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बुधवार, 5 सितंबर 2012

24 साल बाद फिर गूंजी कुख्यात डकैत करना भील की गूंज!




24 साल बाद फिर गूंजी कुख्यात डकैत करना भील की गूंज!


जैसलमेर कभी कुख्यात डाकू रहे तथा लंबी मूछों के धनी, नडवादक करणा भील की हत्या के 24 वर्ष बाद मंगलवार को हाईकोर्ट में उसकी हत्या का षड़यंत्र करने वालों की ओर से दायर अपील की सुनवाई हुई। न्यायाधीश एनके जैन द्वितीय ने एक आदेश जारी करते हुए सरकारी वकील केके रावल से करणा की हत्या के मुख्य आरोपियों हसन खां व मुबारक के बारे में तथ्य जुटाने को कहा है, वहीं इस हत्याकांड के दो षड्यंत्रकारियों में से एक रिडमल खां की मृत्यु की पुष्टि करते हुए अदालत में रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

गौरतलब है कि जैसलमेर क्षेत्र में 21 जनवरी 1988 को पुरानी रंजिश के चलते करणा भील के हत्यारों हसन खां व मुबारक खां ने करणा का सिर इलियास खां, जिसे कथित रूप से करणा ने मारा था, की कब्र पर रखा। बाद में वे उसके सिर को बोरी में डाल कर पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे।

करणा की हत्या के षड़यंत्र में बाद में पकड़े गए रिड़मल खां व मेहरान को जैसलमेर के अपर सेशन न्यायधीश राजेन्द्रसिंह ने 5-5 वर्ष की सजा सुनाई थी जबकि मुख्य आरोपियों हसन खां व मुबारक खां को मफरूर घोषित किया था। । इस पर रिडमल खां व मेहरान ने हाईकोर्ट में अपील दायर की तो 19 अक्टूबर 1989 को तत्कालीन न्यायाधीश पीके शर्मा ने अपील की सुनवाई तक दोनों की सजा पर रोक लगा दी थी।

रिडमल खां के वकील ने दी मृत्यु की सूचना:

मंगलवार को हुई करणा भील हत्याकांड की अपील की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष के वकील दिग्विजय सिंह जसोल ने अदालत को बताया कि रिडमल खां का निधन हो चुका है। इस पर न्यायाधीश जैन ने अदालत में मौजूद सरकारी वकील रावल को रिडमल खां की मृत्यु बाबत रिपोर्ट पेश करने सहित मामले के मुख्य आरोपियों की भी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए।