‘सामाजिक कुरीतियां प्रगति में बाधक’
विश्नोई समाज का धार्मिक सम्मेलन आयोजित, समाज के सदस्यों ने लिया मृत्युभोज व बाल विवाह बंद करने का संकल्प
बाड़मेर
अखिल भारतीय विश्रोईमहासभा, संत समाज व जांभाणी जनजागरण संथान की ओर से विश्रोईधर्म स्थापना की ५२५वीं वर्षगांठ व महासभा के 11वें अधिवेशन के अवसर पर महायज्ञ व संत समाज की ओर से समाज हित में लिए गए निर्णयों की पालना व क्रियान्वन के लिए जांभाणी धर्म रथयात्रा के कस्बे में पहुंचने पर मुक्तिधाम मुकाम के पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद महाराज एवं शिक्षा शास्त्री डॉ. गोवद्र्धनराम महाराज के सान्निध्य में धार्मिक सम्मेलन का आयोजन हुआ।इस दौरान विश्रोई धर्मशाला में स्वामी रामानंद महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 120 शब्दों का पाहल बनाया।
मुकाम पीठाधीश्वर रामानंद महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि गुरू जंभेश्वर भगवान के बताए गए नियमों की आचार संहिता पर चलकर व्यक्ति संयमित जीवन जीता है जिससे मरणोपरांत मुक्ति भी संभव है।उन्होंने कहा कि परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है।मन, वचन व कर्म से किसी व्यक्ति को दुख देने से बड़ा कोईपाप नहीं है।उन्होंने कहा कि रथयात्रा का उद्देश्य मुख्य रूप से बाल विवाह, मृत्युभोज व समस्त प्रकार की नशावृत्तियों से ग्रामीण समाज को मुक्त करवाकर शिक्षा व पंचायती व्यवस्थाओं को पुन: स्थापित करना है।महाराज ने समाज के नागरिकों को समाज में कुरीतियों को बंद करने का संकल्प दिलवाया।शिक्षाशास्त्री डॉ. गोवद्र्धनराम महाराज ने कहा कि अशिक्षा, गरीबी, रूढि़वादिता सामाजिक कुरीतियों की जड़ है।उन्होंने जंभेश्वर भगवान के बताए 29 नियमों का पालन कर बालकों में अच्छे संस्कारों का निर्माण करने व महिला शिक्षा के विकास पर जोर देते हुए स्वच्छ समाज के निर्माण की बात कही।इस अवसर पर जांभा महंत सीताराम ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने व समाज के विकास के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।एडवोकेट सुखराम विश्रोई ने समाज में छिपी प्रतिभाओं को निखारने के साथ ही शिक्षा के विकास पर बल दिया।विश्रोई सभा के पूर्व अध्यक्ष व विधायक हीरालाल विश्रोई ने कहा समाज की प्रतिभाओं को निखारना व प्रोत्साहन देना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कत्र्तव्य है।उन्होंने संस्कारों के विकास के लिए संत-महात्माओं के दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।समारोह में जांभाणी जनजागरण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्वमॉनीटरिंग सलाहकार एलआर विश्रोई ने कहा कि ग्रामीण प्रतिभाओं को संवारने के लिए दानदाताओं को आगे आना चाहिए।उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से मिटाने की बात कही।पूर्व पुलिस महानिरीक्षक उम्मेदाराम विश्रोई ने समाज में तकनीकी शिक्षा के विकास पर बल देने के साथ ही समाज के लोगों से एकजुट होने की बात कही।कार्यक्रम के दौरान धीराराम विश्रोई, बाबूलाल मांजू, गोरखाराम विश्रोई, सुरजनराम विश्रोई, हुकमदास, चैनाराम, हरिप्रकाश, लालदास व शांतिदास ने अपने संबोधन में रथयात्रा के उद्देश्यों को सफल बनाने का आह्वान किया।इस अवसर पर समाज के कईगणमान्य स्वजीय बंधु उपस्थित थे।
