मानवेन्द्र सिंह राष्ट्रीय राजनीति में तो चित्रा सिंह सूबे की सियासत संभालेगी,चुनाव लड़ने की संभावना
राजस्थान में चुनावी जंग अब टिकट वितरण तक पहुंच गई है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही मैराथन बैठकों के जरिए दावेदारों के नाम पर रायशुमारी कर रही हैं. इस बीच बीजेपी का साथ छोड़ चुके मानवेंद्र सिंहद्वारा कांग्रेस का हाथ थामने की प्रक्रिया भी अंतिम दौर में पहुंचती नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि मानवेंद्र 17 अक्टूबर को लाव-लश्कर के साथ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, ये बात अलग है कि वो खुद प्रदेश की जगह राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाएंगे.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पू्र्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंहके बेटे मानवेंद्र सिंह फिलहाल शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं. राजपूत समाज से आने वाले मानवेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने से पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है. इस इलाके में राजपूत परंपरागत रूप से बीजेपी के वोटर रहे हैं, ऐसे में राजपूत वोटर बड़ी संख्या में कांग्रेस से जुड़ सकते हैं.
पत्नी चित्रा सिंह लड़ सकती हैं चुनावबाड़मेर में मानवेंद्र सिंह के परिवार का प्रभुत्व रहा है. वो खुद बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. 1999 में मानवेंद्र ने पहली बार लोकसभा चुनाव इसी सीट से लड़ा था, हालांकि वो जीत नहीं पाए थे. इसके बाद 2004 में शाइनिंग इंडिया का नारा फेल होने के बावजूद मानवेंद्र सिंह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीत गए.
2013 के विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह ने बाड़मेर की शिव सीट से बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाई और वो जीत गए. लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में जब उनके पिता जसवंत सिंह को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो उनकी दूरी बीजेपी से बढ़ गई. अब जबकि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में जाना तय माना जा रहा है, ऐसे में चर्चा ये है कि पत्नी चित्रा सिंह बाड़मेर की पचपदरा सीट से चुनाव लड़ेगी।।
एक्टिव हुईं चित्रा सिंह
बाड़मेर के पचपदरा में 22 सितंबर को बुलाई 'स्वाभिमान रैली' मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी को बड़ी भूल बताते हुए सब कुछ स्पष्ट कर दिया था. लेकिन इस रैली से पहले ही मानवेंद्र की पत्नी चित्रा सिंह सार्वजनिक तौर पर एक्टिव नजर आने लगी थीं.
स्वाभिमान रैली से पहले बाड़मेर में युवा आक्रोश रैली के दौरान चित्रा सिंह ने घूंघट के पीछे से कहा था कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंको, जो स्वाभिमान की रक्षा नहीं करती है. उन्होंने वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर तंज किया था. इसके अलावा भी चित्रा सिंह कई मोर्चों पर खुलकर अपने विचार रख रही हैं.
मानवेंद्र के पिता रहे केंद्रीय मंत्री
मानवेंद्र सिंह के पिता जसवंत सिंह बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं. जसवंत सिंह सबसे ज्यादा सांसद रहने वाले नेताओं में शुमार किए जाते हैं. वो चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं, जबकि पांच बार राज्यसभा सांसद के बतौर उन्होंने सेवाएं दी हैं. लेकिन 2014 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके पीछे वसुंधरा राजे को वजह माना गया.
हालांकि, जसवंत सिंह और सीएम वसुंधरा राजे के बीच पहले काफी अच्छे संबंध थे, लेकिन पिछले सात-आठ साल में दोनों के बीच दूरी पैदा हो गई. इसी का नतीजा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बाड़मेर से जसंवत सिंह को टिकट देने के बजाय कर्नल सोनाराम चौधरी को मैदान में उतारा.
बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद जसवंत सिंह निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़े थे. मोदी लहर के बावजूद जसवंत सिंह 4 लाख से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहे थे, हालांकि वह जीत नहीं पाए थे. मानवेंद्र ने इस चुनाव में अपने पिता के खिलाफ और बीजेपी प्रत्याशी सोनाराम चौधरी के पक्ष में प्रचार करने से मना कर दिया था. जिसका नतीजा उन्हें पार्टी से साइड लाइन करने के रूप में झेलना पड़ा.
अब यह चर्चा है कि मानवेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि बाड़मेर से अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. अब तक मानवेंद्र सिंह के ग्रुप को पांच सीटों के आवंटन के दावे किए जा रहे हैं. इनमें उनकी पत्नी चित्रा के शिव सीट से लड़ने की उम्मीद है. जबकि राष्ट्रीय राजनीति की पिता कि विरासत को मानवेंद्र सिंह आगे बढ़ाएंगे.
