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शनिवार, 1 अक्तूबर 2022

भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर

 नवरात्रि विशेष


भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर


चंदन सिंह भाटी







जैसलमेर पश्चिमी राजस्थान में थार के अंतिम जिले जैसलमेर से करीब 110 कि.मी. दूर पाकिस्तानी सीमा से सटे तनोट क्षेत्र स्थित ‘घन्टयाली माता’ मंदिर शक्तिस्थल के रूप में आम श्रद्धालुओं के अलावा भारतीय सैनिकों व अधिकारियों के आस्था स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर दिनभर सैनिकों एवं फौज का आना-जाना लगा रहता है। इस मंदिर परिसर में सन् 1965 में भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान द्वारा गिराये ‘बम’ भी देवी के चरणों में नतमस्तक होकर नहीं फटे। ये  मंदिर  में आज भी रखे हुए हैं। साथ ही साथ पाक सेना द्वारा इस क्षेत्र में घुसकर मंदिर स्थित अनेक मूर्तियों को

खंडित भी किया गया। वे भी मंदिर में रखी हुई हैं। 1965 की लड़ाई के दौरान घंटियाली माता ने अपने पर्चे भी दिये जिससे सेना व आम नागरिक अभिभूत हो गये।

घन्टयाली माता के मंदिर की देखरेख भी जवान ही करते हैं जो मंदिर में सुबह-शाम पूजा-अर्चना भी करते हैं। यह मंदिर मातेश्वरी तनोट के दर्शन करने जाते समय 7 कि.मी. पहले रास्ते में पड़ता है। घन्टयाली मां के दर्शन अत्यंत ही शुभ माने जाते हैं। घंटियाली माता के मंदिर के बारे में यहां रोचक प्राचीन कथा सुनने को मिलती है। इस संदर्भ में मंदिर परिसर में खंडित मूर्तियों के ऊपर दीवार पर पूरी कथा श्रद्धालुओं को पढऩे को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों ने सीमावर्ती गांवों के पास रहने वालों पर अत्याचार किये व इस दौरान एक परिवार के सभी सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया। उस समय मात्र परिवार की एक गर्भवती महिला हीबची, जो अपने गांव को छोड़कर दूसरे स्थान पर चली गई। कुछ समय के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। बड़ा होने के बाद जब उसने अपने परिवार के बारे में पूछा तो उसकी मां ने उसे सारी घटना से अवगत कराया। इस घटना को सुनकर उसने अपराधियों से बदला लेने की ठानी व एक दिन तलवार लेकर घन्टयाली गांव में आया जहां एक छोटा-सा मंदिर था। 

यहां उसने माता को बच्ची के रूप में देखा। मां ने उसे अपने हाथों से जल पिलाकर उसकी प्यास बुझाकर आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तत्पश्चात उसने चरणों में शीश झुकाकर अपनी इच्छा पूरी करने का उपाय पूछा। जगत जननी माता ने उसे कहा कि तुम केवल एक व्यक्ति को मारना, बाद में सभी एक-दूसरे पर हमला कर मारे जाएंगे। माता की बात सुनकर लड़के ने कहा कि यदि यह चमत्कार हो गया तो मैं पुन: यहां आकर अपना शीश आपके चरणों में चढ़ा दूंगा। उसके बाद वह लड़का उसी गांव में पहुंचा तो उसने देखा कि एक समुदाय की बारात आ रही है। उसने पीछे से एक बाराती को मार डाला। अचानक इस घटना से क्षुब्ध लोग आपस में लड़ पड़े और देखते ही देखते सारे बाराती मारे गये और गांव के अन्य लोग भी। दूर से सब कुछ समाप्त हुआ देख वह पुन: घन्टयाली माता के मंदिर के पास आया

और मां को पुकारने लगा। काफी देर तक जब माता प्रकट न हुई तो वह तलवार से ज्यों ही अपना शीश काटने लगा तभी मां प्रकट हुई और उसका हाथ पकड़कर कहा- मैं तो यहीं विराजमान हूं और मैं अपने भक्तों को दर्शन देकर आगे भी कृतार्थ करती रहूंगी।


