.जाटों का भाजपा में रूख का मानस
बाड़मेर राजस्थान की सियासत में आने वाले दिन राजनितिक उथल पुथल के होंगे .विधानसभा चुनावो का समय नजदीक आते आते परंपरागत जाट वोट बैंक कांग्रेस को अलविदा कहने के मूड में हें .प्रभावी जाट नेता के आभाव में कांग्रेस के वोट बैंक का बिखराव शुरू हो गया हें ,जाट राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना दुश्मन नुम्बर वन समझते हें ,.जाटों का मानना हें की गहलोत ने राजस्थान से प्रभावशाली जात नेताओ चाहे मदेरण परिवार हो या मिर्धा परिवार या राजेंद्र चौधरी हो या हरी सिंह चौधरी सभी की सियासत को जमीनोदाज़ कर उनकी राजनितिक जड़ से ख़तम कर जातो को निष्प्रभावी बना दिया .जिसका परिणाम हें की जाट समाज के पास आज राज्य स्तर का एक भी दमदार नेता कांग्रेस में नहीं बचा जात हेमा राम चौधरी और हरीश चौधरी को अपना सर्मान्य नेता मानाने को तयार नहीं क्योंकि इनके छावे अशोक गहलोत के नजदीक होने की हें ,ऐसे में जातो की नज़र कर्नल सोनाराम चौधरी पर हें ,
कर्नल फिल वक़्त में जातो के सर्वमान्य ना सही मगर प्रभावी नेता हें जिनकी बात जाट समाज के लोग मानते हें .कांग्रेस ने जाटों को रिझाने के लिए ही बाड़मेर जैसलमेर सांसद हरीश चौधरी को पार्टी ने ऊँची हैसियत देकर राष्ट्री सचिव बनानाय .राष्ट्रीय सचिव बनाने के बाद पहली बार बाड़मेर पहुंचे हरीश चौधरी के सामान समारोह में अपेक्षा से कही कम भीड़ जुटाना संकेत देता हें की कांग्रेस का यह दाव ज्यादा प्रभावी नहीं होगा .इससे पूर्व
गत दिनों राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी को राष्ट्रीय जल संसाधन कमेटी का अध्यक्ष बनाया था मगर हेमाराम चौधरी के इस सम्मान का बाड़मेर कांग्रेस ने को मान सम्मान नहीं दिया .हेमाराम चौधरी की इस वास्तविक उपलब्धि को कांग्रेस ने नज़र अंदाज किया .हरीश चौधरी के सम्मान समारोह में अल्पसंख्यक मामलात मंत्री अमीन खान और बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी का ना आना भी चर्चा का विषय रहा .जाटों की गहलोत के प्रति खुन्नस आज भी बरकरार हें ,भाजपा के कार्यक्रमों में जात नेताओं की उपस्थिति आश्चर्यजनक रूप से बड़ी हें ,पश्चिमी राजस्थान में जाटों की पैरवी करने वाले नेताओ में कर्नल सोनाराम का नाम आता हें ,जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घुर विरोधी माने जाते हें ,बाड़मेर में सात विधानसभा सीटो में से पांच पर जाट मतदाता अपना प्रभाव रखते हें तथा इन सीटो पर हारजीत प्रभावित करते हें ,भाजपा की प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने कद्दावर जाट नेता गंगा राम चौधरी से हाथ मिला कांग्रेस की मुसीबते और बढ़ा दी , हें भाजपा के गंगाराम चौधरी का जाटो में प्रभाव आज भी बरकरार हें ,
आगामी विधानसभा चुनावों में भाजपा गंगाराम चौधरी के मार्गदर्शन में चुनाव लड़ेगी वाही कांग्रेस हरीश चौधरी ,हेमाराम चौधरी के नेतृत्व में कर्नल सोनाराम पर कांग्रेस दाव खेलेगी इसमे संसय हें अशोक गहलोत सोनाराम को नेतृत्व किसी भी कीमत पर नहीं देंगे यह तय हें ,गत दिनों सोनाराम चौधरी की भाजपा नेताओं के साथ आने की चर्चे जोरो पर थी ,सोनाराम चौधरी इसका खंडन करते रहें हें ,कर्नल बार बार यही दोहराते रहे की उनकी आस्था सोनिया गाँधी और राहुल गांधी में हे ये मेरे नेता हे न की अशोक गहलोत .बहरहाल कांग्रेस के लिए बुरी खबर हें की जाटों का कांग्रेस से पलायन शुरू हो गया .हरीश चौधरी को राष्ट्रिय स्तर पर आगे लाना स्थानीय जाट नेताओं को राश नहीं आ रहा .हालांकि हरीश चौधरी युवा हें .पार्टी ने उन पर विशवास जताया हें .राहुल गांधी और अशोक गहलोत के विशवास पात्रो में शामिल हें जिसका फायदा उन्हें मिला .मगर जनता ने वो उत्साह नहीं दिखाया जिसके हक़दार हरीश चौधरी थे .
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