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सोमवार, 17 अगस्त 2020

बाड़मेर हेमाराम चौधरी बोले मुख्यमंत्री ने कहा था समझौते के सकारात्मक परिणाम आएंगे ,पहले ज्यादा मानसम्मान मिलेगा

बाड़मेर हेमाराम चौधरी बोले  समझौते के सकारात्मक परिणाम आएंगे ,पहले ज्यादा मानसम्मान मिलेगा



बाड़मेर सचिन पायलट के साथ रहे दिग्गज जाट नेता हेमाराम चौधरी अपने बेबाक बयानों के लिए जाने जाते हैं ,उन्होंने सचिन पायलट का बखूबी साथ दिया,सचिन के सबसे भरोसेमंद साथियो में हेमाराम चौधरी शामिल हैं ,पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी ने पुरे घटनाक्रम के बाद बाड़मेर लौटने के बाद आज मिडिया से रूबरू हुए ,उन्होंने फिर कहा की अशोक गहलोत सरकार में डेढ़ साल से हमारे कार्य नहीं होने से हम जनता को जवाब नहीं दे पा रहे थे ,उन्होंने कहा की राजस्थान में सब स्तर से प्रयास करने के बाद भी हमे निराशा हाथ लगी ,तभी यह तय किया गया की हम अपनी बात हाई कमान तक पहुंचाए ,हमने अपनी बात हाई कमान के सामने रखी ,हाई कमान ने हमे पूर्णतः आश्वस्त किया हे की हमारी केवल बात सुनी जाएगी बल्कि पहले से अधिक मानसम्मान मिलेगा ,हेमाराम चौधरी ने कहा की मुख्यमंत्री  जी से शालीनता की उम्मीद करते हैं मगर इस बार उनकी भाषा सीमाएं लांघ गयी फिर भी हम कुछ नहीं बोले ,उनकी शैली से हमे निराशा हुई ,सचिन पायलट में जबरदस्त नेतृत्व क्षमता हैं ,वो एक बेहतरीन मुख्यमंत्री साबित हो सकते हैं ,उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री जी ने हम पर पैसे लेने आरोप लगाए थे साथ यह भी कहा की जिन्होंने पैसे नहीं लिए वापस आ जाये अब तो सब वापस आ गए उन्होंने कहा की हमे न तो पद की जरूरत थी न पैसे की ,पिछली बार मेने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था ,हमारे दिग्गज नेता शेषराम जी ओला ने मुझ पर दबाव दाल के इस्तीफा वापस लेने के लिए मजबूर किया ,मुझे पद की लालसा नहीं हैं ,हम चाहते हे हमारी जनता के काम हो ,उन्होंने स्पस्ट किया की वो इस बार चुनाव लड़ना ही नहीं चाहते थे मगर सचिन पायलट तीन बार मेरे घर आये ,मुझे चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया ,उनकी बात रखनी पड़ी ,एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने बताया की मुख्यमंत्री और मुझे दोनों को अंग्रेजी नहीं आती ,सचिन की परवरिश बड़े घर में हुई उसे आती हैं ,यह कोई मुद्दा या किसी पे कटाक्ष करने के लिए नहीं हैं ,यह उसकी योग्यता हैं ,योग्यता के चलते  वह आगे बढ़ा ,हैं हेमाराम चौधरी ने कहा की हमने पिछली सारी बाते भुला दी ,अब साथ मिलकर जनता के लिए काम करेंगे ,विधानसभा में सीटों को लेकर उन्होंने कहा की इसमें कोई भेदभाव नहीं किया गया यह विधानसभा की व्यवस्था थी ,नियमानुसार ,थी

शनिवार, 1 अगस्त 2020

जैसलमेर सचिन हाई कमान से माफी मांग ले,गले लगा लूंगा;गहलोत

जैसलमेर   सचिन हाई कमान से माफी मांग ले,गले लगा लूंगा;गहलोत

जैसलमेर  अशोक गहलोत ने कहा की भाजपा में वसुंधरा राजे जैसी दमदार नेता से आजकल के नए नेता लेना चाहते हे इन नए नेताओ में दम नहीं हैं,वसुंधरा राजे भाजपा की बड़ी नेता हैं ,नए नेता पार्टी मुख्यमंत्री बनने के सपने देखते हैं ,इनके प्लेन बीच में ही क्रेस हो जाते हैं ,उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा की राजस्थान में जनता की चुनी हुई सरकार गिराने का गंदा खेल अब बंद कर देना चाहिए ,गृह मंत्रालय ,धर्मेंद्र प्रधान ,पियूष गोयल राजस्थान सरकार गिराने में लगे ,हैं गहलोत जैसलमेर से जयपुर जाते वक़्त एयरपोर्ट के बाहर मिडिया से रूबरू हो रहे थे

सियासी जंग के नए कुरुक्षेत्र जैसलमेर में विधायकों के साथ आये मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जयपुर जाने से पहले मीडिया को दिए बयान में कहा कि सचिन पायलट गुट के लिए बोले आलाकमान अगर उनकी गलतियां माफ कर देगा तो मैं गले लगा लूंगा सबको।।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे पर भी किया तंज पता नहीं कहां गायब हो गई है वसुंधरा जी

कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर गहलोत बोले पीएम को आज फिर लिखूंगा पत्र कोरोना को लेकर एक बार फिर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग करने की इच्छा जताई पीएम के साथ गहलोत ने....

सचिन गुट पर किया वार बोले हमारे यहां बाड़ा बंदी नहीं सिर्फ एक साथ रखा गया विधायकों को, पूरी तरह स्वतंत्र हैं सभी विधायक..... उनके यहां कुछ भी करने की आजादी नहीं ना ही फोन पर बात करने की आज़ादी है..…।।.

