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गुरुवार, 11 अक्टूबर 2018

थार की राजनीति में युवाओ की दमदार दस्तक,बदलाव की बयार,मिलिए राजनीति के नए नायकों से

थार की राजनीति में युवाओ की दमदार दस्तक,बदलाव की बयार,मिलिए राजनीति के नए नायकों से

चन्दन सिंह भाटी की खास रिपोर्ट





पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में आचार संहिता के बाद राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई। लम्बे समय बाद बाड़मेर की राजनीति में बदलाव की बयार चली।।कोई तीस साल से नए युवाओ की राजनीति में कोई एंट्री नही हुई।।कुछ युवाओ ने प्रयास किया था मगर स्थापित नेताओ के आगे उन्हें मौका नही मिला कल के युवा आज दौड़ से भी बाहर हो गए।मगर इस बार थार की राजनीति में युवाओ का जोश हिलोरे मार रहा है।।कई सालों से आम जनता और युवा एक ही एक चेहरों को देख उकता गई। आज के युवा राजनीति में पढ़े लिखे,सकारात्मक सोच के युवाओ का प्रवेश चाहते है। बाड़मेर की राजनीति में आज उन युवाओ की चर्चा करेंगे जिन्होंने कम समय मे जनता के बीच अपनी खासी पेठ जमा ली।आज वो प्रमुख पार्टियों के दावेदार बन गए।।जनता के युवा नेता कहै तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।।जिले के चार युवाओ से आज रूबरू करवा रहे जिनसे जिले की जनता को उम्मीदे है।।

*आज़ाद सिंह राठौड़* बाड़मेर के एकमात्र ऐसे युवा है जिनके चेहरे पे  गजब का तेज है। कोई डेढ़ साल पहले सामाजिक ग्रुप  ग्रुप फ़ॉर पीपल के अध्यक्ष बने तब से लगातार चर्चा में है। कॉर्पिरेट जगत से नाता रखने वाले आज़ाद सिंह राठौड़ विभिन संगठनों खास कर खेल संगठनों से सीधे जुड़े है। जिला क्रिकेट संघ से लम्बे समय से जुड़े है। हाल ही में उन्होंने आर सी ए के कोषाध्यक्ष का चुनाव लड़ा। मात्र चार मतों से हार गए मगर बाद में जीते उम्मीदवार का न्यायालय ने चुनाव निरस्त कर इन्हें कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।गरीबो और असहायों की मदद के लिए तत्पर रहने वाले आज़ाद सिंह राठौड़ के बाड़मेर के युवा दीवाने है। राजनीति में रुचि रखने वाले आज़ाद ने एक माह की कड़ी मेहनत के बाद कांग्रेस पार्टी में अपना खास मुकाम बना दिया। लोगो से सीधा संपर्क,आत्मीय व्यवहार,सकरत्नक सोच,उच्च स्तरीय शिक्षित ,विभिन समाजो में पकड़ ,इनकी खास पहचान है। युवाओ में खासे लोकप्रिय राठौड़ बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी कर रहे। कांग्रेस के लिए आज़ाद सिंह किसी बोनस से कम नही। प्रतिष्टित परिवार से होने के साथ आपकीं राजनीति सोच और समझ गजब की है। पूर्व मंत्री दिग्गज किसान नेता हेमाराम चौधरी के नजदीक मानें जाते है।छह माह की अवधि में उन्होंने बाड़मेर विधान सभा के अमूम्मंन हर वोटर के पासपहुँचे ।कांग्रेस की सदस्यता जाट बाहुल्य बायतु में ग्रहण करने वाले वो पहले क्षत्रिय है।।दमदार युवा नेता के रूप में अपनी खास पहचान बनाने वाले आज़ाद बाड़मेर में टिकट के लिए वर्तमान विधायक मेवाराम जैन को कड़ी टक्कर दे रहे।।कम समय से कांग्रेस  प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का बिश्वास हासिल करने में भी कामयाब हुए।।उन्होंने कारगिल पे पुस्तक लिखी जो बहुत चर्चित हुई।।

*पीयूष डोशी* थार की राजनीति में डोशी परिवार का अहम योगदान रहा।।समेज सेवी और भामाशाह की रूप में बिख्यात रहे राजनेता भगवानदास डोशी की पचास साल की राजनीति के उत्तराधिकारी के रूप में उनके पोते पीयूष डोशी सफलतम व्यवसायी होने के साथ एक बेजोड़ युवा रणनीतिज्ञ है।।लम्बे समय से भाजपा के साथ जुड़े पीयूष डोशी बी टेक तक शिक्षित है।मिलनसार,मृदुभाषी होने साथ उनकी आम जन में अच्छी पकड़ है।।पीयूष अपने दादा जी के दो चुनाव के खुद भागीदार रहे।।चोहटन से जब भगवानदास जी चुनाव लड़े उनकी कमान पीयूष के पास थी।तो जिसके चलते उन्हें राजनीति और मतदाताओं पर अच्छी पकड़ के साथ चुनावी क्षेत्र को भली भांति परखे हए है।।वसुंधरा राजे की परिवर्तन यात्रा जब चोहटन गई तब यात्रा  की तैयारियों में उनकी अहम भूमिका थी तो इस बार गौरव यात्रा में बाड़मेर ने सभा को सफल बनाने में मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और प्रो महेंद्र सिंह राठौड़ के साथ उनकी अहम भूमिका रही।।भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ कर राजनीति सफर शुरू करने वाले पीयूष डोशी बाड़मेर के हॉट युवा उम्मीदवारो में सुमार हो चुके है।बाड़मेर के जातिगत समीकरण उनके पक्ष में है।।जैन होने के चलते मतदाताओं का विश्वास उन्हें हासिल हुआ है।।भाजपा के सहकारिता और व्यावसायिक प्रकोष्ठ में अहम जिम्मेदारी के पदों का निर्वहन कर रहे है।युवा सोच के हिमायती पीयूष डोशी बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र से दमदार युवा प्रत्यासी है।पीयूष डोशी सामाजिक सरोकार से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम देते रहते है । जरूरतमंद लोगों की मदद करने के साथ निशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी करते है।उनके द्वारा अकाल और बाढ़ के दौरान पीड़ितों की की सहायता आज भी लोग याद करते है ।नए चेहरे की तलाश में जुटी भाजपा की तलाश पीयूष डोशी पर खत्म हो सकती है।

*धन सिंह मौसेरी* युवा राजनीति में एकाएक शिव विधान सभा क्षेत्र से सशक्त दावेदार के रूप में विनोबा भावे और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के हिमायती धन सिंह उभर कर सामने आए।।राष्ट्रवादी विचारों और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका सीधा जुड़ाव उन्हें एक उम्मीदवार के रूप में ऊंचाई देता है। ओबीसी वर्ग से होने के साथ ही उनकी पकड़ शिव विधानसभा क्षेत्र के जन जन तक है। सीमा जन कल्याण समिति से जुड़ कर कई साल से सरहदी गांवो में अकाल प्रबंधन के कार्यो के माध्यम से जन सेवा में जुटे है ।सकारात्म सोच और जनसेवा के जुनून ने उनकी खास पहचान बनाई।।शिव विधानसभा क्षेत्र में उन्हें आने समाज के साथ अन्य समाजो का अच्छाखासा समर्थन मिल  रहा है।।धन सिंह साधारण किसान परिवार से होने के कारण आम आदमी के मर्म और जरूरतों को अच्छे से समझते है।।भूमिहीन परिवारों को उन्हें  जमीन आवंटन कराकर उन्हें अधिकार दिलाने का उन्होंने सपना देखा है।।पाक विस्थापित परिवारों को जमीन आवंटन के साथ मूलभूत सुविधाते उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।।सरहदी क्षेत्र से होने के कारण पशुपालकों की समस्याओं को भली भांति जानते है।भेड़ बकरियों को फेमिना कोड में शामिल करवाना उनका एजेंडा है। युवा सोच और बदलाव के प्रतीक के रूप में धन सिंह मौसेरी युवाओ के आदर्श है।।शिव विधानसभा से प्रबल और सशक्त दावेदार।।

*पुराराम मेघवाल* भारत पाक सीमा पर छोटे से गांव मेहरानगढ़ के मूल निवासी अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखने वाले पुराराम मेघवाल भाजपा के चौहटन से सटीक युवा दावेदार है।गत विधानसभा चुनावों में उनका नाम पैनल में गया था।संघ पृष्ठभूमि के होने के कारण शुरू से भाजपा से उनका जुड़ाव रहा। प्रदेश स्तर के नेताओ के विश्वशनीय पुराराम आरक्षित सीट अनुसूचित जाति चौहटन से भाजपा की दावेदारी कर रहे।।मेघवाल प्रतिभावान है गांव में पांचवी कक्षा में उतीर्ण होने के साथ उन्हें जोधपुर की सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्कूल चौपासनी में प्रवेश मिला।।उच्च स्तर की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी में हासिल करने के बाद स्कॉलरशिप के जरिये मॉस्को में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। चोहटन के निवासी होने के कारण मेघवाल समाज मे उनकी अच्छी पकड़ है।युवा सोच और लोगो के साथ सीधे संपर्क के कारण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय भी है। आम जरूरत मन्दो की सहायता के साथ साथ लोगो की विबहित सामाजिक कार्यो में मददगार है।।रणकपुर में भाजपा की मीटिंग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खास तौर से इनकी तारीफ की थी। लम्बे समय से क्षेत्र में जनसेवा के माध्यम से लोगो से जुड़े होने के सर्च स्थानीय होने के कारण क्षेत्र की समस्याओं से भली भांति परिचित है। पुराराम मेघवाल भाजपा से जुड़े होने के कारण चौहटन से अपनी दावेदारी कर रहे है ।उन्हें अच्छा खासा समर्थन भी मिल रहा।।बाहरी प्रत्यासियो के मुक़ाबले पुराराम सशक्त है। संभावनाओं से भरा चेहरा  है।

