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सोमवार, 16 मार्च 2020

बाड़मेर, मुख्यमंत्री ने की रिफायनरी की समीक्षा* *रिफायनरी का कार्य निर्धारित समय में पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता- गहलोत*

 बाड़मेर,  मुख्यमंत्री ने की रिफायनरी की समीक्षा*

*रिफायनरी का कार्य निर्धारित समय में पूरा करना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता- गहलोत*

बाड़मेर, 16 मार्च। राजस्थान में रिफाइनरी का निर्माण कार्य निर्धारित समय पर पूरा करना राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। इसमें किसी तरह की कमी नहीं आने दी जाएगी।मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने सोमवार को बाड़मेर जिले के पचपदरा में एचपीसीएल एवं राजस्थान सरकार के संयुक्त उपक्रम एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी की समीक्षा बैठक के दौरान यह बात कही।
            उन्होंने इस दौरान रिफायनरी के पूरे प्रोजेक्ट की विस्तृत बिंदुवार समीक्षा की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट के चरणवार कार्य उनके तय समय पर पूर्ण कर लिए जाए। मुख्यमंत्री ने सभी कार्यो में अधिकतम स्थानीय लोगो को रोजगार देने के निर्देश दिए।
*तकनीकी गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखें*
मुख्यमंत्री ने रिफाइनरी के निर्माणाधीन कार्यों की प्रोजेक्टर के द्वारा विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने कार्य निर्माण में तकनीकी गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि करीब एक चौथाई कार्य प्रगति पर है और करीब 20 हजार करोड़ के कार्यों की निविदा जारी की जा चुकी है एवं 3 हजार करोड़ रुपए अब तक व्यय हो चुके है। वर्तमान में यहाँ पर 3800 कर्मचारी नियोजित हैं एवं पूरी पीक सीजन में यहां करीब 35 हजार लोगो को रोजगार मिलेगा। राजस्थान की यह रिफाइनरी देश में बनने वाली रिफाइनरियों में से सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। नौ मिलियन टन क्षमता की यह रिफाइनरी बनने के बाद राज्य का चहुंमुखी विकास होगा।
*स्थानीय लोगांें को मिले रोजगार मे प्राथमिकता*
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान सरकार यहां पेट्रो केमिकल हब की भी स्थापना करने जा रही है। इसके तहत बड़े क्षेत्र में औद्योगिक विकास के साथ सैकड़ों की संख्या में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना होगी। इससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। उन्होंने कहा कि रिफाइनरी के निर्माण में स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता दी जाएगी। यहां कौशल विकास के जरिए युवाओं को तकनीकी क्षेत्र में प्रक्षिशित किया जाएगा। इससे वे पेट्रो केमिकल क्षेत्र में अपना भविष्य संवार सकेंगे।
*तेल अन्वेषण के कार्य को प्राथमिकता*
श्री गहलोत ने कहा कि रिफाइनरी का कार्य पूर्ण होने से राज्य की आय में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ यहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार रिफाइनरी की स्थापना के साथ-साथ नए तेल अन्वेषण के कार्यों को भी प्राथमिकता दे रही है ताकि रिफाइनरी बनने के बाद स्थानीय स्तर पर मांग के अनुरूप क्रूड ऑयल की आपूर्ति की जा सके एवं बाहर से तेल का आयात नहीं करना पड़े। उन्होंने रिफायनरी की आवश्यकता के अनुसार पानी एवं बिजली आपूर्ति के कार्यो पर भी व्यापक चर्चा की।
*जनसुविधाओं का हो विकास*
मुख्यमंत्री ने रिफायनरी निर्माण के दौरान स्थानीय स्तर पर बेहतर जनसुविधाओं के निर्माण के निर्देश दिए। उन्होंने CSR के अंर्तगत HPCL को साजियाली गांव को जोड़ने वाली सड़क का निर्माण पूर्ण करने, रिफायनरी के पास उच्च स्तरीय स्कूल एवं चिकित्सालय बनाने को कहा ताकि स्थानीय क्षेत्र के लोगों को इसका फायदा मिल सके।
उन्होंने पचपदरा में HPCL एवं RSLDC के द्वारा कौशल विकास केंद्र शीघ्र बनाने को कहा ताकि स्थानीय युवा यही पर प्रशिक्षित होकर रिफायनरी में रोजगार हासिल कर सके।
   इससे पहले HPCL के अध्यक्ष एवं प्रबध निदेशक एम के सुराणा ने मुख्यमंत्री को पॉवर प्रज्तेशन के जरिए निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की विस्तृत जानकारी दी। 
   HRRL के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शेखर गायकवाड़ ने  क्रूड ऑयल के रिफाइनरी में आने तथा तेल के रिफाइन होने की पूरी प्रक्रिया से अवगत कराया। उन्होंने रिफाइनरी से निकलने वाले पेट्रो उत्पादों की विस्तार से जानकारी दी। एचपीसीएल राजस्थान रिफाइनरी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस पी गायकवाड़ ने देश की अन्य रिफाइनरियों तथा राजस्थान रिफाइनरी के बीच बुनियादी अंतर से अवगत कराया।
    इस मौके पर राजस्व मंत्री हरीश चौधरी, विधायक मदन प्रजापत, मुख्यमंत्री के सलाहकार गोविन्द शर्मा,
 मुख्यमंत्री के प्रमुख शासन सचिव  कुलदीप रांका, प्रमुख शासन सचिव खान कुंजीलाल मीणा,  सम्भगीय आयुक्त बी एल कोठारी, खान निदेशक गौरव गोयल, जिला कलक्टर अंशदीप मौजूद थे।
   इससे पूर्व मुख्यमंत्री के पचपदरा आगमन पर HPCL के अध्यक्ष एवं प्रबध निदेशक एम के  सुराणा, सम्भगीय आयुक्त बी एल कोठारी, पुलिस महानिरीक्षक नवज्योति गोगोई, जिला कलेक्टर अंशदीप ने अगवानी की। बाद में मुख्यमंत्री ने निर्माणाधीन रिफायनरी के कार्यो का मौके पर जाकर अवलोकन किया।

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

बाड़मेर बीजेपी जिला प्रभारी डॉ महेंद्र राठोड के नेतृत्व में मुख्यमंत्री का रिफायनरी के लिए आभार जताया

बाड़मेर बीजेपी जिला  प्रभारी डॉ महेंद्र राठोड के नेतृत्व में मुख्यमंत्री का रिफायनरी के लिए आभार जताया 




बाड़मेर बीजेपी के जिला प्रभारी डॉ महेंद्र सिंह राठोड के नेतृत्व में बाड़मेर जिले के विधायकों ने बाड़मेर में रिफायनरी का एम् ओ यू करने के बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का आभार जताया ,डॉ महेंद्र सिंह ने बताया  की बाड़मेर जिले में राजस्थान सरकार और #HPCL के बीच #बाड़मेर में 9 मिलियन टन की वार्षिक क्षमता की #रिफाइनरी कम पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना के लिए आज आधिकारिक समझौता होना हमारे जनता को किये गए वादों के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। सरकारें आती जाती रहेंगी लेकिन आज जो निर्णय लिया गया है वो 8 करोड़ राजस्थानियों के भविष्य को सँवारने में कारगर साबित होगा।