राजस्थान में चुनावी जंग अब टिकट वितरण तक पहुंच गई है. भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों ही मैराथन बैठकों के जरिए दावेदारों के नाम पर रायशुमारी कर रही हैं. इस बीच बीजेपी का साथ छोड़ चुके मानवेंद्र सिंहद्वारा कांग्रेस का हाथ थामने की प्रक्रिया भी अंतिम दौर में पहुंचती नजर आ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स में दावा है कि मानवेंद्र 17 अक्टूबर को लाव-लश्कर के साथ कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं. हालांकि, ये बात अलग है कि वो खुद प्रदेश की जगह राष्ट्रीय राजनीति में हाथ आजमाएंगे.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पू्र्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंहके बेटे मानवेंद्र सिंह फिलहाल शिव विधानसभा सीट से विधायक हैं. राजपूत समाज से आने वाले मानवेंद्र के कांग्रेस में शामिल होने से पश्चिमी राजस्थान की राजनीति में बड़ा बदलाव होने की उम्मीद है. इस इलाके में राजपूत परंपरागत रूप से बीजेपी के वोटर रहे हैं, ऐसे में राजपूत वोटर बड़ी संख्या में कांग्रेस से जुड़ सकते हैं.
पत्नी चित्रा सिंह लड़ सकती हैं चुनावबाड़मेर में मानवेंद्र सिंह के परिवार का प्रभुत्व रहा है. वो खुद बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद निर्वाचित हुए हैं. 1999 में मानवेंद्र ने पहली बार लोकसभा चुनाव इसी सीट से लड़ा था, हालांकि वो जीत नहीं पाए थे. इसके बाद 2004 में शाइनिंग इंडिया का नारा फेल होने के बावजूद मानवेंद्र सिंह बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट से चुनाव जीत गए.
2013 के विधानसभा चुनाव में मानवेंद्र सिंह ने बाड़मेर की शिव सीट से बीजेपी के टिकट पर किस्मत आजमाई और वो जीत गए. लेकिन 2014 लोकसभा चुनाव में जब उनके पिता जसवंत सिंह को बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो उनकी दूरी बीजेपी से बढ़ गई. अब जबकि मानवेंद्र सिंह कांग्रेस में जाना तय माना जा रहा है, ऐसे में चर्चा ये है कि पत्नी चित्रा सिंह बाड़मेर की पचपदरा सीट से चुनाव लड़ेगी।।
एक्टिव हुईं चित्रा सिंह
बाड़मेर के पचपदरा में 22 सितंबर को बुलाई 'स्वाभिमान रैली' मानवेंद्र सिंह ने बीजेपी को बड़ी भूल बताते हुए सब कुछ स्पष्ट कर दिया था. लेकिन इस रैली से पहले ही मानवेंद्र की पत्नी चित्रा सिंह सार्वजनिक तौर पर एक्टिव नजर आने लगी थीं.
स्वाभिमान रैली से पहले बाड़मेर में युवा आक्रोश रैली के दौरान चित्रा सिंह ने घूंघट के पीछे से कहा था कि ऐसी सरकार को उखाड़ फेंको, जो स्वाभिमान की रक्षा नहीं करती है. उन्होंने वसुंधरा राजे की राजस्थान गौरव यात्रा पर तंज किया था. इसके अलावा भी चित्रा सिंह कई मोर्चों पर खुलकर अपने विचार रख रही हैं.
मानवेंद्र के पिता रहे केंद्रीय मंत्री
मानवेंद्र सिंह के पिता जसवंत सिंह बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में रहे हैं. जसवंत सिंह सबसे ज्यादा सांसद रहने वाले नेताओं में शुमार किए जाते हैं. वो चार बार लोकसभा सांसद रहे हैं, जबकि पांच बार राज्यसभा सांसद के बतौर उन्होंने सेवाएं दी हैं. लेकिन 2014 के चुनाव में पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके पीछे वसुंधरा राजे को वजह माना गया.
हालांकि, जसवंत सिंह और सीएम वसुंधरा राजे के बीच पहले काफी अच्छे संबंध थे, लेकिन पिछले सात-आठ साल में दोनों के बीच दूरी पैदा हो गई. इसी का नतीजा था कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बाड़मेर से जसंवत सिंह को टिकट देने के बजाय कर्नल सोनाराम चौधरी को मैदान में उतारा.
बीजेपी से टिकट न मिलने के बाद जसवंत सिंह निर्दलीय तौर पर चुनाव लड़े थे. मोदी लहर के बावजूद जसवंत सिंह 4 लाख से ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहे थे, हालांकि वह जीत नहीं पाए थे. मानवेंद्र ने इस चुनाव में अपने पिता के खिलाफ और बीजेपी प्रत्याशी सोनाराम चौधरी के पक्ष में प्रचार करने से मना कर दिया था. जिसका नतीजा उन्हें पार्टी से साइड लाइन करने के रूप में झेलना पड़ा.
अब यह चर्चा है कि मानवेंद्र सिंह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे बल्कि बाड़मेर से अगले साल लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं. अब तक मानवेंद्र सिंह के ग्रुप को पांच सीटों के आवंटन के दावे किए जा रहे हैं. इनमें उनकी पत्नी चित्रा के शिव सीट से लड़ने की उम्मीद है. जबकि राष्ट्रीय राजनीति की पिता कि विरासत को मानवेंद्र सिंह आगे बढ़ाएंगे.