*शम्मा बानो* थार के दिग्गज राजनीतिज्ञ सीमांत गांधी के नाम से मशहूर और नो बार विधायक रहे महरूम अब्दुल हादी की बहू शम्मा बानो क्षेत्र की राजनीति में  सक्रिय है।।कांग्रेस से जुड़े इस परिवार को राजनीति विरासत में मिली।।अल्पसंख्यक वर्ग से होने के साथ साथ उच्च शिक्षित होने के कारण शम्मा बना युवा महिला राजनीति का चर्चित चेहरा है।प्रदेश महिला कांग्रेस की सचिव के पद पर कार्यरत शम्मा बानो वर्तमान में जिला परिषद सदस्य है।वो चोहटन पंचायत समिति की प्रधान भी रही।।अपने प्रधान कार्यकाल में लोगो के कार्य खूब किये जिससे लोगो का उन पर अटूट भरोसा है।चूंकि उनका क्षेत्र चोहटन रिजर्व सीट में आगया परिसीमन के बाद।।गत बार उन्होंने शिव विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी की थी।।मगर कामयाबी नही मिली।फिर भी वो पार्टी कार्यक्रमो और सामाजिक कार्यक्रमो में सक्रिय रही ।कांग्रेस के कई अधिवेशनों में भाग ले चुकी है। राहुल गांधी ने उन्हें लेडी ऑफ थार का नाम दिया है।।इस बार भी शम्मा बानो शिव विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश कर रही।गत पांच साल से शिव क्षेत्र में वो काफी सक्रिय रही।।उनके पति गफूर अहमद श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन भी रहे है। क्षेत्र में हादी परिवार के प्रति आज भी दीवानगी का आलम है।।युवाओ को बागडौर देने की पहल पर शम्मा बानो एक आदर्श प्रत्यासी हो सकती है।।वैसे भी इस मरुस्थलीय इलाके में महिलाए राजनीति से कोसो दूर रहती है।शम्मा बानो थार की महिलाओ की सशक्त आवाज़ बन सकती है। काबिल होने के साथ उनका राजनीति अनुभव उनमे संभावना  जगाता है। शिव से वेटरन नेता अमीन खान भी सशक्त दावेदार है मगर गत चुनावव में तीस हजार से हार और सत्तर साल से अधिक उम्र के कारण उन्हें संगठन में कहीं काम लेने के साथ शिव में शम्मा खान को आजमाया जा सकता हैं।

चन्दन सिंह भाटी की खास रिपोर्ट

पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर जिले में आचार संहिता के बाद राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई। लम्बे समय बाद बाड़मेर की राजनीति में बदलाव की बयार चली।।कोई तीस साल से नए युवाओ की राजनीति में कोई एंट्री नही हुई।।कुछ युवाओ ने प्रयास किया था मगर स्थापित नेताओ के आगे उन्हें मौका नही मिला कल के युवा आज दौड़ से भी बाहर हो गए।मगर इस बार थार की राजनीति में युवाओ का जोश हिलोरे मार रहा है।।कई सालों से आम जनता और युवा एक ही एक चेहरों को देख उकता गई। आज के युवा राजनीति में पढ़े लिखे,सकारात्मक सोच के युवाओ का प्रवेश चाहते है। बाड़मेर की राजनीति में आज उन युवाओ की चर्चा करेंगे जिन्होंने कम समय मे जनता के बीच अपनी खासी पेठ जमा ली।आज वो प्रमुख पार्टियों के दावेदार बन गए।।जनता के युवा नेता कहै तो कोई अतिशयोक्ति नही होगी।।जिले के चार युवाओ से आज रूबरू करवा रहे जिनसे जिले की जनता को उम्मीदे है।।

*आज़ाद सिंह राठौड़* बाड़मेर के एकमात्र ऐसे युवा है जिनके चेहरे पे  गजब का तेज है। कोई डेढ़ साल पहले सामाजिक ग्रुप  ग्रुप फ़ॉर पीपल के अध्यक्ष बने तब से लगातार चर्चा में है। कॉर्पिरेट जगत से नाता रखने वाले आज़ाद सिंह राठौड़ विभिन संगठनों खास कर खेल संगठनों से सीधे जुड़े है। जिला क्रिकेट संघ से लम्बे समय से जुड़े है। हाल ही में उन्होंने आर सी ए के कोषाध्यक्ष का चुनाव लड़ा। मात्र चार मतों से हार गए मगर बाद में जीते उम्मीदवार का न्यायालय ने चुनाव निरस्त कर इन्हें कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी।गरीबो और असहायों की मदद के लिए तत्पर रहने वाले आज़ाद सिंह राठौड़ के बाड़मेर के युवा दीवाने है। राजनीति में रुचि रखने वाले आज़ाद ने एक माह की कड़ी मेहनत के बाद कांग्रेस पार्टी में अपना खास मुकाम बना दिया। लोगो से सीधा संपर्क,आत्मीय व्यवहार,सकरत्नक सोच,उच्च स्तरीय शिक्षित ,विभिन समाजो में पकड़ ,इनकी खास पहचान है। युवाओ में खासे लोकप्रिय राठौड़ बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी कर रहे। कांग्रेस के लिए आज़ाद सिंह किसी बोनस से कम नही। प्रतिष्टित परिवार से होने के साथ आपकीं राजनीति सोच और समझ गजब की है। पूर्व मंत्री दिग्गज किसान नेता हेमाराम चौधरी के नजदीक मानें जाते है।छह माह की अवधि में उन्होंने बाड़मेर विधान सभा के अमूम्मंन हर वोटर के पासपहुँचे ।कांग्रेस की सदस्यता जाट बाहुल्य बायतु में ग्रहण करने वाले वो पहले क्षत्रिय है।।दमदार युवा नेता के रूप में अपनी खास पहचान बनाने वाले आज़ाद बाड़मेर में टिकट के लिए वर्तमान विधायक मेवाराम जैन को कड़ी टक्कर दे रहे।।कम समय से कांग्रेस  प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट का बिश्वास हासिल करने में भी कामयाब हुए।।उन्होंने कारगिल पे पुस्तक लिखी जो बहुत चर्चित हुई।।

