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शनिवार, 2 जुलाई 2011

पानी के लिए भीख मांग रही बालाऐं,एक घडा पानी के लिए याचना
























पानी के लिए भीख मांग रही बालाऐं,एक घडा पानी के लिए याचना

बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले में भीषण गमी्र के साथ ही पेयजल का जबरदस्त संकट छाया हुआ हैं।ग्रामीण क्षैत्रों में हालात पहले से ही विकट हैं।जिला प्रशासन पेयजल की समुचित व्यवस्था करने में विफल रहा हैं।पेयजल संकट के कारण ग्रामीण पलायन कों मजबूर हो रहे हैं,वहीं शहरी क्षैत्रों में पेयजल संकट की स्थिति भयावह होती जा रही हेैं।शहरी क्षैत्र में पानी के एक एक घडे के लिए लोग भीख मांगने को मजबूर हो रहे हैं।शहरी क्षैत्र में सूरज की पहली किरण के साथ कच्ची बस्ती के बाशिन्दें खाली घडे सिर पर पख कर घर घर एक मटका पानी भरवानें के लिए गिडगिडाती नजर आती ह,ैंजॅहा उनहें पानी की बजाऐं दुत्कार ही मिलती हेैं।पानी के एक एक मटके के लिए छोटे छोटे बालक बालिकाऐं भीख मांग रहें हैं मगर इनकों पानी की भीख नहीं मिलती।शहरी क्षैत्र में पानी की आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार होने के कारण शहरी बाशिन्दों को 500-600 रूपयें देकर पानी का टैंकर डलवाना पड रहा हैंजिला मुख्यालय पर जिला स्तरीय अधिकारीयों की उपस्थिति के बावजुद पेयजल दापूर्ति में किसी प्रकार का सुधार नहीं होने के काण शहरी क्षैत्र के वाशिन्दें पानी का उपयोग में कंजुसी बरत रहे हैं।समस्या गरीब तबके के परिवारों के सामने खडी हैं।सार्वजनिक नलों की परम्परा समाप्त हो जाने के बाद से ही कच्ची बस्तियों में पेयजल संकट मौत के समान हो गया हैं।गरीब तगके की स्थिति 500-600 रूप्ये देकर टैंकर डलवानें की नहीं हैं।ऐसे में छोटे छोटे बालक बालिकाओं के साथ घरों की महिलाऐं आसपास के क्षैत्रों के घरों में दस्तक देकर एक घडे पानी के लिए अनुनय करती नजर आती हैं।प्रशासन द्धारा शहरी क्षैत्रों में पेयजल संकट के बावजूद सरकारी पेयजल टैंकरों की व्यवस्था नही कर पाई।जबकी पूववर्ती सालों में शहरी क्षैत्रों में स्थित कच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐं सरकारी  टैंकरों के माध्यम से आपूर्ति की व्यवस्था की जाती रही हैं।इस वर्ष जिला प्रशासन द्धारा टैंकरों की व्यवस्था नहीं करने के कारण गरीब तबके के लोग पानी के एक घडे के लिऐं भीख मांगनें को मजबूर हैं।लौहार कच्ची बस्ती कें रावताराम भील ने बताया कि पानी की इतनी किल्लत साठ साल की उम्र में कभी नही देखी।पानी नें हमारे परिवारों को भीख मांगना सिखा दिया।श्रीमति हरिया ने बताया कि घर घर पानी के लिए गिडगिडाते हैं,भीख मांग कर याचनाऐंक रने केि बावजूद एक घडा पानी नशीब नही होता।पहलें कोई ना कोई पानी का एक घडा भरवा देते थे मगर पेयजल आपूर्ति सात आठ दिनों में एक बार करने के बाद पानी कोई नही भरवाते।कितनी लाचारी एक घडे पानी के लिऐं करें।जिला कलेक्टर गौरव गौयल नें बताया कि शहरी क्षैत्रों की कच्ची बस्तियों में पेयजल आपूर्ति के लिऐ नगर पालिका कों पाबन्द किया जाऐगा।शीघ्र शहरी क्षैत्र में टैंकरों से आपूर्ति आरम्भ की जाऐगी।

