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बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

गुडा मालानी विधानसभा क्षेत्र जाट सीट को अब तक कोई हिला नहीं सका कांग्रेस की किला


बाड़मेर विधानसभा चुनाव 2013 गुडा मालानी विधानसभा क्षेत्र 

जाट सीट को अब तक कोई हिला नहीं सका कांग्रेस की किला 


बाड़मेर राजस्थान विधानसभा के लिए सीमावर्ती बाड़मेर जिले की गुडा मालानी विधानसभा सीट का गठन 1957 में स्वतंत्र रूप से हुआ। तब से लेकर अब तक बारह विधानसभा चुनाव चुनाव हो चुके हें। सभी बारह बार जाट नेता ही विधायक चुने गए। हालांकि इस सीट पर जाट और विश्नोई उनीस बीस के अंतर में मतदाता हें। कांग्रेस का गढ़ हें यह सीट ,एक बार कांग्रेस छोड़ कर लड़ी श्री मति मदन कौर ने जीती। इसके आलावा कोई दल कांग्रेस के सामने टिक नहीं पाया। प्रथम चुनाव जाट समाज के प्रेरणास्रोत राम दान चौधरी लड़े उन्होंने इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। पांच बार हेमाराम ,चार बार गंगाराम ,एक एक बार रामदान ,मदन कौर ,परसराम मदेरण विधायक बने 

प्रथम चुनाव 1957 

गुडा मालानी विधानसभा क्षेत्र के रूप में पहली बार अस्तित्व में आया। जहां 50902 माय्तादाताओ में से 14247 मतदाताओं ने मतदान किया। इन चुनावों में रामदान चौधरी कांग्रेस को 6712 ,राम राज्य परिषद् के बाबु को 4981 ,और निर्दलीय दल्ला को 1385मत। मिले इस प्रकार रामदान चौधरी ने 1731 मतों से विजय हासिल की 


दूसरा चुनाव 1962


यहाँ दूसरा चुनाव उनीस फरवरी को संपन हुए। इस बार गुडा में 67261 मतदाताओ में से 23235 मतदाताओ ने वोट डाले। इस बार रामदान चौधरी के पुत्र गंगाराम चौधरी कांग्रेस से मैदान में उतारे गए ,इन चुनावप में गंगाराम को 11527 बच्चू को 5005 ,धर्मेन्द्र सिंह को 4934 ,लिखमी चंद को 293 मत मिले। गंगाराम चौधरी ने यह सीट 6572 मतों से जीत कर विधानसभा में प्रवेश किया


तीसरा चुनाव1967 

विधानसभा चुनाव में इक्कीस फरवरी को वोट डाले गए जिसमे 59989 मतदाताओं में से 19803 मतदाताओं ने वोट डाले इन चुनावो में गंगाराम बार कांग्रेस से चुनाव लड़ 11169 मत हासिल किये वही डी सिंह को 7632 मत मिले। गंगाराम ने यह सीट 3537 मतों से जीती 


चौथा चुनाव 1972 छ मार्च को हुए चुनावो में 68038 मतदाताओ में से 35452 मतदाताओ ने वोट डाले। इन चुनावो में कांग्रेस के गंगाराम चौधरी को 26922 स्वतंत्र पार्टी के धीमाराम को 7193 मत मिले सीधे मुकाबले में गंगाराम ने तीसरी बार 19729 मतों के अंतर से सीट जीत विधानसभा में पहुंचे 

पांचवा चुनाव 1977 

तेरह जून 1977 को छठी विधानसभा के लिए गुड़ा में 77960 मतदाताओ में से 39729 मतदाताओं ने मत डाले। सित्यासी पोलिंग बूथ पर डाले गए मतों में गंगाराम चौधरी कांग्रेस को 24917 जनता पार्टी के पूनम चाँद को 12728 मूलाराम को 931 राम किशोर को 126 मत मिले गंगाराम ने 12189 मतों के अंतर से विजय हास्सिल की। 