हमें विरासत में रिफाइनरी नहीं छलावा मिला – 2013 में चुनावी वर्ष में सिर्फ़ 36 घंटों में इतना बड़ा निर्णय बिना उचित शोध, बिना विवेक के ले लिया गया। राजनीतिक लाभ के लिए पूर्ववर्ती सरकार ने जो निर्णय लिए उनसे ऐसा नुक्सान उठाना पड़ता जो राजस्थान के इतिहास के काले पन्नों में दर्ज होता। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्त्व में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान जी के प्रयासों और केंद्र सरकार के सहयोग का ही नतीजा है की हम #राजस्थान की जनता की मेहनत की कमाई के 40000 करोड़ रूपए बचा सके। एम् ओ यू के बाद  जन प्रतिनिधियों सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ,जिला अध्यक्ष जलम सिंह ,विधायक कैलाश चौधरी ,हमीर सिंह भायल ,लादूराम विश्नोई ,तरुण कागा ,अमराराम चौधरी सहित यु डी एच मंत्री श्री चंद कृपलानी ने भी मुख्यमंत्री को फूल मालाओ से लाद आभार जताया 


रविवार, 20 अक्टूबर 2013

पचपदरा में कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा ?किस पर खेले दांव असमंज की स्थति

पचपदरा में कांग्रेस के पास उम्मीदवार का टोटा ?किस पर खेले दांव असमंज की स्थति

अब तक चुनावो में जो मुख्यमंत्री बालोतरा आया वापस सत्ता में नहीं आ पाया 

बाड़मेर राजस्थान में कांग्रेस की सर्वाधिक प्रतिष्ठा की सीट पचपदरा कांग्रेस के लिए गले की हड्डी बन गयी हें। पचपदरा में रिफायनरी का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गाँधी के हाथो करने के बाद से यह सीट कांग्रेस के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठा की बन गई ,साथ ही कांग्रेस रिफायनरी स्थापना को विकास मॉडल के रूप में दर्शा कर राजस्थान भर में चुनाव लड़ रही हें ,कांग्रेस इस सीट पर हर हाल में जीत चाहती हें ,पचपदरा के वर्तमान विधायक मदन प्रजापत के खिलाफ स्थानीय कांग्रेस नेता जबरदस्त लामबंद होकर दिल्ली जयपुर में डेरा जमाये हें वाही मदन प्रजापत अपनी टिकट बहाली के लिए पूरा जोर लगा रहे हें। पचपदरा के लिए अशोक गहलोत अपने पुत्र वैभव गहलोत के लिए गोपनीय सर्वे करवा चुके हें। सर्वे में कांग्रेस को रहत के आसार नज़र नही आये। गहलोत ने कुछ नामो पर चर्चा की मगर उम्मीदवार पचपदरा से लड़ने के इच्छुक नहीं। कांग्रेस सतही स्तर पर मजबूत और लोकप्रिय उम्मीदवार की तलाश में हें। अशोक गहलोत की निगाहें सांसद हरीश चौधरी पर ठहरी हें मगर हरीश चौधरी बायतु से लड़ने के इच्छुक बताये जा रहे हें ,ऐसे में पचपदरा से किसे मैदान में उतारे कांग्रेस के सामने संकट हें। ऐसी स्थति में पचपदरा की पूर्व विधायक और जिला प्रमुख श्रीमती मदन कौर कांग्रेस का बेहतर विकल्प साबित हो सकती हें। मदन कौर राजी नहीं होती हें तो मदन प्रजापत कांग्रेस की अंतिम पसंद हो सकते हें। भाजपा के अमराराम पहले से बढ़त ले चुके हें हालांकि उनके नाम की घोषणा भाजपा ने नहीं की मगर भाजपा के पास दूसरा विकल्प भी नहीं हें। रिफायनरी के शिलान्यास के साथ यह किद्वंती जुड़ गयी की जो मुख्यमंत्री बालोतरा में चुनाव मीटिंग करने अब तक आये वो वापस मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। गत चुनावो में वसुंधरा राजे भी बालोतरा आई थी उन्हें इस किदवंती की जानकारी दी तो उन्होंने इसे अंधविश्वास बता कर ताल दिया ,आख़िरकार बात सच साबित हुई ,इस बार रिफायनरी शिलान्यास के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने चुनावी आगाज़ पचपदरा से किया हें। उनकी स्थति चुनावो के बाद पता चलेगी ,बहरहाल कांग्रेस को सशक्त दावेदार की जरुरत हें पचपदरा में। भगाराम पंवार एंड पार्टी मदन प्रजापत की जोरदार मुखाफलत कर रहे हें। वो किसी भी सूरत में उन्हें टिकट लेने नहीं देना चाहते। 

बुधवार, 9 अक्टूबर 2013

थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी


थार की चुनावी धार। पचपदरा विधानसभा . अशोक गहलोत के लिए रिफायनरी पचपदरा प्रतिष्ठा की सीट बनी 

धाकड़ उम्मीदवार देख रहे हें गहलोत। .भाजपा का अमराराम पर भरोसा 


भाटी चन्दन सिंह 

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में चौदहवी विधानसभा के लिए वाले विधानसभा चुनावो में दोनों प्रमुख दलों में टिकट वितरण में हो रही देरी से नेताओ की नींद उडी हुई हें खासकर वर्तमान विधायको की। कांग्रेस जन्हा एंटी इन्कम्बसी का असर ख़त्म करने के लिए वर्तमान विधायको की टिकट काटने की रही हें बाड़मेर जिले के तीन विधायको पर आशंका के बादल मंडरा रहे हें। सबसे प्रमुख नाम पचपदरा विधानसभा का हें मदन प्रजापत विधायक हें।इसी स्थान पर अशोक गहलोत ने रिफायनरी का शिलान्यास श्रीमती सोनिया गांधी से कराया जिसके कारन यह सीट कांग्रेस और अशोक गहलोत के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन ,गयी वर्तमान विधायक का असंतुष्ट कार्यकाल अशोक गहलोत की नज़रो में हें। विधायक ने जनहित और विकास कार्यो की बजाय प्रोपर्टी डीलिंग कार्यो तथा अधिकारियो कर्मचारियों के ट्रांसफर में दिलचस्पी दिखाई। विधायक ने बालोतरा और आसपास में कई अवेध आवासीय कालोनिय काटी। भूमाफियो के साथ सरकारी जमीनों पर कब्जे के आरोप भी लगे। इसी के चलते उनकी टिकट कटना तय हें। वर्तमान में भंवर सिंह राजपुरोहित ,निर्मलदास ,अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत ,क्षेत्रीय सांसद के नाम दावेदारों में प्रमुख तौर पर लिए रहे हें। पचपदरा से संजीवनी क्रेडिट कोपरेटिव के मालिक विक्रम सिंह इन्द्रोई ने भी अपनी दावेदारी की मगर इस क्षेत्र के कांग्रेस्सियो ने उनके खिलाफ लामबंद होकर उनकी दावेदारी को कमज़ोर कर दिया। पचपदरा से भाजपा की और से सशक्त दावेदार वरिष्ठ नेता अमराराम चौधरी हें ,भाजपा को ही तवज्जो दे रही हें ,हालाँकि यहाँ भाजपा के एक दर्जन नेताओं ने दावेदारी पेश की हें। नगर पालिका अध्यक्ष महेश बी कतार में हें ,मगर वर्तमान परिस्ताथियो में एक मात्र अमराराम पर ही पार्टी भरोसा कर रही हें। बसापा बे अपना राजपूत उम्मीदवार उतार कर इरादे साफ़ कर दिए हें। कांग्रेस यहाँ गुटबाजी और भीतरघात से कैसे बचेगी यह देखने की बात हें। इस विधानसभा सीट पर अनुसूचित जाती के तीस हज़ार ,कलबी बीस हज़ार ,राजपूत रवाना राजपूत बीस हज़ार ,जाट पांच हज़ार ,पुरोहित जैन बीस से पचीस हज़ार मुसलमान आठ से दस हज़ार ,माली दस हज़ार हज़ार मोटे तौर पर हें। पचपदरा से पटौदी आर आई सर्कल परिसीमन के बाद अलग हो गया। वर्तमान में मदन प्रजापत के खिलाफ असंतोष भाजपा के पक्ष में हें। कांग्रेस को जिताऊ उम्मीदवार नहीं मिल रहा। कांग्रेस और गहलोत के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का सवाल बनी हें ,जिसे हर हाल में कांग्रेस जीतना चाहती हें। 