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा


जिले में खारा/लवणयुक्त पानी को मीठे पानी में बदलने के लिये परिचर्चा
जल भागीरथी के सहयोग से मीठे पानी के लिये आर.ओ.प्लान्ट
लगाने की कार्यवाही करावें : जिला कलक्टर श्री कुशवाहा
 जैसलमेर, जिला कलक्टर श्री गिरिराज सिंह कुशवाहा की अध्यक्षता में जिला प्रशासन के तत्वावधान में जल भागीरथी फाउण्डेशन के सहयोग से सोमवार को कलेक्ट्रेट सभागार में जिले में खारा/लवणयुक्त पानी के समाधान के संबंध में ’’ परिचर्चा एवं प्रस्तुतीकरण ’’ कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री बलदेव सिंह उज्जवल, जल भागीरथी फाउण्डेशन की प्रोजेक्ट मैनेजर कानूप्रिया हरीश के साथ ही प्रशासनिक ,जलदाय विभाग के अधिकारी एवं ग्राम पंचायतों के सरपंचगण भी उपस्थित थे।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने अधीक्षण अभियंता जलदाय श्री मुकेश गुप्ता को निर्देश दिए कि जिले के जिन गांवों में खारा एवं लवणयुक्त पानी है ऐसे गांवों में आर.ओ.प्लान्ट लगा कर मीठे पानी में बदलने की कार्यवाही करावें ताकि ग्रामीणजनों के सहयोग से इस प्लान्ट के माध्यम से लोगों को पीने का शुद्ध एवं मीठा पानी उपलब्ध कराया जा सकें। उन्होने कहा कि जल भागीरथी संस्था द्वारा बाड़मेर के पचपदरा में खारे एवं लवणयुक्त पानी की मीठा करने के लिये जो आर.ओ.प्लान्ट लगाया गया है उसी तर्ज पर शीघ्र ही रामदेवरा, खुहड़ी एंवं अन्य गांवों को चिन्हित कर उसे संचालित करने की कार्यवाही करावें।
जिला कलक्टर श्री कुशवाहा ने इस सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्ज्वल एवं अधीक्षण अभियंता जलदाय को कहा कि वे चिन्हित ग्रामपंचायतों के सरपंचों को पचपदरा का भ्रमण करवा कर खारे पानी से मीठे पानी के लिये संचालित किए जा रहे प्लान्ट का अवलोकन करावें ताकि वे वहां के ग्रामीणजन जिस प्रकार इस प्रोजेक्ट को चला रहे है उसे देखे एवं वहां से सीख लेकर अपने यहां ग्रामीणजनों के सहयोग से ऐसे मीठे पानी के आर.ओ.प्लान्ट लगाने की कार्यवाही कर सकें। उन्होने विशेष रूप से रामदेवरा में तत्परता के साथ चालू करने पर विशेष जोर दिया।
जिला कलक्टर ने कहा कि यदि इस प्रोजेक्ट का संचालन इस जिले में प्रारंभ हो जायें तो खारे पानी वाले गांव वासियों के लिये तो वरदान सिद्ध होगा। उन्होने अधीक्षण अभियंता जलदाय को जल भागीरथी के सहयोग से इस प्रोजेक्ट के संचालन के सम्बन्ध में विशेष प्रयास कर कार्यवाही करने के निर्देश दिए। उन्होने जल भागीरथी संस्था की प्रोजेक्ट मैनेजर से आग्रह किया है कि वे भी इस प्रोजेक्ट के संचालन में पूर्ण सहयोग प्रदान करावें। उन्होंने प्रारंभिक रूप से जिले के रामदेवरा खुहड़ी, म्याजलार, सत्तो, सिहड़ार, दव, गुंजनग़, बैरसियाला, सम, दबड़ी के सरपंचों एवं स्वयंसेवी संस्था के पदाधिकारियों से आग्रह किया है कि वे इसमें रूचि दिखा कर मीठे पानी के आर.आ.े प्लान्ट लगा कर न्यूनतम दर ग्रामीणों से वसूल कर इसके संचालन की कार्यवाही करावें।
अतिरिक्त जिला कलक्टर श्री उज्जवल ने जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि वे तकनीकी रूप से इस प्रोजेक्ट की कार्ययोजना तैयार करावें। प्रोजेक्ट मैनेजर जल भागीरथी फाउण्डेशन जोधपुर की प्रोजेक्ट मैनजर कानूप्रिया ने कार्यशाला में प्रोजेक्टर के माध्यम से पचपदरा में खारे/लवणयुक्त पानी को आर.ओ.प्लान्ट के माध्यम से मीठे पानी के रूप में बदलने की कार्यवाही के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की एवं ग्राम जल प्रबन्धन समिति द्वारा किस प्रकार से ग्रामीणजनों से न्यूनतम दर लेकर पानी वितरण किए जाने की व्यवस्था के बारे में भी प्रकाश डाला। उन्होने तालाबों एवं नाडियों में वर्षाती जल संग्रहण एवं उसके संरक्षण के बारे में भी प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी प्रदान की। 