छठा चुनाव 1980

सातवीं विधानसभा के लिए हुए चुनावो में बाड़मेर जिले की राजनीती में जोरदार उठा पटक हुई ,कांग्रेस की दिग्गज नेता कांग्रेस छोड़ कांग्रेस अर्स में चले गए। कांग्रेस ने पहली बार हेमाराम चौधरी को मैदान में उतार ,हेमाराम को मुकाबला इसी क्षेत्र से चार चुनाव लगातार जीतने वाले गंगाराम से था ,मगर गंगाराम का कांग्रेस छोड़ना मतदाताओ को पसंद नहीं आया। इन चुनावो में हेमाराम चौधरी को 27208 ,कांग्रेस अर्स के गंगाराम चौधरी को 16088 निर्दलीय धीमाराम को 2172 मत मिले। हेमाराम चौधरी ने पहली बार 11120 मतों से विजय हासिल कर विधायक बन विधानसभा पहुंचे 

सातवाँ चुनाव 1985 

पांच मार्च को आठवीं विधानसभा के लिए गुड़ा के 114817 मतदाताओ में से 50388 मतदाताओ ने 139 मतदान केन्द्रों पर वोट डाले जिसमे कांग्रेस के हेमाराम चौधरी को 38127 लोकदल के कैलाश बेनीवाल को 9404 भीखाराम को 1477 जयदेव को 590 मत मिले। हेमाराम ने 28723 मतों के विशाल अंतर से जीत हासिल की 


आठवां चुनाव 1990

नवीन विधानसभा के लिए सत्ताईस फरवरी को वोट डाले गए ,गुड़ा के 133714 मतदाताओ में से 69976 मतदाताओ ने वोट डाले जिसमे जनतादल की मदन कौर को 40594 , कांग्रेस के चैनाराम को 17867 मगाराम को 3878 तथा अन्य उम्मीदवारों जालाराम ,जेताराम ,ज्वाला ,करना ,अहमद ,नरसी ,मोटाराम ,ताजाराम अचलाराम और सुखराम को छ सौ और उसे कम मत मिले। कांग्रेस छोड़ जनता दल से मैदान में उतारी मदन कौर ने यह चुनाव 23527 मतों से जीता। 

नवां चुनाव 1993 

दशवी विधानसभा के लिए ग्यारह नवम्बर को मत डाले गए ,गुडा में 154 मतदान केन्द्रों पर 148616 मतदाताओ में से 82617 मतदाताओ ने वोट डाले। इन चुनावो में कांग्रेस ने अपने दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरण जो प्रतिपक्ष नेता थे को मैदान में उतारा। परसराम को 44680 ,भाजपा के डॉ सत्यपाल को 29348 ,हरिराम को 2994 ,भीखाराम को 1922 मांगीलाल कलबी 1220,ज्वाला प्रसाद को 729 ,खेताराम को 100 मत मिले ,परसराम मदेरण को 15332 मतों से विजयी हासिल की। 


दशवा चुनाव 1998


ग्यारहवी विधानसभा के लिए पच्चीस नवम्बर को 259 मतदान केन्द्रों पर गुडा के 162631 मतदाताओं में से 98268 मतदाताओ ने वोट डाले। कांग्रेस ने एक बार फिर हेमाराम चौधरी को गुडा से मैदान में उतारा ,हेमाराम को 69819 ,भाजपा के कैलाश बेनीवाल को 17282 ,किशोरीलाल को 4603 ,गोरधनराम को 2781 ,मगाराम को 2348 मत मिले। हेमाराम चौधरी ने शानदार वापसी कर कैलाश को 52537 मतों के रिकार्ड मतों से हराया।


ग्यारहवां चुनाव 2003


बहरावी विधानसभा के लिए क्षेत्र के 328 मतदान केन्द्रों पर 195105 मतदाताओ में से 140435 मतदाताओ ने वोट डाले इस भाजपा ने लादूराम विश्नोई को हेमाराम चौधरी के मुकाबले में उतारा। इन चुनावो में हेमाराम चौधरी को 71647 ,लादू राम विश्नोई को 59735 मगाराम नैन को 9000 मत मिले। हेमाराम 11912 मतों से विजयी हुए


बाहरवा चुनाव 2008 

गत चुनावो में भाजपा के लादूराम विश्नोई और कांग्रेस के हेमाराम के बीच फिर मुकाबला हुआ। इन चुनावो में गुडा के 170642 मतदाताओ में से 129703 मतदाताओ ने वोट डाले। जिसमे हेमाराम चौधरी को 62166 ,लादूराम को 52889 ,गोरधनराम को 3065 ,रतनलाल को 2964 धोधाखन को 1491 ,मालाराम को 793 शुशीला को 4233 ,अनोप राम को 781 गुलाब राम को 694 आसुरं को ६०३ मत मिले। इस प्रकार हेमाराम ने लादूराम को दूसरी बार नौ हज़ार से अधिक मतों से हराकर चुनाव जीता 

मंगलवार, 10 सितंबर 2013

चुनावी रणभेरी बाड़मेर विधानसभा चुनाव दल बदलू ज्यादा पार्टी के वफादार कम रहे बाड़मेर के नेता

चुनावी रणभेरी बाड़मेर विधानसभा चुनाव

 दल बदलू ज्यादा पार्टी के वफादार कम रहे बाड़मेर के नेता 


चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर आगामी नवम्बर माह में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी हलचल देश भर में शुरू हो गयी हें ,सरहदी बाड़मेर जिले का राजनितिक परिदृश्य बेहद भयानक रहा ,वहा अपनी पार्टी के वफादार कम और पार्टी को धोखा देने वाले नेताओ का बाहुल्य रहा हें ,आपको ऐसे नेताओ से रूबरू कतर्व रहे हें जिन्होंने अपनी पार्टी के विश्वासघात कर चुनाव लदे पार्टी की लुटिया डूबा दी ,बाड़मेर ने डाक बदलू नेता बहुर ज्यादा रहे वाही पार्टी के प्रति वफादारी निभाने वाले कर्मठ नेता उंगुलियो पर गिनने लायक हें। आज़ादी के बाद जब सन १९५२ में देश की लोकसभा और राजस्थान की विधानसभा के प्रथम आम चुनाव हुए तब पश्चिमी राजस्थान के सीमावर्ती रेगिस्तानी बाड़मेर जिले में राजनैतिक जागरूकता आई ,इन दोनों चुनावो में १,९१,५२९ मतदाताओ ने मतदान कर अपने पसंद के जन प्रतिनिधि चुने थे ,१९५२ से लेकर २००८ तक राजनितिक फिजा ही इस जिले की बदल गयी ,


दल बदल की शुरुआत। . राजस्थान विधान सभा के लिए १९५२ में जिले की सिवाना सीट से राम राज्य परिषद् के मोटा राम विधायक चुने गए। बाद में जब मोहन मुख्यमंत्री बने तो इन्होने कांग्रेस का समर्थन कर दिया बाद में पचपदरा में कांग्रेस के प्रधान तेज सिंह ने दल बदल कर कांग्रेस प्रत्यासी मदन कौर के सामने चुनाव लड़ा लगभग तीन हज़ार मतों से मात खा गए ,१९८० का दसक दल बदलुओ के लिए ख़ास तौर से जाना गया ,हर स्तर के नेताओ ने पार्टी के छोले बदले ,हालत यह हो गयी की दल बदल के कारन प्रमुख पार्टियों के पास चुनाव में उतरने के लिए ढंग के नेता तक नहीं थे ,कांग्रेस का विभाजन कांग्रेस अर्स के रूप में हुआ ,बाड़मेर से कांग्रेस की प्रथम पंक्ति के नेता कौर ,कांग्रेस से तीन बार विधायक रहे , चार बार कांग्रेस से विधायक रहे गंगा राम चौधरी ,कांग्रेस को छोड़ कर कांग्रेस अर्स में शामिल हो गए ,मदन कौर के सामने कांग्रेस ने अमर राम चौधरी को गंगा राम के सामने गुड़ा मालानी से हेमाराम चौधरी तथा चौहटन से अब्दुल हादी के सामने भगवान दास डोशी को मैदान में उतरा ,जनता ने दल बदलुओ को सीरे से ख़ारिज कर उन्हें हरा दिया ,बाद १९८५ में फिर बदलाव हुआ गंगा राम चौधरी और अब्दुल हादी ने कांग्रेस अर्स छोड़ कर लोकदल का दमन थाम लिया ,गंगाराम चौधरी ने बाड़मेर विधानसभा से चुनाव लड़ कांग्रेस के रिखबदास जैन को हरा दिया तो चौहटन में लोकदल के अब्दुल हादी ने कांग्रेस के मोहन लाल डोशी को हरा दिया ,१९९० में फिर गंगा राम चौधरी ने लोक दल को जनता दल में आ गए तथा बाड़मेर से चुनाव लदे कांग्रेस के हेमाराम चौधरी को से हरा दिया ,वाही लोकदल से जनता दल में आई मदन कौर ने गुड़ा से चुनाव लड़ा जहा कांग्रेस के चैनाराम को हरा दिया ,वाही चौहटन में अब्दुल हादी ने जनता दल से चुनाव लड़ कर कांग्रेस के गणपत सिंह को शिकस्त दे दी , 