गत चुनावो में दोनों दलों में भितरघात था मगर कांग्रेस ने समय रहते दिया ,भाजपा के भंडारी ने भाजपा के समीकरण तहस नहस कर लिए ,अमराराम चौधरी इसी कारन हार गए। भाजपा की गुटबाजी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के दौरे पर साफ़ दिखी। गुटबाजी के कारन और कार्यकर्ताओ के आक्रोश को चतुर्वेदी झेल नहीं पाए भाग खड़े हुए। पचपदरा में अमराराम का खासा प्रभाव हें ,आम आदमी की जिंदगी जीने वाले अमराराम आम लोगो के बीच हमेशा उपलब्ध रहे हें यही उनकी खाशियत हें। अमराराम पर गुडा विधायक के साथ कलबी जाति के मतदाताओ के क्रोस पेक्ट का आरोप भी हें जिसके चलते भाजपा बार बार गुडा से हार रही हें। पचपदरा से कांग्रेस की श्रीमती मदन कौर कई बार विधायक रही उनका भी खासा प्रभाव था। बाईजी के नाम से मशहूर मदन कौर ने पचपदरा में लगातार हार के बाद क्षेत्र छोड़ दिया था ,अब दस सालो से जिला प्रमुख हें। --

गुरुवार, 22 अगस्त 2013

exclusive रिफायनरी शिलान्यास का विरोध के लिए समिति तैयार कर रही हें गुलेल

exclusive रिफायनरी शिलान्यास का विरोध के लिए समिति तैयार कर रही हें गुलेल


बाड़मेर राज्य सरकार द्वारा बाड़मेर जिले के पचपदरा में रिफायनरी का शिलान्यास पत्थर लगाने की तयारी लगे हें तो यहाँ बाड़मेर में रिफायनरी बचाओ संघर्ष समिति शिलान्यास कार्यक्रम के विरोध की पूर्व की तैयारिया आरम्भ कर दी। समिति ने इस बार सरकार द्वारा आन्दोलन को कुचलने के संभावित प्रयासों को देखते हुए गुलेल बनाना शुरू किया हें ,समिति के कार्यकर्ता गुलेल से पत्थर मार कर इसका मुकाबला करेंगे।




बाड़मेर जिला मुख्यालय पर विगत अडतीस दिनों से धरने पर बेठे लीलना के किसान अब सरकार से आर पार की में हें। यह किसान रिफायनरी का स्थान परिवर्तन लीलाना से पचपदरा करने का विरोध कर रहें हें। इनकी मांग हें रिफायनरी को लीलना में ही लगाई जाये। धरना स्थल पर समिति के कार्यकर्ता बड़ी तादाद में गुलेल बनाने में जुटे हें। रिफाइनरी बचाओ संघर्ष समिति ने विरोध स्वर मुखर करते हुए शिलान्यास सहित मुख्यंत्री का कोई कार्यक्रम बाड़मेर जिले में नहीं होने देने की घोषणा कर चुके हें। समिति ने विरोध करने की तैयारिया शुरु कर दी है। संघर्ष समिति ने प्रशासन को खुली चुनौती देते हुए बाड़मेर मे किसी तरह का शिलान्यास व उद्घाटन नही करने की धमकी देते हुए धरना स्थल पर गुलेल तैयार की जा रही है। किसानो का कहना है की हम किसी तरह का कार्यक्रम नही होने देंगे अगर प्रशासन ने लाठी चार्ज किया तो हम इन गुलेल के माध्यम से उनका सामना करेंगे।शिलान्यास का विरोध करने एक लाख लोगो को ले जाने की त्यारिया की जा रही हें। -- 