मंगलवार, 22 मार्च 2011

जल माफिया बेचते हेैं करोड़ों का अवैध पानीे






जल माफिया बेचते हेैं करोड़ों का अवैध पानीे


बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर मे जिले में पेयजल की भारी किल्लत के कारण थारवासी जहॉ पलायन को मजबूर हो रहे हैं,वहींजिले क ेजल माफिया प्रति वशर करोड़ो रुपयों का अवैध पानी बेच कर चान्दी काट रहे हैं।स्थानिय वासियों को पानी पीने के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ रही हैं।पानी की एकएक बून्द के लिए मोहताज थार वासियों ने सपने में भी नहीे सोचा था कि उन्हे पीने के पानी की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।


रेगिस्तान में पानी का करोड़ो का कारोबार अविश्वसनीय जरुर लगता है,किन्तु सत्य हैं।पिश्चमी राजस्थान के बाड़मेर मे जिले म ेंपेयजल संकट से जूझते आमजन के लिए पीने का पानी जॅहा एक बड़ा संकट हैं वहीं इन जल माफियों के लिए आमदनी का जरिया बना हुआ हैं।एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि सभी गांवों में पानी पहुॅचाया जा रहा है।जबकि हकीकत में गा्रमिणों को पेयजल की भारी कीमत चुकानी पड़ रही हैं।गांवों में पेयजल योजनाऐं ठप्प पड़ी हैं।टृैक्टर के पहियों पर पानी के करोड़ो रुपयों के अवैध कारोबार का धन्धा सरकारी कर्मचारीयों की महरबानी से निर्बाध चल रहा हैं।जिले का कोई गांवाणी ऐसी नहीं हैं जहॉ गा्रमीणों को पानी खरीदना नहीं पड़ता हो। 



लगातार छः सालो से पड़ रहे अकाल ने को में खाज का काम किया है।मानसून मेहरबान होता है तो साल के चार महिनेों में पानी के लिए मारामारी खत्म हो जाती हैं।मगर ोश आठ माह में पेयजल संकट से ग्रस्त गांवों में रहने वाले लोगो को पानी खरीद कर ही पीना पड़ता हैं।इस बार बरसात के अभाव में निरन्तर पेयजल संकट रहा हैंसर्दी के मौसम में भी टृेक्टर से पानी विपणन का कार्य चरम पर हैं।अमुमन गर्मियों में एक टेंकर पानी की करमत चार सौ रुपयें होती है,इस बार सर्दियों में भी एक टृेक्टर पानी की कीमत 550600 रुपये हैं।जल माफिया इतने दुःसाहसी हैकिअपने व्यवसाय में तेजी लाने के लिए सरकारी कारिन्दों से मिली भगत कर सरकारी योजनाओं को ठप्प करवा देते हैं। 


