*बधाई जैसलमेरी जोर हमारा साफा सिरमौर*
*जिला कलेक्टर नमित मेहता का आभार परंपरा को सिरमौर बनाने का*
*बाडमेर न्यूज ट्रैक चन्दन सिंह भाटी*
*40 सालों से स्वर्ण नगरी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शरद पूर्णिमा से दो दिन पहले मरु महोत्सव का आयोजन हो रहा है।।40 साल बाद इस मेले की सार्थकता सिद्ध की युवा ऊर्जावान और राजस्थान संस्कृति के सरंक्षक जिला कलेक्टर नमित मेहता ने।।राजस्थान की लोक परम्पराए और संस्कृति लुप्त प्रायः हो गई।।इनके सरंक्षण के सीमित प्रयास होते है।।जो राजस्थानी संस्कृति और साहित्य से जुड़े है वो यदा कदा लोक कला और संस्कृति के सरंक्षण की बात विभिन मंचो पर करते है।।।
पश्चिमी राजस्थान में साफा मान सम्मान और गौरव का प्रतीक है। किसी वक्क्त गांवो में बिना साफे के प्रवेश तक नही होता।।साफा राजस्थानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बावजूद नई पीढ़ी इससे काफी दूर हो गई।।साफे के प्रति कोई खास रुचि नही रही खास मौकों पर जरूर स्टेटस सिंबल के रूप में साफा पहना जाता है।।मगर आम जीवन मे इसका उपयोग कम हो गया यहां तक कि ग्रामीण अंचलों में युवाओ के सर से साफा दूर हो गया।।साफा पहनना और साफा बांधना दो अलग अलग कलाएं है। साफा बांधने वाले शहर में गिने चुने लोग है। खास मौकों पर इन लोगो के घर साफा बंधवाने वालो की भीड़ रहती है। साफा बांधने की कला लुप्त प्रायः हो गई।।जिला कलेक्टर नमित मेहता की इस सोच को सलाम की उन्होंने एक साथ पांच हज़ार से अधिक लोगो जिसमे नई पीढ़ी के युवा भी शामिल है को साफा बांधना चंद दिनों में सीखा दिया।।साफा बांधने में स्थानीय लोगो के साथ देशी विदेशी पर्यटकों में भी खास उत्साह दिखाया। इन पर्यटको ने भी साफा बांध कर साबित कर दिया कि हमारी साफा बांधने की परंपरा पुनः जीवित हो गई। आज जेसलमेर को एक साथ साफा बांधने वाले पांच हज़ार लोग एक साथ मिल गए।।जैसलमेरी केसरिया गोल साफा चंद लोग ही बांध सकते थे।।जिले में सबसे बेहतर जेसलमेरी साफा महारावल बृजराज सिंह बांधते है।।महारावल के शाही व्यक्तित्व में उनके द्वारा बांधे साफे चार चांद लगा देते है।।इसी परंपरा को जिला कलेक्टर न केवल आगे बढ़ाया बल्कि रिकॉर्ड बुक में इसे शामिल करवाने के अपने जज्बे में कामयाब रहे जेसलमेर की जनता को एक अनमोल तोहफा दिया।।पांच हजार चार सौ से अधिक लोगो ने सिर पर साफा बांध इसे दस्तावेजो में भी सिरमौर बनाया।।यही जैसलमेरी जोर और जोश था।।जजेसलमेर कि परंपरा को सिरमौर बनाने के लिए जिला कलेक्टर नमित मेहता सहित प्रभारी मोहनदान रतनू,उपखंड अधिकारी विकास राजपुरोहित ,खेल अधिकारी लक्ष्मण सिंह तंवर ,फुटबॉल संघ के सचिव मांगीलाल सोलंकी सहित मरु महोत्सव टीम का हार्दिक आभार। बधाई।।
*जिला कलेक्टर नमित मेहता का आभार परंपरा को सिरमौर बनाने का*
*बाडमेर न्यूज ट्रैक चन्दन सिंह भाटी*
*40 सालों से स्वर्ण नगरी में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए शरद पूर्णिमा से दो दिन पहले मरु महोत्सव का आयोजन हो रहा है।।40 साल बाद इस मेले की सार्थकता सिद्ध की युवा ऊर्जावान और राजस्थान संस्कृति के सरंक्षक जिला कलेक्टर नमित मेहता ने।।राजस्थान की लोक परम्पराए और संस्कृति लुप्त प्रायः हो गई।।इनके सरंक्षण के सीमित प्रयास होते है।।जो राजस्थानी संस्कृति और साहित्य से जुड़े है वो यदा कदा लोक कला और संस्कृति के सरंक्षण की बात विभिन मंचो पर करते है।।।
पश्चिमी राजस्थान में साफा मान सम्मान और गौरव का प्रतीक है। किसी वक्क्त गांवो में बिना साफे के प्रवेश तक नही होता।।साफा राजस्थानी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसके बावजूद नई पीढ़ी इससे काफी दूर हो गई।।साफे के प्रति कोई खास रुचि नही रही खास मौकों पर जरूर स्टेटस सिंबल के रूप में साफा पहना जाता है।।मगर आम जीवन मे इसका उपयोग कम हो गया यहां तक कि ग्रामीण अंचलों में युवाओ के सर से साफा दूर हो गया।।साफा पहनना और साफा बांधना दो अलग अलग कलाएं है। साफा बांधने वाले शहर में गिने चुने लोग है। खास मौकों पर इन लोगो के घर साफा बंधवाने वालो की भीड़ रहती है। साफा बांधने की कला लुप्त प्रायः हो गई।।जिला कलेक्टर नमित मेहता की इस सोच को सलाम की उन्होंने एक साथ पांच हज़ार से अधिक लोगो जिसमे नई पीढ़ी के युवा भी शामिल है को साफा बांधना चंद दिनों में सीखा दिया।।साफा बांधने में स्थानीय लोगो के साथ देशी विदेशी पर्यटकों में भी खास उत्साह दिखाया। इन पर्यटको ने भी साफा बांध कर साबित कर दिया कि हमारी साफा बांधने की परंपरा पुनः जीवित हो गई। आज जेसलमेर को एक साथ साफा बांधने वाले पांच हज़ार लोग एक साथ मिल गए।।जैसलमेरी केसरिया गोल साफा चंद लोग ही बांध सकते थे।।जिले में सबसे बेहतर जेसलमेरी साफा महारावल बृजराज सिंह बांधते है।।महारावल के शाही व्यक्तित्व में उनके द्वारा बांधे साफे चार चांद लगा देते है।।इसी परंपरा को जिला कलेक्टर न केवल आगे बढ़ाया बल्कि रिकॉर्ड बुक में इसे शामिल करवाने के अपने जज्बे में कामयाब रहे जेसलमेर की जनता को एक अनमोल तोहफा दिया।।पांच हजार चार सौ से अधिक लोगो ने सिर पर साफा बांध इसे दस्तावेजो में भी सिरमौर बनाया।।यही जैसलमेरी जोर और जोश था।।जजेसलमेर कि परंपरा को सिरमौर बनाने के लिए जिला कलेक्टर नमित मेहता सहित प्रभारी मोहनदान रतनू,उपखंड अधिकारी विकास राजपुरोहित ,खेल अधिकारी लक्ष्मण सिंह तंवर ,फुटबॉल संघ के सचिव मांगीलाल सोलंकी सहित मरु महोत्सव टीम का हार्दिक आभार। बधाई।।