*पीयूष डोशी* थार की राजनीति में डोशी परिवार का अहम योगदान रहा।।समेज सेवी और भामाशाह की रूप में बिख्यात रहे राजनेता भगवानदास डोशी की पचास साल की राजनीति के उत्तराधिकारी के रूप में उनके पोते पीयूष डोशी सफलतम व्यवसायी होने के साथ एक बेजोड़ युवा रणनीतिज्ञ है।।लम्बे समय से भाजपा के साथ जुड़े पीयूष डोशी बी टेक तक शिक्षित है।मिलनसार,मृदुभाषी होने साथ उनकी आम जन में अच्छी पकड़ है।।पीयूष अपने दादा जी के दो चुनाव के खुद भागीदार रहे।।चोहटन से जब भगवानदास जी चुनाव लड़े उनकी कमान पीयूष के पास थी।तो जिसके चलते उन्हें राजनीति और मतदाताओं पर अच्छी पकड़ के साथ चुनावी क्षेत्र को भली भांति परखे हए है।।वसुंधरा राजे की परिवर्तन यात्रा जब चोहटन गई तब यात्रा  की तैयारियों में उनकी अहम भूमिका थी तो इस बार गौरव यात्रा में बाड़मेर ने सभा को सफल बनाने में मंत्री राजेन्द्र राठौड़ और प्रो महेंद्र सिंह राठौड़ के साथ उनकी अहम भूमिका रही।।भारतीय जनता युवा मोर्चा से जुड़ कर राजनीति सफर शुरू करने वाले पीयूष डोशी बाड़मेर के हॉट युवा उम्मीदवारो में सुमार हो चुके है।बाड़मेर के जातिगत समीकरण उनके पक्ष में है।।जैन होने के चलते मतदाताओं का विश्वास उन्हें हासिल हुआ है।।भाजपा के सहकारिता और व्यावसायिक प्रकोष्ठ में अहम जिम्मेदारी के पदों का निर्वहन कर रहे है।युवा सोच के हिमायती पीयूष डोशी बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र से दमदार युवा प्रत्यासी है।पीयूष डोशी सामाजिक सरोकार से जुड़ी गतिविधियों को अंजाम देते रहते है । जरूरतमंद लोगों की मदद करने के साथ निशुल्क चिकित्सा शिविरों का आयोजन भी करते है।उनके द्वारा अकाल और बाढ़ के दौरान पीड़ितों की की सहायता आज भी लोग याद करते है ।नए चेहरे की तलाश में जुटी भाजपा की तलाश पीयूष डोशी पर खत्म हो सकती है।

*धन सिंह मौसेरी* युवा राजनीति में एकाएक शिव विधान सभा क्षेत्र से सशक्त दावेदार के रूप में विनोबा भावे और स्वामी विवेकानंद के आदर्शों के हिमायती धन सिंह उभर कर सामने आए।।राष्ट्रवादी विचारों और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से उनका सीधा जुड़ाव उन्हें एक उम्मीदवार के रूप में ऊंचाई देता है। ओबीसी वर्ग से होने के साथ ही उनकी पकड़ शिव विधानसभा क्षेत्र के जन जन तक है। सीमा जन कल्याण समिति से जुड़ कर कई साल से सरहदी गांवो में अकाल प्रबंधन के कार्यो के माध्यम से जन सेवा में जुटे है ।सकारात्म सोच और जनसेवा के जुनून ने उनकी खास पहचान बनाई।।शिव विधानसभा क्षेत्र में उन्हें आने समाज के साथ अन्य समाजो का अच्छाखासा समर्थन मिल  रहा है।।धन सिंह साधारण किसान परिवार से होने के कारण आम आदमी के मर्म और जरूरतों को अच्छे से समझते है।।भूमिहीन परिवारों को उन्हें  जमीन आवंटन कराकर उन्हें अधिकार दिलाने का उन्होंने सपना देखा है।।पाक विस्थापित परिवारों को जमीन आवंटन के साथ मूलभूत सुविधाते उपलब्ध कराना उनकी प्राथमिकता में शामिल है।।सरहदी क्षेत्र से होने के कारण पशुपालकों की समस्याओं को भली भांति जानते है।भेड़ बकरियों को फेमिना कोड में शामिल करवाना उनका एजेंडा है। युवा सोच और बदलाव के प्रतीक के रूप में धन सिंह मौसेरी युवाओ के आदर्श है।।शिव विधानसभा से प्रबल और सशक्त दावेदार।।

