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मंगलवार, 21 अगस्त 2012

रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा


रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा


स्वर्णनगरी -- जैसलमेर की रम्मत कला,के ख्यातिनाम कलाकार खेत सिंह जंगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हें ,। जैसलमेर के इतिहास में अपना एक उल्लेखनीय स्थान रखते हैं। रम्मत कला के भी वह धुरंधर थे। जैसलमेर में समय समय पर आयोजित रम्मतो के आयोजन खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी मानी जाती थी ,उन्हें रम्मत से ख़ास लगाव रहा .अपने जीवनकाल पर्यंत रम्मत के आयोजन से लेकर पात्र निभाने तक सक्रीय रहे .बेहतरीन लोक कलाकार होने के बावजूद उन्हें वो मान सम्मान नहीं मिला जिनके वो हकदार थे ,जैसलमेर कृष्ण कंपनी द्वारा रम्मतों का आयोजन किया जाता रहा हें । जिसमे खेत सिंह जंगा द्वारा यादगार अभिनय किया गया .जैसलमेर का गोपा चौक उनके अभिनय क्षमता का गवाह बना कई बार .अभी भी जैसलमेर में जब भी रम्मत का आयोजन होता हें खेत सिंह जंगा की तस्वीर साक्षी होती हें ,रम्मत कलाकार के रो में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वो हर एक को नसीब नहीं होती ,किले उपर कोटड़ी पाड़ा निवासी खेत सिंह जंगा हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा के यहाँ जन्मे थे ,शिक्षा दीक्षा के अभाव में स्व रोजगारसे घर परिवार चलते थे.उन्हें बचपन से राम्माते देखने का शौक था ,उनके इसी शौक ने उन्हें राम्मतो में अभिनय के लिए आकर्षित किया .छोटे छोटे किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ी ,ब्वाद में तो उनके किरदार के बिना रम्मत के मंचन की कल्पना भी जैसलमेरवासी नहीं कर सकते ,खेत सिंह जैसलमेर में जोरशोर से माने जाने वाले होली पर्व की पहली जरुरत थे ,उनकी फाग गायकी का कोई सानी नहीं था ,जब वो फाग गाने में तल्लीन होते तब जैसलमेर के वासिंदो का हुजूम उमड़ पड़ता .उनकी फाग गायकी को जैसलमेर राज दरबार ने ख़ास मान्यता दे रखी थी.होली के दिन जंगा अपनी फाग टोली दरबार के यंहा जरुर ले जाते ,दरबार के यंहा उनकी खास आवभगत होती ,फाग गायिकी का दौर खेत सिंह जंगा के साथ ख़त्म हो गया .

रविवार, 10 जून 2012

रेडियो पर प्रसारित होगी रम्मतें ,कला को बचाने की कवायद


जैसलमेर की लुप्त हो रही है रम्मत कला के प्रति लोगों में उत्सुकता जगाने एवं इसके गौरव शाली इतिहास व इसकी प्रासंगिकता को आमजन तक पहुंचाने के लिए आकाशवाणी केन्द्र जैसलमेर द्वारा आठ एपिसोड तैयार किए गए है। जिसका प्रसारण सोमवार से प्रतिदिन रात्रि 8.15 बजे किया जाएगा। आकाशवाणी के जैसलमेर केन्द्र के मुख्य अधिकारी महेन्द्र सिंह लालस ने बताया कि अब कौन रमता है रम्मतें नामक एक रेडियो रुपक जैसलमेर की रम्मतों पर तैयार किया गया है। पारंपरिक लोक नाट्य विधाओं के संरक्षण, संवर्धन एवं कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए तैयार किए गए इस रुपक में बड़े ही रोचक तरीके से रम्मतों के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि आठ एपिसोड में रम्मतों का गायन, वादन, संवाद, ताल, राग-रागनियों की विविधता, विषय वस्तु प्रस्तुति, मंच सज्जा, गुरु शिष्य परंपरा, अखाड़ा तथा उस्ताद आदि के बारे में विस्तार से व्याख्या की गई है।

रम्मत के हर पहलू पर डाला जाएगा प्रकाश: रम्मत रचनाकार, इतिहासकार, लेखक, कवि एवं मरु सांस्कृतिक केन्द्र के संस्थापक नंदकिशोर शर्मा के अनुभवों से आठ एपिसोड तैयार किए गए है। जिसमें रम्मतों का इतिहास, रम्मतों की पहचान, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, रम्मत के रचनाकार, कलाकारों की प्रस्तुति, मंचन, युवा कलाकारों के अनुभव व रम्मतों के भविष्य पर साक्षात्कारों के साथ-साथ रम्मतों की पुरानी एवं नवीन शैलियों की बानगियों का समावेश किया गया है। महेन्द्र सिंह लालस की परिकल्पना, हेमंत शर्मा का सामग्री संकलन, श्याम पंवार का संपादन, श्याम वीर का विशेष तकनीकी प्रयोग, अंजू गर्ग का वाचन से आठ एपिसोड तैयार किए गए है।




कलाकारों के साक्षात्कार भी शामिल
प्रत्येक एपिसोड में रम्मतों के कलाकारों के साक्षात्कार भी शामिल किए गए है। जिसमें कवि तेज कृष्ण कंपनी के उस्ताद प्रेमराज सेवक, वासुदेव बिस्सा, नंद किशोर शर्मा, मुकनलाल जगाणी, कृष्ण गोपाल जगाणी, हरिवल्लभ शर्मा, कमल आचार्य, नवल पुरोहित, नरेन्द्र खेतपालिया, मनोहर पुरोहित, महेश पुरोहित, शेखर, बबू, शिव व शोभा हर्ष के साथ कवि तेज के प्रपौत्र कन्हैया शर्मा, जयप्रकाश हर्ष आदि के वादन, गायन एवं अनुभवों से आने वाली पीढिय़ों को रम्मत के संरक्षण का संदेश दिया जाएगा।

राग रागनियों का भी समावेश

कार्यक्रम में जैसलमेर, बीकानेर, फलौदी, पोकरण के अखाड़ों, वहां के रचनाकारों, खिलाडिय़ों व टेरियों की जानकारी दी जाएगी। साथ ही सभी स्थानों की रम्मत की राग रागनियों के बारे में भी बताया जाएगा। रम्मत के उस्ताद कवि तेज, मोतीलाल सुगनलाल व्यास, पोकरण के तेजमाल बिस्सा द्वारा रचित रम्मतों के दूहे भी शामिल किए गए है। इसके साथ ही नंदकिशोर शर्मा द्वारा तैयार की गई आधुनिक रम्मत माई होटल ब्यूटीफुल के साथ ही पारंपरिक रम्मत सती सावित्री, राजा भर्तृहरि, पतिव्रता के उदाहरण, संवाद, के साथ-साथ कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां भी दी गई है।