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शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

थार की चुनावी रणभेरी 2018* *थार की राजनीति में कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं*

थार की चुनावी रणभेरी 2018*

*थार की राजनीति में कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं*



*बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक के लिए*

*-भाटी चन्दन सिंह-*

बाड़मेर । थार में पिछली सदी में वंशवाद की राजनीति नहीं रही लेकिन अब बुजुर्ग हो रहे नेता अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में आगे करने लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यह स्थितियां बलवती हो रही हैं।कई नेताओं के अब रिटायरमेंट की उम्र होने के बाद उनका कोई राजनीतिक उत्तराधिकारी नही हैं।तो कई नेता अपने रिश्तेदारों को राजनीति में लाने के प्रयास कर रहे।।मगर कोई धाकड़ नेता बनकर कोई नही उभर रहा।।

*ये हैं दावेदार*

*पूर्व सांसद तन सिंह के पुत्र* पृथ्वी सिंह रामदेरिया ने सिवाना सीट सामान्य होने के साथ कांग्रेस से अपनी सशक्त दावेदारी पेश की थी। उनका नाम फाइनल भी हो गया था ।स्थानीय जाट नेताओं के विरोध के आगे झुकते हुए उनका नाम ऐनवक्त काट बालाराम कलबी को टिकट दिया।सिवाना की राजनीति में सक्रिय पृथ्वी सिंह इस बार भी सिवाना से अपनी दावेदारी पेश कर रहे।

*गंगाराम की पोती*: दल बदलकर जीतने, गठजोड़ की राजनीति के लिए जाने जाते रहे बाड़मेर से तीन, गुड़ामालानी से चार एवं चौहटन से एक बार चुने गए गंगाराम चौधरी आठ बार विधायक रहे। उनकी पोती
प्रियंका चौधरी बाड़मेर से भाजपा की और से गत विधानसभा चुनाव हार चुकी है।इस बार फिर भाग्य आज़माने को तैयार है।।

*अब्दुल हादी के बेटे-बहू* : चौहटन से ही छह बार विधायक रहे अब्दुल हादी के बेटे गफूर अहमद और बहू शम्मा खान राजनीति में सक्रिय हैं। गफूर राज्यमंत्री और उप जिला प्रमुख रहे हंै और शम्मा चौहटन प्रधान रही हैं। वर्तमान में जिला परिषद सदस्य है।।महिला कांग्रेस की प्रदेश सचिव है।।इस बार शिव से शम्मा खान अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं।

*अमीन के बेटे भी लाइन में* :

 शिव के पूर्व विधायक एवं वक्फ मंत्री रहे अमीन खां के बेटे शेर मोहम्मद राजनीति में ज्यादा सक्रिय नही है।इस बार अमीन खान के बदले उनके समर्थक शेर मोहम्मद के लिए टिकट मांग रहे है।।

*कर्नल का बेटा* : बायतु विधायक एवं कचौथी बार सांसद बने कर्नल सोनाराम चौधरी के पुत्र रमन चौधरी भी सक्रिय हैं ।।


*जसवंतसिंह का परिवार* : पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंतसिंह के पुत्र मानवेन्द्रसिंह पूर्व में सांसद रह चुके हैं।  शिव से मानवेन्द्रसिंह विधायक है।। साथ उनकी पत्नी चित्रासिंह के नाम की भी चर्चा है,वो जल्द राजनीति में सक्रिय होंगी।।


*रामदान चौधरी परिवार*

पिता-पुत्र दोनों के विधायक रहने का उदाहरण जिले मे रामदान चौधरी व गंगाराम चौधरी का है। रामदान चौधरी 1957 से1962 तक गुड़ामालानी से विधायक रहे। उनके पुत्र गंगाराम चौधरी गुड़ामालानी, बाड़मेर और चौहटन से आठ बार विधायक रहे।अब उनकी पड़पोती डॉ प्रियंका चौधरी भाजपा की राजनीति में सक्रिय है।।बाड़मेर से दावेदार।

*1989 में जनता दल से सांसद रहे कल्याण सिंह कालवी के पुत्र लोकेन्द्र सिंह कालवी ने 1998 में चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।*


*परिवार को रखा दूर राजनीति से*

बाड़मेर विधानसभा से चार बार विधायक और एक बार सांसद रहकर लंबी राजनीति करने वाले वृद्धिचंद जैन के परिवार से कोई राजनीति में नहीं है। वर्तमान विधायक बाड़मेर मेवाराम जैन के परिवार का कोई सदस्य राजनीति में सक्रिय नही हैं। गुड़ामालानी से पांच बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी के परिवार से भी कोई राजनीति में नहीं है। पचपदरा से तीन व गुड़ामालानी से एक बार विधायक रह चुकी मदनकौर के परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं है। पचपदरा से ही लंबी राजनीति कर चार बार विधायक रहे अमरराराम चौधरी का परिवार भी राजनीति से दूर है।पूर्व विधायक चंपालाल बांठिया के परिवार से कोई राजनीति में सक्रिय नही है।।वर्तमान विधायक चोहटन तरुण कागा के परिवार का कोई सदस्य राजनीति में सक्रिय नही है ऐसे ही सिवाना विधायक हमीर सिंह भायल के परिवार से कोई राजनीति में सक्रिय नही हैं।