इस घटना के बाद दूर-दूर तक मां के चमत्कारी होने की बात फैल गई व दूरदराज से भी ग्रामीण दर्शनाभिलाषी पहुंचने लगे। धीरे-धीरे मंदिर को दूर-दूर तक फैले रेत के टिब्बों के मध्य भव्य रूप प्रदान किया गया। फिर तो भारत-पाक सीमा पर तैनात सेना के जवानों और अधिकारियों ने मंदिर में नित्य पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी जो आज भी जारी है।


घन्टयाली माता के अद्भुत चमत्कार युद्ध में भी दिखाई दिये जिससे सभी में इतनी आस्था प्रबल हो उठी कि आज जैसलमेर आने वाले हजारों पर्यटक चाहे वे विदेशी हों या भारतीय, घन्टयाली माता व तनोट राय के दर्शन किये बगैर नहीं लौटते है। मंदिर में तैनात फौज के जवान पूरी निष्ठा व नि:स्वार्थ भाव से आने वाले भक्तों की सेवा में कोई कमी नहीं रखते। घन्टयाली माता के मंदिर में सभी तरह की सुविधाएं भी मुहैया करवाई गई हैं जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं होती।


फोटो ghantiyali

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बुधवार, 2 अक्तूबर 2019

भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर ,

भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर ,


पश्चिमी राजस्थान मे थार के अतिम जिले जैसलमेर से करीब 115 कि.मी. दूर पाकिस्तानी सीमा से सटे तनोट क्षेत्र स्थित 'घन्टयाली माता' मदिर शक्तिस्थल के रूप मे आम श्रद्धालुओ के अलावा भारतीय सैनिको व अधिकारियो के आस्था स्थल के रूप मे प्रसिद्ध है। यहा पर दिनभर सैनिको एव फौज का आना-जाना लगा रहता है। इस मदिर परिसर मे सन् 1965 मे भारत-पाक युद्ध मे पाकिस्तान द्वारा गिराये 'बम' भी देवी के चरणो मे नतमस्तक होकर नही फटे। ये मंदिर परिसर  मे आज भी रखे हुए है। साथ ही साथ पाक सेना द्वारा इस क्षेत्र मे घुसकर मदिर स्थित अनेक मूर्तियो को खडित भी किया गया। वे भी मदिर मे रखी हुई है। 1965 की लड़ाई के दौरान घन्टयाली माता ने अपने पर्चे भी दिये जिससे सेना व आम नागरिक अभिभूत हो गये।

घन्टयाली माता के मदिर की देखरेख भी जवान ही करते है जो मदिर मे सुबह-शाम पूजा-अर्चना भी करते है। यह मदिर मातेश्वरी तनोट के दर्शन करने जाते समय 7 कि.मी. पहले रास्ते मे पड़ता है। घन्टयाली मा के दर्शन अत्यत ही शुभ माने जाते है।

घन्टयाली माता के मंदिर  के बारे मे यहा रोचक प्राचीन कथा सुनने को मिलती है। इस सदर्भ मे मदिर परिसर मे खडित मूर्तियो के ऊपर दीवार पर पूरी कथा श्रद्धालुओ को पढऩे को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीनकाल मे कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगो ने सीमावर्ती गावो के पास रहने वालो पर अत्याचार किये व इस दौरान एक परिवार के सभी सदस्यो को मौत के घाट उतार दिया गया। उस समय मात्र परिवार की एक गर्भवती महिला ही बची, जो अपने गाव को छोड़कर दूसरे स्थान पर चली गई। कुछ समय के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। बड़ा होने के बाद जब उसने अपने परिवार के बारे मे पूछा तो उसकी मा ने उसे सारी घटना से अवगत कराया। इस घटना को सुनकर उसने अपराधियो से बदला लेने की ठानी व एक दिन तलवार लेकर घन्टयाली गाव मे आया जहा एक छोटा-सा मदिर था। यहा उसने माता को बच्ची के रूप मे देखा। मा ने उसे अपने हाथो से जल पिलाकर उसकी प्यास बुझाकर आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तत्पश्चात उसने चरणो मे शीश झुकाकर अपनी इच्छा पूरी करने का उपाय पूछा। जगत जननी माता ने उसे कहा कि तुम केवल एक व्यक्ति को मारना, बाद मे सभी एक-दूसरे पर हमला कर मारे जाएगे। माता की बात सुनकर लड़के ने कहा कि यदि यह चमत्कार हो गया तो मै पुन: यहा आकर अपना शीश आपके चरणो मे चढ़ा दूगा। उसके बाद वह लड़का उसी गांव  मे पहुचा तो उसने देखा कि एक समुदाय की बारात आ रही है। उसने पीछे से एक बाराती को मार डाला। अचानक इस घटना से क्षुब्ध लोग आपस मे लड़ पड़े और देखते ही देखते सारे बाराती मारे गये और गांव  के अन्य लोग भी।

