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बुधवार, 26 सितंबर 2018

बाड़मेर राजनितिक शख्शियत तन सिंह बाड़मेर के पहले विधायक ,पालिका अध्यक्ष फिर दो बार सांसद मात्र 9 हज़ार रुपये में सांसद का चुनाव लड़े,जीते

बाड़मेर राजनितिक शख्शियत तन सिंह

बाड़मेर के पहले विधायक ,पालिका अध्यक्ष फिर दो बार सांसद

मात्र 9 हज़ार रुपये में सांसद का चुनाव लडे ,जीते


जन्म

वि.सं.१९८० में बाड़मेर जिले के गांव रामदेरिया के ठाकुर बलवंत सिंह जी महेचा की धर्म पत्नी मोतिकंवरजी के गर्भ से तनसिंह जी का जन्म अपने मामा के घर बैरसियाला गांव में हुआ था वे अभी शैशवावस्था में अपने घर के आँगन में चलना ही सीख रहे थे कि उनके पिता मालाणी के ठाकुर बलवंत सिंघजी का निधन हो गया और चार वर्ष से भी कम आयु का बालक तनैराज अपने सिर पर सफ़ेद पाग बाँध कर ठाकुर तनैराज हो गया | मात्र ९०रु वार्षिक आय का ठाकुर | भाग्य ने उनको पैदा करके पालन-पोषण के लिए कठिनाईयों के हाथों सौप दिया |

शिक्षा

घर की माली हालत ठीक न होने के बावजूद भी श्री तनसिंह जी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बाड़मेर से पुरी कर सन १९४२ में चौपासनी स्कूल जोधपुर से अच्छे अंकों के साथ मेट्रिक परीक्षा पास कर सर्वश्रेष्ठ विद्यार्थी होने का गौरव प्राप्त किया,और उच्च शिक्षा के लिए पिलानी चले आए जहाँ उच्च शिक्षा ग्रहण करने बाद नागपुर से उन्होंने वकालत की परीक्षा पास कर सन १९४९ में बाड़मेर आकर वकालत का पेशा अपनाया,पर यह पेशा उन्हें रास नही आया |

राजनैतिक जीवन

25 वर्ष की आयु में बाड़मेर नगर वासियों ने उन्हें बाड़मेर नगर पालिका का अध्यक्ष चुन लिया और 1952 के विधानसभा चुनावों में वे पहली बार बाड़मेर से विधायक चुन कर राजस्थान विधानसभा पहुंचे और 1957 में दुबारा बाड़मेर से विधायक चुने गए | 1962 व 1977 में आप बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए | 1962 में तन सिंघजी ने दुनिया के सबसे बड़े और विशाल बाड़मेर जैसलमेर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा का चुनाव मात्र एक जीप,कुछ साथी,सहयोगी स्वयम सेवक,कार्यकर्त्ता,किंतु अपार जन समूह के प्यार और समर्थन से मात्र 9000 रु. खर्च कर सांसद बने |

श्री क्षत्रिय युवक संघ की स्थापना

पिलानी के राजपूत छात्रावास में रहते हुए ही श्री तनसिंह जी ने अपने भविष्य के ताने-बाने बुने | यहीं उनका अजीबो-गरीब अनुभूतियों से साक्षात्कार हुआ और समाज की बिखरी हुयी ईंटों से एक भव्य-भवन बनाने का सपना देखा | केवल 22 वर्ष की आयु में ही उनके हृदय में समायी समाज के प्रति व्यथा पिघली जो " श्री क्षत्रिय युवक संघ" के रूप में निश्चित आकार धारण कर एक धारा के रूप में बह निकली | लेकिन अन्य संस्थाओं की तरह फॉर्म भरना,सदस्यता लेना,फीस जमा करना,प्रस्ताव पारित करना,भाषण,चुनाव,नारेबाजी,सभाएं आदि करना श्री तन सिंह जी को निरर्थक लगी और 22 दिसम्बर 1946 को जयपुर के मलसीसर हाउस में नवीन कार्य प्रणाली के साथ "श्री क्षत्रिय युवक संघ " की विधिवत स्थापना की और उसी दिन से संघ में वर्तमान संस्कारमयी मनोवैज्ञानिक कार्य प्रणाली का सूत्रपात हुवा | इस प्रकार क्षत्रिय समाज को श्री तनसिंह जी की अमूल्य देन "श्री क्षत्रिय युवक संघ " अपनी नई प्रणाली लेकर अस्तित्व में आया | राजनीती में रहकर भी उन्होंने राजनीती को कभी अपने ऊपर हावी नही होने दिया | क्षत्रिय युवक संघ के कार्यों में राजनीती भी उनकी सहायक ही बनी रही | सन 1955-56 में विवश होकर राजपूत समाज को राजस्थान में दो बड़े आन्दोलन करने पड़े जो भू-स्वामी आन्दोलन के नाम से विख्यात हुए,दोनों ही आन्दोलनों की पृष्ठभूमि में क्षत्रिय युवक संघ की ही महत्वपूर्ण भूमिका थी | स्व.श्री तनसिंह जी की ख्याति एक समाज-संघठक,कर्मठ कार्यकर्त्ता,सुलझे हुए राजनीतीज्ञ,आद्यात्म प्रेमी,गंभीर विचारक और दृढ निश्चयी व्यक्ति के रूप में अधिक रही है किंतु इस प्रशिधि के अतिरिक्त उनके जीवन का एक पक्ष और भी है जिसे विस्मृत नही किया जा सकता | यह एक तथ्य है कि एक कुशल प्रशासक,पटु विधिविज्ञ,सजग पत्रकार और राजस्थानी तथा हिन्दी भाषा के उच्चकोटि के लेखक भी थे | पत्र लेखन में तो उनका कोई जबाब ही नही था अपने मित्रों,सहयोगियों,और सहकर्मियों को उन्होंने हजारों पत्र लिखे जिनमे देश,प्रान्त,समाज और राजपूत जाति के अतीत,वर्तमान और भविष्य का चित्र प्रस्तुत किया गया है | अनेक सामाजिक,राजनैतिक और व्यापारिक कार्यों की व्यस्तता के बावजूद उन्होंने साहित्य,संस्कृति और धार्मिक विषयों पर लिखने के समय निकला | श्री क्षत्रिय युवक संघ के पथ पर चलने वालों पथिकों और आने वाली देश की नई पीढियों की प्रेरणा स्वरूप स्व.श्री तनसिंह जी एक प्रेरणादायक सबल साहित्य का सर्जन कर गए |