बुधवार, 29 जुलाई 2020

राज्यपाल ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने की अर्जी तीसरी बार लौटाई; मुख्यमंत्री गहलोत चौथी बार गवर्नर से मिलने पहुंचे

राज्यपाल ने 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने की अर्जी तीसरी बार लौटाई; मुख्यमंत्री गहलोत चौथी बार गवर्नर से मिलने पहुंचे

राजस्थान में सियासी उठापटक के बीच राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाने की अर्जी लगातार तीसरी बार लौटा दी। इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत चौथी बार राज्यपाल से मिलने पहुंचे। दोनों की मुलाकात 15 मिनट चली। गवर्नर ने दूसरी बार अर्जी लौटाते वक्त शर्त रखी थी कि सत्र बुलाने के लिए 21 दिन का नोटिस दिया जाना चाहिए। सरकार ने राज्यपाल की आपत्तियों के जवाब के साथ मंगलवार को तीसरी बार प्रस्ताव भेजा था।

राज्यपाल का प्रेम पत्र मिला: गहलोत
गवर्नर की आपत्तियों वाली चिट्ठी पर गहलोत ने राजभवन जाने से पहले कहा कि प्रेम पत्र तो पहले ही आ चुका है, अब मिलकर पूछूंगा कि क्या चाहते हैं? नोटिस की शर्त को लेकर गहलोत ने कहा कि 21 दिन हों या 31 दिन, जीत हमारी होगी। 70 साल में पहली बार किसी गवर्नर ने इस तरह के सवाल किए हैं। आप समझ सकते हैं कि देश किधर जा रहा है?

राजभवन जाने से पहले गहलोत ने ये भी कहा था कि सरकार गिराने की साजिश की जा रही है, लेकिन हम मजबूत हैं। जिन्होंने धोखा दिया, वे चाहें तो पार्टी में लौटकर आ जाएं और सोनिया गांधी से माफी मांग लें। गहलोत ने गोविंद सिंह डोटासरा के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष का पद संभालने के कार्यक्रम में यह बयान दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा। गहलोत ने कहा कि मोदी जी आप प्रधानमंत्री इसलिए बन पाए, क्योंकि कांग्रेस ने लोकतंत्र की जड़ें मजबूत कीं।

बसपा विधायकों के मामले में भाजपा की 2 पिटीशन

अदालत में कांग्रेस के खिलाफ भाजपा और बसपा के दांवपेंच चल रहे हैं। यह मामला 9 महीने पहले बसपा के सभी 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने से जुड़ा है। भाजपा विधायक मदन दिलावर ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
सोमवार को दिलावर की पिटीशन खारिज हो गई थी, लेकिन मंगलवार को उन्होंने नए सिरे से 2 अर्जी लगा दीं। एक अर्जी बसपा विधायकों के कांग्रेस में जाने के खिलाफ है। दूसरी दलबदल के खिलाफ स्पीकर से शिकायत करने के बावजूद कार्यवाही नहीं होने और बिना वजह बताए शिकायत खारिज करने को लेकर है। दोनों पर आज सुनवाई की उम्मीद है।
दूसरी तरफ खुद बसपा ने भी बुधवार को हाईकोर्ट में पिटीशन फाइल कर दी। पार्टी प्रमुख मायावती ने मंगलवार को कहा था कि हमने राजस्थान में कांग्रेस को बिना शर्त समर्थन दिया, लेकिन अशोक गहलोत ने बसपा को नुकसान पहुंचाने के लिए हमारे विधायकों को असंवैधानिक तरीके से कांग्रेस में शामिल करवा दिया। अब उन्हें सबक सिखाने का वक्त आ गया है।

बसपा के ये 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हुए थे
लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेन्दर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर भरतपुर)।

अपडेट्स

सचिन पायलट ने ट्वीट कर विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को जन्मदिन की बधाई दी है। जोशी ने ही पायलट समेत 19 विधायकों को नोटिस देकर पूछा था कि क्यों ना आपके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही की जाए। इस मामले में सरकार की तरफ से हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी जोशी ही पार्टी थे।

राज्यपाल कलराज मिश्र ने 15 अगस्त को राजभवन में होने वाला ऐट होम कार्यक्रम रद्द कर दिया। इसकी वजह कोरोनावायरस का संक्रमण बताई जा रही है। दूसरी तरफ राजनीति के जानकारों का कहना है कि विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच चल रही खींचतान भी इसकी वजह हो सकती है।
राजस्थान की महिला बाल विकास मंत्री ममता भूपेश ने कहा कि हम राज्यपाल से लोकतांत्रिक परंपराओं को शुद्ध रखने की अपील करना चाहते हैं। हमने कैबिनेट की मीटिंग के बाद तीसरी बार सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा है। राज्यपाल के सवालों के आधार पर हम जवाब भेजते हैं, लेकिन हर बार कोई नया सवाल आ जाता है।
सियासी उठापटक के बीच गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाल लिया। सचिन पायलट के बागी होने की वजह से उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटाकर डोटासरा को जिम्मेदारी दी गई थी।
पायलट गुट भी हाईकोर्ट पहुंचा, एसओजी जांच रद्द करने की मांग
सचिन पायलट खेमे के विधायक भंवरलाल शर्मा ने मंगलवार को हाईकोर्ट में अर्जी लगाई। उन्होंने अपील की है कि विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले की जांच राजस्थान सरकार की एसओजी की जगह केंद्र की जांच एजेंसी एनआईए से करवाई जाए। एसओजी ने सोशल मीडिया पर वायरल हुई ऑडियो क्लिप के आधार पर एफआईआर दर्ज की है, इसलिए जांच रद्द होनी चाहिए। भंवरलाल ने केंद्र और राज्य सरकार के साथ जांच अधिकारी को भी पक्षकार बनाया है।