*पुराराम मेघवाल* भारत पाक सीमा पर छोटे से गांव मेहरानगढ़ के मूल निवासी अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखने वाले पुराराम मेघवाल भाजपा के चौहटन से सटीक युवा दावेदार है।गत विधानसभा चुनावों में उनका नाम पैनल में गया था।संघ पृष्ठभूमि के होने के कारण शुरू से भाजपा से उनका जुड़ाव रहा। प्रदेश स्तर के नेताओ के विश्वशनीय पुराराम आरक्षित सीट अनुसूचित जाति चौहटन से भाजपा की दावेदारी कर रहे।।मेघवाल प्रतिभावान है गांव में पांचवी कक्षा में उतीर्ण होने के साथ उन्हें जोधपुर की सर्वाधिक प्रतिष्ठित स्कूल चौपासनी में प्रवेश मिला।।उच्च स्तर की शिक्षा दिल्ली यूनिवर्सिटी में हासिल करने के बाद स्कॉलरशिप के जरिये मॉस्को में उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। चोहटन के निवासी होने के कारण मेघवाल समाज मे उनकी अच्छी पकड़ है।युवा सोच और लोगो के साथ सीधे संपर्क के कारण क्षेत्र में काफी लोकप्रिय भी है। आम जरूरत मन्दो की सहायता के साथ साथ लोगो की विबहित सामाजिक कार्यो में मददगार है।।रणकपुर में भाजपा की मीटिंग में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने खास तौर से इनकी तारीफ की थी। लम्बे समय से क्षेत्र में जनसेवा के माध्यम से लोगो से जुड़े होने के सर्च स्थानीय होने के कारण क्षेत्र की समस्याओं से भली भांति परिचित है। पुराराम मेघवाल भाजपा से जुड़े होने के कारण चौहटन से अपनी दावेदारी कर रहे है ।उन्हें अच्छा खासा समर्थन भी मिल रहा।।बाहरी प्रत्यासियो के मुक़ाबले पुराराम सशक्त है। संभावनाओं से भरा चेहरा  है।

*शम्मा बानो* थार के दिग्गज राजनीतिज्ञ सीमांत गांधी के नाम से मशहूर और नो बार विधायक रहे महरूम अब्दुल हादी की बहू शम्मा बानो क्षेत्र की राजनीति में  सक्रिय है।।कांग्रेस से जुड़े इस परिवार को राजनीति विरासत में मिली।।अल्पसंख्यक वर्ग से होने के साथ साथ उच्च शिक्षित होने के कारण शम्मा बना युवा महिला राजनीति का चर्चित चेहरा है।प्रदेश महिला कांग्रेस की सचिव के पद पर कार्यरत शम्मा बानो वर्तमान में जिला परिषद सदस्य है।वो चोहटन पंचायत समिति की प्रधान भी रही।।अपने प्रधान कार्यकाल में लोगो के कार्य खूब किये जिससे लोगो का उन पर अटूट भरोसा है।चूंकि उनका क्षेत्र चोहटन रिजर्व सीट में आगया परिसीमन के बाद।।गत बार उन्होंने शिव विधानसभा क्षेत्र से दावेदारी की थी।।मगर कामयाबी नही मिली।फिर भी वो पार्टी कार्यक्रमो और सामाजिक कार्यक्रमो में सक्रिय रही ।कांग्रेस के कई अधिवेशनों में भाग ले चुकी है। राहुल गांधी ने उन्हें लेडी ऑफ थार का नाम दिया है।।इस बार भी शम्मा बानो शिव विधानसभा से अपनी दावेदारी पेश कर रही।गत पांच साल से शिव क्षेत्र में वो काफी सक्रिय रही।।उनके पति गफूर अहमद श्रम कल्याण बोर्ड के चेयरमैन भी रहे है। क्षेत्र में हादी परिवार के प्रति आज भी दीवानगी का आलम है।।युवाओ को बागडौर देने की पहल पर शम्मा बानो एक आदर्श प्रत्यासी हो सकती है।।वैसे भी इस मरुस्थलीय इलाके में महिलाए राजनीति से कोसो दूर रहती है।शम्मा बानो थार की महिलाओ की सशक्त आवाज़ बन सकती है। काबिल होने के साथ उनका राजनीति अनुभव उनमे संभावना  जगाता है। शिव से वेटरन नेता अमीन खान भी सशक्त दावेदार है मगर गत चुनावव में तीस हजार से हार और सत्तर साल से अधिक उम्र के कारण उन्हें संगठन में कहीं काम लेने के साथ शिव में शम्मा खान को आजमाया जा सकता हैं।

शनिवार, 1 जुलाई 2017

बाड़मेर। अनुठे हैं थार के झोंपड़े,सिन्ध शैली के झोंपे लोकप्रिय, बिना कूलर एयर कण्डीसनर के श ीतलता का अहसास










बाड़मेर। अनुठे हैं थार के झोंपड़े,सिन्ध शैली के झोंपे लोकप्रिय ,बिना कूलर एयर कण्डीसनर के शीतलता का अहसास


बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिला रेगिस्तान के विशाल भूु भाग में विषम परिस्थितियों में बसा सपनो के सुन्दर चित्रो से जुदा नहीं हैं।थार वासियों की कठिन किन्तु रंगीन जीवन शैली हर एक को प्रभावित करती हैं।रेगिस्तानी धोरो के बीच बने तरह तरह के झोपे आकर्षित करते हैं।पाकिस्तान से सटी सरहद क्षैत्रा में ग्रामिणो द्धारा बनाए सिन्धशली के अनुठे झौंपे मरुस्थल की रंगीन जीवनशैली को दर्शाता हैं।वहीं थार के रेगिस्तान में पड रही भीषण गर्मी का मुहॅ तोड जवाब ये देसी झौंपे हैं।जो 48-50 डिग्री की गर्मी में बिना कुलर एयर कण्डीशनर के शीतलता का अहसास कराता हैं।रेगिस्तनी गर्मी को मुॅह चिढातें देशी शैली के ये झौंपे बेहद लोकप्रिय हो रहे हैं।राजस्थानो मरुस्थल क्षैत्र में किसी भी दिशा में चले जांए झौंपो के अलग अलग प्रकार के सैकडों झांकियां आखों को शकुन देती हैं।कई गांव झौंपो की ना-ना प्रकार की छटा लिये हुए मिलेंगं तो कुछ गांव झोंपड़े,पड़वे,गड़ाल,छान,ओळा, आदि रुपों में अपनी बनावट,मण्डाई,रुपाकंन,और सुख सुविधाओं के सुन्दर स्वरुप सहेजे मिलेंगे।गांव ढाणियों मेंगोबर के गारे से निर्मित झोंपो की दीवार में मुरड़,खड़ी,राख या फिर सीमेंट का उपयोग किया जाता हैं।झोंपों की दीवारो के उपरी भाग की मण्डाई का कार्य क्षैत्र में उपलब्ध पैड़-पौधें,घास,और झाड़ियों के अनुरुप किया जाता हैं।छाण या ढाॅचा तैयार करने मेंकैर,खैजड़ी,देसी बबुल,या रोहिड़े की घोड़ियाॅ तो बाण के रुप में आक,फोग,की पतली टहनियों तथा छावण का उपरी भाग बाजरें के पुळों एव। घास की पुळियों या खींप और सिणियों से किया जाता हैं।भीतरी ढांचे और छिवाई के जोड़ों को मजबूती प्रदान करने के लिए बांधी जाने वाली डोरियों कों जूण कहा जाता हैं,जो सिणियों ,खींप या फिर मूंज से बनाया जाता हैं।झोंपे के भीतरी भाग की छत को सुन्दर रुप देने के लिए सरकण्डों का उपयोग किया जाता हैं।इसके मण्डाण में परम्परागत षिल्प और शगुन का ध्यान रखा जाता हैं।झौंपो का फर्श परम्परागत रुप से गोबर का नीपा जाता हैं।झौंपों की बसावट खेत की उॅचाई वाले स्थान या धोरे पर की जाती हैं। स्थान तय करने से पहले हवा पानी तथा खेतों की रखवाली को ध्यान में रखा जाता हैंझोंपे के निर्माण के वक्त हवा के रुख का पूर्ण ध्यान रखा जाता हैंआमने-सामने की दिवारो। पर मोखे खिड़कियां रखी जाती हैं जिसमें शानदार हवा अनवरत आती हैं।सरहदी क्षैत्रा में बने झौंपे सिन्ध शैली के अधिक हैं।सिन्ध क्षैत्रा के झौंपो की तरह झौंपो को आर्कषक बनाने के लिए उनके भीतरी भाग को पाण्डु और गेरु की भांतो से रंग दिया जाता हैं।उसके सूखने पर आळो और मोखों के चारों ओर तथा खाली स्थानों पर लोक संस्कृति के माण्डणे मांण्डे जातेहैं ।ये माण्ड़णे बहुररंगी तथा चटकीले रंगो में होते हैं।पाण्डु और कलाई के प्रभाव से उनकी छआ देखते बनती हैं।इन माण्ड़णोमेंलोक शैली में पैड़-पौधे,वनस्पति,सूरज,चान्द,बेल-बूटे पशु-पक्षी, लोक वाद्य यंत्रो,लोक देवताओं के मन मोहक चित्राण होते हैं।कहीं कहीं रंगों की बजाए पाण्डु के श्वेत धरातल पर गेरु के चितराम उकेरे जाते हैं।झोंपे का आंगन भी कम नहीं सजाया जाता हैं।चिकनी मिटी और गोबर के लेप से आंगन में गैरु और पाण्डु की झालर और बीच बीच में माण्डणे माण्ड कर आ।गन को आकर्षक बनाया जाता हैं।झोंपे सामान्य धरो से पाॅच सितारा होटलो की शान बन चुके हैं,देशी विदेशी पर्यटक खास तौर से झौंपों की मांग करते हैं।सरकारी अधिकारीयों को भी झापों का शौक र्चराया हेेै,अमुमन हर अधिकारी के बंगले में दो तीन झौंपें अवश्य नजर आते हैं।

