थार चुनावी रणभेरी २०१३। । सिवाना महेंद्र टाइगर के पक्ष में हें कांग्रेस की जीत के समीकरण
बाड़मेर राज्य में विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ ही राज्य के दोनों प्रमुख दलों में विधानसभा के उम्मीदवार तय करने को लेकर तेज़ी आई हें। मुख्यमंत्री संभावित उम्मीदवारों की सूचि के साथ दिल्ली जा रहे हें। बाड़मेर में कांग्रेस हर हाल में पिछले परिणाम लाने की फिराक में हें मगर यहाँ व्यक्तिगत स्वार्थो के चलते स्थापित नेता प्रभावशाली नेता को मैदान में उतरने की बजे अपनी जीत के लिए फिर फिसड्डी उम्मीदवार उतरने की जिद पाल रहे हें। सिवान में कांग्रेस के पास उम्मीदवारों के ढेर लगे। कोई त्रिपें लोगो ने अपनी दावेदारी पेश की मगर उनमे योग्यतम तीन चार ही थे जो विधानसभा चुनाव का मतलब भी जानते थे। सिवान में गत चुनावो में बसपा से सिवान में चुनाव मैदान में उतर कांग्रेस उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर खिसकने वाले महेंद्र टाइगर कांग्रेस को जीत दिलाने में एक मात्र शक्षम उम्मीदवार हें। मगर जाट नेताओ की मज़बूरी बालाराम चौधरी हें जो गत चुनावो में तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की गॉइड लाइन के हिसाब से बालाराम को टिकट मिलना मुश्किल हें। ऐसे में कांग्रेस के पास महेंद्र टाइगर ,संत निर्मलदास और गणपत सिंह के बीच चुनाव करना हें। गनपत सिंह राजपूत होने से होड़ से बहार हो गए। निर्मलदास और महेंद्र टाइगर में से आम जन महेंद्र टाइगर के समर्थन में हें। महेंद्र को जैन समाज के थोक वोट मिलाने के साथ अनुसूचित जाती ,रबारी , राजपूतो के वोट भी मिलने की संभावना हें। महेंद्र टाइगर कांग्रेस को सीट दिला सकते हें ,कांग्रेस उनकी दावेदारी पर गंभीरता के विचार भी कर रहा हें मगर बाड़मेर विधानसभा से भी जैन उम्मीदवार मेवाराम हें इसीलिए कांग्रेस के सामने दो जैन को टिकट देने की मज़बूरी हें। बाड़मेर से उम्मीदवार बदलने की चर्चे जोरो पर हें। महेंद्र टाइगर के सशक्त रूप से दावेदार के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओ में खलबली मची हें। अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष और सिवाना के पूर्व विधायक गोपाराम मेघवाल भी महेंद्र टाइगर को उम्मीदवार के रूप में चाहते हें। लम्बे समय से कांग्रेस सिवान सीट से वंचित हें। ऐसे में कांग्रेस महेंद्र टाइगर के रूप में रिस्क ले सकती हें .इधर महेंद्र टाइगर को लेकर भाजपा भी सक्रीय हो गयी हें। टाइगर को भाजपा में लेन के प्रयास उच्च स्तर पर शुरू हुए हें। टाइगर गत चुनावो में अपना जनाधार बढ़ने के बरकरार रखने में सफल हुए हें। कांग्रेस के नेताओ ने उन्हें कांग्रेस में इसी शर्त पर शामिल किया था की अगली विधानसभा चुनावो में सिवाना उन्हें उम्मीदवारी दी जाएगी ,मगर नेता जातिगत राजनीती के चलते टाइगर की अनदेखी कर रहे हें मगर उनके बढ़ाते प्रभाव के चलते उनकी दावेदारी सभी पर भारी पड़ रही हें।
बाड़मेर राज्य में विधानसभा चुनावो की घोषणा के साथ ही राज्य के दोनों प्रमुख दलों में विधानसभा के उम्मीदवार तय करने को लेकर तेज़ी आई हें। मुख्यमंत्री संभावित उम्मीदवारों की सूचि के साथ दिल्ली जा रहे हें। बाड़मेर में कांग्रेस हर हाल में पिछले परिणाम लाने की फिराक में हें मगर यहाँ व्यक्तिगत स्वार्थो के चलते स्थापित नेता प्रभावशाली नेता को मैदान में उतरने की बजे अपनी जीत के लिए फिर फिसड्डी उम्मीदवार उतरने की जिद पाल रहे हें। सिवान में कांग्रेस के पास उम्मीदवारों के ढेर लगे। कोई त्रिपें लोगो ने अपनी दावेदारी पेश की मगर उनमे योग्यतम तीन चार ही थे जो विधानसभा चुनाव का मतलब भी जानते थे। सिवान में गत चुनावो में बसपा से सिवान में चुनाव मैदान में उतर कांग्रेस उम्मीदवार को तीसरे स्थान पर खिसकने वाले महेंद्र टाइगर कांग्रेस को जीत दिलाने में एक मात्र शक्षम उम्मीदवार हें। मगर जाट नेताओ की मज़बूरी बालाराम चौधरी हें जो गत चुनावो में तीसरे स्थान पर रहे। कांग्रेस की गॉइड लाइन के हिसाब से बालाराम को टिकट मिलना मुश्किल हें। ऐसे में कांग्रेस के पास महेंद्र टाइगर ,संत निर्मलदास और गणपत सिंह के बीच चुनाव करना हें। गनपत सिंह राजपूत होने से होड़ से बहार हो गए। निर्मलदास और महेंद्र टाइगर में से आम जन महेंद्र टाइगर के समर्थन में हें। महेंद्र को जैन समाज के थोक वोट मिलाने के साथ अनुसूचित जाती ,रबारी , राजपूतो के वोट भी मिलने की संभावना हें। महेंद्र टाइगर कांग्रेस को सीट दिला सकते हें ,कांग्रेस उनकी दावेदारी पर गंभीरता के विचार भी कर रहा हें मगर बाड़मेर विधानसभा से भी जैन उम्मीदवार मेवाराम हें इसीलिए कांग्रेस के सामने दो जैन को टिकट देने की मज़बूरी हें। बाड़मेर से उम्मीदवार बदलने की चर्चे जोरो पर हें। महेंद्र टाइगर के सशक्त रूप से दावेदार के रूप में उभरने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेताओ में खलबली मची हें। अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष और सिवाना के पूर्व विधायक गोपाराम मेघवाल भी महेंद्र टाइगर को उम्मीदवार के रूप में चाहते हें। लम्बे समय से कांग्रेस सिवान सीट से वंचित हें। ऐसे में कांग्रेस महेंद्र टाइगर के रूप में रिस्क ले सकती हें .इधर महेंद्र टाइगर को लेकर भाजपा भी सक्रीय हो गयी हें। टाइगर को भाजपा में लेन के प्रयास उच्च स्तर पर शुरू हुए हें। टाइगर गत चुनावो में अपना जनाधार बढ़ने के बरकरार रखने में सफल हुए हें। कांग्रेस के नेताओ ने उन्हें कांग्रेस में इसी शर्त पर शामिल किया था की अगली विधानसभा चुनावो में सिवाना उन्हें उम्मीदवारी दी जाएगी ,मगर नेता जातिगत राजनीती के चलते टाइगर की अनदेखी कर रहे हें मगर उनके बढ़ाते प्रभाव के चलते उनकी दावेदारी सभी पर भारी पड़ रही हें।