मंगलवार, 28 जुलाई 2020

बाड़ाबंदी खुलते गहलोत खेमे के 15 विधायक हमारे पास आ जायेंगे हेमाराम चौधरी

बाड़ाबंदी खुलते गहलोत खेमे के 15 विधायक हमारे पास आ जायेंगे हेमाराम चौधरी 

बाड़मेर जिले के गुड़ामालानी से कांग्रेस के विधायक हेमाराम चौधरी के बगावती तेवर जारी है। राजस्थान की सियासत में 18 दिन से घमासान चल रहा है। सचिन पायलट और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बीच शुरू विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। दो खेमों में बंटी कांग्रेस की अंदरुनी लड़ाई हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राजभवन पहुंचने के बाद अब सड़कों पर आ चुकी है। गहलोत समर्थकों का आरोप है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करने का प्रयास कर रहा है। सोमवार को कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि कि सचिन पायलट के गुट के तीन विधायक उसके संपर्क में हैं और 48 घंटे में जयपुर वाले होटल पहुंच जाएंगे। इस बयान के बाद पायलट गुट के विधायक और दिग्गज नेता हेमाराम चौधरी ने एक वीडियो जारी कर सुरजेवाला को जवाब दिया। चौधरी ने कहा कि पायलट के सभी 19 विधायक एकजुट है और एक भी इधर-उधर नहीं होगा। गहलोत गुट के 10-15 विधायक उनके संपर्क में है, अगर बाड़ाबंदी खोल दें तो आज ही भाग कर आ जाएं। गुड़ामालानी विधायक हेमाराम चौधरी ने 18 दिन में तीसरा वीडियो जारी किया और कांग्रेस नेता रणजीत सुरजेवाला के उस बयान का जबाव दिया, जिसमें कहा था कि पायलट गुट के 3 विधायक 48 घंटे में जयपुर होटल में आ जाएंगे। चौधरी ने कहा कि पायलट गुट में हम 19 विधायक है और एक भी इधर-उधर नहीं होंगे। गहलोत गुट में बाड़ाबंदी में बैठे विधायकों में हताशा है, उन विधायकों को दिलासा दिलाने के लिए रणजीत सुरजेवाला ने इस तरह का बयान दिया है कि उनके विधायक कहीं भाग नहीं जाएं। गहलोत खेमे के 10-15 विधायक उनके संपर्क में है, वे कहते है कि जैसे ही बाड़ाबंदी खुलेगी तो हम भाग कर आ जाएंगे। इसलिए सुरजेवाला ने इस तरह का बयान उनके विधायकों को बाड़ाबंदी में रोकने और हताश विधायकों का मनोबल बढ़ाने के लिए दिया गया है। पायलट गुट के सभी विधायक एकजुट है।

फोटो हेमाराम चौधरी
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शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

पायलट गुट की याचिका पर केंद्र सरकार भी पक्षकार, HC ने स्वीकारी अर्जी

  पायलट गुट की याचिका पर केंद्र सरकार भी पक्षकार, HC ने स्वीकारी अर्जी
Rajasthan Politics News: पायलट गुट की याचिका पर केंद्र सरकार भी पक्षकार, HC ने स्वीकारी अर्जी
राजस्थान में पिछले 14 दिन से चल रहे सियासी संकट का आज फाइनल है। स्पीकर की तरफ से कांग्रेस के बागी 19 विधायकों को जारी नोटिस के खिलाफ पायलट खेमे की याचिका पर हाई कोर्ट थोड़ी देर में अपना फैसला सुनाएगा। इस बीच, सचिन पायलट गुट की अर्जी को हाई कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। मामले में केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाने का आग्रह किया गया था।

पायलट गुल की तरफ से हाई कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा था कि है कि याचिकाकर्ता ने संविधान की दसवीं अनुसूची के पैरा-2-ए की संवैधानिकता को चुनौती दी है, इसलिए केंद्र सरकार को इसमें पार्टी बनाया जाए। स्पीकर की ओर से सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों को जारी नोटिस की वैधानिकता को लेकर पायलट खेमा हाईकोर्ट पहुंचा था। 21 जुलाई को कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए विधानसभा स्पीकर से 24 जुलाई तक अयोग्यता कार्यवाही न करने का निर्देश दिया था।

राजस्थान के सियासी संघषर्ष में विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा। जोशी की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सचिन पायलट और 18 अन्य बागी कांग्रेस विधायकों के मामले में हाई कोर्ट के फैसला सुनाने पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। हालांकि यह जरूर कहा कि हाई कोर्ट का जो भी फैसला होगा वह सुप्रीम कोर्ट के अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। अदालत सोमवार को इस मामले में विस्तृत सुनवाई करेगी।


'वेट एंड वॉच' की भूमिका में भाजपा

राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम में राजस्थान भाजपा 'वेट एंड वॉच' की भूमिका में है। पार्टी के नेता बैठकें तो कर रहे हैं लेकिन सबको कोर्ट के फैसले और विधानसभा सत्र का ही इंतजार है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जब तक कोर्ट का फैसला और विधानसभा सत्र की बात स्पष्ट नहीं होती, तब तक सब कुछ अनिश्चित है। पार्टी इस मामले में आलाकमान के निर्देशों पर भी निर्भर है। वहां से मिले निर्देशों के बाद ही पार्टी आगे बढ़ेगी। विधायक दल की बैठक के बारे में भी अभी कुछ तय नहीं है।