मंगलवार, 3 मार्च 2015

फीकी पड़ रही चंग की रंगत थार में

फीकी पड़ रही चंग की रंगत थार में 


ओम प्रकाश सोनी 
बालोतरा। होली पर्व को लेकर बालोतरा में फाग की मस्ती को दुगुना करने वाले वाद्य यंत्र चंग कर ब्रिकी जोरोे पर है। शहर में चंग विक्रेताओ की दुकानो पर चंग खरीदने वाले लोगो की भीड़ उमड़ रही है। बाजार में मांग के अनुसार पांच सो रूपये से लेकर दो हजार रूपयो के चंग उपलब्ध है। विषेषकर ग्रामीण इलाको में होली पर चंग की थाप पर फाग गाने की प्रथा ओर रवायतो को लोग जीवीत रखे हुये है। इस बार मंहगाई की मार चंग पर भी दिखने लगी है। चंग को बनाने का वर्षो से काम करते आ रहे लोग बताते है कि आधुनिक संगीत यंत्रो ओर डीजे आदि के सामने चंग ओर ढोल जेसे परम्परागत वाद्य यंत्रो की चमक फीकी पड़ने लगी है। चंग बनाने में मेहनत बहुत लगती है पर मुनाफा नाम मात्र का होता है। मंहगाई की मार से चंग की किमते भी बढ गई है। चंग खरीदने आने वाले लोगो को चंग की उची कीमत एक बार खरीद करने से पहले सोचने को मजबूर करती है। चंग के निर्माताओ को कहना है कि वर्ष दर वर्ष चंग की बिक्री में कमी आ रही है। ऐसे में आने वाले समय में होली की मस्ती ओर चंग की थाप का आने वाली पीढी आनंद ही नही ले पायेगी।

बुधवार, 18 दिसंबर 2013

बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी





बेनजीर भुट्टो के प्रति सरहद पर अब भी दीवानगी

बाड़मेर: राजस्‍थान के थार मरुस्‍थल के सरहदी इलाकों में इन दिनों पाकिस्तान के सिंध सूबे के लोक गीत गूंज रहे हैं। इन लोक गीतों में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के जीवन से जुड़े प्रसंगों को फिल्माने के साथ संगीतबद्ध किया गया है।बेनजीर कि मौत के कई साल बाद भी इन अलबमों के प्रति दीवानगी सरहदी क्षेत्रो में देखि जा रही हें। पाकिस्तान सीमा से सटे बाड़मेर जिले के कई गाँवो के लोग बेनजीर भुट्टो से ख़ास लगाव रखते हें उनकी शहादत को आज भी इस अलबमों के जरिये सुनते हें।

थार और सिंध का पुराना नाता रहा है। इतना ही नहीं, रस्मों-रिवाज के साथ यहां की रवायतों में भी गहरा ताल्लुक रहा है। आपस में रिश्तेदारियां तो आज भी होती हैं। हां, इससे पहले लोकगीतों में अपने इलाके से जुड़े किस्से, रस्मों-रिवाजों का गुनगान होता था, लेकिन अब सिंधी लोक कलाकार अपने गीतों में भुट्टों के जीवन से जुड़े प्रसंगों को गुनगुना रहे है। इंटरनेट पर यूट्यूब के अलावा थार एक्सप्रेस में आने वाले यात्री अपने साथ मोबाइल चिप और पेन ड्राइव में ये गीत लेकर आ रहे हैं।

सिंध के लोक कलाकारों ने अपनी जुबां में गाए गीतों में भुट्टों को ‘चार सूबों की जंजीर, दुश्मनों के सीने में थी तीर’ बताया है। कलाकारों ने गाया है कि ‘या अल्लाह या रसूल बेनजीर बेकसूर।’ ‘आठ साल बाद रखा देश में कदम और कदम पर दुश्मनों ने रखा बम’ एक खास गीत है, जिसमें भुट्टों के पाकिस्तान छोड़ देने के आठ साल बाद पाकिस्तान आने और फिर उनकी हत्या के प्रसंग का उल्‍लेख किया गया है।

गीतों में बेनजीर को शहीद और सिंध की रानी बताते हुए उनके राजनैतिक दौरे, तीखे भाषण, समर्थकों की भीड़ और उनकी अपनी आवाज में ‘क्या मुल्क को बचाने में मेरा साथ दोगे’ जैसे तीखे तेवरों को दिखाया गया है। वीडियों में उनकी हत्या के फुटेज को भी दिखाया गया है। इस अलबम में एक गीत है- ‘सिन्ध की रानी हुई शहीद, घर-घर में कोहराम आया।’

इस विषय में बाड़मेर के लोकगीत म्‍यूजिक कंपोजर सत्तारभाई का कहना है, ‘थार-सिंध के लोक गीतों को पहले भी दोनों मुल्कों में सुना जाता था, लेकिन लोक कलाकारों की ओर से राजनेताओं के बारे में गीत और चित्रण अभी प्रचलन में आने के साथ ही हमजुबां होने से भी पंसद किए जा रहे हैं।’




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गुरुवार, 22 सितंबर 2011

थार में आई खुम्भी की बहार बाड़मेर में खुम्भी का खुमार

थार में आई खुम्भी की बहार.....बाड़मेर में खुम्भी का खुमार



बाड़मेर इस वर्ष आए अच्छे मानसून के कारण थार में रौनक छाई हुई है। हरियाली के साथ आम लोगों की पसंदीदा सब्जी खुंभी की भी बहार आई हुई है। प्राकृतिक रूप से उगने वाली इस स्थानीय मशरूम को जंगल में हर जगह से इकट्टा किया जा रहा है। खुंभी अब गांवों से इकट्ठा होकर शहर बिकने भी जा रही है। स्थानीय मशरूम स्वादिष्ट होने के साथ पौष्टिक भी माने जाते हैं। मशरूम को कैल्शियम के साथ विटामिन भी अधिकता में पाए जाते हैं।