सोमवार, 15 जुलाई 2013

हज़ारों किसानो ने गहलोत के खिलाफ ताल ठोंकी ...माहौल गरमाया



अशोक जी अब तो जनता ने कह दिया रिफायनरी लीलाना में लगे

हज़ारों किसानो ने गहलोत के खिलाफ ताल ठोंकी ...माहौल गरमाया


चन्दन सिंह भाटी


बाड़मेर राजस्थान में रिफायनरी को लेकर गत साल भर से चल रही कवायद आज उस वक़्त चरम पर पहुँच गई जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के रिफायनरी को बायतु के लीलाना से पचपदरा सिफ्ट करने के निर्णय के खिलाफ हज़ारों की तादाद में किसान और आम जन सडकों पर उतर आये .गहलोत के फैसे के खिलाफ स्थानीय जनता और नेताओ ने ताल ठोंक गहलोत के अरमानो पर पानी फेर दिया .सोमवार को बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रिफायनरी बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले महासमेलन सिंधारी चौराहे पर रखा गय्या .महासम्मेलन में आम जनता ने रूचि दिखाई तथा हज़ारो की तादाद में लोग सम्मलेन में पौंच समिति के आन्दोलन को समर्थन देकर मुख्यमंत्री के सामने नया संकट खडा कर दिया .जाटों के अलावा एनी जातियों के लोग भी बड़ी तादाद में पहुंचे जिससे साबित हो गया की गहलोत का रिफायनरियो को पचपदरा स्थानांतरित करने का निर्णय बिलकुल गलत हें .आज के सम्मलेन से स्पष्ट हो गया की गहलोत के लिए यह चुनौती से कम , हें गहलोत के रवैये से जाट वैसे ही नाराज़ थे .रिफायनरी को जाट बाहुल्य क्षेत्र लीलाना से पचपदरा सिफ्ट करने से जाट भड़क गए ,जिले में यह पहला मौका हें जब जाटों के किसी आन्दोलन को एनी जातियों से भरपूर समर्थन दिया .समेलन में वक्ताओं ने जिस प्रकार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर वार किये उससे स्पस्ट हें की विधानसभा चुनावों में बहुत कुछ गहलोत के हाथो से फिसलने वाला हें .वक्तो ने साफ़ कहा की रिफायनरी किसी भी सूरत में पचॉदर जाने नहीं देंगे .सोनिया गाँधी और अशोक गहलोत को ओअचपदरा में रिफायनरी का ओअत्थर लगाने से पहले लाशों के ऊपर से गुजरना होगा .समेलन में शिराकर करने आये लोगो के चेहरो पर अशोक गहलोत के खिलाफ आक्रोश स्पष्ट दिखाई दे रहा था .चिलचिलाती धुप और जान लेवा उमस के बावजूद करीब पंद्रह हज़ार लोग डेट रहे .सम्मलेन में भाजपा कांग्रेस के कई नेता दलगत राजनीती से ऊपर उठ कर साथ साथ नज़र आये सभी ने एक स्वर में कहा की रिफायनरी बाड़मेर के विकास का प्रतिक हें इसे जाने नहीं देंगे .आज के सम्मलेन से साफ़ हो गया की गहलोत ने चुनावी वर्ष में अब वो उलटी पड़ती नज़र आ रही हें .रिफायनरी का मुद्दा उनके चुनावी योजनाओ पर पानी फेर दे तो कोई आश्चर्य नहीं .सम्मेल के नायक बायतु से कांग्रेस विधायक कर्नल सोना राम चौधरी रहे .कर्नल ने रिफायनरी पचपदरा ले जाने के पीछे अशोक गहलोत की सोची समझी साज़िश को बताया ,उन्होंने कहा की गहलोत नहीं चाहते की जाटों के किसी भी क्षेत्र का विकास हो .वो अपने क्षेत्र जोधपुर के नजदीक रिफायनरी लगाने का प्रयास कर रहे हें ताकि रिफायनरी का फायदा बाड़मेर की बजे जोधपुर को अधिक मिले .वक्ताओं ने गहलोत पर अपने वक्तव्यों से जैम कर आरोप लगाये वाही स्थानीय और सांसद के रवैये पर भी जमकर प्रहार किये .बहरहाल बाड़मेर की जनता ने रिफायनरी पचपदरा की बजे लीलाना में लगे को जमकर समर्थन दे कर गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी .कर्नल सोना राम के नेतृत्व में जिला कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया जिसमे रिफायनरी लीलाना को वापस देने की मांग राखी हें .

सोमवार, 1 जुलाई 2013

exclusiv news पचपदरा रिफायनरी ..पर चन्दन सिंह भाटी की खास रिपोर्ट

लूण की खान पर तेल का तालाब

जिस पचपदरा में तेल रिफाइनरी स्थापित की जा रही है वह साइबेरियाई पक्षियों की सबसे बड़ी सैरगाह है।

exclusiv news   पचपदरा रिफायनरी ..पर चन्दन सिंह भाटी की खास रिपोर्ट 


तब भी ब्रिटिश हुकुमत ही इसके पीछे थी, अब एक ब्रिटिश कंपनी इसके पीछे है। पचपदरा के धुंधले इतिहास और सुनहरे भविष्य के बीच संतुलन साधने के लिए बिना ब्रिटेन को बीच में लाये बात पूरी नहीं हो सकती। उस वक्त जब देश में गांधी जी का नमक आंदोलन नहीं हुआ था तब से पहले की बात है। बाड़मेर का यह पचपदरा इलाका एक असफल नमक आंदोलन चला चुका था। बंगाल को शुद्ध नमक खिलाने के नाम पर जब अंग्रेजी हुकूमत ने ब्रिटिश नमक का बाजार खोलने की शुरूआत की तो वे पचपदरा के इसी सांभर इलाके में आये थे, भारी मशीनरी के साथ। उनकी भारी मशीनरी और नमक के भारी उत्पादन दोनों की ही उस वक्त सफल नहीं हो पाये तो उसका कारण यह था कि मशीन से पैदा किये गये सांभर नमक को पचपदरा की खुदरा खानों से निकला नमक चुनौती दे रहा था। स्वाभाविक था कि अंग्रेजों ने पचदरा की 'पड़तल' खानों को बंद करने की कोशिश की। इसके जवाब में यहां के नमक उत्पादकों ने कलकत्ते जाकर अंग्रेजी हुकुमूत को असफल चुनौती दी थी, नमक के साथ। लेकिन न कलकत्ते में यहां के नमक कारोबारी सफल हो सके और न पचपदरा में अंग्रेजी हुकूमत।
गांधी जी से भी पहले नमक का यह पहला 'संघर्ष' इतिहास की किताबों में भी ठीक से भले ही कलमबंद नहीं हो पाया, लेकिन आज भी आप पचपदरा आयें तो धुंधले रूप में ही सही इतिहास के इस अनोखे संघर्ष के अवशेष मौजूद हैं। चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर बनाया गया नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी आज भी मौजूद है। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। भैरोसिंह शेखावत मुख्यमंत्री बने तो 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले 'खारवालों' को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है। इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर आज भी इंग्लैंड का बना ताला ही लटक रहा है। खजाना खाली है यहा भरा, यह तो पता नहीं लेकिन मकड़ियों के जाल ने इन्हें पुरातन अवशेष में जरूर तब्दील कर दिया है।
लेकिन इतिहास में अवशेष हो जाने के बाद भी पचपदरा की पड़तल खानों (नमक की वे खान जिसमें एक बार नमक निकाल लेने के बाद उन्हें बंद कर दिया जाता है।) से निकलनेवाले नमक की गुंजाइश ही कायम नहीं है, जिस सांभर में अंग्रेजी हुकूमत अपने मशीनों का अवशेष पीछे छोड़ गई थी, उस सांभर में मशीनों के वे अवशेष भी जंग लगे हथियारों की तरह आज भी देखे जा सकते हैं। सिर्भ सांभरा माता का भव्य मंदिर ही नमक की समृद्धि से ही समृद्ध नहीं हुआ था, बाड़मेर का यह पूरा इलाका कभी राजसी वैभव लिए था तो उसका कारण कुछ और नहीं बल्कि सांभर नमक ही था।
आश्चर्यजनक रूप से पचपदरा में रिफाइनरी का स्वागत वे तीन हजार खारवाल भी कर रहे हैं जो नमक के कारोबारी है, यह जानते हुए कि रिफाइनरी आने से सांभर नमक का कारोबार बर्बाद हो जाएगा। सांभरा के गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को कम से कम रोज अच्छी मजदूरी तो मिलेगी।
सांभर नमक अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है। सांभर नमक वह नमक है जो नमक होते भी नमक नहीं होता है। हिन्दू समाज में सांभर नमक को इतना पवित्र माना जाता है कि व्रत त्यौहार में इस नमक को इस्तेमाल किया जाता है। जोधपुर के पास नमक की सांभर झील अगर अपने सांभर नमक के लिए दुनियाभर में विख्यात है तो बाड़मेर का सांभरा इलाका भी अपने नमक के उत्पादन और कारोबार के लिए ही जाना जाता है। सांभरा गांव और पचपदरा क्षेत्र में पानी को सुखाकर नमक नहीं तैयार किया जाता बल्कि यह देश का संभवत: एकमात्र ऐसा इलाका है जहां खदानों से खोदकर नमक निकाला जाता है। जमीन से निकले इस नमक को शायद इसीलिए विशिष्ट नमक माना जाता है। लेकिन नमक की इस विशिष्टता पर अब जल्द ही तेल का तालाब तैर जाएगा और तेल की धार बह निकलेगी।
परियोजना से जुड़ी हर बात पूरी हो चुकी है। घोषणा भी हो चुकी है और अतीत में खो चुके पचपदरा इलाके में प्रापर्टी डीलर अभी से सक्रिय हो गये हैं। इसी जून महीने में राजस्थान सरकार की 26 फीसदी हिस्सेदारी वाली इस परियोजना को हिन्दुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन द्वारा लगाने की योजना को मंजूरी मिल चुकी है। संभावना है कि जुलाई महीने में किसी भी वक्त कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इस इलाके का दौरा करके परियोजना की आधारशिला रख देंगी। हालांकि अभी भी स्पष्ट तौर पर यह तो पता नहीं चल पाया है कि इस परियोजना में ब्रिटिश कंपनी केयर्न की कितनी हिस्सेदारी है लेकिन इस बात की संभावना बताई जा रही है कि एचपीसीएल की सहयोगी कंपनी एमआरपीएल में राजस्थान सरकार के अलावा केयर्न की भी हिस्सेदारी है। वैसे इस परियोजना को पचपदरा लाने के पीछे केयर्न का बड़ा अहम रोल है। इस रिफाइनरी के लिए जो कच्चे तेल की सप्लाई है उसमें बड़ी हिस्सेदारी केयर्न की ही होगी। केयर्न अपने दो तेल पाइपलाइनों मंगला और भाग्यम के जरिए जामनगर में रिलायंस की रिफाइनरी के अलावा इस परियोजना को भी कच्चा तेल सप्लाई करेगी।
बाड़मेर में पचपदरा से पहले 37,230 करोड़ रूपये की यह परियोजना यहां से करीब चालीस किलोमीटर दूर लगनेवाली थी। लेकिन जमीन के विवाद के चलते आखिरकार कंपनी ने अपना इरादा बदल दिया और वह रिफाइनरी परियोजना को पचपदरा के पास ले आई। परियोजना के लिए कंपनी को 3700 एकड़ जमीन की जरूरत है जो उसे आराम से पचपदरा में मिल रही है। पहले के परियजना स्थल लीलारा से उलट यहां परियोजना मुख्य बस्ती से छह किलोमीटर दूर बनाई जा रही है जिससे कम से कम इंसानों के विस्थापित होने का कोई खतरा नहीं है। शायद इसीलिए यहां के लोग चाहते हैं कि रिफाइनरी की परियोजना यहीं लगे ताकि इस इलाके में राजसी ठाट बाट दोबारा लौट आये। राजसी ठाट बाट जब आयेगा तब लेकिन जिस तरह से इलाके में प्रापर्टी के कारोबारी सक्रिय दिखाई दे रहे हैं उससे इतना तो साफ दिख रहा है सरहदी जिले का उपेक्षित सा यह नमक उत्पादक इलाका अचानक ही चर्चा में आ गया है। शाम होते ही पचपदरा में जगह जगह प्रापर्टी डीलर जमा हो जाते हैं और जमीन के सौदों को अंजाम देने लगते हैं।
लेकिन प्रापर्टी के इस संभावित कारोबार में क्या सचमुच पचपदरा को इस रिफाइनरी से सिर्फ फायदा ही फायदा होनेवाला है। शायद ऐसा नहीं है। भले ही नमक के कारोबार की उपेक्षा के कारण लंबे समय से उपेक्षित इस इलाके में रिफाइनरी के कारण रूपये की रौनक लौट आई है लेकिन रिफाइनरी के कारण इस इलाके की जैव विविधता और सबसे अधिक साइबेरियाई पक्षियों को बड़ा खतरा पैदा हो गया है। पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारों की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हैं, वे आती हैं। इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी। सँभारा, नवोड़ा बेरा, रेवाडा गाँवों के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते हैं। और केवल साइबेरियाई पक्षियों की ही बात नहीं है। पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार है, विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में पाये जाते हैं. इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हैं। तेल रिफाइनरी के आने के बाद इन वन्यजीवों और दुर्लभ पक्षियों की क्या दशा या दुर्दशा होगी इसके बारे में सोचने की फुर्सत न तो सरकार को है, न कंपनी को और न ही प्रापर्टी डीलरों को।
वन्यजीव, दुर्लभ साइबेरियाई पक्षियों से ज्यादा इस वक्त इस पूरे इलाके में दुकान, मकान, होटल बनाने की चिंता है। रियल एस्टेट और ट्रांसपोर्ट में उभर रही संभावनाओं के कारण हर आदमी की आंख में अपने लिए वैभवशाली भविष्य की चमक साफ दिखाई दे रही है। शायद यही कारण है कि पचपदरा से लेकर बागुन्दी और जोधपुर तक जमीनों की कीमतों में उछाल आ गया है। इस उछाल का फायदा जिन्हें मिलेगा वे उछल रहे हैं लेकिन उन मूक पशु पक्षियों का भविष्य संकट में है जो न तो अपने लिए खुद कोई आंदोलन कर सकते हैं और जिनके लिए यहां आंदोलन करनेवाला कोई दिखाई नहीं दे रहा। सब सांभर नमक पर की खान पर तेल का तालाब बनाने में व्यस्त हैं।
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chandan singh bhati 

nehru nagar barmer rajasthan

9413307897 

शनिवार, 29 जून 2013

रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी





रिफायनरी फिर लौटेगा पुराना वैभव ...फिर कहलाएगी पचपदरा सिटी
नमक की धरती से फूटेगी तेल की धार
चन्दन सिंह भाटी

बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर के रियासतकालीन पचपदरा से ८ किमी दूर सांभरा गांव। रिफाइनरी की मुख्य साइट। राजस्थान की नमक की सबसे बड़ी सांभर झील से ही पचपदरा का साल्ट एरिया डवलप हुआ और इसका नाम सांभरा रखा गया। रिफाइनरी लगने के बाद चंद घरों वाले इस गांव का रियासतकालीन वैभव लौट आएगा। उस वक्त यह एरिया जोधपुर रियासत का हिस्सा था। अब रिफाइनरी से भी जोधपुर का कारोबार बढ़ेगा।