अगर परिस्थितियां बनती हैं तो सचिन पायलट बन सकते हैं मुख्यमंत्री: सतीश पुनिया

अगर परिस्थितियां बनती हैं तो सचिन पायलट बन सकते हैं मुख्यमंत्री: सतीश पुनिया
Rajasthan Political Crisis: अगर परिस्थितियां बनती हैं तो सचिन पायलट बन सकते हैं मुख्यमंत्री: सतीश पुनिया
जयपुर, राज्य ब्यूरो। राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया का कहना है कि यदि परिस्थितियां बनीं तो सचिन पायलट भी मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने पायलट को राष्ट्रीय नेता बताते हुए कहा कि कांग्रेस को भाजपा पर आरोप लगाने के बजाए अपना घर संभालना चाहिए। एक न्यूज एजेंसी से बातचीत में पूनिया कहा कि सचिन पायलट पिछले डेढ़ वर्ष से प्रदेश के उप मुख्यमंत्री थे। वह पिछले छह वर्ष से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी थे। ऐसे में भाजपा पर उन्हें संरक्षण देने का आरोप क्यों लगाया जा रहा है।वास्तव में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद अपनी पार्टी के गुजरात और मध्यप्रदेश के विधायकों को संरक्षण दे रहे थे, जो यहां आकर होटलों में रूके हुए थे। अब पायलट के पास दूसरे राज्यों में समर्थक क्यों नहीं हो सकते। वह राष्ट्रीय स्तर के नेता हैं, जिनके पास लोगों का अच्छा समर्थन है। पूनिया ने कहा कि परिस्थितियां बनती हैं तो सचिन पायलट मुख्यमंत्री बन सकते हैं। उन्होंने कोई लक्ष्य रखकर इतना बड़ा कदम उठाया है। हालांकि अभी मामला अदालत में है और अभी इस बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। पहले उन्हें तय करना है कि उन्हें क्या कदम उठना है। उसके बाद ही हम अपना निर्णय करेंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि गहलोत सरकार गिरने की स्थिति में आ गई है।

भाजपा की स्थितियों पर है पैनी नजर

पूनिया ने कहा कि हमारी पार्टी सभी स्थितियों पर नजर बनाए हुए है, क्योंकि कांग्रेस के बाद हमारी सबसे ज्यादा सीटें हैं। पूनिया ने कहा कि यदि सरकार के पास बहुमत होता तो वह विधायकों को एक सााह से होटल में नहीं लेकर बैठी होती। पहले उन्होंने 109 विधायक होने का दावा किया था, जबकि 19 विधायक हरियाणा में थे। इन्हें राज्यसभा चुनाव में 125 विधायकों का समर्थन प्राप्त था, जबकि 19 बागी हो गए हैं और तीन निर्दलीय भी समर्थन नहीं दे रहे हैं।

गुरुवार, 23 जुलाई 2020

सचिन पायलट ने जीती सुप्रीम कोर्ट की जंग, कल राजस्थान हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला

सचिन पायलट ने जीती सुप्रीम कोर्ट की जंग, कल राजस्थान हाईकोर्ट सुनाएगा फैसला


सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट को सचिन पायलट और अन्य कांग्रेसी विधायकों द्वारा अयोग्यता नोटिस को चुनौती देने वाली याचिका पर कल आदेश पारित करने की अनुमति दे दी है। सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान के स्पीकर सीपी जोशी की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि विरोध की आवाज को लोकतंत्र में दबाया नहीं जा सकता है। जोशी ने पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट और 18 कांग्रेस विधायकों के खिलाफ दलबदल विरोधी कार्यवाही को 24 जुलाई तक स्थगित करने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में सीपी जोशी का पक्ष कपिल सिब्बल ने रखा था। आपको बता दें कि सीपी जोशी ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर त्वरित सुनवाई की मांग की थी जिसे कोर्ट ने इनकार कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मुख्य बातें

- जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा कि क्या जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि को अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते? उन्होंने कहा कि असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र में क्या किसी को इस तरह चुप कराया जा सकता है?

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपसे  (राजस्थान) HC ने केवल 24 जुलाई तक इंतजार करने का अनुरोध किया है। स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि आदेश में 'निर्देश' शब्द को हटाए, अदालत ऐसा नहीं कर सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा तो समस्या केवल शब्द के साथ है? आदेश में 'अनुरोध' होता है।

- कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अध्यक्ष से एक तय समय सीमा के भीतर अयोग्यता पर फैसला लेने के लिए कहा जा सकता है, लेकिन कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह कोई साधारण मामला नहीं है, ये विधायक निर्वाचित प्रतिनिधि हैं। यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही स्वीकृति योग्य है या नहीं। विरोध की आवाज को लोकतंत्र में दबाया नहीं जा सकता।

- सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल से पूछा कि किस आधार पर अयोग्य करार दिए गए थे? सिब्बल ने अदालत से कहा कि विधायक पार्टी मीट में शामिल नहीं हुए, वे पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं। वे हरियाणा के एक होटल और अपनी पार्टी के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की मांग कर रहे हैं।

- जस्टिस अरुण मिश्रा ने सिब्बल से पूछा कि क्या एक जनता द्वारा चुने गए व्यक्ति अपनी असहमति व्यक्त नहीं कर सकते? असंतोष की आवाज को दबाया नहीं जा सकता। लोकतंत्र में क्या किसी को इस तरह बंद किया जा सकता है?

- कपिल सिब्बल ने कहा कि इस स्तर पर एक सुरक्षात्मक आदेश नहीं हो सकता है। जब राजस्थान हाईकोर्ट ने नोटिस पर जवाब देने के लिए समय बढ़ाया और कहा कि कोई निर्देश पारित नहीं किया जाएगा, तो यह एक सुरक्षात्मक आदेश था।

- स्पीकर के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि एक फैसले से पहले जब तक निलंबन या अयोग्यता नहीं होती तब तक कोई हस्तक्षेप नहीं हो सकता (अदालत द्वारा)।

- राजस्थान अध्यक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि स्पीकर को 'निर्देश नहीं' दिया जा सकता है और राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पीकर को निर्देश जारी करना गलत था। यह तय कानून के खिलाफ है।

- राजस्थान के अध्यक्ष सीपी जोशी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोर्ट स्पीकर को यह निर्देश नहीं दे सकती कि दलबदल विरोधी नोटिसों पर वह विधायकों को अपना जवाब दाखिल करने का समय बढ़ाएं। यह अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