प्रकृति की देन

प्राकृतिक रूप से उगने वाली यह मशरूम ग्रामीणों में अत्यधिक लोकप्रिय सब्जी है। इसे काट कर सुखाया भी जा रहा है, जिसे बाद में सब्जी के रूप में काम में लिया जाता है। जंगल में यह मशरूम सेवण घास के साथ व स्थानीय लाणा झाड़ी के पास अधिक उगती है। वर्तमान में मरुस्थलीय गाँवो तथा आसपास के क्षेत्र, व अन्य स्थानों से इसे इकट्ठा किया जा रहा है।


बच्चों को मिला रोजगार

बाड़मेर शहर के अलावा इसे बीकानेर व जोधपुर भी बेचने को ले जाया जा रहा है। औसतन बाजार में110 से 120 रूपए किलो बिकने वाली मशरूम से ग्रामीणों को प्रति किलो 60 से 70 रूपए मिल रहे हंै। यहां आवागमन वाले मार्गो व भीड़ वाली जगह पर ग्रामीण बच्चे इसे माला में पिरो कर रोज ही सड़क पर खड़े मिल जाते हंै। ये बच्चे मशरूम को आने जाने वाले वाहन चालकों को बेचकर अच्छे पैसे कमा रहे हैं। मशरूम के कारण उन्हें घर बैठे रोजगार मिल रहा है।लम्बे समय बाद बाड़मेर जिले में खुम्भी की अछि तादाद में प्राक्रतिक पदावर हुई हें .खुम्भी के बारे मेबं वनस्पति विशेषज्ञों का मानना हें की एक साल में एक किलोग्राम खुम्भी आम आदमी खा ले तो शरीर में केल्सियम की कमी नहीं रहती साथ ही टूटी हड्डी को जोड़ने में भी राम बाण की तरह काम करती हें खुम्भी .बहरहाल बाड़मेर जिले में प्रयाप्त बारिश तथा उमस के चलते खुम्भी की प्राक्रतिक पदावर बहूत हुई जिसका फायदा ग्रामीणों को ध के रूप में मिल रहा हें वन्ही लोग बड़े चाव के साथ खुम्भी की सब्जी खा रहे हें

रविवार, 8 मई 2011

थार की गर्मी ने छुड़ाए पसीने

















थार की गर्मी ने छुड़ाए पसीने


बाड़मेर शहर में गर्मी बढऩे के साथ ही शहरवासियों की दिनचर्या भी बदलने लगी है। दोपहर के समय मुख्य मार्गों पर सन्नाटा पसरा नजर आता है। वहीं उन मार्गों से गुजरने वाले इक्के-दुक्के लोग भी गर्मीसे बचाव का पूरा जाब्ता किए निकलते हैं।गर्मीके तेवर तीखे होने से शीतल पेय पदार्थों की भी बिक्री बढ़ी है।गर्मी के कारण आम दिनों की अपेक्षा गली-मौहल्लों के नुक्कड़ व मुख्य चौराहों पर भी गिनती के लोग ही नजर आ रहे हैं।भीषण गर्मी में लोगों को पंखे व कूलर भी राहत नहीं दे रहे हैं।दोपहर में गर्मी के साथ चलने वाली लू कोढ़ में खाज का काम कर रही है।मुख्य मार्गो पर दोपहर के समय वाहनों का आवागमन भी कम ही रहता है


बदली लोगों की दिनचर्य

गर्मी बढऩे के साथ ही लोगों की दिनचर्या में भी बदलाव आया है। शहरवासी सूरज तपने से पहले अपने काम-धंधे पर पहुंच जाते हैं। वहीं दोपहर के समय कूलर व पंखों के सामने बैठकर समय व्यतीत कर रहे हैं। यहां भी इन्हें पूरी तरह से गर्मी से निजात नहीं मिल पा रही है।शहर के मुख्य मार्गों पर आम दिनों की अपेक्षा इन दिनों चहल-पहल कम नजर आ रही है।स्कूली छात्र-छात्राएं गर्मी से बचने के लिए पूरा जाब्ता करके ही मार्ग से गुजरते हैं।रात्रि के समय अधिकांश शहरवासी खुले आसमान के नीचे ही सोकर रात गुजार रहे हैं। देर रात तक गर्म हवाओं का असर रहने के कारण शहरवासियों को रात में भी चैन नहीं मिल पा रहा है



खूब बिक रही है मटकियां
गर्मी बढऩे के साथ ही पचपदरा में बनी मटकियों की बिक्री भी बढ़ गई है।स्टेशन रोड व प्रथम रेलवे फाटक के पास आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोग मटकियों की खरीद करते हुए देखे जा रहे हैं।गर्मी के दिनों में मटकी का पानी पीने से लोगों को थोड़ी राहत मिल रही है।मटकी विक्रेता पप्पू ने बताया कि पिछले ६-७ दिनों से बढ़ी गर्मीके कारण मटकियों की बिक्री ने भी जोर पकड़ लिया है।उन्होंने बताया कि शहरी क्षेत्र की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले लोग मटकियों की खरीद में विशेष रूचि दिखा रहे हैं।उल्लेखनीय है कि पचपदरा में बनी मटकियों की गर्मियों के दिनों में क्षेत्र सहित पूरे संभाग में जबर्दस्त डिमांड रहती है।