चारों तरफ दूर-दूर तक बियाबान के बीच बसे सांभरा में अंग्रेजों के जमाने में एक टीले पर नमक विभाग का दफ्तर और कॉलोनी बनाई गई थी। तब अंग्रेजों का हाकम यहां बैठता था। नमक की पहरेदारी करने के लिए चौकियां बनी हुई थीं। घोड़ों पर पहरेदारी होती थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत के वक्त 1992 में नमक की खदानों में काम करने वाले खारवालों को सरकार ने पट्टे देकर मालिक बना दिया और विभाग का दफ्तर भी शिफ्ट कर दिया। तब से आलीशान दफ्तर का भवन, डाक बंगला और करीब 70 क्वार्टर वाली कॉलोनी वीरान पड़ी है। इनमें भी 35 ठीक-ठाक हैं, बाकी खंडहर हो चुके हैं। यहीं पर एक खजाना कक्ष बना हुआ है।

इसमें सलाखों के भीतर एक तहखाने में यह खजाना आज भी इतिहास का गवाह बना हुआ है। लोहे की मोटी चद्दर से बना है भारी भरकम दरवाजा। इस पर इंग्लैंड का ताला लटक रहा है। आज यह खजाना भी मकडिय़ों के जाल से धुंधला नजर आता है।

रिफाइनरी लौटाएगी सांभरा का रियासतकालीन वैभव

जब हम इस बियाबान बस्ती में पहुंचे तो नमक विभाग के एकमात्र चौकीदार फूलचंद मिले। दफ्तर खोला और बोले- कुछ दिन पहले कलेक्टर और दूसरे अफसर आए थे। इस भवन को साफ करने की बात कह गए हैं। अब यह ऐतिहासिक भवन और कॉलोनी रिफाइनरी वालों को दे दी है। फूलचंद बताते हैं कि ४० साल हो गए यहां नौकरी करते हुए। अब तो रिटायरमेंट में एक साल बचा है, रिफाइनरी आने से पुराना वैभव तो लौटेगा, लेकिन वे यहां नहीं होंगे। अपने गांव बांसवाड़ा चले जाएंगे।


रिफाइनरी तो कर्नल के एरिया में ही रही:

बायतु के लीलाला में रिफाइनरी लगनी थी, लेकिन नहीं लगी। बायतु विधायक कर्नल सोनाराम हालांकि शिफ्टिंग से खफा है, लेकिन सांभरा व साजियाली गांव की नई साइट भी कहने को भले ही पचपदरा में हो, मगर ये गांव भी बायतु विधानसभा क्षेत्र में हैं और विधायक कर्नल ही है। विधानसभा क्षेत्रों नए सीमांकन से ये गांव भी बायतु में शामिल हो गए थे। पचपदरा की सरहद लगती है और कस्बा पास होने से विधायक मदन प्रजापत भी उत्साहित हैं। वे कहते हैं, पचपदरा का आने वाला कल चमकते रेगिस्तान की तरह सुनहरा है।

हर जाति के लोगों को होगा फायदा:

पचपदरा में रिफाइनरी लगने का फायदा हर जाति के लोगों को होगा। करीब पंद्रह हजार की आबादी वाले पचपदरा में खारवाल (नमक व्यवसाय से जुड़े लोग) की संख्या लगभग 3 हजार है। दूसरे नंबर पर 2 हजार जैन है। फिर कुम्हार, रेबारी, सुथार व अजा-जजा व अल्पसंख्यक आबादी है। पचपदरा के भंवर सिंह बताते हैं कि जैन व्यापारी कौम है और बालोतरा व्यावसायिक केंद्र हैं इसलिए उद्योग विकास में वे बड़ी भूमिका निभाएंगे। दूसरी जातियां हाथ का काम करने वाली है, उन्हें कंस्ट्रक्शन फेज और शहर बढऩे के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में रोजगार मिल सकेगा। सांभराके गणपत खारवाल कहते हैं, नमक के काम में तो मुश्किल से दो सौ रुपए दिहाड़ी मिलती है, वह भी साल में आठ माह से ज्यादा नहीं। रिफाइनरी लगने से गांव वालों को मजदूरी तो मिलेगी।

रियल एस्टेट, होटल और ट्रांसपोट्र्स को तत्काल फायदा:

पचपदरा तिराहे पर बड़ी होटलों और रेस्टोरेंट के बाहर मंगलवार को लोगों की भीड़ लगी थी। इनमें से नब्बे फीसदी जमीन के कारोबार के सिलसिले में बातचीत कर रहे थे। कोई साइट बता रहा था तो कोई जमीनों के भाव। सोमवार को ही रिफाइनरी पचपदरा में तय हुई थी इसलिए जमीनों के भाव रातों-रात बढ़ गए। जब काम शुरू हो जाएगा, तो होटल-रेस्टोरेंट व ट्रांसपोर्टर्स का काम भी बढ़ जाएगा। पचपदरा बागुन्दी से लेकर जोधपुर तक जमीनों के भाव आसमान छूने लगे हें ,भाजपा की प्रदेशाध्यक्षा वसुंधरा राजे ने इसी इलाके में सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की जमीने होने के आरोप लगाए थे


आशापूर्ण और नाग्नेशिया माता की आशीष


पचपदरा के विजय सिंह कहते हें की पचपदरा पर रिफायनरी की मेहर नागानेशिया माता और आशापूर्ण माता ने की हें .पचपदर फिर पचपदरा सिटी कहालाय्रेगा .पुराना वैभव लौटेगा .साम्भर में साम्भारा माता का भव्य मंदिर बना हें .


कुरजां की कलरव ख़त्म हो जायेगी


पचपदरा क्षेत्र में प्रति वर्ष हज़ारो की तादाद में प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन जिसे स्थानीय भाषा में कुरजां कहते हें आती हें .इस क्षेत्र को कुरजां के लिए सरंक्षित क्षेत्र घोषित करने की कार्यवाही चल रही थी .सँभारा ,नवोड़ा बेरा ,रेवाडा गाँवो के तालाबों पर कुरजां अपना प्रवासकाल व्यतीत करते हें .पचपदरा में वन्यजीवों की भरमार हें विशेषकर चिंकारा और कृष्णा मृग बहुतायत में हें .इसीलिए पचपदरा से आगे कल्यानपुर डोली को आखेट निषेध क्षेत्र घोषित कर रखा हें