अखिल भारतीय विश्रोईमहासभा, संत समाज व जांभाणी जनजागरण संथान की ओर से विश्रोईधर्म स्थापना की ५२५वीं वर्षगांठ व महासभा के 11वें अधिवेशन के अवसर पर महायज्ञ व संत समाज की ओर से समाज हित में लिए गए निर्णयों की पालना व क्रियान्वन के लिए जांभाणी धर्म रथयात्रा के कस्बे में पहुंचने पर मुक्तिधाम मुकाम के पीठाधीश्वर स्वामी रामानंद महाराज एवं शिक्षा शास्त्री डॉ. गोवद्र्धनराम महाराज के सान्निध्य में धार्मिक सम्मेलन का आयोजन हुआ।इस दौरान विश्रोई धर्मशाला में स्वामी रामानंद महाराज ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ 120 शब्दों का पाहल बनाया।
मुकाम पीठाधीश्वर रामानंद महाराज ने अपने संबोधन में कहा कि गुरू जंभेश्वर भगवान के बताए गए नियमों की आचार संहिता पर चलकर व्यक्ति संयमित जीवन जीता है जिससे मरणोपरांत मुक्ति भी संभव है।उन्होंने कहा कि परोपकार से बड़ा कोई धर्म नहीं है।मन, वचन व कर्म से किसी व्यक्ति को दुख देने से बड़ा कोईपाप नहीं है।उन्होंने कहा कि रथयात्रा का उद्देश्य मुख्य रूप से बाल विवाह, मृत्युभोज व समस्त प्रकार की नशावृत्तियों से ग्रामीण समाज को मुक्त करवाकर शिक्षा व पंचायती व्यवस्थाओं को पुन: स्थापित करना है।महाराज ने समाज के नागरिकों को समाज में कुरीतियों को बंद करने का संकल्प दिलवाया।शिक्षाशास्त्री डॉ. गोवद्र्धनराम महाराज ने कहा कि अशिक्षा, गरीबी, रूढि़वादिता सामाजिक कुरीतियों की जड़ है।उन्होंने जंभेश्वर भगवान के बताए 29 नियमों का पालन कर बालकों में अच्छे संस्कारों का निर्माण करने व महिला शिक्षा के विकास पर जोर देते हुए स्वच्छ समाज के निर्माण की बात कही।इस अवसर पर जांभा महंत सीताराम ने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को मिटाने व समाज के विकास के लिए शिक्षा को बढ़ावा देना आवश्यक है।एडवोकेट सुखराम विश्रोई ने समाज में छिपी प्रतिभाओं को निखारने के साथ ही शिक्षा के विकास पर बल दिया।विश्रोई सभा के पूर्व अध्यक्ष व विधायक हीरालाल विश्रोई ने कहा समाज की प्रतिभाओं को निखारना व प्रोत्साहन देना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कत्र्तव्य है।उन्होंने संस्कारों के विकास के लिए संत-महात्माओं के दिखाए मार्ग पर चलने का आह्वान किया।समारोह में जांभाणी जनजागरण संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्वमॉनीटरिंग सलाहकार एलआर विश्रोई ने कहा कि ग्रामीण प्रतिभाओं को संवारने के लिए दानदाताओं को आगे आना चाहिए।उन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से मिटाने की बात कही।पूर्व पुलिस महानिरीक्षक उम्मेदाराम विश्रोई ने समाज में तकनीकी शिक्षा के विकास पर बल देने के साथ ही समाज के लोगों से एकजुट होने की बात कही।कार्यक्रम के दौरान धीराराम विश्रोई, बाबूलाल मांजू, गोरखाराम विश्रोई, सुरजनराम विश्रोई, हुकमदास, चैनाराम, हरिप्रकाश, लालदास व शांतिदास ने अपने संबोधन में रथयात्रा के उद्देश्यों को सफल बनाने का आह्वान किया।इस अवसर पर समाज के कईगणमान्य स्वजीय बंधु उपस्थित थे।