स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

बुधवार, 3 अप्रैल 2013

बाड़मेर शहरी रोजगार योजना के प्रशिक्षण में गड़बड़ी छोटा मोटा, अरे बहुत बड़ा मामला है


सरकार को करोडो रुपयों का चुना


शहरी रोजगार योजना के प्रशिक्षण में गड़बड़ी छोटा मोटा, अरे बहुत बड़ा मामला है

सच्चाई सामने : सिर्फ कागजो में प्रशिक्षण शुरू 


बाड़मेर स्वर्ण जयंती योजना के तहत बाड़मेर जिले की दो नगरपरिषद क्षेत्रों में देना है 22 सौ महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण, कई जगह शुरू नहीं हुए प्रशिक्षण, कई जगह कागजों में हो रही है ट्रेनिंग 

संवाददाता द्वारा की गयी पड़ताल में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। एक बड़े अधिकारी से जब इस योजना में गड़बडिय़ों को लेकर जानकारी चाही गई तो उन्होंने बताया कि आप प्रशिक्षण में गड़बड़ी की बात कर रहे हो, जबकि यह मामला तो इतना बड़ा है कि इसकी गहराई से जांच हो तो कई बड़े पेच खुलेंगे। इस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि योजना में गड़बड़ी तो दिसंबर से ही शुरू हो गई थी जब आदेश आए थे। इस अधिकारी ने यह भी बताया कि जनवरी से शुरू होने वाले प्रशिक्षण केंद्र फरवरी से ही क्यों शुरू हुए और बाड़मेर परिषद क्षेत्र में यह शिविर अब अप्रैल में जाकर क्यों शुरू हो रहे हैं। इनकी जांच होनी चाहिए। 

स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के नाम पर नगरपरिषद, ांख्यिकी विभाग व कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं जिले में कागजी खानापूर्ति में जुटी हैं। जिले में 22 सौ महिलाओं को योजना का लाभ देना था ताकि वे अपने पांवों पर खड़ी हो सके, अपने स्तर पर छोटे मोटे काम करके घर परिवार चलाने में मदद कर सके। मगर जिले में कई जगह तो इस योजना के तहत ट्रेनिंग का काम शुरू ही नहीं हुआ है। कई स्थानों पर एनजीओ ने सांख्यिकी विभाग के अधिकारियों के साथ बंदरबांट करते हुए कागजों में ही ट्रेनिंग दे दी। 

अधिकृत सूत्रों के अनुसार स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत बाड़मेर जिले में 22 सौ महिलाओं को स्वरोजगार का प्रशिक्षण दिया जाना था। यह कार्य वैसे तो जनवरी 2013 में ही शुरू हो जाना था, मगर जिले में कई स्थानों पर पालिका व सांख्यिकी विभागों के अधिकारियों की बीच की खींचतान व कमीशन की सेटिंग नहीं बैठने से यह काम समय पर शुरू नहीं हो पाया। बाड़मेर में तो पूरा गड़बड़ झाला नज़र आ रहा हें .एक भी वार्ड में प्रशिक्षण आयोजित नहीं हुआ .एक वार्ड में मेडिकल शिविर कुछ देर के लिए लगाया गया जिसका उद्घाटन कराया गया था उद्घाटन करतो के जाते ही शिविर समेत लिया .आयुक द्वारा सी एस डी कम्मेती में बिना अनुमोदन के कई संस्थाओ को काम दिया गया हें जबकि कम्मेती में मात्र दो संस्थाओ के ही प्रस्ताव आये थे .आयुक्त के गृह जिले की एक संस्था को लाखो रुपयों का काम फर्जी वादे में दिया गया हें .आयुक्त के स्वजातीय रिश्तेदार की इस संस्था को बिना अनुमोदन के कार्य दिया गया .

शुरुआत अप्रैल में क्यों

योजना के तहत बीपीएल परिवारों की गरीब महिलाओं को प्रशिक्षण जनवरी में ही शुरू हो जाना चाहिए था, मगर बाड़मेर ,बालोतरा पालिका क्षेत्रों में यह कार्य फरवरी माह में शुरू हो पाया। बाड़मेर नगर परिषद क्षेत्र में तो यह कार्य अब अप्रैल में शुरू हो रहा है। परिषद क्षेत्र में तो इस योजना के तहत आठ स्वयं सेवी संस्थाओं को ट्रेनिंग देने का जिम्मा सौंपा गया है, मगर अभी 2 अप्रैल को केवल मात्र एक संस्था की ओर से ही कार्य प्रारंभ करने की पुष्टि हो पाई है। आयुक्त ने 28 मार्च को ही प्रशिक्षण कार्य शुरू करने के आदेश दिए थे।

1 करोड़ 98 लाख की है योजना

सूत्रों ने बताया कि स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत जिले में जिन 22 सौ महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाना है उसमें करीब 1 करोड़ 98 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित है। इसमें प्रत्येक महिला के नाम पर नौ हजार रुपए तक का खर्चा एनजीओ के माध्यम से किया जा सकता है। मगर जमीनी स्तर कितनी महिलाओं को प्रशिक्षण दिया जाना है और कितनी महिलाओं के नाम दर्ज है और कितनी महिलाओं के नाम से पैसे उठाए जा रहे हैं, यह भी अब जांच का विषय बन गया है।


