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शनिवार, 13 जुलाई 2019

बाड़मेर,बेरियांे के जीर्णाेद्धार से साकार हुआ जल संरक्षण का सपना -जिला प्रषासन की मुहिम से बंद पड़ी बेरियों मंे पानी की आवक षुरू हुई।

बाड़मेर,बेरियांे के जीर्णाेद्धार से साकार हुआ जल संरक्षण का सपना
-जिला प्रषासन की मुहिम से बंद पड़ी बेरियों मंे पानी की आवक षुरू हुई।


बाड़मेर,13 जुलाई। सरहदी इलाकांे मंे बेरियांे के जीर्णाेद्धार से जल संरक्षण का सपना साकार होने लगा है। बेरियांे मंे मीठे पानी की आवक षुरू होने के बाद ग्रामीण बेहद खुष है। अधिकतर सरहदी इलाकांे मंे भूमिगत पानी खारा है। ऐसे मंे अब इनके लिए बेरियां वरदान साबित हो रही है। षनिवार को जिला कलक्टर हिमांषु गुप्ता जब प्रषासनिक अधिकारियांे के साथ बेरियांे का अवलोकन करने पहंुचे, तो ग्रामीणांे ने उनका आभार जताते हुए कहा कि यह बेरियां उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उन्हांेने कहा कि प्रषासन की इस अनूठी पहल की जितनी तारीफ की जाए,उतनी कम है।
       बाड़मेर जिले मंे करीब 1700 बेरियांे को चिन्हित करने के साथ इसके जीर्णाेद्धार का बीड़ा उठाया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत रामसर का पार, सज्जन का पार, बबुगुलेरिया समेत अन्य सरहदी इलाकांे मंे मनरेगा के तहत बेरियांे में से गाद निकालने के अलावा उसके चारों ओर पक्का स्ट्रक्चर बनाया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए है। रामसर पार मंे स्थित 30 से अधिक बेरियांे का जीर्णाेद्धार चल रहा है। कई बेरियांे मंे गाद निकालने के साथ पक्का स्ट्रक्चर बनाया जा चुका है। इनमंे कई ऐसी भी बेरियां है जिनमंे गाद निकालने के बाद पानी की आवक षुरू हो चुकी है। कमोबेष ऐसा सज्जन का पार एवं अन्य गांवांे मंे हुआ है। जिला कलक्टर हिमांषु गुप्ता, मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहनदान रतनू, उपखंड अधिकारी अभिषेक चारण, तहसीलदार षिवजीराम बावरी, अधिषाषी अभियंता भेराराम बिष्नोई ने शनिवार को ग्रामीणांे से रूबरू होकर उनकी प्रतिक्रिया जानी। ग्रामीणांे ने जिला प्रषासन की इस अनूठी पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे उनको खासी राहत मिली है। उन्हांेने अन्य गांवांे मंे भी बेरियांे के जीर्णाेद्धार करवाने की जरूरत जताई। रामसर एवं सज्जन का पार मंे महिलाआंे ने बताया कि इन बेरियांे से एक घंटे मंे 50 से अधिक महिलाएं पानी भरकर ले जाती है। इसके अलावा ग्रामीण अपने परंपरागत साधनांे के जरिए भी पानी लेकर जाते है। उन्हांेने बताया कि बारिष होने के बाद बेरियांे मंे भी जल का स्तर बढ़ जाएगा। इस दौरान समाजसेवी केसाराम पूनिया, अभे का पार सरपंच रहमान खान, इब्रा खान, कचरा खान समेत कई जन प्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।
हर किसी के बस का नहीं है यह कामः बेरियांे के जीर्णाेद्धार एवं उसमंे से गाद निकालने का कार्य हर किसी के बस का नहीं है। सरहदी इलाकांे मंे परंपरागत रूप से कुछ लोग यह काम करते है। यह नई बेरियांे के निर्माण से लेकर उसमंे गाद निकालने का कार्य करते है। बेरियांे का मूंह काफी सकड़ा होता है, ऐसे मंे रस्सी की मदद से एक व्यक्ति ही इसमंे नीचे उतर सकता है। सज्जन का पार मंे जीर्णाेद्धार के कार्य मंे लगे कारीगर मठार खान ने बताया कि वह 15 साल से यह काम कर रहा है। पांधी का पार निवासी मोसन खान ने बताया कि उसके परिवार से अधिकतर लोग यह कार्य करते है।
सदियांे पुरानी है बेरियांे की कहानीः सरहदी बाड़मेर जिले मंे आमतौर पर अकाल की स्थिति एवं पेयजल संकट रोजमर्रा की बात रही है। सदियांे से पेयजल जुटाने के लिए ग्रामीण अपने स्तर पर पेयजल प्रबंधन के प्रयास करते रहे है। कमोबेष ऐसे ही रेतीले धोरो के पास स्थित समतल भूमि पर ग्रामीणांे ने अपने परंपरागत ज्ञान का इस्तेमाल करते हुए बेरियांे को निर्माण किया। इसको छोटी कुंईया भी कहा जाता है। इसमंे भूमिगत जल के बजाय साइड से रिसकर अर्थात सेजे का पानी का एकत्रित होता है। बाड़मेर जिले के सरहदी इलाकांे मंे बहुतायत से इनका निर्माण हुआ। इसमंे व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक बेरियांे का निर्माण हुआ। षुरूआती दौर मंे काफी अच्छा चला, लेकिन समय के साथ रेतीली आंधियांे एवं देखरेख के अभाव मंे कई बेरियांे रेत से अट गई तो कई बेरियांे मंे गाद जमा होने से पानी की आवक बंद हो गई। बेरियांे से गाद को निकालना हर किसी के बलबूते का काम नहीं रहा। ऐसे मंे उनको मजबूरन इन बेरियांे को छोड़ना पड़ा। कुछ समय पूर्व बाड़मेर जिला कलक्टर हिमांषु गुप्ता को इसका पता चला, तो उन्हांेने इसको एक अभियान के रूप मंे जीर्णाेद्धार करने का मानस बनाया। महात्मा गांधी नरेगा मंे इसकी स्वीकृतियां जारी की गई। अब इसके सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे है। ग्रामीण इसको लेकर बेहद खुष है। विषेषकर महिलाएं अपने घर से कुछ दूरी पर बेरियांे मंे मीठे पानी की आवक षुरू होने से बेहद उत्साहित है।
गफूर ने कहा कि उसके दादा ने बनाई थी बेरियां
बाड़मेर, 13 जुलाई। सरहदी इलाकांे मंे बेरियांे के जीर्णाेद्धार का जायजा लेने के लिए जिला कलक्टर हिमांषु गुप्ता सज्जन का पार पहुंचे तो वहां खड़े ग्रामीण ने खुषी का इजहार करते हुए कहा कि यह बेरियां उसके दादा ने बनाई थी। उसने कहा कि यहां 100 से अधिक बेरियां है वह प्रत्येक व्यक्ति, जिसकी बेरी है, उसका नाम भी बता सकता है।
जिला कलक्टर ने ग्रामीण गफूर खान से बेरियांे की उपयोगिता के बारे मंे पूछा तो उसने कहा कि हमारे के लिए बेरियांे किसी वरदान से कम नहीं है। उसने बताया कि उसके दादा सेराज ने बेरियां बनाई थी। उसकी पुत्र वधु भी वहां पर पानी लेने आई हुई थी। इस दौरान इब्रा खान एवं कचरा खान ने बेरियांे के निर्माण, उपयोगिता एवं जीर्णाेद्वार के कार्य के बारे मंे जानकारी दी।