, ऐसे में गा्रमिणों को मजबूरी वश मुहॅमांगी कीमतों पर पेयजल टेंकर मंगवाने पड़ते हैं।माफिया स्थानिय कर्मचारियों केसाथ मिलकर तकनीकि गड़बड़ीयॉ कराते हैं किजल विभाग के आला अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते।ऐसा ही एक माजरा नया मलवा में सामने आया।इस गांव की पाईप लाईन पिछले छः माह से बाधित हैं।गा्रमिण लम्बे समय से जिला कलक्टर,विधायक तथा अधिशासी अभियंता तक को कई र्मतबा शिकायतें करने के उपरांत पाईप लाईन दुरुस्त नही हो पाई।गा्रमिण आज भी 600 रुपये देकर पानी के टेंकर मंगवा रहे हैं।पाक सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में इस तरह पाईप लाइ्रनें बाधित पड़ी हैं।गांवों में पेयजल संकट के कारण गा्रमिणों की हालात खराब हैं।गा्रमिणों को पानी के उपभोग में कंजुसी करने के बावजूद भी सामान्यतः पांचछः सदस्यों एवं एकदो पशु रखने वाले वाले परिवार को प्रति माह एक टेंकर खरीदना ही पड़ता हैं। 


पीरे का पार गांव निवासी श्रीमति ाहदाद ने बताया कि बरसात के समय टांकों में तीनचार माह का पानी आ जाता हैं।जिसके चलते पेयजल संकट से कुछ राहत मिलती हैं।मगर इस बार बरसात के अभाव में टांके सूखे पड़े हैं।भेड़ पालन का काम होने के कारण एक माह में लगभग तीन टेंकर पानी डलवाना ही पड़ता हैं।एक टेंकर पानी की कीमत 550600 रुपये अदा करनी पड़ती हैंसाल भर मे लगभग तीस हजार रुपये का पानी खरीदना पड़ता हैं।जिले में सतही पारम्परिक जल स्त्रोतों जैसे तालाब,बेरी,कुऐं,टाकों से उपलब्ध होता है।ैंइन स्त्रातों में बरसात का पानी संग्रर्हण कर रखा जाता है।ैंभूजल के रुप में कुछ स्थानों पर कुॅओं,टयूबवेलों से पीने का पानी गुणवतायुक्त उपलब्ध होता हैं।पीने योग्य भूजल वाले क्षैत्रों में अधिकतर किसानों के निजी टयूबवेल तथा कुऐं हैं। 


किसान इस पानी का उपयोग कृशि सिंचाई के अतिरिक्त टेृक्टरटेंकर वालों को विक्रय करते है ।ंकिसान एक टेंकरटेक्टर की भराई कीमत 100150 रुपयें में करवाते हैं।इस प्रकार निजी टयूबवेल व कुओं के मालिक भूजल दोहन कर लाखों रुपये की कमाई करते है।वहीं टृेक्अरटेंकर मालिक उसी पानी को गांवों तक परिवहन कर 350700 रुपयें तक वसुलते हैं।जल माफिया आर्थिक,सामाजिक, एवं राजनीति रुप में इतने प्रभावी हैं कि इन्हें सार्वजनिक पेयजल स्त्रोतों से टेंकर भरने से रोकने का साहस कोई नहीं कर पाता।जिले में लगभग पन्द्रह हजार टेंकर हैं।



बाड़मेर जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगभग आठ लाख टांके बने हुए हैं इसके बावजूद पेयजल संकट यथावत हैं।जिला परिशद सदस्य रिड़मलसिंह दांता के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग को पेयजल योजनाओ पर खर्चा बन्द कर देना चाहिये।जिले में अरबों रुपये इन पेयजल योजनाओं पर व्यय किए गए हैं।मगर आहतों को आज तक राहत नहीं मिल पाइ्रंउनके अनुसार पेयजल आपूर्ति का कार्य ठेके पर दे देना चाहिये।गा्रमीणों को पानी खरीद कर ही पीना हैं,तो विभाग पर अनावश्यक खर्चा क्यों। 


जिला कलेक्टर  ने बताया कि जिले में पेयजल सरंक्षण के विोश उपाय किऐ जा रहे है।मनरेगा योजना में लगभग 50 हजार आंकों का निर्माण कराया जाकर जल सरंक्षण के बेहतरीन प्रयास किऐं गये हैं।साथ ही परमपरागत पेयजल सत्रोतों के जीर्णोद्घार तथा मरम्मत के लिऐं बउी संख्या में सवीकृतिया। जारी की गई हैंजल माफियों के खिलाफ कडे कदम उठाऐं जा रहे हैं।