दूर से सब कुछ समाप्त हुआ देख वह पुन: घन्टयाली माता के मंदिर  के पास आया औरमाँ  को पुकारने लगा। काफी देर तक जब माता प्रकट न हुई तो वह तलवार से ज्यो ही अपना शीश काटने लगा तभी माँ  प्रकट हुई और उसका हाथ पकड़कर कहा- मै तो यही विराजमान हू और मै अपने भक्तो को दर्शन देकर आगे भी कृतार्थ करती रहूगी।

इस घटना के बाद दूर-दूर तक मा के चमत्कारी होने की बात फैल गई व दूरदराज से भी ग्रामीण दर्शनाभिलाषी पहुचने लगे। धीरे-धीरे मदिर को दूर-दूर तक फैले रेत के टिब्बो के मध्य भव्य रूप प्रदान किया गया। फिर तो भारत-पाक सीमा पर तैनात सेना के जवानो और अधिकारियो ने मदिर मे नित्य पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी जो आज भी जारी है।
घन्टयाली माता के अद्भुत चमत्कार युद्ध मे भी दिखाई दिये जिससे सभी मे इतनी आस्था प्रबल हो उठी कि आज जैसलमेर आने वाले हजारो पर्यटक चाहे वे विदेशी हो या भारतीय, घन्टयाली माता व तनोट राय के दर्शन किये बगैर नही लौटते है। मदिर मे तैनात फौज के जवान पूरी निष्ठा व नि:स्वार्थ भाव से आने वाले भक्तो की सेवा मे कोई कमी नही रखते। घन्टयाली माता के मंदिर  मे सभी तरह की सुविधाए भी मुहैया करवाई गई है जिससे श्रद्धालुओ को कोई परेशानी नही होती।