शुक्रवार, 18 अक्तूबर 2013

थार की चुनावी धार। …. बाड़मेर की राजनीती में वंशवाद कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं

थार की चुनावी धार। …. बाड़मेर की राजनीती में वंशवाद


कई नेताओ की राजनितिक विरासत संभालने वाला नहीं 



बाड़मेर । थार में पिछली सदी में वंशवाद की राजनीति नहीं रही लेकिन अब बुजुर्ग हो रहे नेता अपने परिवार के सदस्यों को राजनीति में आगे करने लगे हैं। आगामी विधानसभा चुनाव में यह स्थितियां बलवती हो रही हैं।


ये हैं दावेदार

गंगाराम की पोती : दल बदलकर जीतने, गठजोड़ की राजनीति के लिए जाने जाते रहे बाड़मेर से तीन, गुड़ामालानी से चार एवं चौहटन से एक बार चुने गए गंगाराम चौधरी आठ बार विधायक रहे। उनकी पोती प्रियंका चौधरी बाड़मेर से भाजपा की सीट से दावेदारी कर रही है।


हादी के बेटे-बहू : चौहटन से ही छह बार विधायक रहे अब्दुल हादी के बेटे गफूर खां और बहू शम्मा खान राजनीति में सक्रिय हैं। गफूर राज्यमंत्री और उप जिला प्रमुख रहे हंै और शम्मा चौहटन प्रधान हैं। इस बार शिव से दोनों ने कांग्रेस की टिकट की दावेदारी भी की है।


अमीन के बेटे भी लाइन में : शिव के विधायक एवं वक्फ मंत्री अमीन खां के बेटे शेर मोहम्मद ने भी इस बार दावेदारी की है। हालांकि शेर मोहम्मद कांगे्रस से सदस्य नहीं है।


कर्नल का बेटा : बायतु विधायक एवं तीन बार सांसद रह चुके कर्नल सोनाराम चौधरी के पुत्र रमन चौधरी भी सक्रिय हैं। बाड़मेर- जैसलमेर लोकसभा क्षेत्र से युवक कांग्रेस अध्यक्ष रहे रमन ने भी विधानसभा चुनावों में बायतु से दोवदारी की है।


जसवंतसिंह का परिवार : पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंतसिंह के पुत्र मानवेन्द्रसिंह पूर्व में सांसद रह चुके हैं। इस बार शिव से मानवेन्द्रसिंह के साथ उनकी पत्नी चित्रासिंह के नाम की भी चर्चा है, हालांकि दोनों ने दावेदारी नहीं की है। कार्यकत्ताüओं ने जरूर नाम प्रदेश स्तर तक भेजे हैं।


विधायक में एक ही उदाहरण

पिता-पुत्र दोनों के विधायक रहने का उदाहरण जिले मे रामदान चौधरी व गंगाराम चौधरी का है। रामदान चौधरी 1957 से1962 तक गुड़ामालानी से विधायक रहे। उनके पुत्र गंगाराम चौधरी गुड़ामालानी, बाड़मेर और चौहटन से आठ बार विधायक रहे।


पिता पुत्र दोनों सांसद

पूर्व केन्द्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता जसवंतसिंह और उनके पुत्र मानवेन्द्रसिंह दोनों सांसद रहे हैं। हालांकि जसवंतसिंह बाड़मेर से सांसद नहीं रहे है। 1989 में जनता दल से सांसद रहे कल्याण सिंह कालवी के पुत्र लोकेन्द्र सिंह कालवी ने 1998 में चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।


परिवार को रखा दूर

बाड़मेर विधानसभा से चार बार विधायक और एक बार सांसद रहकर लंबी राजनीति करने वाले वृद्धिचंद जैन के परिवार से कोई राजनीति में नहीं है। गुड़ामालानी से पांच बार विधायक रहे हेमाराम चौधरी के परिवार से भी कोई राजनीति में नहीं है। पचपदरा से तीन व गुड़ामालानी से एक बार विधायक रह चुकी मदनकौर के परिवार का कोई भी सदस्य राजनीति में सक्रिय नहीं है। पचपदरा से ही लंबी राजनीति कर चार बार विधायक रहे अमरराराम चौधरी का परिवार भी राजनीति से दूर है
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