बाड़मेर निष्काम सेवा भावी आदर्श शिक्षक थे देवी सिंह चौधरी
दुनिआ में आप रहे या न रहे मगर आपकी दी हुई शिक्षा आपको हमेशा लोगो के बीच जिन्दा रखती हैं ,ऐसी शक्शियत थे आदरणीय युगपुरुष देवी सिंह चौधरी ,,तन-मन से स्वस्थ एक शिक्षक ऎसा है जो सौवां वष्ाü पूरा करने वाला है और अपने गौरवशाली तेजस्वी प्रभामंडल द्वारा शिक्षकों में उत्साह और प्रेरणा भर रहा है। ऎसे चमत्कारी आदर्श शिक्षक का नाम है देवी सिंह चौधरी। आदर्श शिक्षक नए समाज का निर्माण करता हें। समाज में शिक्षा क्रांति के अग्रणी रहे देवी सिंह चौधरी का नाम सबसे पहले आता हें। सेवानिवृतके बाद भी देवी सिंह छात्रो को शिक्षा का पथ दिखा रहे थे ,एक आदर्श शिक्षक जो छोटे बड़े सभी लोगो के बीच प्रिय रहे हें। उनकी लोक प्रियता आदर्श शिक्षक के रूप में आज भी बरकरार हें। चाहे वो दुनिआ में नहीं रहे मगर उनकी दी शिक्षा आज भी हमे आगे बढ़ने की हैं ,उनका आज की पीढी उतना सम्मान करती हें। देवी सिंह अपने जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी शिखने में जुटे रहे । पढ़ने के बड़े शौकीन रहे , जो पढ़ते हें वो अपने अनुयायीयो के बीच ज्ञान का भंडार बना कर बांटते हें। अंत तक वो विद्यालयों में जाकर ज्ञान बांटते हें ,स्वछता ,साक्षरता और स्वास्थ्य शिक्षा की अलख आज भी जगाते रहे हें बिना किसी भेद भाव के ,सामाजिक सरोकार से ओत प्रोत शिक्षा देने में देवी सिंह जी माहिर थे ,उनका ज्ञान भण्डार यथार्थ जीवन का दर्शन था । शिक्षकों का हित-चिंतन भी उनके स्वभाव का अभिन्न अंग रहा है।
उनमें प्रेरणा, उत्साह और कर्तव्यपरायणता का अपूर्व समन्वय था । राजस्थान शिक्षक संघ के निर्माण में उनका पूरा हाथ रहा।अपने परिश्रम और तप से छात्रो के चरित्र का निर्माण कर वे उन का प्रेरक बने । अपनी श्रद्धा और विवेक से वे बच्चों के जीवन में ज्योति जलाई जिससे परिवार, समाज और देश छात्रो के प्रकाश से चमकता रहे। बच्चे वे फूलहोते हैं जिसकी सुगन्ध से सारा संसार सुगन्धित होता है।
दुनिआ में आप रहे या न रहे मगर आपकी दी हुई शिक्षा आपको हमेशा लोगो के बीच जिन्दा रखती हैं ,ऐसी शक्शियत थे आदरणीय युगपुरुष देवी सिंह चौधरी ,,तन-मन से स्वस्थ एक शिक्षक ऎसा है जो सौवां वष्ाü पूरा करने वाला है और अपने गौरवशाली तेजस्वी प्रभामंडल द्वारा शिक्षकों में उत्साह और प्रेरणा भर रहा है। ऎसे चमत्कारी आदर्श शिक्षक का नाम है देवी सिंह चौधरी। आदर्श शिक्षक नए समाज का निर्माण करता हें। समाज में शिक्षा क्रांति के अग्रणी रहे देवी सिंह चौधरी का नाम सबसे पहले आता हें। सेवानिवृतके बाद भी देवी सिंह छात्रो को शिक्षा का पथ दिखा रहे थे ,एक आदर्श शिक्षक जो छोटे बड़े सभी लोगो के बीच प्रिय रहे हें। उनकी लोक प्रियता आदर्श शिक्षक के रूप में आज भी बरकरार हें। चाहे वो दुनिआ में नहीं रहे मगर उनकी दी शिक्षा आज भी हमे आगे बढ़ने की हैं ,उनका आज की पीढी उतना सम्मान करती हें। देवी सिंह अपने जीवन के अंतिम पड़ाव तक भी शिखने में जुटे रहे । पढ़ने के बड़े शौकीन रहे , जो पढ़ते हें वो अपने अनुयायीयो के बीच ज्ञान का भंडार बना कर बांटते हें। अंत तक वो विद्यालयों में जाकर ज्ञान बांटते हें ,स्वछता ,साक्षरता और स्वास्थ्य शिक्षा की अलख आज भी जगाते रहे हें बिना किसी भेद भाव के ,सामाजिक सरोकार से ओत प्रोत शिक्षा देने में देवी सिंह जी माहिर थे ,उनका ज्ञान भण्डार यथार्थ जीवन का दर्शन था । शिक्षकों का हित-चिंतन भी उनके स्वभाव का अभिन्न अंग रहा है।
उनमें प्रेरणा, उत्साह और कर्तव्यपरायणता का अपूर्व समन्वय था । राजस्थान शिक्षक संघ के निर्माण में उनका पूरा हाथ रहा।अपने परिश्रम और तप से छात्रो के चरित्र का निर्माण कर वे उन का प्रेरक बने । अपनी श्रद्धा और विवेक से वे बच्चों के जीवन में ज्योति जलाई जिससे परिवार, समाज और देश छात्रो के प्रकाश से चमकता रहे। बच्चे वे फूलहोते हैं जिसकी सुगन्ध से सारा संसार सुगन्धित होता है।