गुरुवार, 18 अक्तूबर 2012

भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर




भारत-पाक सीमा पर है घन्टयाली माता का चमत्कारी मंदिर

पश्चिमी राजस्थान में थार के अंतिम जिले जैसलमेर से करीब 110 कि.मी. दूर पाकिस्तानी सीमा से सटे तनोट क्षेत्र स्थित ‘घन्टयाली माता’ मंदिर शक्तिस्थल के रूप में आम श्रद्धालुओं के अलावा भारतीय सैनिकों व अधिकारियों के आस्था स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पर दिनभर सैनिकों एवं फौज का आना-जाना लगा रहता है। इस मंदिर परिसर में सन् 1965 में भारत-पाक युद्ध में पाकिस्तान द्वारा गिराये ‘बम’ भी देवी के चरणों में नतमस्तक होकर नहीं फटे। ये मङ्क्षदर में आज भी रखे हुए हैं। साथ ही साथ पाक सेना द्वारा इस क्षेत्र में घुसकर मंदिर स्थित अनेक मूर्तियों को खंडित भी किया गया। वे भी मंदिर में रखी हुई हैं। 1965 की लड़ाई के दौरान घन्टयाली माता ने अपने पर्चे भी दिये जिससे सेना व आम नागरिक अभिभूत हो गये।
घन्टयाली माता के मंदिर की देखरेख भी जवान ही करते हैं जो मंदिर में सुबह-शाम पूजा-अर्चना भी करते हैं। यह मंदिर मातेश्वरी तनोट के दर्शन करने जाते समय 7 कि.मी. पहले रास्ते में पड़ता है। घन्टयाली मां के दर्शन अत्यंत ही शुभ माने जाते हैं।
घन्टयाली माता के मंदिर के बारे में यहां रोचक प्राचीन कथा सुनने को मिलती है। इस संदर्भ में मंदिर परिसर में खंडित मूर्तियों के ऊपर दीवार पर पूरी कथा श्रद्धालुओं को पढऩे को मिलती है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीनकाल में कुछ अपराधी प्रवृत्ति के लोगों ने सीमावर्ती गांवों के पास रहने वालों पर अत्याचार किये व इस दौरान एक परिवार के सभी सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया गया। उस समय मात्र परिवार की एक गर्भवती महिला ही बची, जो अपने गांव को छोड़कर दूसरे स्थान पर चली गई। कुछ समय के बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया। बड़ा होने के बाद जब उसने अपने परिवार के बारे में पूछा तो उसकी मां ने उसे सारी घटना से अवगत कराया। इस घटना को सुनकर उसने अपराधियों से बदला लेने की ठानी व एक दिन तलवार लेकर घन्टयाली गांव में आया जहां एक छोटा-सा मंदिर था। यहां उसने माता को बच्ची के रूप में देखा। मां ने उसे अपने हाथों से जल पिलाकर उसकी प्यास बुझाकर आशीर्वाद दिया कि तुम्हारी मनोकामना पूर्ण होगी। तत्पश्चात उसने चरणों में शीश झुकाकर अपनी इच्छा पूरी करने का उपाय पूछा। जगत जननी माता ने उसे कहा कि तुम केवल एक व्यक्ति को मारना, बाद में सभी एक-दूसरे पर हमला कर मारे जाएंगे। माता की बात सुनकर लड़के ने कहा कि यदि यह चमत्कार हो गया तो मैं पुन: यहां आकर अपना शीश आपके चरणों में चढ़ा दूंगा। उसके बाद वह लड़का उसी गांव में पहुंचा तो उसने देखा कि एक समुदाय की बारात आ रही है। उसने पीछे से एक बाराती को मार डाला। अचानक इस घटना से क्षुब्ध लोग आपस में लड़ पड़े और देखते ही देखते सारे बाराती मारे गये और गांव के अन्य लोग भी।
दूर से सब कुछ समाप्त हुआ देख वह पुन: घन्टयाली माता के मंदिर के पास आया और मां को पुकारने लगा। काफी देर तक जब माता प्रकट न हुई तो वह तलवार से ज्यों ही अपना शीश काटने लगा तभी मां प्रकट हुई और उसका हाथ पकड़कर कहा- मैं तो यहीं विराजमान हूं और मैं अपने भक्तों को दर्शन देकर आगे भी कृतार्थ करती रहूंगी।
इस घटना के बाद दूर-दूर तक मां के चमत्कारी होने की बात फैल गई व दूरदराज से भी ग्रामीण दर्शनाभिलाषी पहुंचने लगे। धीरे-धीरे मंदिर को दूर-दूर तक फैले रेत के टिब्बों के मध्य भव्य रूप प्रदान किया गया। फिर तो भारत-पाक सीमा पर तैनात सेना के जवानों और अधिकारियों ने मंदिर में नित्य पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी जो आज भी जारी है।
घन्टयाली माता के अद्भुत चमत्कार युद्ध में भी दिखाई दिये जिससे सभी में इतनी आस्था प्रबल हो उठी कि आज जैसलमेर आने वाले हजारों पर्यटक चाहे वे विदेशी हों या भारतीय, घन्टयाली माता व तनोट राय के दर्शन किये बगैर नहीं लौटते है। मंदिर में तैनात फौज के जवान पूरी निष्ठा व नि:स्वार्थ भाव से आने वाले भक्तों की सेवा में कोई कमी नहीं रखते। घन्टयाली माता के मंदिर में सभी तरह की सुविधाएं भी मुहैया करवाई गई हैं जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी नहीं होती।