कांग्रेस ने पचपदरा से नहीं दिया तो कांग्रेस की मदन कौर के सामने चुनाव लड़ा , इस चुनाव में भाजपा के चंपालाल बांठिया दुसरे और मदन कौर तीसरे स्थान पर रही ,१९९३ में जनता दल छोड़ गंगाराम ने भाजपा के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के विरधी चंद जैन को हरा कर विधानसभा में पहुंचे। वही लोकदल ,जनता दल ,कांग्रेस अर्स से वापस कांग्रेस में आये अब्दुल हादी के सामने कांग्रेस के बागी निर्दलीय भगवान दास दोषी ने चुनाव लड़ा ,यहाँ अब्दुल हादी छबीस हज़ार मतो से हार गए ,१९९८ में अमराराम चौधरी भाजपा में शामिल हो गए पचपदरा से चुनाव लड़ा कांग्रेस की मदन कौर को हरा दिया कांग्रेस के कई बार प्रधान रहे तगाराम चौधरी भी भाजपा में शामिल हुए बाड़मेर से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के विरधी चंद से तेंतीस हज़ार मतों से हार गए ,चौहटन में भी कांग्रेस के भगवन दास डोशी ने भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ा और हादी से चुनाव हार गए ,२००३ में सिवान से भाजपा के टीकम चंद कान्त को टिकट नहीं मिला तो निर्दाकीय चुनाव लदे और चुनाव जीते। बाद में वे वापस भाजपा में लौट आये ,बाड़मेर में पुराने दिग्गज नेता दल बदल के लिए काफी बदनाम भी रहे इसके बावजूद जनता ने उन्हें विधान सभा तक पहुँचाया ,बाड़मेर की राजनीती के धुरी माने जाने वाले अब्दुल हादी ,गंगाराम चौधरी ,मदन कौर ,अमराराम दल बदल के लिए खास तौर से जाने जाते रहे हें ,अपनी पार्टी के विरधी चंद जैन हमेशा अडिग रहे


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रविवार, 8 सितंबर 2013

चुनावी चौपाल बाड़मेर विधानसभा चुनाव चौदह चुनावो में मात्र छह बार जीती हें कांग्रेस

गंगा राम चौधरी 

चुनावी रण भेरी 

चुनावी चौपाल बाड़मेर विधानसभा चुनाव 

चौदह चुनावो में मात्र छह बार जीती हें कांग्रेस 


बाड़मेर भारत पाकिस्तान सरहद पर बसे बाड़मेर जिले की बाड़मेर विधानसभा के अब तक हुए चौदह चुनावों में कांग्रेस को मात्र छह बार सफलता मिली वही भाजपा को सिर्फ एक बार खाता खोलने का मौका मिला। बाड़मेर विधानसभा जिला मुख्यालय की सीट होने के कारन यहाँ हर कोई दल अपना विधाय क चाहता हें ,बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र में जातिगत ध्रुवीकरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हें उम्मीदवार के भाग्य का फैसला करने में।