मृत्यु

1979 में मध्यावधि चुनावों का फॉर्म भरने से पूर्व अपनी माताश्री से आशीर्वाद लेते समय 7 दिसम्बर 1979 को श्री तनसिंह जी ने अपनी माता की गोद में ही अन्तिम साँस ली

पुस्तकें

उन्होंने अनेक पुस्तके लिखी जो जो पथ-प्रेरक के रूप में आज भी हमारा मार्ग दर्शन करने के लिए पर्याप्त है |
1-राजस्थान रा पिछोला
2-समाज चरित्र
3- बदलते द्रश्य
4- होनहार के खेल
5- साधक की समस्याएं
6- शिक्षक की समस्याएं
7- जेल जीवन के संस्मरण
8- लापरवाह के संस्मरण
9-पंछी की राम कहानी
10- एक भिखारी की आत्मकथा
11- गीता और समाज सेवा
12- साधना पथ
13- झनकार( तनसिंहजी द्वारा रचित 166 गीतों का संग्रह)--
chandan bhati

सोमवार, 23 दिसंबर 2013

क्षत्रिय युवक संघ का 68वां स्थापना दिवस मनाया


क्षत्रिय युवक संघ का 68वां स्थापना दिवस मनाया

सिवाना  श्री क्षत्रिय युवक संघ का 68वां स्थापना दिवस रविवार को कल्ला रायमलोत राजपूत छात्रावास में हर्षोल्लास से मनाया गया।

प्रवक्ता मनोहरसिंह नांदला ने बताया कि कार्यक्रम का शुभारंभ प्रार्थना से हुआ। इस अवसर पर हनवंतसिंह मवड़ी ने संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर के नव वर्ष संदेश का पठन कर, उनकी मनोकामनाएं हमारे जीवन में उतारने का संदेश दिया।

उन्होंने हमारे आचार व्यवहार में संघ की झलक दिखे यह पढ़कर सुनाया गया। इसके बाद चंदनसिंह चांदेसरा ने कहा कि संघ की कार्यप्रणाली केवल किसी व्यक्ति विशेष या समाज विशेष की नहीं बल्कि संघ की कार्य प्रणाली संपूर्ण मानवजाति के लिए हितकारी, लाभकारी व कल्याणकारी है। तनसिंह की ओर से स्थापित संघ सबके लिए प्रेरक बनें। हम उन आदर्शों पर चले जो संघ ने हमारे लिए बनाएं हैं। संघ के अलावा संसार की संस्कृति समाज, सभ्यता व मानवता को बचाने का कोई रास्ता नहीं है।

इस दौरान 25 दिसंबर को शुरू होने वाले बालिका शिविर पर चर्चा की गई। इस मौके पर भायल ने चुनाव में सहयोग करने पर स्वजातीय बंधुओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हमें सभी मानव जाति को साथ लेकर चलने की जरूरत है। कार्यक्रम में 25 जनवरी को संघ के संस्थापक तनसिंह जयंती को प्रांतीय स्तर पर मनाने के लिए चर्चा की तथा संघ शक्ति पंथ प्रेरक पत्रिका से जुडऩे का आह्वान किया।

