रम्मत के ख्यातिनाम कलाकार और फाग गायक खेत सिंह जंगा
स्वर्णनगरी -- जैसलमेर की रम्मत कला,के ख्यातिनाम कलाकार खेत सिंह जंगा का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज हें ,। जैसलमेर के इतिहास में अपना एक उल्लेखनीय स्थान रखते हैं। रम्मत कला के भी वह धुरंधर थे। जैसलमेर में समय समय पर आयोजित रम्मतो के आयोजन खेत सिंह जंगा के बिना अधूरी मानी जाती थी ,उन्हें रम्मत से ख़ास लगाव रहा .अपने जीवनकाल पर्यंत रम्मत के आयोजन से लेकर पात्र निभाने तक सक्रीय रहे .बेहतरीन लोक कलाकार होने के बावजूद उन्हें वो मान सम्मान नहीं मिला जिनके वो हकदार थे ,जैसलमेर कृष्ण कंपनी द्वारा रम्मतों का आयोजन किया जाता रहा हें । जिसमे खेत सिंह जंगा द्वारा यादगार अभिनय किया गया .जैसलमेर का गोपा चौक उनके अभिनय क्षमता का गवाह बना कई बार .अभी भी जैसलमेर में जब भी रम्मत का आयोजन होता हें खेत सिंह जंगा की तस्वीर साक्षी होती हें ,रम्मत कलाकार के रो में उन्होंने जो ख्याति अर्जित की वो हर एक को नसीब नहीं होती ,किले उपर कोटड़ी पाड़ा निवासी खेत सिंह जंगा हजुरी समाज के साधारण परिवार में लाधू सिंह जंगा के यहाँ जन्मे थे ,शिक्षा दीक्षा के अभाव में स्व रोजगारसे घर परिवार चलते थे.उन्हें बचपन से राम्माते देखने का शौक था ,उनके इसी शौक ने उन्हें राम्मतो में अभिनय के लिए आकर्षित किया .छोटे छोटे किरदार निभाकर अपने अभिनय की छाप छोड़ी ,ब्वाद में तो उनके किरदार के बिना रम्मत के मंचन की कल्पना भी जैसलमेरवासी नहीं कर सकते ,खेत सिंह जैसलमेर में जोरशोर से माने जाने वाले होली पर्व की पहली जरुरत थे ,उनकी फाग गायकी का कोई सानी नहीं था ,जब वो फाग गाने में तल्लीन होते तब जैसलमेर के वासिंदो का हुजूम उमड़ पड़ता .उनकी फाग गायकी को जैसलमेर राज दरबार ने ख़ास मान्यता दे रखी थी.होली के दिन जंगा अपनी फाग टोली दरबार के यंहा जरुर ले जाते ,दरबार के यंहा उनकी खास आवभगत होती ,फाग गायिकी का दौर खेत सिंह जंगा के साथ ख़त्म हो गया .