- विधानसभा अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बुधवार को मामले की त्वरित  सुनवाई के लिए मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष विशेष उल्लेख किया, लेकिन उसने त्वरित सुनवाई से फिलहाल इनकार कर दिया।


- न्यायमूर्ति बोबडे ने कहा कि वह रजिस्ट्री जाएं। सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री जैसा तय करेगी उसी के अनुसार सुनवाई होगी।
 अध्यक्ष ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें उसने शुक्रवार तक सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई पर रोक लगा दी है।


सीपी जोशी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में क्या कहा है

याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट विधानसभा अध्यक्ष को सचिन गुट पर कार्रवाई करने से नहीं रोक सकता। न्यायालय का कल का आदेश न्यायपालिका और विधायिका में टकराव पैदा करता है। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगाए जाने की भी मांग शीर्ष अदालत से की है। याचिका में अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसले का हवाला भी दिया है और कहा है कि शीर्ष अदालत ने अपने पुराने फैसले में कहा है कि जब तक अयोग्यता की कार्यवाही पूरी नहीं होती, तब तक अध्यक्ष की कार्रवाई में न्यायालय दखलंदाजी नहीं कर सकता।

शुक्रवार, 22 नवंबर 2019

जैसलमेर सभापति चुनाव सचिन गहलोत की मूंछ की लड़ाई बनी


जैसलमेर सभापति चुनाव  सचिन गहलोत की मूंछ की लड़ाई बनी 

जैसलमेर जैसलमेर नगर परिषद चुनावो में बहुमत से दूर रही कांग्रेस और भाजपा अपने अपने सभापति बनाने के दांव  हैं कोंग्रस के चार तो भाजपा का एक प्रत्यासी मैदान में हे ,कांग्रेस की लड़ाई विधायक रूपाराम धंदे और फ़क़ीर परिवार से निकल सचिन पायलट और अशोक गहलोत की मूंछ की लड़ाई बन गयी हैं ,सचिन पायलट गट के विधायक रूपाराम धंदे अपने आदमी को सचिन से टिकट दिला पहली बाज़ी जीत ली. तो फ़क़ीर गुट  ने पूर्व विधायक दिवंगत गोवर्धन कल्ला के परिवार के हरिवल्लभ कल्ला पर दांव खेलते हुए उन्हें सभापति का दावेदार बनाते हुए फार्म दाखिल करवा दिया , इधर सूत्रानुसार विधायक खेमे में दस तो फ़क़ीर गुट के पास तीन निर्दलीय सहित 16 पार्षद होने का दावा किया जा रहा हैं ,इधर भाजपा द्वारा पहली बार राजपूत उम्मीदवार उतारने के बाद भाजपा में धड़ेबंदी हो गई ,भाजपा में तोड़फोड़ की सम्भावना इंकार नहीं किया जा सकता ,कांग्रेस ने सामान्य चेहरा कमलेश छंगाणी को उतरा जिस पर  विवाद उभर आया ,कांग्रेस के अधिकांश लोग हरिवल्ल्भ कल्ला को बनाने के पक्ष में हैं ,सभापति की इस जंग को सचिन गहलोत की लड़ाई के रूप में देखि जा रही हैं ,सूत्रानुसार अशोक गहलोत की इच्छा हे हरिवलभ कल्ला सभापति बने ,उनके इसारे पर ही कल्ला को मैदान में उतारा गया हैं   ,जैसलमेर की राजनीती में चाणक्य माने जाने वाले धुरंधर फ़क़ीर गुट खुलकर कल्ला का साथ दे रहे हैं ,इस गुट मे पूर्व सभापति अशोक तंवर ,प्रधान अमरदीन फ़क़ीर ने कमान संभल रखी हैं ,तो कांग्रेस प्रत्यासी के पक्ष में विधायक रूपाराम धंदे अपनी ताकत लगा रहे हैं ,भाजपा द्वारा शहर की दो प्रमुख जातियों ब्राह्मण और हज़ूरी के उम्मीदवारों को किनारे कर राजपूत उम्मीदवार विक्रम सिंह को उतारा हे जिसे अधिकांश भाजपाई पचा नहीं पा रहे ,विधायक खेमे के दो पार्षद  फ़क़ीर के साथ हे फ़क़ीर गट ने तीन निर्दलीय और भाजपा के कुछ पार्षदों का समर्थन हासिल करने का दावा किया हैं ,चुनाव में तीन दिन बाकि हैं,एक बार फिर वर्चस्व की इस लड़ाई में कौन आगे रहेगा यह समय के गर्भ में हैं,कांग्रेस के ही दो पार्षद प्रवीण सुदा और खीम सिंह भी सभापति पद के लिए ताल ठोक  चुके हैं , सम्भावना हे ये दोनों फ़क़ीर गुट  के समर्थन में फार्म वापिस लेंगे,सभापति चुनाव को विधायक और फ़क़ीर गुट अपनी अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना बैठे हैं , भाजपा कांग्रेस की गुटबाज़ी का फायदा उठा  कांग्रेस से जीते राजपूत उम्मीदवारों को समाज के नाम पर तोड़ने का दांव खेल रही हैं,

सोमवार, 10 जून 2019

foto सचिन पायलट के देसी ठाठ,जालौर के कासेला गांव में किसान जयकिशन के घर पर पायलट का ये देसी अंदाज

 फोटो सचिन पायलट के देसी ठाठ,जालौर के कासेला गांव में किसान जयकिशन के घर पर पायलट का ये देसी अंदाज 

फेसबुक पर वायरल हुए डिप्टी CM सचिन पायलट के देसी ठाठ, खाट पर खाना-पीना और सेविंग स्टाइल
राजस्थान के डिप्टी सीएम और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट का ठेठ देसी अंदाज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. खेत के बीच चारपाई (खाट) पर बैठे हुए बातचीत करते हुए, खाना खाते हुए और रात को खुले में उसी खाट पर आराम करते फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं.







राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष और डिप्टी सीएम सचिन पायलट का ठेठ देसी अंदाज सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पायलट के फॉलोवर्स के बीच उनके खेत के बीच चारपाई (खाट) पर बैठे हुए बातचीत करते, खाना खाते हुए और रात को खुले में उसी खाट पर आराम करते फोटो तेजी से वायरल हो रहे हैं. दरअसल, पायलट अपने दो दिवसीय मारवाड़ा दौरे पर ग्रामीण अंचल में रुके हैं. इस दौरान वे किसानों के बीच उनके खेत में रात को बातचीत करते नजर आए. रात का खाना, सोना और फिर सुबह दातुन और सेविंग भी खुले आसमान के नीचे करते दिखे. बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इस दौरान दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और पार्टी के शीर्ष नेताओं से मिल रहे हैं. वहीं डिप्टी सीएम पायलट प्रदेश में ग्राउंड पर लोगों के बीच नजर आ रहे हैं. अगली स्लाइड्स में जालौर के कासेला गांव में किसान जयकिशन के घर पर पायलट का ये देसी अंदाज को बयां करती तस्वीरों के साथ पढ़ें- पायलट की यात्रा की कहानी




पायलट ने रविवार को सांचोर के ग्राम कासेला में रात्रि विश्राम के दौरान ग्रामीणों से मुलाकात की.





किसान जयकिशन के यहां पायलट रुके और वहीं रात बिताई. सोमवार को पायलट ने कहा कि दो साल पहले भी वे इसी गांव में रूके थे.







पायलट ने यहीं पर रात का भोजन किया. सुबह उन्होंने किसान परिवार के लोगों एवं ग्रामीणों के द्वारा किये गए आदर-सत्कार के लिए आभार व्यक्त किया.







मारवाड़ दौरे पर आए सचिन पायलट ने पहले दिन सांचौर के समीप कासेला गांव में किसान के बीच समय बिताया.








सचिन पायलट यहां खुले आसमान के नीचे खेतो में चारपाई पर सोए तो वही अपने पुराने मित्र जयकिशन बिश्नोई के साथ खेत में बैठकर ही खाना भी खाया. सोशल मीडिया पर शेयर इस तस्वीर में पायलट के देसी अंदाज के साथ बोतलबंद पानी भी नजर आ रहा है.







दरअसल सचिन पायलट दो दिवसीय सिरोही, जालौर और पाली दौरे पर हैं.







इस दौरान आमजन से मिलने के साथ विभागीय अधिकारियों से समीक्षा बैठक के दौरान आमजन के कार्यों को जल्द पूरा करने के लिए निर्देशित कर रहे हैं.








पायलट का यह देसी अंदाज सोमवार को सभी को पसंद आया क्योंकि दो साल पहले जय किशन बिश्नोई से फिर उनके खेत पर आने का किया वादा पायलट ने पूरा किया. (फोटो- सुबह दातुन करते हुए.)







दो साल पहले जब पायलट सिर्फ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष थे तब उन्होंने इसी खेत में रात बिताई थी अब जब वे उप मुख्यमंत्री बने हैं और फिर से जालौर जिले के दौरे पर हैं तो वह अपने पुराने मित्र से मिलना नहीं भूले.







सचिन पायलट रविवार को पूरे दिन एक्शन में नजर आए. दिन भर नो आराम-ओनली काम की रणनीति बनाकर जनता के बीच पहुंचे और शाम को फिर खेतों में किसान के रूप में रुक कर सरकार और आमजन के बीच की दूरी को कम करने का प्रयास किया.







फोटो- पायलट दो साल बाद फिर एक बार रात को वहीं पर रुके और किसान जयकिशन बिश्नोई साथ भोजन किया.

बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

*बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से सिद्धि कुमारी का तोड़ हो सकता है ओबीसी उम्मीदवार गजेंद्र सिंह सांखला*


*बीकानेर पूर्व विधानसभा क्षेत्र से सिद्धि कुमारी का तोड़ हो सकता है ओबीसी उम्मीदवार गजेंद्र सिंह सांखला*