विदेशी नमक के खिलाफ पचपदरा से छिड़ी थी जंग


-महात्मा गांधी के नमक आंदोलन से पहले पचपदरा से आयातित नमक के खिलाफ जंग छिड़ी थी। जब अंग्रेजों ने इस बात पर जोर दिया कि पचपदरा के नमक की मांग नहीं है। इसे बंद कर दिया जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में पचपदरा से नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाने के बाद कलकत्ता भेजा गया। हालांकि यह बात अलग है कि अंग्रेजों की सुनियोजित स्पद्घार के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा था।
यह बात उस जमाने की है जब अंगे्रजों ने यह दावा किया था कि भारत बंगाल की जनता के पसंद का नमक पैदा नहीं कर सकता। इसकी आड़ में वे यहां विलायत से नमक लाने की मंशा रखते थे। क्योंकि बंगाल भारत में स्वच्छ नमक खाने वाला क्षेत्र माना जाता है। इसे अलावा आमतौर पर अंग्रेज लोग जहाजों के संतुलन के लिए उसमें पत्थर भरकर लाते थे। उनका मानना था कि उसे स्थान पर अगर नमक लाया जाए तो अतिरिक्त आय हो सकती है। उस समय सांभर नमक उत्पादन क्षेत्र में मशीनरी पर बि्रटिश सरकार ने भारी खर्चा किया। बावजूद इसे उत्पादन व्यय के मुकाबले कम प्राप्त हुआ। सांभर से भारी नुकसान उठाने के बाद उनका ध्यान पचपदरा के नमक उद्योग को बंद करने की तरफ गया। जब पचपदरा का नमक उद्योग संकट में पड़ने लगा तो सेठ गुलाबचंद ने नमक के कुछ वैगनों को कराची बंदरगाह से लदान करवाया। इसे अलावा कराची की नमक उत्पादन की फर्म नोशेखांजी कपनी से नमक खरीदकर नमक के एक जहाज का लदान कलकत्ता के लिए करवाया। जब यह नमक कलकत्ता के नमक बाजार में हड़ंप मच गया। उस जमाने में आयातित नमक की बि्रटिश नकंपियों का एक संगठन बना हुआ था। इसने दलालों के माफर्त पता करवाया कि पचपदरा का नमक किस भाव से बिकेगा? उस समय नमक के भाव 250 रुपए प्रति टन चल रहे थे। सेठ गुलाबचंद ने पचपदरा के नमक की विक्रय दर 175 रुपए प्रति टन बताई। लेकिन उन कंपनियों ने पचपदरा का नमक नहीं बिके इसके लिए दूसरे नमक की दर घटाकर 145 रुपए प्रति टन कर दी। इस दरिम्यान करीब दस माह तक भाव ऊपर चढ़ने के इंतजार के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला। ऐसे में मजबूरन भारी नुकसान में यह नमक बेचना पड़ा। इस तरह से पचपदरा नमक का यह आंदोलन सफल नहीं हो सका। परंतु पचपदरा उद्योग को चालू रखने का एक प्रयास था। इसी का नतीजा था कि टेरिक बोर्ड आन साल्ट इंडस्ट्री की स्थापना के बाद पचपदरा के खारवालों एवं मजदूरों ने हड़ताल के जरिए अंग्रेज सरकार का विरोध किया। सरकारी विरोध का नतीजा यह निकला कि सरकार ने यहां अधिक नमक की खाने खोदने की अनुमति दी।


अजब-गजब
झील नहीं,फिर भी होता है नमक उत्पादन
बाड़मेर। नमक उत्पादन स्थलों पर तकरीबन हर जगह एक झील होती है। लेकिन पचपदरा में ऐसी कोई झील नहीं है। इसे बावजूद यहां नमक का उत्पादन होता है।
पचपदरा नमक उत्पादन स्थल की एक विशेषता यह भी है कि अन्य सब स्थानों पर पानी को क्यारियों में सुखाया जाता है। परंतु पचपदरा में नमक के लिए खाने खोदी जाती है। इस समय तकरीबन 700 के करीब नमक की खाने चालू हैं। हालांकि पड़तल खानों की तादाद हजारों में है। पड़तल खान उसको कहा जाता है जिसको नमक उत्पादन बंद हो जाने के बाद दुबारा नहीं खुदवाया जाता। पचपदरा में प्रारंभिक अवस्था में पानी का घनत्व 13 से 14 डिग्री के तकरीबन रहता है। वहीं समुद्री पानी का यह घनत्व प्रारंभिक अवस्था में महज 3 डिग्री होता है। पानी का घनत्व मापने के लिए हाइड्रोमीटर का इस्तेमाल किया जाता है।




गुरुवार, 14 मार्च 2013

ख़ास रिपोर्ट ....इतनी आसन राह नहीं रिफायनरी की .....पढ़िए कारण



ख़ास रिपोर्ट ....इतनी आसन राह नहीं रिफायनरी की .....पढ़िए कारण

रिफाइनरी की चर्चा न केवल राजनितिक गलियारों में ही सिमट कर रह गयी है बल्कि राजनैतिक गोटियाँ सकने का औजार भी बन चुकी है.

बाड़मेर राजस्थान के बाड़मेर जिले से तेल दोहन तो शुरू हो गया मगर इसका फायदा राजस्थान के वासियों को तब तक नहीं मिल सकता जब तक राजस्थान के पास अपनी रिफाइनरी न हो मगर राजस्थान को रिफाइनरी मिलने की बात अब तक हवाई किले ही साबित हुई है. तकनीकी तौर पर तो हालत ये हैं कि आने वाले दस सालों तक तो राजस्थान को रिफाइनरी मिलना एक दूर की कौड़ी है क्योंकि रिफाइनरी की जरूरतें पूरी करने के लिए जितना पानी चाहिए, प्यासा बाड़मेर रिफाइनरी की इस महती आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम ही नहीं है.

दरअसल राजस्थान अपनी पहली रिफाइनरी का सपना अगस्त-2009 से देख रहा है जब प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मंगला आयल फील्ड का उद्घाटन किया. आज केयर्न इंडिया मंगला व भाग्यम आयल फील्ड से 1,75,000 बैरल प्रति दिन तॆल दोहन कर प्रदेश के बाहर भेज रहा है (मजबूरन). यह भारत के कुल तेल उत्पादन का 20% से अधिक है. केयर्न इंडिया एक नए आयल फील्ड ऐश्वर्या को भी इसी माह शुरू करने जा रहा है. इस नए आयल फील्ड के शुरू होने के बाद केयर्न इंडिया 225,000 बैरल प्रति दिन तेल दोहन करने की तैयारी में है. केयर्न इंडिया प्रदेश से 300,000 से 500,000 बैरल तेल प्रति दिन दोहन चाहता है जो कि वह अगले कुछ वर्षों में हासिल कर लेगा. केयर्न ने पिछले चार वर्षों से बंद पड़े तेल खोजने के कार्य को फिर शुरू फिर शुरू कर दिया है. यह खोज कार्य पिछले हफ्ते ही शुरू हुआ है और केयर्न अपनी महत्वाकांक्षाओं के मुताबिक इसको काफी बड़े स्तर पर कर रहा है.

रिफाइनरी की चर्चा न केवल राजनितिक गलियारों में ही सिमट कर रह गयी है बल्कि राजनैतिक गोटियाँ सकने का औजार भी बन चुकी है. हमारी सरकार इसके लिए कितनी तैयार है यह तो आप लोग इस मुद्दे की प्रगति से लगा सकते हैं. राजस्थान सरकार ने कभी यह सोचा भी नहीं कि रिफाइनरी के लिए क्या क्या जरूरतें है. अशोक गहलोत सरकार ने हालाँकि इंजिनियर इंडिया लिमिटेड से आग्रह कर एक DFR (Detailed Feasibility Report) तैयार करवाई थी. यह रिपोर्ट साफ़ कहती है कि रिफाइनरी के लिए जितने पानी की आवश्यकता होगी वह प्यासा बाड़मेर जिला पूरी नहीं कर पायेगा. आप सोचते होंगे कि क्या पानी इतनी बड़ी समस्या है? जी हाँ ! बाड़मेर के भूगर्भ में इतना पानी है ही नहीं कि वो किसी रिफाइनरी की प्यास बुझा सके. इसके लिए सरकार को पहले रिफाइनरी स्थल तक पानी का इंतज़ाम करना होगा. मगर सरकार ने आज तक इस मुद्दे पर सोचा ही नहीं और ना ही बजट में इसके लिए कोई प्रावधान किये जाने की उम्मीद है. जबकि यह इंतज़ाम इंदिरा गाँधी नहर की एक शाखा रिफाइनरी स्थल तक ला कर बड़ी आसानी से किया जा सकता है या फिर किसी बड़े जल स्रोत से एक बड़ी पाइपलाइन रिफाइनरी स्थल तक डाली जाए.

