अन्तर्राष्ट्रीय टेक्सटाईल फेयर में बाड़मेर की कशीदाकारी का प्रर्दशन, विश्व स्तर पर मिली नई पहचान(जर्मनी के विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर में कशीदाकारी उत्पादों का हुआ जींवत प्रर्दशन)
बाड़मेर के कशीदाकारी उत्पाद जो कभी यहां की महिलाऐं सिर्फ अपने लिए बनाती थी, आज अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी चमक बिखेर रहे है। यहां के एक स्वंयसेवी संगठन ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान के प्रयासों से यह कार्य संभव हुआ है। संस्था के विशेष प्रयासों और मेहनत के फलस्वरूप यह कला नये रूप मंे बाड़मेर से निकलकर अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना रही है। बाड़मेर की महिला दस्तकरों के उत्थान हेतु संस्थान ने इन दस्तकारों के साथ जर्मनी में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर में भाग लिया, और अपने हुनरमंद दस्तकारों द्वारा विशेष रूप से तैयार पारम्परिक परिधानों और होम फर्निसिंग के उत्पादों को इस प्रर्दशनी में प्रर्दशित किया।
यूरोप एवम अन्य देशों के व्यापारी कशीदाकारी देख हुए अंचभित - अमेरिका, ईटली, पाकिस्तान, नीदरलैण्ड, स्पेन, टर्की, फ्रंास, जापान, चाइना, डेनमार्क, स्वीजरलैण्ड, इण्डोनेशिया, बेलजियम सहित विभिन्न 25 से अधिक देशों के बायर एवम विजिटर संस्थान के स्टाल पर पहूॅचे। हर कोई बाड़मेर की कशीदाकारी को देखकर अंचभित था सभी ने महिला दस्तकारों के इस हुनर की तारिफ की।
संस्थान ने प्रर्दशनी हेतु तैयार करवाया विशेष बूथ - संस्थान ने इस प्रर्दशनी हेतु विशेष बूथ तैयार करवाकर बाड़मेर के हैण्डीक्राफ्ट एवम हैण्डलूम उत्पादों को प्रदर्शित किया। जिस कारण यह सभी के विशेष आर्कषण का केन्द्र बन गया। संस्थान के स्टाल पर पाकिस्तान से भी कई व्यापारी और विजिटर पहूॅचे जिन्होंने बताया की कभी यह कार्य पाकिस्तान में भी बड़े स्तर पर होता था लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में यह कला खत्म हो रही है। बाड़मेर के दस्तकारों हेतु संस्थान का यह प्रयास काफी सराहनीय है।
कशीदाकारी का हुआ जीवंत प्रर्दशन - संस्थान द्वारा इस बूथ में कशीदाकारी के जीवंत प्रर्दशन की व्यवस्था की गयी, जिसका नेतृत्व संस्थान अध्यक्ष रूमादेवी ने किया। रूमादेवी के द्वारा कशीदकारी की बारीकीयों को यूरोपीयन एवम अन्य विजीटरों को समझाकर उसका महत्व समझाया गया, जिससे खरीदार हाथ के काम में लगने वाले समय और हूनर को समझ सके एवम बाड़मेर के उत्पादों में लगने वाली लागत एवम समय के व्यय का वे लोग आंकलन कर सके। संस्था के इस प्रकार के प्रयास से हमारे दस्तकारों एवम निर्यातकों को कशीदाकारी उत्पादों का विश्व स्तर पर बेहतर मूल्य मिलने में सहायक होगें।
भारत सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने प्रर्दशनी का अवलोकन कर संस्थान को दी बधाई - भारत सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने संस्थान की स्टाल का अवलोकन कर इस कार्य हेतु बधाई दी। इस प्रतिनिधि मंडल में रविश कुमार- कौंसल जनरल आॅफ इण्डिया, पुनित अग्रवाल- संयुक्त सचिव वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार, सिद्धार्थ राजगोपाल- डायरेक्टर आॅफ काॅटन टेक्सटाईल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल आॅफ इण्डिया, पंकज खट्टर- हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद अधिकारी, रमेश कोडमाल- को-चैयरमैन एशियन इण्डिया बिजनेस कांउसिल आदि अधिकारी उपस्थित रहे। इस प्रतिनिधि मंडल द्वारा उम्मीद जतायी गयी की बाड़मेर के हस्तशिल्प को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रर्दशित करने से बाड़मेर का क्राफ्ट विश्व स्तर पर नई पहचान के साथ आगे बढेगा अभी तक विभिन्न निर्यातक इस कला को मात्र अपने व्यवसाय तक सीमित रख रहे थे, लेकिन इस प्रकार के प्रयासोें से इस कला के कारीगरों- दस्तकारों और बाड़मेर क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान को आंमत्रित कर प्रदान की निःशुल्क स्टाल - जर्मनी के इस विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर ने पूरे भारत से एक मात्र ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान को आंमत्रित करके निःशुल्क स्टाल प्रदान की। संस्थान द्वारा दस्तकारों के हितार्थ चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के आधार पर संस्थान का चयन किया गया।
दस्तकारों के सामने कई चुनौतियां कला कौशल की कमी सबसे बड़ी समस्या - संस्थान सचिव विक्रमसिंह ने बताया कि बाड़मेर की कशीदाकारी दस्तकार हमेशा से जाॅबवर्क का कार्य करती आयी है। संस्थान के विशेष प्रयासों के फलस्वरूप यह दस्तकार स्वंय के व्यवसाय की ओर अग्रसर है। इनके सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की अनुउपलब्धता, एजो-फ्री डाईग यूनिट का अभाव, ड्राई पोर्ट का अभाव आदि ढांचागत सुविधाओं सहित कला कौशल की कमी प्रमुख समस्या है। इन दस्तकारों को स्वंय के व्यवसाय की ओर अग्रसर करने हेतु विशेष पाठ्यक्रम के माध्यम से स्कील डवलपमेन्ट का प्रशिक्षण देना अतिआवश्यक है। सचिव ने बताया कि संस्था इससे पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करती रही है। लेकिन यूरोप के विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर में शामिल होकर बाड़मेर के लिये नया मुकाम हासिल करने में सफल रहा है। गौरतलब है कि संस्थान ने दिसबर माह में अन्तर्राष्ट्रीय डिजाइनरों के बीच में राजस्थान हैरिटेज फैशन शो में बाड़मेर के कशीदकारी उत्पादों को रैम्प पर उतार कर सफलता प्राप्त की है।
यूरोप एवम अन्य देशों के व्यापारी कशीदाकारी देख हुए अंचभित - अमेरिका, ईटली, पाकिस्तान, नीदरलैण्ड, स्पेन, टर्की, फ्रंास, जापान, चाइना, डेनमार्क, स्वीजरलैण्ड, इण्डोनेशिया, बेलजियम सहित विभिन्न 25 से अधिक देशों के बायर एवम विजिटर संस्थान के स्टाल पर पहूॅचे। हर कोई बाड़मेर की कशीदाकारी को देखकर अंचभित था सभी ने महिला दस्तकारों के इस हुनर की तारिफ की।
संस्थान ने प्रर्दशनी हेतु तैयार करवाया विशेष बूथ - संस्थान ने इस प्रर्दशनी हेतु विशेष बूथ तैयार करवाकर बाड़मेर के हैण्डीक्राफ्ट एवम हैण्डलूम उत्पादों को प्रदर्शित किया। जिस कारण यह सभी के विशेष आर्कषण का केन्द्र बन गया। संस्थान के स्टाल पर पाकिस्तान से भी कई व्यापारी और विजिटर पहूॅचे जिन्होंने बताया की कभी यह कार्य पाकिस्तान में भी बड़े स्तर पर होता था लेकिन प्रोत्साहन के अभाव में यह कला खत्म हो रही है। बाड़मेर के दस्तकारों हेतु संस्थान का यह प्रयास काफी सराहनीय है।