तन सिंह जी 
 बाड़मेर मौजूदा समय में सरवाधिक जाट मतदाता हें जिनकी संख्या लगभग पेंतालिस हज़ार हें इसके बाद मेघवालों के अट्ठाईस हज़ार ,रवाना राजपूतो के बाईस हजार ,राजपूतो के चौदह हज़ार ,जैन लगभग दस हज़ार ,मुस्लिम बारह हज़ार ,ब्राहमण समस्त दस से बारह हज़ार मोटा मोती महत्वपूर्ण मतदाता हें ,पहले विधानसभा चुनाव १९५१ में राम राज्य परिषद् के श्री तन सिंह ने चुनाव जीता तथा बाड़मेर से विधानसभा में पहुँचाने वाले पहले विधायक बने इस समय बाड़मेर नाम से तीन विधानसभा सीट थी जहा दो अन्य पर निर्दलीय नाथू सिंह और माधो सिंह ने चुनाव जीता ,१९५७ में एक बार फिर तन सिंह ने राम राज्य परिषद् से चुनाव लड़ा और जीते।

 १९६२ में रावत उम्मेद सिंह ने निर्दलीय चुनाव जीता ,१९६७ में पहली मर्तबा कांग्रेस के विरधी चाँद जैन ने जनता पार्टी के उम्मेद सिंह को चुनाव में हराकर कांग्रेस का खता खोल विधानसभा में पहुंचे ,इस दौरान तक जात बाहुल्य बायतु बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र का भाग था ,विरधी चाँद जैन की जाट मतदाताओ पर अछि पकड़ होने से पहली बार कांग्रेस को सफलता मिली


वृद्धि चंद 
 इसके बाद १९७२ ,१९७७ में भी विरधी चाँद जैन चुनाव जीते कांग्रेस की और से ,१९८० में कांग्रेस ने पंडित देवदत्त तिवारी को टिकट दिया ,कांग्रेस का अब तक गढ़ बन चुके बाड़मेर में देवदत चुनाव जीत गए ,उसके बाद बाड़मेर विधानसभा चुनावो में फिर बदलाव का दौर आया जाट नेता गंगा राम चौधरी ने वर्ष १९८५ में लोकदल से ,१९९० में जनता दल और १९९३ ने निर्दलीय चुनाव लड़ कर विधानसभा पहुंचे ,इस दौरान भेरो सिंह शेखावत सरकार में मंत्री भी रहे , 






१९९८ में फिर भाजपा ने तगाराम चौधरी को टिकट दिया तो कांग्रेस ने विरधी चाँद जैन को उतार मुकाबला दिलचस्प कर दिया ,यह चुनाव विरधी चाँद जैन ने तीस हज़ार से अधिक जीत विधानसभा की राह पकड़ी ,दो हज़ार तीन में फिर भाजपा के तगाराम चौधरी और कांग्रेस के सामने थे ,
तगा राम 

इस बार वसुंधरा राजे की लहर में विरधिचंद जैन बह गए ,तगाराम चौधरी ने यह चुनाव तेंतीस हज़ार मतों से जीता ,२००८ में भाजपा ने तगाराम की टिकट काट कर गंगाराम चुधारी को दी ,मगर गुटबाजी और चालों के चलते गंगाराम चौधरी की ताकत एन वक़्त काट कर उम्मीदवार मृदुरेखा चौधरी को टिकट दी तो कांग्रेस ने पूर्ण नगर पालिका अध्यक्ष मेवाराम जैन को मैदान में उतार ,मेवाराम जैन ने भाजपा के असंतुस्ठो के सहारे चुनावी वैतरणी करीब चौबीस हज़ार मतों से फिर कांग्रेस की झोली में सीट दी ,विगत चौदह चुनावो में इस विधानसभा के मतदाताओ ने एक ही पार्टी को मौका देने की बजाय अलग अलग दल के लोगो को आजमाया। 
-- बाड़मेर विधानसभा चुनाव परिणाम तब से अब तक 

CandidatePartyYear
तन सिंह रा रा प 1951
नाथू सिंह निर्द 1951
माधो सिंह निर्द 1951
तन सिंह रा रा प 1957
उम्मेद सिंह निर्द 1962
विरधी चंद कांग्रेस 1967
विरधी चंद 
कांग्रेस1972
विरधी चंद कांग्रेस1977
देवदत्त तिवारी Iकांग्रेस1980
गंगाराम चौधरी लोकदल 1985
गंगाराम चौधरी निर्द 1990
गंगाराम चौधरी निर्द 1993
वृद्धि चन्द जैन कांग्रेस 1998
तागा राम चौधरी भाजपा 2003
मेवाराम जैन कांग्रेस 2008