अधिकता में पाए जाते हैं।
प्रकृति की देन
प्राकृतिक रूप से उगने वाली यह मशरूम ग्रामीणों में अत्यधिक लोकप्रिय सब्जी है। इसे काट कर सुखाया भी जा रहा है, जिसे बाद में सब्जी के रूप में काम में लिया जाता है। जंगल में यह मशरूम सेवण घास के साथ व स्थानीय लाणा झाड़ी के पास अधिक उगती है। वर्तमान में मरुस्थलीय गाँवो तथा आसपास के क्षेत्र, व अन्य स्थानों से इसे इकट्ठा किया जा रहा है।
बच्चों को मिला रोजगार
बाड़मेर शहर के अलावा इसे बीकानेर व जोधपुर भी बेचने को ले जाया जा रहा है। औसतन बाजार में110 से 120 रूपए किलो बिकने वाली मशरूम से ग्रामीणों को प्रति किलो 60 से 70 रूपए मिल रहे हंै। यहां आवागमन वाले मार्गो व भीड़ वाली जगह पर ग्रामीण बच्चे इसे माला में पिरो कर रोज ही सड़क पर खड़े मिल जाते हंै। ये बच्चे मशरूम को आने जाने वाले वाहन चालकों को बेचकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं। मशरूम के कारण उन्हें घर बैठे रोजगार मिल रहा है।लम्बे समय बाद बाड़मेर जिले में खुम्भी की अछि तादाद में प्राक्रतिक पदावर हुई हें .खुम्भी के बारे मेबं वनस्पति विशेषज्ञों का मानना हें की एक साल में एक किलोग्राम खुम्भी आम आदमी खा ले तो शरीर में केल्सियम की कमी नहीं रहती साथ ही टूटी हड्डी को जोड़ने में भी राम बाण की तरह काम करती हें खुम्भी .बहरहाल बाड़मेर जिले में प्रयाप्त बारिश तथा उमस के चलते खुम्भी की प्राक्रतिक पदावर बहूत हुई जिसका फायदा ग्रामीणों को ध के रूप में मिल रहा हें वन्ही लोग बड़े चाव के साथ खुम्भी की सब्जी खा रहे हें
बाड़मेर इस वर्ष आए अच्छे मानसून के कारण थार में रौनक छाई हुई है। हरियाली के साथ आम लोगों की पसंदीदा सब्जी खुंभी की भी बहार आई हुई है। प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस स्थानीय मशरूम को जंगल में हर जगह से इकट्टा किया जा रहा है। खुंभी अब गांवों से इकट्ठा होकर शहर बिकने भी जा रही है। स्थानीय मशरूम स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी माने जाते हैं। मशरूम को कैल्शियम के साथ विटामिन भी अधिकता में पाए जाते हैं।
प्रकृति की देन
प्राकृतिक रूप से उगने वाली यह मशरूम ग्रामीणों में अत्यधिक लोकप्रिय सब्जी है। इसे काट कर सुखाया भी जा रहा है, जिसे बाद में सब्जी के रूप में काम में लिया जाता है। जंगल में यह मशरूम सेवण घास के साथ व स्थानीय लाणा झाड़ी के पास अधिक उगती है। वर्तमान में मरुस्थलीय गाँवो तथा आसपास के क्षेत्र, व अन्य स्थानों से इसे इकट्ठा किया जा रहा है।
बच्चों को मिला रोजगार
बाड़मेर शहर के अलावा इसे बीकानेर व जोधपुर भी बेचने को ले जाया जा रहा है। औसतन बाजार में110 से 120 रूपए किलो बिकने वाली मशरूम से ग्रामीणों को प्रति किलो 60 से 70 रूपए मिल रहे हंै। यहां आवागमन वाले मार्गो व भीड़ वाली जगह पर ग्रामीण बच्चे इसे माला में पिरो कर रोज ही सड़क पर खड़े मिल जाते हंै। ये बच्चे मशरूम को आने जाने वाले वाहन चालकों को बेचकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं। मशरूम के कारण उन्हें घर बैठे रोजगार मिल रहा है।लम्बे समय बाद बाड़मेर जिले में खुम्भी की अछि तादाद में प्राक्रतिक पदावर हुई हें .खुम्भी के बारे मेबं वनस्पति विशेषज्ञों का मानना हें की एक साल में एक किलोग्राम खुम्भी आम आदमी खा ले तो शरीर में केल्सियम की कमी नहीं रहती साथ ही टूटी हड्डी को जोड़ने में भी राम बाण की तरह काम करती हें खुम्भी .बहरहाल बाड़मेर जिले में प्रयाप्त बारिश तथा उमस के चलते खुम्भी की प्राक्रतिक पदावर बहूत हुई जिसका फायदा ग्रामीणों को ध के रूप में मिल रहा हें वन्ही लोग बड़े चाव के साथ खुम्भी की सब्जी खा रहे हें