विशेषज्ञों के अनुसार ये सपना अभी सपना ही रहेगा और इसको साकार होने में कम से कम एक आम चुनाव का वक्त तो लगेगा ही!बाड़मेर न्यूज़ ट्रैक को अत्यंत खुशी होगी यदि रिफाइनरी इसी दशक में उत्पादन शुरू कर दे.

बुधवार, 29 अगस्त 2012

बाड़मेर में रिफायनरी की कोई संभावना नहीं दो साल तक


बाड़मेर  में रिफायनरी की  कोई संभावना नहीं दो साल तक 

बाड़मेर। राज्‍य के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत बाड़मेर में प्रस्‍तावित रिफायनरी को लेकर कितनी ही बयान बाजियां करते रहे, लेकिन हकीकत में राजस्‍थान सरकार की ढिलाई के कारण ही रिफायनरी अटकी हुई है।रिफायनरी अगले दो साल तक लगने की कोई संभावना नहीं हें .

यह खुलासा बाड़मेर सांसद हरीश चौधरी द्वारा लोकसभा में पुछे गए एक प्रश्‍न के जवाब में हुआ, जिसमें केन्‍द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने रिफायनरी में देरी के राजस्‍थान सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया। केन्‍द्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक बाड़मेर में प्रस्‍तावित रिफायनरी के मामलें में ओएनजीसी को राजस्‍थान सरकार के सकारात्‍मक जवाब का इंतजार है।

बाड़मेर सांसद को लिखे पत्र में केन्‍द्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेडडी ने बताया कि राजस्‍थान सरकार ने रिफायनरी के संबध में राजस्‍थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्‍याज के ग्‍यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्‍य शर्तो के संबध में अब तक सिद्वातंत: मंजूरी दी है, जबकि ओएनजीसी इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व सिद्वातंत: मंजूरी के बजाय केबिनेट मंजूरी का इंतजार कर रही है।


उल्‍लेखनीय है कि बाड़मेर में प्रस्‍तावित रिफायनरी के लिए साल 2010 में गठित त्रिपाठी कमेटी ने बाड़मेर में बड़ी रिफायनरी के बजाय 4.5 से 6 मिलीयन टन की रिफायनरी लगाने की बात कही थी। त्रिपाठी कमेटी की रिपोर्ट के बाद रिफायनरी की सबसे बड़ी भागीदार मानी जा रही ओएनजीसी ने बाड़मेर में 4.5 मिलीयन टन रिफायनरी के लिए इंजीनीयर्स इण्डिया लिमिटेड की टीम से तकनीकी रिर्पोट और भारतीय स्‍टेट बैंक से वित्‍तीय रिर्पोट मंगवायी। इस रिर्पोट के बाद ओएनजीसी को बाड़मेर में रिफायनरी लगाना घाटे का सौदा लगा, जिसके बाद कंपनी ने राजस्‍थान सरकार से रिफायनरी में राजस्‍थान सरकार की 26 फीसदी भागीदारी, 15 वर्ष के लिए बिना ब्‍याज के ग्‍यारह सौ करोड़ रूपए के ऋण और कुछ अन्‍य जरूरतों के संबध में शर्त रखी।



ओएनजीसी का कहना है कि राजस्‍थान सरकार उसकी शर्तो पर सिद्वातंत: सहमत है, लेकिन इस मामलें में किसी भी प्रकार के निवेश से पूर्व केबिनेट मंजूरी जरूरी है।

मंगलवार, 19 जून 2012

राजस्थान बाड़मेर में लगेगी रिफायनरी


सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हिंदुस्तान पेट्रोलियम राजस्थान में ऑयल रिफायनरी लगाने की तैयारी कर रही है। कंपनी ओएनजीसी के साथ मिलकर बाड़मेर में 90 लाख टन क्षमता की इकाई लगाएगी। बाड़मेर में तेल के बड़े भंडार खोजे जा चुके हैं। रिफायनरी लगने से जहां राजस्थान के राजस्व में बढ़ोतरी होगी, वहीं यहां के लोगों को रोजगार भी मिलेगा। एचपीसीएल के पास फिलहाल मुंबई और आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम में रिफायनरी हैं। पंजाब के भठिंडा की रिफायनरी में भी उसकी हिस्सेदारी है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े सूत्रों ने बताया कि केयर्न के बाड़मेर तेल क्षेत्र में 30 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली ओएनजीसी ने 2005 में वहां एक रिफायनरी लगाने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में उस प्रोजेक्ट को ठंडे बस्ते में डाल दिया। सूत्रों के मुताबिक अब एचपीसीएल ने इस प्रोजेक्ट में 51 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ जुड़ने की इच्छा जताई है। ओएनजीसी इस प्रोजेक्ट में 26 फीसदी हिस्सेदारी रखेगी। बाड़मेर ऑयल फील्ड में 70 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली केयर्न इंडिया फिलहाल यहां 1.75 लाख बैरल प्रतिदिन उत्पादन करती है। यहां उत्पादन को तीन लाख बैरल प्रतिदिन तक ले जाने की क्षमता है। सूत्रों का कहना है कि एचपीसीएल-ओएनजीसी रिफायनरी के लिए करीब 926 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहण का काम राजस्थान सरकार ने शुरू कर दिया है। हिंदुस्तान पेट्रोलियम लि. का कहना है कि राज्य सरकार इसके अलावा उसे समुचित मात्रा में ब्याजमुक्त ऋण उपलब्ध करवाए, जिसका भुगतान कम से कम 15 वर्ष बाद आरम्भ किया जाय। रिफायनरी प्रोजेक्ट के लिए बनी बीसी त्रिपाठी कमेटी की रिपोर्ट को राज्य सरकार के स्वीकार करने के बाद इसके लिए ओएनजीसी और इंजीनियर्स इंडिया लि. ने भी इक्विटी हिस्सेदारी लेने का मानस बनाया है। इधर वेदांता ग्रुप ने भी इसमें दिलचस्पी दिखाना शुरू कर दी है। उल्लेखनीय है कि वेदांता ग्रुप ने हाल ही में केयर्न इंडिया का अधिग्रहण कर लिया था, जिसकी बाड़मेर के मंगला क्षेत्र से कच्चा तेल निकालने के बारे में ओएनजीसी के साथ भागीदारी थी।