*बीकानेर बीकानेर राजघराने की सदस्य सिद्धि कुमारी लगातार दो बार बीकानेर पूर्व से विधायक बन  राजनीति का केंद्र बनी है। कांग्रेस आने वाले चुनाव में सिद्धि कुमारी का तोड़ खोज रहे है।।कई उम्मीदवारों की तलाश के बाद इस सीट के जातीय समीकरण तोड़ने वाला शख्स नजर नही आया।।हाल ही में कांग्रेस के सच्चे सिपाही बीस साल से कांग्रेस के विभिन पदों पर आसीन गजेंद्र सिंह सांखला का नाम चर्चा में आया है। गजेंद्र सिंह सांखला बीकानेर का जाना पहचाना चेहरा है जो बीस साल से अधिक समय से कांग्रेस के साथ जुड़ा है।  बीकानेर पूर्व में करीब पच्चीस हजार रावणा राजपूत मतदाता  है जो परंपरागत रूप से कांग्रेस से जुड़ा है।।सांखला इनका प्रतिनिधित्व करते है।।कांग्रेस द्वारा ओबीसी को इस बार टिकट देने के निर्णय के पढचत गजेंद्र सिंह सांखला ने अपनी सशक्त दावेदारी पेश की है।।सिद्धि कुमारी हाई प्रोफाइल विधायक होने के चलते आम मतदाताओं की पहुंच से दूर है यही उनके प्रति क्षेत्र में बड़ी नाराजगी की वजह बनी है। सिद्धि कुमारी इस बार भी चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी में है।।कांग्रेस गत दो चुनाव में प्रत्यासी बदल कर देख लिए मगर उन्हें सफलता नही मिली।।2008 में कांग्रेस ने सिद्धि कुमारी के सामने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए तनवीर मालावत को उतारा मगर वो चुनाव हार गए। 2013 में यहां से भाजपा के प्रत्यासी पैनल में स्थापित नाम गोपाल गहलोत को कांग्रेस में लाकर चुनाव लड़ाया मगर ये भी 24 हजार से अधिक मतों से हर गए। इस बार सिद्धि कुमारी का तोड़ कांग्रेस के पास ओबीसी दावेदार के रूप में गजेंद्र सिंह सांखला है। सांखला को मैदान में उतार कांग्रेस अपने से दूर जा रहे ओबीसी वर्ग को जोड़ने के साथ पूरे प्रदेश में रावण राजपूत समाज को अपने साथ जोड़ने का संदेश दे सकते है।।सचिन पायलट ने रावणा राजपूत समाज को टिकट देने का फैसला लिया था उसके अनुसार बीकानेर पूर्व में गजेंद्र सिंह सशक्त होकर उभरे है। गजेंद्र सिंह उच्च शिक्षित और आर्थिक रूप से संबल प्राप्त है।।1991 से कांग्रेस के साथ सक्रिय रूप से जुड़े है।।सांखला कांग्रेस संगठन में जिला प्रवक्ता संभाग प्रवक्ता की जिम्मेदारी वहन कर चुके है। संगठन में सचिव,सयुंक्त सचिव पद पर अपनी सेवाए दे चुके है वर्तम्मान में सांखला जिला उपाध्यक्ष पद पर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है।।सांखला रावणा राजपूत सेवा परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष पद और कार्यरत है।।सांखला की समाज मे अच्छी पकड़ है।।समाज के राजड़थ्सन में छह फीसदी कुल मत है।जिसका फायदा कांग्रेस को मिल सकता है। गजेंद्र सिंह सांखला सिद्धि कुमारी को हराने के लिए कांग्रेस के लिए ब्रह्मास्त्र साबित हो सकते हैं।।

शनिवार, 10 मार्च 2018

बाड़मेर कांग्रेस को आज़ाद के रूप में ब्रह्मास्त्र मिला।बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा में राजपूत वोट होंगे प्रभावित*



बाड़मेर कांग्रेस को आज़ाद के रूप में ब्रह्मास्त्र मिला।बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा में राजपूत वोट होंगे प्रभावित*



*बाड़मेर लम्बे समय से कांग्रेस के अध्यक्ष सचिन पायलट,पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,पूर्व मंत्री अमीन खान सहित कई नेता कांग्रेस में राजपूतो को जोड़ने की पैरवी कर चुके है।ऐसे बयानों के बीच बाड़मेर की राजनीति में एक राजपूत युवा के कांग्रेस के बैनर पर उदय हुआ।युवाओ के आइडियल रहे उद्द्यमी और सामाजिक सरोकार ग्रुप फ़ॉर पीपल ,राजस्थान क्रिकेट संघ सहित कई संगठनों में सक्रिय आज़ाद सिंह राठौड़ ने कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने के बाद बहुत कम समय मे अपनी खास पहचान बाड़मेर में बना ली।आज़ादी के बाद यह पहला मौका है कि कांग्रेस के बैनर पर एक राजपूत युवा का ध्रुव तारे की तरह उदय हुआ।आज़ाद को युवाओ ने हाथों हाथ लिया ही आम जन ने भी उन्हें बहुत जल्द अपना लिया।जॉइन करते किसी नेता को जनता ने इतनी ऊंचाई किसी को नही दी जितनी आज़ाद को मिली।मात्र चार माह में बाड़मेर शहर सहित ग्रामीण इलाकों में अब तक साठ से अधिक सभाएं पब्लिक डिमांड पर हो चुकी है।दो दर्जन से अधिक सामाजिक कार्यक्रमो में भी शिरकत कर चुके।यहां यह सब इसीलिए बताया जा रहा है कि आज़ाद सिंह के आने से कांग्रेस का राजपूत वोट बैंक बढ़ने के आसार साफ नजर आ रहे।हाल ही में जिला परिषद के उप चुनावो में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं के साथ राजपूत बाहुल्य क्षेत्रों में बड़ी सभाएं कर राजपूतो को प्रभावित करने में सफल रहे।दिग्गज नेता अमीन खान ने खुद आज़ाद सिंह को निमंत्रण भेज उनका उप चुनाव में बेहतर इस्तेमाल किया।




*उप चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार खिमावती कांग्रेस जिला अध्यक्ष सहित वरिष्ट नेताओंके साथ आज़ाद सिंह का आभार धन्यवाद देने उनके कार्यालय जीत के तुरंत बाद पहुंच गई।।यह आज़ाद सिंह के कद को बयां करता है।।*



कांग्रेस के नेता भी एक ऐसा राजपूत नेता चाहते है जो विधानसभा चुनावों में उनका सहयोग कर सके। यह कमी आज़ाद सिंह पूरी करते है ।।शिक्षित होने के साथ सकारात्मक सोच उन्हें और मजबूती प्रदान करती है।मुद्दों पे उनकी अच्छी पकड़ के साथ भाषण देने का बिशिष्ट अंदाज़ भी लोगो को भा रहा हैं।




*बाड़मेर जैसलमेर की नो विधानसभा सीट में राजपूत वोटर प्रभावी हैं।आज़ाद सिंह युवा होने के साथ आकर्षक व्यक्तित्व और अपने खास कुशल व्यवहार के चलते लोगो मे काफी लोकप्रिय है।इसीलिए आज़ाद सिंह का उपयोग कांग्रेस युवा राजपूत नेता के रूप में सभी विधानसभा में करना चाहेगी ताकि कांग्रेस के साथ राजपूत सीधे जुड़े।ऐसा नही है कि आज़ाद सिंह राजपूत होने के कारण सिर्फ राजपूतो में प्रभावी है।आज़ाद सिंह अपने व्यवहार,और मृदु भाषा के लिए सभी समाजो में बराबर लोकप्रिय है।खासकर युवा वर्ग उनका दीवाना है।सबसे बड़ी बात आज़ाद सिंह कांग्रेस में आने के बाद बड़ी संख्या में युवाओ को कांग्रेस के साथ लाने में न केवल सफल रहे बल्कि इन युवाओ को किसी खास मौके पर कांग्रेस की सदस्यता दिलाने में जुटे हैं।कांग्रेस वर्तमान परिस्थितियों में अच्छी स्थति में है ऐसे में आज़ाद सिंह जैसे युवा को मैदान में उतार विरोधियों को हैरान करने के साथ राजपूतो को पार्टी में जोड़ने की मुहिम के