धूमधाम से मनाया क्षत्रिय युवक संघ का स्थापना दिवस


धूमधाम से मनाया क्षत्रिय युवक संघ का स्थापना दिवस

जैसलमेर



क्षत्रिय युवक संघ का 68वां स्थापना दिवस जवाहिर राजपूत छात्रावास में रविवार को समारोहपूर्वक मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण व दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। जितेन्द्र सिंह ने संघ प्रमुख की ओर से प्रेषित नववर्ष संदेश दिया। मंडल प्रमुख शेरसिंह व शाखा प्रमुख जसवंत सिंह ने सहगान प्रस्तुत किए। समाज के सचिव सवाईसिंह देवडा ने कहा कि समाज को अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेकर वर्तमान को सुंदर बनाना होगा। संघ का कारवां 68 वर्षों से बढ़ता हुआ समाज में जाग्रति की लौ जगा रहा है। तन सिंह जी के साहित्य से प्रेरणा लेकर हमें उन्नति की ओर अग्रसर होना है। उन्होंने बताया कि हमें सुसभ्य व चरित्रवान बनकर पतनोन्मुख समाज को उत्कर्ष की ओर ले जाना होगा। छात्रावास अधीक्षक जयसिंह ने शायराना अंदाज में संबोधित करते हुए कहा कि में एकजुट होकर समाज रूपी भवन को भव्य बनाना है। कार्यक्रम का संचालन विद्यार्थी प्रकोष्ठ के जिला अध्यक्ष महेन्द्र सिंह छायण ने किया। जलपान की व्यवस्था बाबूसिंह ने की। कार्यक्रम में भगवानसिंह, पूंजराजसिंह, प्रेमसिंह, सरदार सिंह, नरपतसिंह, खेतसिंह, पुष्पेंद्रसिंह, हेमसिंह, चंदनसिंह, दशरथसिंह सहित अन्य उपस्थित थे।

रामगढ़. क्षत्रिय युवक संघ का 68 वां स्थापना दिवस प्रांत प्रमुख बाबूसिंह बैरसियाला के सान्निध्य में समारोह पूर्वक मनाया गया। कस्बे के राजपूत छात्रावास में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण व ध्वजारोहण के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रांत प्रमुख बाबूसिंह ने तामसिक मनोवृत्ति को त्याग कर देवत्व प्राप्त करने की सीख देते हुए तन सिंह द्वारा स्थापित क्षत्रिय युवक संघ के कार्यक्रमों में भाग लेकर ईश्वरीय मार्ग पर चलने की बात कही। उन्होंने कहा कि क्षत्रिय युवक संघ पिछले 68 वर्षों से लोक संग्रह एवं व्यक्तिगत निर्माण का कार्य कर रहा है। गोरधन सिंह अर्जुना ने दंपति शिविर में बिताए संस्मरण बताए और कहा कि क्षत्रिय युवक संघ लोक संग्रहण का कार्य कर रहा है। रेवंतसिंह झिनझिनयाली ने चलता रहे मेरा संघ शीर्षक से सहगान प्रस्तुत किया और कहा कि प्रत्येक गांव में अधिक से अधिक शाखा लगाई जाए। पदमसिंह रामगढ़ ने संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर का नव वर्ष संदेश वाचन करते हुए कहा कि आज विश्व में संस्कृतियों का हास हो रहा है। इसलिए हमें क्षत्रिय युवक संघ के माध्यम से अपने जीवन में सात्विक भावों का अनुसरण करना चाहिए। कार्यक्रम में हाकमसिंह देवड़ा, चतुरसिंह म्याजलार, अनोपसिंह सोनू, लख सिंह आदि ने अपने विचार व्यक्त किए।

फलसूंड. क्षत्रिय युवक संघ का स्थापना दिवस फलसूंड क्षेत्र में धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर विधायक शैतानसिंह राठौड़, सांवल सिंह सनावड़ा उपस्थित थे। विधायक राठौड़ ने कहा कि संघ के संस्थापक तन सिंह के मार्ग पर चलना चाहिए। ताकि क्षत्रीय अपने कर्तव्य को पहचाने। उन्होंने संस्थापक के जीवन चरित्र के बारे में विचार व्यक्त किया। साथ ही उन्होंने क्षत्रिय को छत्तीस कौम को साथ में लेकर न्याय के पक्ष में रहने की बात कही। बालिका शिक्षा पर जोर देते हुए नशा प्रवृत्ति से दूर रहने की बात कही। सांवल सिंह सनावड़ा ने सभी क्षत्रियों को संगठित होकर चलना चाहिए, ताकि सभी कौमों को संरक्षण मिल सके। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में क्षत्रिय कर्तव्यों से भ्रमित हो रहा है। जिसका नुकसान सभी राजपूत समूह को हो रहा है। इस अवसर पर पूर्व सरपंच हुकम सिंह, उदयसिंह, रतनसिंह, खेतसिंह, हाथीसिंह, कालू सिंह, आनंद सिंह, बाबूसिंह, दानसिंह सहित फलसूंड, भुर्जगढ़, मानासर, रावतपुरा, स्वामीजी की ढाणी, नेतासर, दांतल, झलोड़ा, भीखोड़ाई, बलाड़, राजमथाई सहित आस-पास के गांवों के सभी क्षत्रीय युवक संघ के स्वयंसेवक उपस्थित थे।