कशीदाकारी का हुआ जीवंत प्रर्दशन - संस्थान द्वारा इस बूथ में कशीदाकारी के जीवंत प्रर्दशन की व्यवस्था की गयी, जिसका नेतृत्व संस्थान अध्यक्ष रूमादेवी ने किया। रूमादेवी के द्वारा कशीदकारी की बारीकीयों को यूरोपीयन एवम अन्य विजीटरों को समझाकर उसका महत्व समझाया गया, जिससे खरीदार हाथ के काम में लगने वाले समय और हूनर को समझ सके एवम बाड़मेर के उत्पादों में लगने वाली लागत एवम समय के व्यय का वे लोग आंकलन कर सके। संस्था के इस प्रकार के प्रयास से हमारे दस्तकारों एवम निर्यातकों को कशीदाकारी उत्पादों का विश्व स्तर पर बेहतर मूल्य मिलने में सहायक होगें।
भारत सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने प्रर्दशनी का अवलोकन कर संस्थान को दी बधाई - भारत सरकार के प्रतिनिधि मंडल ने संस्थान की स्टाल का अवलोकन कर इस कार्य हेतु बधाई दी। इस प्रतिनिधि मंडल में रविश कुमार- कौंसल जनरल आॅफ इण्डिया, पुनित अग्रवाल- संयुक्त सचिव वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार, सिद्धार्थ राजगोपाल- डायरेक्टर आॅफ काॅटन टेक्सटाईल एक्सपोर्ट प्रमोशन कांउसिल आॅफ इण्डिया, पंकज खट्टर- हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद अधिकारी, रमेश कोडमाल- को-चैयरमैन एशियन इण्डिया बिजनेस कांउसिल आदि अधिकारी उपस्थित रहे। इस प्रतिनिधि मंडल द्वारा उम्मीद जतायी गयी की बाड़मेर के हस्तशिल्प को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रर्दशित करने से बाड़मेर का क्राफ्ट विश्व स्तर पर नई पहचान के साथ आगे बढेगा अभी तक विभिन्न निर्यातक इस कला को मात्र अपने व्यवसाय तक सीमित रख रहे थे, लेकिन इस प्रकार के प्रयासोें से इस कला के कारीगरों- दस्तकारों और बाड़मेर क्षेत्र को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी।
ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान को आंमत्रित कर प्रदान की निःशुल्क स्टाल - जर्मनी के इस विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर ने पूरे भारत से एक मात्र ग्रामीण विकास एवम चेतना संस्थान को आंमत्रित करके निःशुल्क स्टाल प्रदान की। संस्थान द्वारा दस्तकारों के हितार्थ चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों के आधार पर संस्थान का चयन किया गया।
दस्तकारों के सामने कई चुनौतियां कला कौशल की कमी सबसे बड़ी समस्या - संस्थान सचिव विक्रमसिंह ने बताया कि बाड़मेर की कशीदाकारी दस्तकार हमेशा से जाॅबवर्क का कार्य करती आयी है। संस्थान के विशेष प्रयासों के फलस्वरूप यह दस्तकार स्वंय के व्यवसाय की ओर अग्रसर है। इनके सामने कई चुनौतियां हैं जिनमें स्थानीय स्तर पर कच्चे माल की अनुउपलब्धता, एजो-फ्री डाईग यूनिट का अभाव, ड्राई पोर्ट का अभाव आदि ढांचागत सुविधाओं सहित कला कौशल की कमी प्रमुख समस्या है। इन दस्तकारों को स्वंय के व्यवसाय की ओर अग्रसर करने हेतु विशेष पाठ्यक्रम के माध्यम से स्कील डवलपमेन्ट का प्रशिक्षण देना अतिआवश्यक है। सचिव ने बताया कि संस्था इससे पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रयास करती रही है। लेकिन यूरोप के विश्व प्रसिद्ध टेक्सटाईल फेयर में शामिल होकर बाड़मेर के लिये नया मुकाम हासिल करने में सफल रहा है। गौरतलब है कि संस्थान ने दिसबर माह में अन्तर्राष्ट्रीय डिजाइनरों के बीच में राजस्थान हैरिटेज फैशन शो में बाड़मेर के कशीदकारी उत्पादों को रैम्प पर उतार कर सफलता प्राप्त की है।