ख़ास रिपोर्ट ...प्रशासन शहरों के संग बना कमाई का जरिया ...लाखो कूट लिए अधिकारियो ने
ख़ास रिपोर्ट भूमाफियो की चांदी ,दलालों की पौ बारह
बाड़मेर राज्य सरकार द्वारा आम शहरी जन को राहत पहुँचाने के लिए शुरू किये गए प्रशासन शहरों के संग अभियान नगर परिषद् के अधिकारियो और करम्चारियो की मोटी और काली कमाई का जरिया बन गया हें ,भर्ष्टाचार की आड़ में आम शहरी जन को राहत कम और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हें वहीं भूमाफियो की चांदी हो गयी ,उन्हें घर बेठे सुवीधाशुल्क के चलते सरकारी जमीनों पर कब्जे के पट्टे मिल रहे हें ,शिविर में कर्मचारियों और अधिकारियो ने अपनी अपनी फीस तय कर राखी हें .निर्धारित फीस देने पर ही फाईल आगे बढ़ पाती हें ,चार दिन शिविर में रह कर जो देखा उससे नगर परिषद् के अधिकारियों की पैसा कमाने की मंशा साफ़ जाहिर होती हें .पालिका के जन प्रतिनिधि और पार्षदों ने दलाली को अपनी कमाई का जरिया बना लिया वही क्षेत्रीय विधायक के ख़ास चहेते लाखो रुपये दलाली में कमा रहे हें विधायक की शिविर में नियमित उपस्थिति से इनके काम खास प्राथमिकता से किये जा रहे हें ,भूमाफियाओ ने इन्ही परशादो और विधायक के चहेतो को अपने गलत काम करने के लिए दलाल बना रखे हें ,जो एक साथ तीस तीस चालीस चालीस फाईले आराम से निकलवा देते हें वही आम नागरिक को एक फाईल निकलने के लिए पापड बेलने पड़ते हें ,शिविर में काम कराना होता हें तो बाबू को पांच सौ रुपये जे ई एन को एक हजार रुपये ,ऐ ई एन को दो हज़ार रुपये ,देने पड़ते हें ,परिषद् के सहायक अभियंताओ ने अपने घरो पर सुविधा शुल्क लेकर आराम से लाखो रुपये कूट रहे हें एक मोटे अनुमान के तहत एक सहायक अभियंता घर पर एक से दो हज़ार रुपये लेकर और की मौका देखे बिना रिपोर्ट कर देते हें ,परिषद् ने ऐसे सेकड़ो स्टेट ग्रांट के आवासीय पट्टे जारी किये जो व्यवसायीक केंद्र थे ,भूमाफियो के उन सरकारी जमीनों को भी नियमित कर पट्टे जारी किये जो कई वर्षो से परिषद् में चक्कर लगा रहे थे ,नगर परिषद् के आला अधिकारी से ले कर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुविधा शुल्क से लाखो रुपये एन्थ रहे हें ,मयः सब विधायक की उपस्थिति में हो रहा हें ,शिविर के बहाने अधिकारियो के घर पैसे से भरने का अभियान बन गया हें प्रशासन शहरों के संग ,
ख़ास रिपोर्ट भूमाफियो की चांदी ,दलालों की पौ बारह
बाड़मेर राज्य सरकार द्वारा आम शहरी जन को राहत पहुँचाने के लिए शुरू किये गए प्रशासन शहरों के संग अभियान नगर परिषद् के अधिकारियो और करम्चारियो की मोटी और काली कमाई का जरिया बन गया हें ,भर्ष्टाचार की आड़ में आम शहरी जन को राहत कम और परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हें वहीं भूमाफियो की चांदी हो गयी ,उन्हें घर बेठे सुवीधाशुल्क के चलते सरकारी जमीनों पर कब्जे के पट्टे मिल रहे हें ,शिविर में कर्मचारियों और अधिकारियो ने अपनी अपनी फीस तय कर राखी हें .निर्धारित फीस देने पर ही फाईल आगे बढ़ पाती हें ,चार दिन शिविर में रह कर जो देखा उससे नगर परिषद् के अधिकारियों की पैसा कमाने की मंशा साफ़ जाहिर होती हें .पालिका के जन प्रतिनिधि और पार्षदों ने दलाली को अपनी कमाई का जरिया बना लिया वही क्षेत्रीय विधायक के ख़ास चहेते लाखो रुपये दलाली में कमा रहे हें विधायक की शिविर में नियमित उपस्थिति से इनके काम खास प्राथमिकता से किये जा रहे हें ,भूमाफियाओ ने इन्ही परशादो और विधायक के चहेतो को अपने गलत काम करने के लिए दलाल बना रखे हें ,जो एक साथ तीस तीस चालीस चालीस फाईले आराम से निकलवा देते हें वही आम नागरिक को एक फाईल निकलने के लिए पापड बेलने पड़ते हें ,शिविर में काम कराना होता हें तो बाबू को पांच सौ रुपये जे ई एन को एक हजार रुपये ,ऐ ई एन को दो हज़ार रुपये ,देने पड़ते हें ,परिषद् के सहायक अभियंताओ ने अपने घरो पर सुविधा शुल्क लेकर आराम से लाखो रुपये कूट रहे हें एक मोटे अनुमान के तहत एक सहायक अभियंता घर पर एक से दो हज़ार रुपये लेकर और की मौका देखे बिना रिपोर्ट कर देते हें ,परिषद् ने ऐसे सेकड़ो स्टेट ग्रांट के आवासीय पट्टे जारी किये जो व्यवसायीक केंद्र थे ,भूमाफियो के उन सरकारी जमीनों को भी नियमित कर पट्टे जारी किये जो कई वर्षो से परिषद् में चक्कर लगा रहे थे ,नगर परिषद् के आला अधिकारी से ले कर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सुविधा शुल्क से लाखो रुपये एन्थ रहे हें ,मयः सब विधायक की उपस्थिति में हो रहा हें ,शिविर के बहाने अधिकारियो के घर पैसे से भरने का अभियान बन गया हें प्रशासन शहरों के संग ,