इस तरह खर्च होता है पैसा

तीन माह के प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक प्रशिक्षार्थी महिला को 500 रुपए प्रति माह के हिसाब से 15 सौ रुपए का चेक स्टाइपेंड के तहत देना है। इसके अलावा 15 सौ रुपए का टूल किट भी दिया जाना है। प्रशिक्षण के बाद इन महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाकर बैंकों से ऋण दिलवाने का काम भी एनजीओ का है। इसमें प्रति समूह 1.25 लाख रुपए का अनुदान परिषद व पालिकाओं द्वारा दिया जाता है। यह राशि सरकार ने पालिकाओं व परिषदों के खाते में भी जमा करा दी।



बाड़मेर जिले की नगर परिषद् में गत पांच सालो से इस योजना का काम एक मात्र संस्था को ही दिया जा रहा हें ,परिषद् द्वारा कभी संस्थाओ से प्रस्ताव नहीं मांगे गए ,इस बार भी दो संस्थाओ के प्रस्ताव आये थे जिला कलेक्टर की अध्यक्षता वाली कमेटी ने जिसका अनुमोदन किया था .सरकारी आदेश के अनुसार कार्य जनवरी में आरम्भ किया जाना था ,मगर आपसी बन्दर बाँट और सेटिंग में समय लगने से अप्रेल में कार्यादेश किये गए ,इधर इस योजना में संस्थाओ को काम करने की बजे पचास फीसदी कमिसन की सेटिंग पर कागजी कार्य के निर्देश दिए जाते हें ,पांच सालो में करोडो रुपयों का आंवटन फर्जी तरीके से किया गया हें ,--

शनिवार, 16 मार्च 2013

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

कलेक्टर को गुमराह कर लाखो रुपयों का आवंटन किया रिश्तेदारों की संस्था को आयुक्त ने

बाड़मेर नगर परिषद् बाड़मेर भरष्टाचार का अड्डा बन गया ,आयुक्त से लेकर कर्मचारी बेखौफ होकर सरकारी योजनाओ को चुना लगा रहे हें .स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना में कलेक्टर को गुमराह कर आयुक्त ने अपने गृह जिले की संस्थाओ को लाखो रुपयों का फायदा पहुँचाया .आयुक्त ने मुख्यमंत्री कार्यालय के जांच आदेशो की परवाह किये बिना अपने गृह जिले की स्वजातीय संस्था सहिक कई बेनामी संस्थाओ को कार्य आवंटित किया जबकि इस संस्थाओ का सी एस डी की बैठक में अनुमोदन नहीं हें .नगर परिषद् बाड़मेर द्वारा जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता में जनवरी माह में डूडा की बैठक का आयोजन कर स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना के तहत संस्थाओ के चयन का अनुमोदन किया गया था .उक्त बैठक में मात्र दो संस्थाओ का अनुमोदन जिला कलेक्टर महोदय की अध्यक्षता वाली कमेटी द्वारा किया गया था .जबकि इसके बाद आयुक्त नगर परिषद् और दुदा के सचिव द्वारा कुछ संस्थाओ से मिली भगत कर इस सूचि में चार नै संस्थाओ को जोड़ा गया जिसमे आयुक्त के गृह नगर गंगानगर जिले की एक संस्था शामिल हें ,कुछ संस्थाओ को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से आयुक्त नगर परिषद् तथा डूडा के सचिव द्वारा नियमो के विरुद्ध श्रीमान को गुमराह कर लगभग स्तर लाख रुपये के कार्य आवंटन किये गए .आश्चर्यजनक पहलु हें की डूडा की बैठक में बिना अनुमोदन के बिना मानदंड के इन संस्थाओ को घर से बुलाकर कार्य दिया गया जबकि बाड़मेर जिले में राष्ट्रीय स्तर की तीस से अधिक संस्थाए कार्य कर रही हें ,सबसे बड़ी बात नगर परिषद् द्वारा संस्थाओ से इस कार्य हेतु आमंत्रित करने के लिए निविदा का प्रकाशन समाचार पत्रों में नहीं किया .आयुक्त के रिश्तेदारों की संस्था को लाभ पहुँचाने के उद्देश्य से सरकारी योजना को चुना लगाया गया .इस बारे में आपको पूर्व में भी सूचित किया गया था की नगर परिषद् के आयुक्त और कार्मिको की संस्थाओ के साथ मिलीभगत हे काम करने वाली स्थानीय संस्थाओ को दरकिनार कर रेड्डी संस्था को काम गत पांच सालो से दिया जा रहा हें ,इस संस्था द्वारा काम भी नहीं किया जाता मिलीभगत और आपसी बाँट के चलते भुगतान उठा लिया जाता हें ,इस बार भी यही .इस सम्बन्ध में मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा पंचायत राज सचिव को जांच के आदेश भी दिए गए थे ,मगर आयुक्त द्वारा मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेशो की अनदेखी कर नियमो के विरुद्ध अपनी मनमर्जी से चहेती संस्थाओ को कार्य आवंटित किया हें .उक्त प्रकरण की प्रशासनिक अधिकारी से तत्काल जांच करा कार्य आवंटन पर रोक लगाई जाये तथा आयुक्त और कार्मिको के खिलाफ सरकारी राशी के दुरूपयोग पर नियमानुसार सख्त कार्यवाही की जाए .ग्रुप फॉर पीपुल्स ने इस आशय का ज्ञापन जिला कलेक्टर तथा मुख्यमंत्री को भेजा हें