को मूर्त रूप दे सकते हैं।कांग्रेस के स्थानीय वरिष्ठ नेता आज़द सिंह का उपयोग अपने अपने विधानसभा क्षेत्रों में कर सकते है।कांग्रेस को आजाद के रूप में एक ब्रह्मास्त्र मिला जिसे विधानसभा चुनावों में चलाया जा सकता हैं।कांग्रेस में बाड़मेर जिले में एक भी कद्दावर राजपूत नेता कांग्रेस में 1971 के बाद से नही है।इसकी कमी कुछ हद तक आज़ाद सिंह ने पूर्ति करने का प्रयास किया।।सबसे बड़ी बात लोग उन्हें स्वीकर कर रहे हैं।सबसे बड़ी बात की कम समय मे आज़ाद ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का विश्वास हासील किया!

सोमवार, 7 नवंबर 2016

बाड़मेर बदलेंगे कांग्रेस के राजनीती हालात।।बदलेंगे उम्मीदवार पुराने चेहरों से होगी तौबा।।कसरत जारी।

बाड़मेर बदलेंगे कांग्रेस के राजनीती हालात।।बदलेंगे उम्मीदवार पुराने चेहरों से होगी तौबा।।कसरत जारी।


बाड़मेर हालाँकि विधानसभा चुनावों में कोई डेढ़ साल का वक़्त बाकी हैं।मगर पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिलो बाड़मेर जैसलमेर में कांग्रेस जबर्दस्त मसक्कत कर रही हैं।प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट ने वर्तमान नेताओ की धरातल रिपोर्ट बारीकी से अपने विश्वशनीय नेता के जरिये मांगी हैं ।मोटे तौर पर गोपनीय रिपोर्ट से सामने आया की जैसलमेर के कारण इन दोनों जिलो के जातिगत उम्मीदवारों में फेरबदल तय हैं।जैसलमेर में पिछले उम्मीदवार रूपाराम धनदे को सामान्य सीट से उतारना लगभग तय हैं।।कांग्रेस रूपाराम धनदे पे फिर भरोसा कर सकती हैं। यह गोपनीय रिपॉर्ट बताती हैं। शिव विधानसभा से पिछले उम्मीदवार को बदलने की जरुरत बताई।हालांकि उन्हें विनिंग उम्मीदवार माना गया हैं पर उनकी निष्ठा पर सवालिया निशान की।खबर है जिसके चलते इस क्षेत्र में सचिन की टीम में युवा को मौका देने की संभावना हैं।।चोहटन से पिछले उम्मीदवार को बदलने की आवश्यकता बताई हैं। जनाधार और लोमप्रियता में कमी मुख्य कारण माना जा रहा हैं। गुड़ामालानी से नया चेहरा होगा ।यह चेहरा राजनितिक समीक्षकों को भी चोंकायेगा।।बायतु से वरिष्ठ नेता के चुनाव लड़ने की खबर हैं। यहाँ से कई नाम सामने आये हैं मगर सचिन पायलट बायतु से उम्मीदवार अभी तय कर चुके हैं ऐसा प्रतीत होता हैं। सबसे ज्यादा घमासान इसी सीट पे होने की सम्भावना बनी थी ।अगर सब कुछ ठीक रहा तो सचिन अपनी पसंद के उम्मीदवार को ही उतरेंगे।।पचपदरा में भी पिछले उम्मीदवार का बदलना तय माना जा रहा हैं। इस सीट पर कांग्रेस को जैन उम्मीदवार दे कर जिले के समीकरण बिठाने की बात कही गयी हैं।इस सीट पर दो नाम सामने आये हैं।जिसमे वरिष्ठ जैन नेता की संभावना बलवती हैं। सिवाना से भी उम्मीदवार बदला जाएगा ।ऐसी संभावनाए व्यक्त की गयी हैं।यहाँ राजपुरोहित या कलबी को उतरने की संभावना हैं। बाड़मेर में सबसे बड़ा घमासान होने की संभावना हैं। यहाँ उम्मीदवार बदलने की सौ फीसदी संभावनाए हैं। बताया गया हैं कि कांग्रेस इस बार इस सीट पर नया प्रयोग करने के मूड में हैं।यदि यह प्रयोग होता हैं तो कांग्रेस के लिए लड़ाई आसान होगी।।जैसलमेर के पोकरण से फ़क़ीर परिवार की टिकट राजनीती हलको में तय मानी जा रही हैं।मगर यहाँ बात फिर बिश्वश्नियता की आ रही हैं।सचिन पायलट कोई कसार अपने विश्वशनीय उमीदवार उतरने में नही रखना चाहते।।पोकरण में बदलाव की संभावना कम हैं।मगर विश्वश्नियता पुख्ता कर फैसला होगा।।इस बार कांग्रेस जातीय समीकरणों पे ज्यादा जोर देगी।।इसके लिए कई महीनो से मशक्कत की जा रही हैं। सूत्रानुसार बीजेपी की आपसी फुट का पूरा फायदा कांग्रेस कैसे ले सकती हैं ज्यादा जोर इसी पे दिया गया हैं।हालाँकि अभी कई सर्वे होने हे।कई रिपोर्ट्स जायेगी।मगर इतना तय हैं विधानसभा के बादशाह बदलेंगे।